Current Affairs Fact May 2024 in Hindi | मई 2024 समसमयिकी प्रमुख तथ्य
Current Affairs Fact May 2024 in Hindi
अंतर्राष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष का समापन समारोह
- हाल ही में खाद्य और कृषि संगठन (FAO) ने रोम में FAO मुख्यालय में अंतर्राष्ट्रीय कदन्न वर्ष (IYM) 2023 के समापन समारोह की मेज़बानी की।
- कदन्न के लाभों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिये 70 से अधिक देशों द्वारा समर्थित भारत के प्रस्ताव के बाद संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2023 को अंतर्राष्ट्रीय कदन्न वर्ष घोषित किया।
- साल भर चलने वाले उत्सव में कदन्न के पोषण संबंधी लाभों, प्रतिकूल जलवायु के लिये अनुकूलनशीलता और संधारणीय बाज़ार के अवसर उत्पन्न करने में भूमिका पर प्रकाश डाला गया।
- कदन्न वनस्पति परिवार से संबंधित छोटे दाने वाले, वार्षिक, गर्म मौसम वाले अनाज हैं।
- ज्वार (ज्वार), बाजरा (मोती बाजरा) और रागी (फिंगर बाजरा) भारत में उगाए जाने वाले महत्त्वपूर्ण कदन्न हैं।
- अनावृष्टि और मृदा की खराब उर्वरता के कारण अर्द्धशुष्क उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में कदन्न मुख्य फसल है। उनमें प्रमुख अनाज वाली फसलों की तुलना में पोषक तत्त्वों की मात्रा अधिक होती है और वे सूखे एवं चरम मौसम की स्थिति के प्रति सहनशील होते हैं।
मुंबई में पहला ट्राई-सर्विस कॉमन डिफेंस स्टेशन
- मुंबई को भारत के पहले ट्राई-सर्विस कॉमन डिफेंस स्टेशन में स्थापित करने के लिये सशस्त्र बल एक महत्त्वपूर्ण पहल शुरू करने की योजना बना रही है, यह थल सेना, नौसेना और वायु सेना के बीच सामंजस्य हासिल करने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।
- इस रणनीतिक कदम का उद्देश्य एकीकृत नेतृत्व ढाँचे के तहत रसद, बुनियादी ढाँचे, मरम्मत और रखरखाव तथा आपूर्ति सहित तीनों सेवाओं की सभी सुविधाओं एवं संसाधनों को समेकित करना है।
- वर्तमान में, मुंबई में तीनों सेनाओं के अलग-अलग विंग हैं, जो स्वतंत्र रूप से काम कर रहे हैं।
- नौसेना, मुंबई में अपनी पर्याप्त उपस्थिति के साथ, इस नए एकीकृत सेटअप में मुख्य भूमिका निभाएगी।
- कोयंबटूर के पास स्थित सुलूर और गुवाहाटी को दूसरे तथा तीसरे आम रक्षा स्टेशनों के लिये स्थल के रूप में चुने जाने की उम्मीद है।
- वर्तमान में भारत में कोई सामान्य रक्षा स्टेशन नहीं हैं। अंडमान और निकोबार कमांड एक पूर्ण कमांड है जिसे वर्ष 2001 में त्रि-सेवा कमांड के रूप में स्थापित किया गया था।
SKOCH ESG पुरस्कार 2024
- REC लिमिटेड ने 'नवीकरणीय ऊर्जा वित्तपोषण' के लिये SKOCH ESG पुरस्कार- 2024 जीता।
- REC (पूर्व में ग्रामीण विद्युतीकरण निगम लिमिटेड) विद्युत मंत्रालय के तहत एक 'महारत्न' केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उद्यम है, जो RBI के साथ एक गैर-बैंकिंग वित्त कंपनी (NBFC) और इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंसिंग कंपनी (IFC) के रूप में पंजीकृत है।
- REC विद्युत् और गैर-विद्युत् बुनियादी ढाँचे दोनों को वित्त पोषित करता है, जिसमें नवीकरणीय ऊर्जा, इलेक्ट्रिक वाहन तथा हरित प्रौद्योगिकियों सहित क्षेत्रों के साथ-साथ उत्पादन से लेकर परिवहन व संचार परियोजनाओं तक की एक विस्तृत शृंखला शामिल है।
