सुदूर संवेदी तकनीक क्या है और यह किस प्रकार कार्य करती है? |What is remote sensing technology and how does it work?
सुदूर संवेदी तकनीक क्या है और यह किस प्रकार कार्य करती है?
सुदूर संवेदी तकनीक क्या है और यह किस प्रकार कार्य करती है?
- सुदूर संवेदन एक ऐसी तकनीक है जिसके अंतर्गत मानव की पहुँच से दूर स्थित वस्तुओं व परिघटनाओं का अध्ययन किया जाता है। इस तकनीक की सहायता से दूर स्थित वस्तुओं के भौतिक संपर्क में आए बिना उसके संबंध में सूचना और आँकड़े प्राप्त किए जाते हैं।
- सूर्य से पृथ्वी पर आने वाली किरणें धरातल से टकराकर परावर्तित हो जाती हैं व कुछ मात्रा वस्तुओं द्वारा अवशोषित कर ली जाती है। दूर संवेदन में इन्हीं परावर्तित किरणों के अध्ययन द्वारा निष्कर्ष निकाले जाते हैं।
- इस तकनीक की सहायता से भौगोलिक संरचनाओं, स्थलाकृतियों, वनस्पतियों, जल भंडारों, खनिजों आदि की सटीक जानकारी प्राप्त की जाती है। इस तकनीक का प्रयोग भूमि मानचित्रण, पर्यावरण, मौसम, पर्यटन, जलवायु संबंधी अध्ययन आदि में हो रहा है।
- भारत में भी दूर संवेदन प्रणाली का विकास किया गया है, जिसके विभिन्न क्षेत्र में अनुप्रयोग है। भारत का प्रथम दूर संवेदी उपग्रह वर्ष 1988 में बैकावूर (USSR) से आई आर एस-1 ए (IRS-1A) के रूप में प्रक्षेपित किया गया था। तब से लेकर वर्तमान समय तक भारत ने इस क्षेत्र में काफी प्रगति की है। कुछ प्रमुख दूर संवेदी उपग्रह हैं- IRS-1B, IRS- IE, IRS-P2, IRS-1C, IRS-P3, IRS-1D, IRS-P4, IRS-P6, कार्टोसेंट-1, कार्टोसेट-2, कार्टोसेट-2A, IMS- 1, रीसैट-2, ओशनसैट-2, कार्टोसेट-2B, रिसोर्ससैट-2, मेघा-ट्रॉपिक्स, रीसैट-1 आदि।
दूर संवेदन तकनीक के अनुप्रयोग (Applicaion) -
भारत में IRS उपग्रहों द्वारा प्रेषित चित्रों का भारत में कृषि उपज क्षेत्र तथा प्राप्त पैदावार में उपयोग के अलावा जल की उपलब्धता व स्थिति का आकलन, कमान क्षेत्रों की निगरानी, वन सर्वेक्षण, बंजर भूमि पहचान, खनिज अन्वेषण, मत्स्य क्षेत्रों की पहचान, शहरी आयोजन, बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों की पहचान आदि में किया जाता है। सुदूर संवेदी उपग्रहों के माध्यम से निम्नलिखित प्रमुख परियोजनाओं/कार्यक्रमों का संचालन किया जा रहा है-
(1) राष्ट्रीय वेस्टलैंड मैपिंग
(2) जमीनी मानचित्रण
(3) राष्ट्रीय पेयजल तकनीकी मिशन
(4) कृषिगत सूखा निगरानी
(5) वन अवारण मानचत्रिण
(6) फसल क्षेत्रफल और उत्पादन आकलन
(7) बाढ़ मानचित्र
(8) वसुंधरा परियोजना (खनिज पदार्थों की खोज)
(9) महासागरीय स्रोत मानचित्रण
(10) कमांड क्षेत्र विकास
(11) क्षारीय/अम्लीय मिट्टी का मानचित्र
(12) पर्यावरण प्रभाव आकलन (EIA)
(13) शहरी अध्ययन आदि।
- भारत में दूर संवेदन से संबंधित कार्य-कार्य राष्ट्रीय प्राकृतिक संसाधन प्रणाली (National Natural Resources Management System-NNRMS) बैंगलुरु के अंतर्गत आता है। जबकि राष्ट्रीय दूर संवेदन अभिकरण (National Remote Sensing Agency - NRSA) हैदराबाद इन कार्यों का निर्देशन करता है। जबकि भारतीय छाया चित्र पठन संस्थान (Indian Photo Interpretation Institute - IPII) देहरादून आँकड़ों तथा चित्रों के विश्लेषण का कार्य करता है। देहरादून के अतिरिक्त बैंगलुरु, जोधपुर, खड़गपुर तथा नागपुर में चार अन्य सेवा केन्द्र हैं। देश की लगभग सभी विकास परियोजनाओं के लिए इन्हीं केन्द्रों द्वारा आवश्यक आँकड़े उपलब्ध कराए जाते हैं।
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