क्रेब्स चक्र या ट्राइकाबर्बोक्सिलिक अम्ल चक्र | KREBS CYCLE Fact in Hindi

क्रेब्स चक्र या ट्राइकाबर्बोक्सिलिक अम्ल चक्र

क्रेब्स चक्र या ट्राइकाबर्बोक्सिलिक अम्ल चक्र | KREBS CYCLE Fact in Hindi



क्रेब्स चक्र साइट्रिक अम्ल चक्र फेक्ट  

  • क्रेब्स चक्र की खोज सर हेन्स क्रेब (1937) ने की थी। इसे T.C.A. चक्र (Tricarboxylic Acid Cycle) भी कहते हैं। 
  • क्रेब्स चक्र की सम्पूर्ण अभिक्रियाएँ माइटोकॉण्ड्रिया के अन्दर सम्पन्न होती हैं। 
  • पायरुविक अम्ल, ग्लाइकोलिसिस एवं क्रेब्स चक्र की संयोजक कड़ी के रूप में कार्य करता है। 
  • क्रेब्स चक्र के द्वारा कुल 30 ATP का निर्माण E.T.S. के माध्यम से होता है। 
  • क्रेब्स चक्र को साइट्रिक अम्ल चक्र (Citric Acid Cycle) भी कहते हैं। 
  • क्रेब्स चक्र से सम्बन्धित समस्त एन्जाइम माइटोकॉण्ड्रिया के अन्दर पाये जाते हैं।

 

क्रेब्स चक्र या ट्राइकाबर्बोक्सिलिक अम्ल चक्र (KREBS CYCLE Fact in Hindi) 

क्रेब्स चक्र या ट्राइकाबर्बोक्सिलिक अम्ल चक्र | KREBS CYCLE Fact in Hindi


  • ग्लाइकोलिसिस (Glycolysis) क्रिया के फलस्वरूप बना पायरुविक अम्ल (Pyruvic acid) ऑक्सीजन की उपस्थिति में क्रेब्स चक्र के द्वारा ऑक्सीकृत होता है। इस क्रिया का वर्णन सर्वप्रथम क्रेब (Krebs) ने सन् 1937 में किया। इसलिए इसे क्रेब्स चक्र कहते हैं।
  • इसे T.C.A. चक्र (Tricarboxylic Acid Cycle) अथवा साइट्रिक अम्ल चक्र (Citric Acid Cycle) भी कहते हैं, क्योंकि इस क्रिया के फलस्वरूप ट्राइकार्बोक्सिलिक अम्लों (Tricarboxylic acids) का निर्माण होता है । यह सम्पूर्ण क्रिया माइटोकॉण्ड्रिया (Mi- tochondria) के अन्दर सम्पादित होती है, क्योंकि इस क्रिया से सम्बन्धित समस्त एन्जाइम माइटोकॉण्ड्रिया के अन्दर पाये जाने वाले क्रिस्टी (Cristae) में पाये जाते हैं।

 

क्रेब्स चक्र की विभिन्न रासायनिक अभिक्रियाएँ निम्नलिखित चरणों में ऑक्सीजन की उपस्थिति में पूर्ण होती हैं- 

1. पायरुविक अम्ल का वायवीय ऑक्सीकरण (Aerobic oxidation of pyruvic acid)- 

  • ऑक्सीजन की उपस्थिति में पायरुविक अम्ल (Pyruvic acid) का ऑक्सीकरण T.C.A. चक्र के माध्यम से होता है। क्रेब्स चक्र या T.C.A. चक्र में प्रवेश करने के पूर्व पायरुविक अम्ल का ऑक्सीडेटिव डीकार्बोक्सिलेशन (Oxidative decarboxylation) होता है। 
  • सर्वप्रथम पायरुविक अम्ल कोएन्जाइम-ए (Co-A) एवं NAD के साथ क्रिया करता है, तथा इसके ऑक्सीडेटिव डीकार्बोक्सिलेशन के फलस्वरूप CO एवNADH के एक-एक अणु का निर्माण होता है तथा पायरुविक अम्ल ऐसीटिल कोएन्जाइम-ए (Acetyl co-enzyme-A) में परिवर्तित हो जाता है। 
  • यह क्रिया पायरुविक अम्ल डीहाइड्रोजिनेज (Pyruvic acid dehydrogenase) नामक जटिल एन्जाइम (Complex enzyme) को मध्यस्थता में 5 कोफैक्टर्स (Cofactors)- कोएन्जाइम-A (Co-A), Mg+ आयन, T.P.P. (Thiamine pyrophosphate), NAD+ एवं लिपोइक अम्ल (Lipoic acid) को उपस्थिति में पूर्ण होती है।

 

 

2. OAA के साथ एसीटिल Co-A का संघनन (Condensation of OAA with acetyl Co-A)-

  • ऐसीटिल कोएन्जाइम-ए, ऑक्जैलोऐसीटिक अम्ल (OAA) एवं HO के साथ क्रिया करके साइट्रिक अम्ल (Citric acid) एवं Co-A के एक अणु का निर्माण करता है। यह क्रिया साइट्रेट सिंथेटेज (Citrate synthetase) एन्जाइम की उपस्थिति में होती है।

 3. साइट्रिक अम्ल का आइसोसाइट्रिक अम्ल में समावयवीकरण

  • ऐकोनिटेज (Aconitase) एन्जाइम की उपस्थिति में साइट्रिक अम्ल (Citric acid) का डीहाइड्रेशन होकर सिस-ऐकोनिटिक अम्ल (Cis-aconitic acid) के एक अणु का निर्माण होता है। इस क्रिया में जल (HO) का एक अणु बाहर निकल जाता है।
4. सिस-ऐकोनिटिक अम्ल, जल के अणु के साथ क्रिया करके आइसोसाइट्रिक अम्ल (Isocitric acid) का एक अणु बनाता है। यह क्रिया ऐकोनिटेज (Aconitase) एन्जाइम की उपस्थिति में होती है। 