- SKOCH ESG पुरस्कार पर्यावरण, सामाजिक और शासन (ESG) प्रथाओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले संगठनों को मान्यता देते हैं।
- यह पुरस्कार और मूल्यांकन एक स्थायी व्यावसायिक भविष्य के लिये स्थायी निवेश एवं प्रक्रियाओं के बीच संबंध पर बल देकर इंडिया 2047 के प्रति संगठनों के समर्पण का आकलन करने के लिये एक महत्त्वपूर्ण बेंचमार्क है।
- SKOCH ग्रुप वर्ष 1997 में स्थापित एक प्रमुख भारतीय थिंक टैंक है, जो फॉर्च्यून 500 कंपनियों से लेकर समुदाय-आधारित संगठनों तक की एक विस्तृत शृंखला के साथ जुड़कर सामाजिक-आर्थिक मुद्दों में विशेषज्ञता रखता है।
विक्रम-1 स्टेज-2 का सफल परीक्षण
- स्काईरूट एयरोस्पेस, एक अग्रणी भारतीय अंतरिक्ष-तकनीकी कंपनी द्वारा भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के प्रणोदन में विक्रम-1 अंतरिक्ष प्रक्षेपण यान के स्टेज-2 के सफल परीक्षण फायरिंग के साथ एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि प्राप्त की जिसे कलाम-250 के नाम से भी जाना जाता है, जिसको श्रीहरिकोटा, आंध्र प्रदेश में परीक्षण किया गया।
- चरण-2 प्रक्षेपण यान को वायुमंडलीय चरण से बाह्य अंतरिक्ष के गहरे निर्वात में स्थानांतरित करने, इसे सटीकता एवं दक्षता के साथ अपने गंतव्य की ओर ले जाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- कलाम-250 ठोस ईंधन के साथ एक उच्च शक्ति वाले कार्बन मिश्रित रॉकेट मोटर के साथ ही एक उच्च प्रदर्शन वाले एथिलीन-प्रोपलीन-डायन टेरपोलिमर (EPDM) थर्मल प्रोटेक्शन सिस्टम (TPS) का उपयोग करता है। इसमें सटीक थ्रस्ट वेक्टर नियंत्रण के लिये कार्बन एब्लेटिव फ्लेक्स नोजल की भी सुविधा है।
- नवंबर 2022 में विक्रम-S के सबऑर्बिटल अंतरिक्ष प्रक्षेपण के पश्चात् विक्रम-1 भारत का पहला निजी कक्षीय रॉकेट प्रक्षेपण है। यह अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के साथ-साथ अन्वेषण में भारत की बढ़ती क्षमताओं को प्रदर्शित करता है।
अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी जागरूकता प्रशिक्षण (START) 2024
- हाल ही में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने एक अंतरिक्ष विज्ञान कार्यक्रम, अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी जागरूकता प्रशिक्षण (START), 2024 की घोषणा की।
- यह अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी में एक प्रारंभिक स्तर का ऑनलाइन प्रशिक्षण कार्यक्रम है।
- इसके तहत भारत के विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों में पढ़ने वाले भौतिक विज्ञान (भौतिकी और रसायन विज्ञान) और प्रौद्योगिकी (जैसे इलेक्ट्रॉनिक्स, कंप्यूटर विज्ञान, मैकेनिकल) के स्नातक तथा स्नातकोत्तर छात्रों को प्रशिक्षण के लिये चयनित होने का अवसर प्रदान किये जाएगा।
- इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य युवाओं को अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आकर्षित करना है।
हुरुन ग्लोबल रिच लिस्ट, 2024 से संबंधित प्रमुख निष्कर्ष क्या हैं?
