भारत में विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में महत्वपूर्ण उपलब्धियां |Indian Achievements in the area of science and technology
भारत में विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में महत्वपूर्ण ऐतिहासिक उपलब्धियों का वर्णन कीजिये ?
भारत में विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में महत्वपूर्ण उपलब्धियां
भारत में आजादी के बाद से प्रमुख विज्ञान एवं तकनीक के क्षेत्र में उपलब्धियों को निम्न बिन्दुओं में देख सकते हैं।
कृषि के क्षेत्र में
- आजादी के बाद लम्बे समय तक हमारे देश में खाद्यान्न का सर्वथा अभाव था। हर नागरिक के पास भोजन के लिए खाद्यान्नों की उपलब्धता नहीं थी तथा जनसंख्या अपनी गति से बढ़ती जा रही थी, जिसके लिए हमें विदेशों से अन्न आयात करना पड़ता था। डॉ. स्वामीनाथन तथा डॉ. नारमैन बोरलॉग के प्रयासोपरांत भारत में हरित क्रांति आयी, जिससे खाद्यान्नों में 9 गुनी तक वृद्धि दर्ज की गई। भारत वर्तमान में न केवल खाद्यान्नों में आत्मनिर्भर बना अपितु खाद्यान्नों का निर्यात भी कर रहा है।
- भारत एक कृषि प्रधान देश है और कृषि आज भी भारत के श्रम शक्ति की 65 प्रतिशत को आजीविका प्रदान करती है तथा GDP में एक-चौथाई का योगदान भी करती है। भारत का विश्व उर्वरक उपयोग में चौथा स्थान है। भारत दुग्ध उत्पादन में विश्व में प्रथम है। भारत विश्व दाल कृषि भूमि का प्रथम स्थान है तथा कपास की संकर किस्में विकसित करने वाला प्रथम देश भी है। भारत ने मत्स्य उत्पादन तथा संवर्धन प्रौद्योगिकियों में महत्त्वपूर्ण उपलब्धि प्राप्त की है। इन सभी उपलब्धियों को भारत के संदर्भ में निश्चित ही विज्ञान- प्रौद्योगिकी से पृथक् करके आकलित नहीं किया जा सकता है।
ऊर्जा के क्षेत्र में
- किसी देश की अर्थव्यवस्था का आधार ऊर्जा ही होती है। सन् 1950 में भारतीय ऊर्जा उत्पादन केवल 1,713 mw थी, जो 2013-14 में बढ़कर 1415056 mw हो गई।
- ऊर्जा उत्पादन के क्षेत्र में भारत सरकार के अंतर्गत कोयला, पेट्रोलियम, ताप ऊर्जा, गैस ऊर्जा इत्यादि तो है ही, परंतु सरकार ने उत्पादन क्षमता में वृद्धि के लिए सन् 1982 में 'गैर-पारंपरिक ऊर्जा स्रोत' विभाग का गठन भी किया जो सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, जैव ऊर्जा इत्यादि का प्रबंधन करता है।
अंतरिक्ष अनुसंधान और विकास
- भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान और विकास कार्यक्रम का शुभारंभ 1962 में डॉ. विक्रम साराभाई की अध्यक्षता में राष्ट्रीय अनुसंधान समिति (INCOSPAR) के गठन के साथ हुआ। 1963 में त्रिवेंद्रम में थुम्बा भूमध्य रेखीय प्रक्षेपास्त्र प्रक्षेपण - स्टेशन (TERLS) ने कार्य करना प्रारंभ कर दिया। 1972 में थुम्बा में अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी केंद्र (SSTC) प्रचालक संयंत्र पक्षेपास्त्र रचना सुविधाएँ (TERLS), विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (VSSC) के रूप में प्रतिष्ठित की गई। इसी वर्ष अंतरिक्ष आयोग तथा अंतरिक्ष विभाग की भी स्थापना की गई।
- भारत में विकसित इसी प्रकार की प्रणाली IN-SAT बहुद्देश्यीय उपग्रह प्रणाली है। इसमें दूरसंचार के अतिरिक्त रेडियो, टीवी प्रसारण, मौसम विज्ञान के क्षेत्र में उपयोग तथा समुद्र में फँसे जहाजों एवं नावों के बचाव व राहत कार्यों में इसकी भूमिका महत्वपूर्ण है।