5. आइसोसाइट्रिक अम्ल का ऑक्सीडेटिव डीकार्बोक्सिलेशन  

  • आइसोसाइट्रिक अम्ल, आइसोसाइट्रेट डीहाइड्रोजिनेज (Isocitrate dehydrogenase) एन्जाइम की उपस्थिति में ऑक्सीकृत होकर ऑक्जैलोसक्सिनिक अम्ल (O.S.A.) का निर्माण करती है। इस क्रिया में NAD अपचयित होकर NADH, में परिवर्तित हो जाता है। 

  • अब ऑक्जैलोसक्सिनिक अम्ल (O.S.A.) का डीकार्बोक्सिलेशन ऑक्जैलोसक्सिनिक डीकार्बोक्सिलेज (Oxalosuc- cinic decarboxylase) एन्जाइम को उपस्थिति में होता है तथा a-कीटोग्लूटेरिक अम्ल (a-Ketoglutaric acid) का एवं CO, का निर्माण होता है।

 

7. -कोटोग्लूटेरिक अम्ल का ऑक्सीडेटिव डीकार्बोक्सिलेशन  

  • a-कीटोग्लूटेरिक एसिड, डीकार्बोक्सिलेज एन्जाइम की उपस्थिति में Co-A एवं NAD के साथ क्रिया करके सक्सिनिल Co-A(Succinyl co-enzyme-A) एवं CO का निर्माण करती है। इस क्रिया में NAD का अपचयन होता है तथा NADH, का निर्माण होता है। 

8. सक्सिनिल Co-A जल के एक अणु के साथ क्रिया करके सक्तिनिक अम्ल (Succinic acid) का निर्माण करता है। इस क्रिया में Co-A मुक्त हो जाता है तथा GDP का फॉस्फोरिलेशन होता है, और GTP का निर्माण होता है। यह क्रिया सक्सिनिल धायोकाइनेज (Succinyl thiokinase) एन्जाइम को उपस्थिति में होती है।

 

  • सक्सिनिक डीहाइड्रोजिनेन (Succinic dehydrogenate) एन्जाइम की उपस्थिति में सथिसनिक अपल का ऑक्सीकर होता है तथा पयूमेरिक अम्ल (Fumaric acid) का निर्माण होता है। इस क्रिया में FAD का अपचयन होता है तथा FADH, के एक अणु का निर्माण होता है।

 

10. फ्यूमेरिक अम्ल, जल के एक अणु के साथ फ्यूमेरेज (Fumarase) एन्जाइम की उपस्थिति में क्रिया करके मैलिक अम्ल (Malic acid) के एक अणु का निर्माण करता है।

 

11. अन्त में मैलिक अमन, ऑक्सीकृत होकर पुन: ऑक्नैलीऐसीटिक अम्ल (Oxaloacetic acid) का निर्माण करता है। इस क्रिया में NAD का अपचयन होता है, तथा NADH, का निर्माण होता है। यह क्रिया मैलिक डीहाइड्रोजिनेज (Malic dehydro- genase) एन्जाइम की उपस्थिति में पूर्ण होती है।

 


 

क्रेब्स चक्र या TCA चक्र का महत्व (Significance of Krebs Cycle or TCA Cycle) 

(1) इस चक्र में डीकार्बोक्सिलेशन (Decarboxylation) द्वारा CO2 तथा डीहाइड्रोजिनेशन द्वारा H परमाणु मुक्त  होते हैं। 

(2) सभी हाइड्रोजन परमाणु विभिन्न हाइड्रोजन ग्राहियों (Hydrogen acceptors) - NAD+ FAD ) द्वारा ग्रहण कर लिये जाते हैं और यह हाइ‌ड्रोजन परमाणु इलेक्ट्रॉन ट्रान्सपोर्ट श्रृंखला (Electron transport chain) में प्रवेश करते हैं। 

(3) ऑक्सी श्वसन में इलेक्ट्रॉन ट्रान्सपोर्ट तन्त्र के द्वारा पायरुविक अम्ल से ऐसीटिल Co-A (Acetyl Co-A) बनने से 6 ATP औ अन्य स्थानों से 24 ATP अणुओं का तथा ग्लाइकोलिसिस में 6 ATP अणुओं का निर्माण होता है।

 

क्रेब्स चक्र में ऊर्जा उत्पादन 

  • क्रेब्स चक्र के विभिन्न चरणों में FADH, तथा NADH, का उत्पादन होता है। ये अपचयित कोएन्जाइम (Reduced co enzymes) होते हैं तथा ऑक्सीकरण के पश्चात् ATP का निर्माण करते हैं। यह क्रिया इलेक्ट्रॉन परिवहन तंत्र में संपन्न होती है। FADH, के एक अणु के पूर्ण ऑक्सीकरण से 2 ATP तथा NADH, से 3 ATP अणु प्राप्त होते हैं। 
  • इस प्रकार, एक पायरुविक अम्ल अणु से कुल 15 ATP प्राप्त होते हैं। चूंकि ग्लाइकोलिसिस क्रिया में एक ग्लूकोज अणु से पायरूविक अम्ल के दो अणु प्राप्त होते हैं, अतः दोनों से कुल 15×2= 30ATP प्राप्त होंगे।  
  • इस प्रकार से ग्लूकोज के वायवीय ऑक्सीकरण से 38 ATP तथा अवायवीय ऑक्सीकरण से 2 ATP अणु प्राप्त होते हैं।

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