- सूची के अनुसार 92 अरबपतियों के साथ मुंबई विश्व में अरबपतियों की बढ़ती संख्या के संबंध में शीर्ष राजधानी बन गई है, जिसमें विगत वर्ष से 26 नए अरबपति शामिल हुए हैं और वर्तमान में विश्व में इसका स्थान तीसरा है।
- एशिया की अरबपतियों की राजधानी के मामले में मुंबई अब बीजिंग से आगे निकल गया है।
- भारत में वर्ष 2023 के दौरान 94 नए अरबपति शामिल हुए, जो अमेरिका के बाद दूसरे स्थान पर हैं, जिससे कम-से-कम 1 बिलियन अमेरिकी डॉलर की कुल संपत्ति वाले अरबपतियों की संख्या 271 हो गई है।
- रिपोर्ट हाल के दिनों में भारत की बढ़ती आर्थिक प्रमुखता का संकेत देती है।
- सामूहिक रूप से, इन भारतीय अरबपतियों के पास 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की संपत्ति है, जो कुल वैश्विक अरबपतियों की संपत्ति का 7% है, जो भारत के महत्त्वपूर्ण आर्थिक प्रभाव को उजागर करता है।
- भारत के अरबपतियों के बीच प्रमुख उद्योगों में 39 व्यक्तियों के साथ फार्मास्यूटिकल्स, 27 के साथ ऑटोमोबाइल और ऑटो कंपोनेंट्स तथा 24 व्यक्तियों के साथ केमिकल्स शामिल हैं।
वर्ल्ड इनिक्वेलिटी लैब रिपोर्ट 2022-23
- पेरिस स्थित शोध संगठन, वर्ल्ड इनइक्वलिटी लैब द्वारा हाल ही में जारी एक वर्किंग पेपर में अनुमान लगाया गया है कि 2000 के दशक की शुरुआत से भारत में आर्थिक असमानता काफी बढ़ गई है।
- "भारत में आय और धन असमानता, वर्ष 1922 से वर्ष 2023: अरबपतियों के उदय" शीर्षक वाली रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में मौजूदा असमानता ब्रिटिश राज काल से भी अधिक है।
- भारत के शीर्ष 1% की आय के साथ ही संपत्ति का हिस्सा क्रमशः 22.6% तथा 40.1% है, जो वर्ष 2022-23 में अपने उच्चतम ऐतिहासिक स्तर पर है।
- भारत के सबसे अमीर 1% लोगों की आय दक्षिण अफ्रीका, ब्राज़ील तथा अमेरिका के लोगों से अधिक है। भारत के सबसे अमीर 1% की औसत संपत्ति 5.4 करोड़ रुपए है, जो देश के औसत आय स्तर से 40 गुना अधिक है।
प्रोजेक्ट आकाशतीर
- भारतीय सेना ने 'प्रोजेक्ट आकाशतीर' के अंतर्गत नियंत्रण और रिपोर्टिंग सिस्टम के कार्यान्वयन की शुरुआत की है, जो एक रणनीतिक कदम है जिसका उद्देश्य अपनी वायु रक्षा क्षमताओं को बढ़ाना है।
- भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) द्वारा विकसित इस परियोजना का उद्देश्य सेना की वायु रक्षा तंत्र की परिचालन दक्षता और एकीकरण को बढ़ाना है।
- BEL रक्षा मंत्रालय के अधीन एक नवरत्न सार्वजानिक क्षेत्र की इकाई (PSU) है।
- आकाशतीर परियोजना डिजिटलीकरण के माध्यम से वायु रक्षा नियंत्रण और रिपोर्टिंग प्रक्रियाओं को स्वचालित करने का एक अग्रणी प्रयास है, जो जटिल संचालन के लिये एक सुव्यवस्थित दृष्टिकोण का प्रदान करता है।
अहोबिलम तीर्थ पर जाने वाले तीर्थयात्रियों पर प्रतिबंध
- हाल ही में नागार्जुनसागर-श्रीशैलम टाइगर रिज़र्व के भीतर स्थित अहोबिलम मंदिर परिसर में आगंतुकों पर कई प्रतिबंध लगाए गए हैं।
