वृक्क के कार्य का नियन्त्रण |Regulation of Kidney's Function
वृक्क के कार्य का नियन्त्रण
वृक्क के कार्य का नियन्त्रण (Regulation of Kidney's Function)
निम्नलिखित तीन प्रक्रियाओं द्वारा वृक्क के कार्यों का नियन्त्रण होता है-
वृक्कासन्न उपकरण Juxta glomerular Apparatus or JGA
वृक्कासन्न कोशिकाएँ एन्जाइम रेनिन का स्रावण करती हैं तथा केशिका गुच्छ निस्यन्दन और शरीर के द्रव आयतन के नियन्त्रण में महत्त्वपूर्ण कार्य करती हैं।
रेनिन का मोचन (Release of renin) रेनिन के मोचन के तीन प्रमुख कारण हैं
- (a) निम्न केशिका गुच्छ निस्यन्दन दर
- (b) निम्न केशिका गुच्छ दाब
- (c) वृक्क की वृद्धि अनुकम्पी उद्दीपन।
- राओ (Raao, 1984) ने समझाया कि नलिकाकार द्रव में निम्न सोडियम सान्द्रता भी गुच्छासन्न कोशिकाओं से कणिकाओं को स्रावित करती हैं, जो रेनिन के मोचन के लिए उत्तरदायी होते हैं।
(ii) एन्जियोटेन्सीन-I का निर्माण (Formation of angiotensin-I)
- रेनिन प्रोटीन अपघटक एन्जाइम है (आण्विक भार-41000) जब यह रुधिर में मोचित होता है तो एक निश्चित क्रियाधार का जल-अपघटन करता है, जो प्लाज्मा का 0.2- ग्लोव्यूलिन हॉर्मोन एन्जियोटेन्सिनोजन है जो एन्जियोटेन्सीन 1 बनाने के लिए सहायक होता है।
(iii) एन्जियोटेन्सीन-II का निर्माण (Formation of angiotensin-II)
- रुधिर परिसंचरित, एन्जियोटेन्सीन-1 वृक्क और फेफड़े में ऑक्टोपेप्टाइड एन्जियोटेन्सीन 11 में विभक्त हो जाता है, यह अभिक्रिया परिवर्तित एन्जाइम (Converting enzyme) के प्रभाव से होती है। एन्जियोटेन्सीन II रुधिर धमनिका में अरेखित पेशियों का संकुचन उद्दीपन करता है, संकीर्णन (Constrict) करता है और रुधिर दाब बढ़ाता है।
(iv) एल्डोस्टेरॉन का मोचन (Release of aldosterone)
- एन्जियोटेन्सिन-II का शरीर के द्रव आयतन पर एक और अप्रत्यक्ष प्रभाव होता है। यह एड्रिनल कॉर्टेक्स को उद्दीप्त करता है, जो इसके बदले में मिनरेलोकॉर्टीकॉइड हॉमोंन एल्डोस्टेरॉन का मोचन करते हैं और यह सोडियम धारण (sodium retension) और जल पुनरावशोषण को इसी प्रकार प्रोत्साहित करते हैं।
एट्रियल नैट्रीयूरेटिक कारक Atrial Natriuretic Factor (ANF)
- हृदय के अलिन्दों की भित्ति में स्थित कोशिकाएँ एट्रियल नैट्रीयूरेटिक कारक का स्रावण करती हैं। यदि रुधिर के दाब एवं आयतन में वृद्धि होती है, तब ANF का स्रावण होता है। ANF रेनिन के स्रावण को संदमित करता है, अतः NaCl तथा जल का पुनरावशोषण कम करता है।
वृक्क के कार्य का नियन्त्रण प्रमुख तथ्य
- प्रतिधारा गुणक (काउण्टर-करण्ट) प्रक्रिया दो प्रकार की होती हैं काउण्टर-करण्ट मल्टीप्लायर (जो हेनले लूप में होती है) और काउण्टर-करण्ट एक्सचेंज (जो वासा रेक्टा में होती है)।
- संग्रह नलिका, काउण्टर-करण्ट प्रक्रिया में, परासरणीय सन्तुलन डिवाइस की भाँति कार्य करती हैं।
- बर्लिनर (1958) ने वासा रेक्टा की काउण्टर-करण्ट अवधारणा प्रस्तुत की थी।
- मूत्र के रासायनिक संगठन में 95% जल, 2% अनावश्यक लवणों के आयन, 2.6% यूरिया, 0.3% क्रिएटिनिन और सूक्ष्म मात्रा में यूरिक अम्ल और अन्य अनावश्यक पदार्थ तथा अपशिष्ट पदार्थ होते हैं।
- रेनिन (Rennin) आमाशय की जाइमोजन कोशिकाओं द्वारा स्रावित एक प्रोटीन पाचक एन्जाइम है, जबकि रैनिन (renin) वृक्क की जक्सटा ग्लोमेरुलर कोशिकाओं द्वारा स्रावित हॉर्मोन है।
एण्टीडाइयूरेटिक हॉर्मोन द्वारा नियमन Control by Antidiuretic Hormone (ADH)
- ADH मस्तिष्क के हाइपोथैलेमस द्वारा स्रावित होता है और पिट्यूटरी प्रन्थि द्वारा रुधिर प्रवाह में मुक्त किया जाता है। यह वृक्कों की सहायता से पुनरावशोषित जल की मात्रा बढ़ाकर, द्रव-सान्द्रण में वृद्धि करता है। रुधिर की परासरणीयता (osmolarity) के 300 मिली osm L' से अधिक होने पर हाइपोथैलेमस उत्तेजित हो जाते हैं। जिससे ADH की मुक्ति प्रेरित होती है। इस स्थिति में ऑस्मोरिसेप्टर्स कोशिकाएँ प्यास (thirst) भी उत्पन्न करती है। पानी ग्रहण करने से रुधिर की परासरणीयता घट जाती है, जिसके फलस्वरूप ADH का स्रावण रुक जाता है।
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