- अंतरिक्ष तकनीक का प्रमुख उद्देश्य देश की आर्थिक, सामाजिक प्रगति में अनुसंधान तथा विकास करना है। इसके लिए GPS, RS इत्यादि तकनीक का उपयोग अत्यधिक महत्त्वपूर्ण है। ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (GPS) एक प्रकार का रिसीवर यंत्र है जो उपग्रह से एक रेडियो तरंग (Wave) के माध्यम से सिग्नल (Signal) प्राप्त करता है। यह प्रणाली विभिन्न प्रकार के वाहनों तथा वस्तुओं की स्थिति जानने के लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।
सूचना और संचार प्रौद्योगिकी
- सूचना और संचार प्रौद्योगिकी अपने में विभिन्न विधियों को समाहित करता है। प्रिंट मीडिया, दूरदर्शन, आकाशवाणी, कंप्यूटर तथा इन्टरनेट इत्यादि ।
- भारत सरकार ने सूचना विषयक प्रणाली में तेजी लाते हुए 1975 में इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग की स्थापना की। इसके अतिरिक्त कम्प्यूटर तथा उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स में व्यापक सुधार किए गए। इसके लिए विभिन्न क्षेत्रों में समयबद्ध वैज्ञानिक परियोजनाएँ चलाई जा रही हैं। विकसित कम्प्यूटिंग विकास के क्षेत्र में अग्रणी केंद्र (C-DAC) के एक सुपर कम्प्यूटर परम पद्म भी विकसित किया है। कम्प्यूटर हार्डवेयर में विकास के लिए 1993 से इलेक्ट्रॉनिक्स हार्डवेयर प्रौद्योगिकी; पार्क विकसित किया जा रहा है।
प्रतिरक्षा
- अपने प्रतिरक्षा को लेकर प्रारंभ के कटु अनुभवों से सजग रही हमारी सरकारों की सकारात्मक नीतियों के कारण रक्षा. प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत ने अभूतपूर्व वैज्ञानिक व प्रौद्योगिकीय उपलब्धियाँ अर्जित कर ली हैं।
- भारतीय रक्षा एवं अनुसंधान संगठन (DRDO) राष्ट्रीय सुरक्षा हेतु अत्यावश्यक आधुनिक प्रौद्योगिकी में निर्भरता प्राप्ति हेतु प्रयत्नशील है। इस संगठन की सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल पृथ्वी, आधुनिकतम प्रणाली युक्त मुख्य युद्धक टैंक 'अर्जुन' बैलून बैरेज प्रणाली इत्यादि प्रमुख हैं। अभियांत्रिकी के क्षेत्र में पुल बिछाने वाला टैंक 'कार्तिक', सैनिक पुल बिछाने वाली प्रणाली, त्वरित अग्निशमन उपकरण, सामुद्रिक, अनुसंधान जहाज 'सागर ध्वनि' इत्यादि लब्ध- प्रतिष्ठित हो चुके हैं। रक्षा उपक्रमों में हिंदुस्तान एयरोनाटिक्स लिमिटेड (HAL), भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BHEL), भारत अर्थमूवर्स लिमिटेड, गार्डन रीच शिप बिल्डर्स एण्ड इंजीनियर्स लिमिटेड के अतिरिक्त अनेक आयुध कारखाने जल, थल तथा हवा में प्रयोग किए जाने वाले विभिन्न प्रकार के उत्कृष्ट आयुधों का निर्माण करते हैं।
- भारतीय मिसाइल कार्यक्रम का प्रारंभ 1963 से माना जा सकता है, जब केरल में त्रिवेंद्रम के निकट थुबा नामक एक छोटे से गाँव में अमेरिकी कल-पुर्जों को जोड़कर एक रॉकेट प्रक्षेपित किया गया। बाद में ISRO की स्थापना कर उसे 1983 में समेकित निर्देशित प्रक्षेपास्त्र विकास कार्यक्रम का दायित्व दिया गया।
- उपरोक्त विश्लेषण से स्पष्ट है कि भारत में विज्ञान एवं तकनीक के माध्यम से कृषि, उद्योग, सूचना प्रौद्योगिकी शिक्षा एवं स्वास्थ्य तथा प्रतिरक्षा और अंतरिक्ष में महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ हासिल भी हैं।
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