- चीथल बेस कैंप में प्लास्टिक उत्पादों पर प्रतिबंध, संभावित मानव-पशु संघर्ष के कारण रातभर रुकने एवं मंदिर में पशुबलि पर प्रतिबंध शामिल हैं, ये सभी उपाय अत्यधिक गर्मी की प्रतिक्रिया तथा वन्यजीवों के संरक्षण के लिये उठाए गए हैं।
- इसके निकटवर्ती नल्लामाला वन क्षेत्र में रेड सैंडर्स, तेंदुओं एवं हिरणों तथा बाघ आदि निवास करते हैं।
- वन, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा वन्य जीवन संरक्षण अधिनियम, 1972 के प्रावधानों के अनुसार गठित अहोबिलम राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) इस क्षेत्र के लिये विशिष्ट दुर्लभ वनस्पतियों एवं जीवों की देखरेख व संरक्षण करता है।
- अहोबिलम मंदिर परिसर में नल्लामाला वन के भीतर स्थित भगवान नरसिम्हा के 9 मंदिर हैं। नौ तीर्थस्थलों के अतिरिक्त पहाड़ की तलहटी में प्रह्लाद वरदा वरधन का एक मंदिर भी शामिल है।
भारत की सितवे बंदरगाह तक पहुँच
- हाल ही में विदेश मंत्रालय (MEA) ने इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड (IPGL) को म्याँमार के कलादान नदी पर स्थित संपूर्ण सितवे बंदरगाह के संचालन को संभालने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान की है। चाबहार बंदरगाह के बाद यह भारत का दूसरा विदेशी बंदरगाह होगा।
- IPGL बंदरगाह, जहाज़रानी और जलमार्ग मंत्रालय के 100% स्वामित्व वाली कंपनी है।
सितवे बंदरगाह:
- म्याँमार के राखीन राज्य में स्थित सितवे बंदरगाह, कलादान मल्टी-मॉडल ट्राँजिट ट्राँसपोर्ट प्रोजेक्ट का एक महत्त्वपूर्ण घटक है।
- यह एक गहरे जल वाला बंदरगाह है, जो बाँग्लादेश को दरकिनार करते हुए विज़ाग और कोलकाता से पूर्वोत्तर राज्यों तक कार्गो के माध्यम से पहुँचने के लिये एक महत्त्वपूर्ण कनेक्टिविटी लाभ प्रदान करता है।
- इससे भूटान और बाँग्लादेश के बीच बने सिलीगुड़ी कॉरिडोर (या चिकन नेक) पर निर्भरता भी कम हो जाएगी।
- इन 2 विदेशी बंदरगाहों, चाबहार और सितवे पर भारत का परिचालन नियंत्रण, श्रीलंका में हंबनटोटा, अफ्रीका में जिबूती आदि बंदरगाहों के साथ चीन की स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स नीति का सामना करने के लिये भारत के समुद्री प्रभाव को मज़बूत करेगा।
सैन्य अभ्यास: दुस्तलिक
- भारत-उज़्बेकिस्तान संयुक्त सैन्य अभ्यास दुस्तलिक का 5वाँ संस्करण 15 से 28 अप्रैल, 2024 तक उज़्बेकिस्तान के टर्मेज़ ज़िले में आयोजित किया जायेगा।
- भारत और उज़्बेकिस्तान में बारी - बारी से यह सैन्य अभ्यास दुस्तलिक प्रतिवर्ष आयोजित किया जाता है।
- इस अभ्यास का उद्देश्य सैन्य सहयोग व संयुक्त क्षमताओं को बढ़ावा देना, पहाड़ी और अर्द्ध-शहरी इलाकों में संयुक्त अभियानों पर ध्यान केंद्रित करना, अंतःक्रियाशीलता विकसित करना तथा द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ाना है।
- सैन्य अभ्यास दुस्तलिक के इस संस्करण में दो महिला अधिकारियों सहित युद्ध समर्थन हथियार और सेना के कर्मी शामिल हैं।
- भारत और उज़्बेकिस्तानके बीच पहला अभ्यास "दुस्तलिक" वर्ष 2019 में हुआ था, जो आतंकवाद-निरोध पर केंद्रित था।
