बघेलखण्ड के इतिहास के प्रमुख शिला लेख और ताम्र पत्र| Baghelkhand Sources of History
बघेलखण्ड के इतिहास के प्रमुख शिला लेख और ताम्र पत्र
बघेलखण्ड के इतिहास के प्रमुख शिला लेख और ताम्र पत्र
बघेलखण्ड में कई शिला लेख और ताम्रपत्र पाये गये हैं, जिनसे भी बघेलखण्ड के इतिहास पर प्रकाश पड़ता है। उनमें से कुछ प्रमुख शिला-लेखों और ताम्र-पत्रों का विवरण नीचे प्रस्तुत है-
(1) उँचेहरा के राजा वीरराज देव परिहार के शिला-लेख
- वीरराजदेव के अभी तक 15 शिलालेख प्राप्त हुए हैं, जिनका उल्लेख पतौरा (जिला-सतना) के श्री रामलखन सिंह ने अपने ग्रन्थ 'प्रतिहार राजपूतों का इतिहास' में किया है। इन शिलालेखों से उँचेहरा-राज्य और वीरराजदेव के विषय में जानकारी मिलती है।
(2) गहोरा-शिलालेख
- यह सती शिला लेख बघेल राजा बुल्लार देव का है, जो 1360 ई. (संवत् 1417, ज्येष्ठ बदी-13, दिन-बुधवार) को निर्मित किया गया था। यह शिलालेख प्रयाग संग्रहालय, (इलाहाबाद) में सुरक्षित है। यह शिलालेख बुल्लारदेव के बारे में जानकारी देता है।
(3) ककरेड़ी के ताम्रपत्र
- कालिंजर से लगभग 40 किलोमीटर पूर्व में ककरेड़ी ग्राम स्थित है। यहाँ पर कौरववंशीय महाराणक-सामन्तों के ताम्रपत्र प्राप्त हुए हैं, जिनसे ज्ञात होता है कि 1195 ई. तक वे कलचुरी राजाओं के अधीन थे और उसके बाद वे चन्देल राजाओं की अधीनता स्वीकार करने लगे।
- इस प्रकार उपर्युक्त संस्कृत, हिन्दी, उर्दू फारसी तथा अंग्रेजी भाषाओं के मूल ग्रन्थों एवं शिलालेखों व ताम्रपत्रों के आलोक में बघेलखण्ड के इतिहास का स्वरूप स्पष्ट होता है। इन मूल स्रोतों के अतिरिक्त भी अल्टेकर, मिरासी, एचिसन आदि कई विद्वानों के ग्रन्थों और अन्य कागजातों से भी बघेलखण्ड के इतिहास पर प्रकाश पड़ता है। वर्तमान में बघेलखण्ड के विभिन्न क्षेत्रों पर कई शोध-कार्य किये जा चुके हैं, जिनसे यहाँ के इतिहास के विविध पक्षों पर व्यापक प्रकाश पड़ता है।
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