जैविक विविधता पर कन्वेंशन | नागोया प्रोटोकॉल क्या है ? | CBD GK in Hindi
जैविक विविधता पर कन्वेंशन , नागोया प्रोटोकॉल क्या है ?
जैविक विविधता पर
कन्वेंशन (CBD):
CBD, जैवविविधता के संरक्षण हेतु कानूनी रूप से बाध्यकारी संधि
है जो वर्ष 1993 से लागू है।
इसके 3 मुख्य उद्देश्य
हैं:
- जैवविविधता का संरक्षण।
- जैवविविधता के घटकों का सतत् उपयोग।
- आनुवंशिक संसाधनों के उपयोग से होने वाले लाभों का उचित एवं न्यायसंगत बँटवारा।
- लगभग सभी देशों ने इसकी पुष्टि की है (अमेरिका ने इस संधि पर हस्ताक्षर तो किये हैं लेकिन पुष्टि नहीं की है)।
- भारत ने CBD के प्रावधानों को प्रभावी करने के लिये ‘जैवविविधता अधिनियम 2002’ लागू किया।
- CBD का सचिवालय मॉन्ट्रियल, कनाडा में स्थित है जो संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के तहत संचालित होता है।
- जैविक विविधता अभिसमय के तहत पार्टियांँ (देश) नियमित अंतराल पर मिलती हैं और इन बैठकों को कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज़ (Conference of Parties- COP) कहा जाता है।
- वर्ष 2000 में जैव सुरक्षा पर कार्टाजेना प्रोटोकॉल के रूप में ज्ञात अभिसमय के लिये एक पूरक समझौता अपनाया गया था।
- यह प्रोटोकॉल आधुनिक जैव प्रौद्योगिकी के परिणामस्वरूप संशोधित जीवित जीवों द्वारा उत्पन्न संभावित जोखिमों से जैविक विविधता की रक्षा करता है।
नागोया प्रोटोकॉल क्या है ?
- नागोया प्रोटोकॉल (COP10) को आनुवंशिक संसाधनों तक पहुँच और उनके उपयोग से होने वाले लाभों का उचित तथा न्यायसंगत बँटवारा के लिये नागोया, जापान में COP10 में अपनाया गया था।
- यह न केवल CBD द्वारा कवर किये गए आनुवंशिक संसाधनों और उनके उपयोग से उत्पन्न होने वाले लाभों पर लागू होता है, बल्कि CBD द्वारा कवर किये गए आनुवंशिक संसाधनों से जुड़े पारंपरिक ज्ञान (TK) तथा इसके उपयोग से उत्पन्न होने वाले लाभों पर भी लागू होता है।
- आनुवंशिक संसाधनों पर नागोया प्रोटोकॉल के साथ, COP-10 ने जैवविविधता को बचाने के लिये सभी देशों द्वारा कार्रवाई हेतु दस वर्ष की रूपरेखा को भी अपनाया।
- आधिकारिक तौर पर "वर्ष 2011-2020 के लिये जैवविविधता रणनीतिक योजना" के रूप में जाना जाता है, इसने 20 लक्ष्यों का एक सेट प्रदान किया, जिसे सामूहिक रूप से जैवविविधता हेतु आइची लक्ष्य (Aichi Targets for Biodiversity) के रूप में जाना जाता है।
- जैवविविधता पर संयुक्त राष्ट्र अभिसमय के पक्षकारों के 15वें सम्मेलन (COP15) के दौरान कुनमिंग-मॉन्ट्रियल वैश्विक जैवविविधता फ्रेमवर्क (GBF) का अंगीकरण किया गया।
- इस फ्रेमवर्क में वर्ष 2050 तक हासिल करने हेतु चार लक्ष्य तथा वर्ष 2030 के लिये निर्धारित तेईस लक्ष्य शामिल हैं।
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