जीरोसाइंस
- शोधकर्त्ताओं ने DNA मिथाइलेशन का अध्ययन करके उम्र बढ़ने की गति को मापने हेतु एक रक्त परीक्षण विकसित किया है।
- यह रक्त परीक्षण इस बात की जाँच करता है, कि कैसे एक एंज़ाइम वृद्ध वयस्कों के DNA में मिथाइल समूह जोड़ता है, जिससे इस प्रक्रिया और उम्र बढ़ने के बीच संबंध का पता चलता है।
जीरोसाइंस:
- यह उम्र बढ़ने और उम्र से संबंधित बीमारियों के जैविक तंत्र को समझने पर केंद्रित अंतःविषयक क्षेत्र को संदर्भित करता है।
- इसमें DNA मिथाइलेशन, एंज़ाइम गतिविधि (जैसे गेरोज़ाइम (उम्र बढ़ने से जुड़े एंज़ाइम), सामाजिक-आर्थिक प्रभाव और पोषण, व्यायाम व संगीत आधारित चिकित्सा जैसे जीवनशैली हस्तक्षेप सहित विभिन्न कारकों का अध्ययन शामिल है।
- DNA मिथाइलेशन एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें DNA अणु में मिथाइल समूह (CH3) को जोड़ा जाता है। यह जीन अभिव्यक्ति को विनियमित करने और जीनोम स्थिरता बनाए रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- इसका उद्देश्य उम्र बढ़ने और मनोभ्रंश (dementia) जैसे- उम्र से संबंधित स्थितियों से निपटने के लिये उम्र बढ़ने से संबंधित विशिष्ट प्रक्रियाओं को लक्षित करने वाली औषधि जैसी रणनीतियाँ विकसित करना है।
सूर्य तिलक प्रोजेक्ट क्या है?
- सूर्य तिलक प्रोजेक्ट प्रौद्योगिकी और परंपरा के अनूठे मिश्रण का प्रतिनिधित्व करता है, जिसे राम नवमी के त्योहार के दौरान सूर्य की सटीक किरण के साथ भगवान राम की मूर्ति के मस्तक को प्रकाशित करने के लिये सावधानीपूर्वक निर्मित किया गया है।
- विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के तहत भारतीय ताराभौतिकीय संस्थान (IIA) अयोध्या में सूर्य तिलक प्रोजेक्ट में महत्त्वपूर्ण था।
गणना एवं स्थिति निर्धारण:
- IIA टीम ने सूर्य तिलक प्रोजेक्ट के लिये सूर्य की स्थिति, डिज़ाइन एवं ऑप्टिकल प्रणाली के अनुकूलन की गणना की।
- ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार सौर प्रकृति के कारण रामनवमी की तारीख प्रत्येक वर्ष परिवर्तित होती रहती है, जबकि हिंदू कैलेंडर चंद्र-आधारित होता है।
- ग्रेगोरियन कैलेंडर सूर्य के चारों ओर पृथ्वी की परिक्रमा पर आधारित है, जो इसे एक वर्ष में लगभग 365 दिनों वाला एक सौर कैलेंडर बनाता है, जबकि हिंदू कैलेंडर पृथ्वी के चारों ओर चंद्रमा की परिक्रमा पर आधारित है, जो इसे एक वर्ष में लगभग 354 दिनों वाला चंद्र कैलेंडर बनाता है।
डिज़ाइन एवं सुधार:
- सूर्य तिलक प्रोजेक्ट का मूल इसकी ऑप्टो-मैकेनिकल प्रणाली है, जो सटीक सूर्य के प्रकाश के लिये ऑप्टिकल के साथ-साथ मैकेनिकल कंपोनेंट्स को सहजता से एकीकृत करती है।
- यह ऑप्टो-मैकेनिकल प्रणाली, एक पेरिस्कोप (एक उपकरण जिसमें दर्पण अथवा प्रिज़्म के एक शृंखला से जुड़ी एक ट्यूब के समान होती है, जिसके द्वारा एक प्रेक्षक उन चीज़ों को देख सकता है जो दृष्टि से बाहर हैं) सूर्य की स्थिति के लिये वार्षिक समायोजन करने हेतु 19-गियर प्रणाली का उपयोग करता है।
- प्रत्येक वर्ष पिकअप दर्पण (pickup mirror) के कोण को समायोजित करने के लिये एक गियर टूथ को मैन्युअल रूप से घुमाया जाता है।
- संख्या 19 मेटोनिक चक्र से समानता रखती है, जो 19 वर्षों तक चलती है और साथ ही सौर वर्ष के समान दिनों में चंद्रमा के चरणों की पुनरावृत्ति के लिये प्रणाली को रीसेट भी करती है।
- सूर्य तिलक का निष्पादन 4 दर्पणों तथा 2 लेंसों के साथ किया गया, जिसमें IIA के तकनीकी विशेषज्ञों ने इसके परीक्षण, संयोजन, एकीकरण एवं सत्यापन में भाग लिया।
- इस स्थल पर ऑप्टोमैकेनिकल प्रणाली का कार्यान्वयन केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (CBRI): वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) द्वारा किया गया था।
स्टारलिंक प्रोजेक्ट:
- यह एक स्पेसएक्स परियोजना है, जिसे वर्ष 2019 में हज़ारों परिक्रमा कर रहे उपग्रहों के समूह के साथ एक ब्रॉडबैंड नेटवर्क निर्मित करने हेतु लॉन्च किया गया था।
- परियोजना का लक्ष्य कम लागत वाला उपग्रह-आधारित ब्रॉडबैंड नेटवर्क निर्मित करना है जो वैश्विक इंटरनेट पहुँच प्रदान कर सके।
- स्टारलिंक उपग्रहों को लो अर्थ ऑर्बिट (LEO) में 350 किलोमीटर से 1,200 किलोमीटर के बीच की ऊँचाई पर स्थापित किया जाएगा।
- डेटा मांगने वाले उपयोगकर्त्ता तथा डेटा को प्रसारित करने वाले सर्वर के बीच कम विलंबता अंतरिक्ष-आधारित इंटरनेट के लिये LEO में उपग्रह रखने का प्रमुख लाभ है।
- सौर तूफान की घटना तब होती है जब सूर्य सौर प्रज्वाल एवं कोरोनल मास इजेक्शन के रूप में ऊर्जा के बड़े विस्फोट उत्सर्जित करता है। ये घटनाएँ तेज़ गति से विद्युत आवेशों के साथ ही चुंबकीय क्षेत्रों की एक धारा को पृथ्वी की ओर भेजती हैं।
- पृथ्वी पर आने वाले सौर तूफान के प्रभावों में से एक ऑरोरा बोरेलिस (नॉर्दन लाइट्स/Northern Lights) का निर्माण है जो आर्कटिक सर्कल के आसपास के क्षेत्रों में देखा जाता है। सौर तूफानों का एक प्रतिकूल प्रभाव उपग्रहों के साथ संचार के अन्य इलेक्ट्रॉनिक साधनों में व्यवधान उत्पन्न करना है।
भारत की सबसे बड़ी जलवायु घड़ी
- हाल ही में वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (Council of Scientific & Industrial Research- CSIR) ने पृथ्वी दिवस समारोह के एक भाग के रूप में नई दिल्ली में CSIR मुख्यालय में भारत की सबसे बड़ी जलवायु घड़ी की स्थापना और परिचालन की शुरुआत की।
- यह आयोजन जलवायु परिवर्तन के बारे में जागरूकता का प्रचार करने और लोगों को ऊर्जा साक्षर बनाने के CSIR के उद्देश्य को दर्शाता है।
- इसे वर्ष 2015 में दर्शकों को जलवायु परिवर्तन शमन की प्रगति की निगरानी के लिये एक संकेतक के रूप में पेश किया गया था।
- इससे यह प्रदर्शित होगा कि वर्तमान उत्सर्जन रुझानों को देखते हुए ग्रह कितनी तेज़ी से 1.5 डिग्री सेल्सियस ग्लोबल वार्मिंग के करीब पहुँच रहा है। यह पहले से ही उत्सर्जित CO2 की मात्रा और अब तक की ग्लोबल वार्मिंग को भी दर्शाता है।
- मानवता के 1.5 डिग्री सेल्सियस तक पहुँचने पर दिखाई गई तारीख उत्सर्जन बढ़ने के साथ करीब आती जाएगी तथा उत्सर्जन कम होने पर और दूर होती जाएगी।
- 4 अप्रैल, 2024 तक वर्तमान जलवायु तापमान 1.295°C है।
पडता बेट
- केरल विश्वविद्यालय के पुरातत्त्वविदों ने हाल ही में पडता बेट में 5,200 साल पुरानी हड़प्पा बस्ती की खोज की है।
- यह गुजरात के कच्छ ज़िले में जूना खटिया, एक प्रारंभिक हड़प्पा कब्रिस्तान से लगभग 1.5 किमी दूर स्थित है।
परिचय:
- यह 500 कब्रों की संभावना के साथ सबसे बड़े हड़प्पा कब्रिस्तानों में से एक है।
- इस स्थल पर खोजी गई कब्रें 3,200 ईसा पूर्व से 2,600 ईसा पूर्व की हैं, जो धोलावीरा और गुजरात के कई अन्य हड़प्पा स्थलों से पूर्व की हैं।
- यह स्थल महत्त्वपूर्ण है क्योंकि धोलावीरा जैसे अन्य लोगों के पास शहर में और उसके आसपास एक कब्रिस्तान है, हालाँकि जूना खटिया के पास कोई बड़ी बस्ती नहीं मिली है।
- हल ही में राष्ट्रीय प्रसारक दूरदर्शन (डी.डी.) ने अपने ऐतिहासिक फ्लैगशिप लोगो का रंग लाल से बदलकर केसरिया कर दिया है।
- राजनीतिक दलों ने सार्वजनिक प्रसारक पर सत्तारूढ़ राजनीतिक दल से निकटता से जुड़े रंग को अपनाने का आरोप लगाया, खासकर इसलिये क्योंकि यह बदलाव चुनाव प्रक्रिया के बीच में किया गया था। डी.डी. ने कहा कि परिवर्तन केवल दृश्य सौंदर्यशास्त्र (Visual aesthetics) में से एक था।
दूरदर्शन का इतिहास क्या है?
- दूरदर्शन भारत सरकार द्वारा स्थापित एक स्वायत्त सार्वजनिक सेवा प्रसारक (Broadcaster) है, जो प्रसार भारती के दो प्रभागों में से एक है।
- प्रसार भारती एक वैधानिक स्वायत्त निकाय है (प्रसार भारती अधिनियम, 1997 के तहत) यह देश का सार्वजनिक सेवा प्रसारक है।
- इसका मुख्य उद्देश्य जनता को शिक्षित करने और मनोरंजन करने के लिये दूरदर्शन तथा आकाशवाणी को स्वायत्तता प्रदान करना है।
- इसे पहली बार सार्वजनिक सेवा प्रसारण सेवा के रूप में 15 सितंबर, 1959 को शुरू किया गया था।
- यह 1965 में सुबह और शाम के शो के दैनिक प्रसारण के साथ एक प्रसारक बन गया, जिसका प्रसारण दिल्ली में हुआ।
- 1 अप्रैल, 1976 को यह सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अधीन आ गया और 1982 में ‘दूरदर्शन’ के नाम से राष्ट्रीय प्रसारक बन गया।
- वर्तमान में दूरदर्शन 6 राष्ट्रीय और 17 क्षेत्रीय चैनल संचालित करता है।
- दूरदर्शन की मशहूर धुन सितार वादक पंडित रविशंकर तथा शहनाई वादक उस्ताद अली अहमद हुसैन खान द्वारा रचित थी और इसे पहली बार 1 अप्रैल, 1976 को प्रसारित किया गया था।
लोगो का इतिहास:
- मूल 'आई' लोगो को नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिज़ाइन (National Institute of Design) के देवाशीष भट्टाचार्य द्वारा डिज़ाइन किया गया था।
- इसके लोगो को 1970 के दशक की शुरुआत में कुछ डिज़ाइन विकल्पों में से एक के रूप में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा चुना गया था।
- दो वक्र विरोधाभासी और अविभाज्य विरोधाभासों के प्राचीन चीनी दर्शन, यिन व यांग के क्लासिक चित्रण की भिन्नता का प्रतिनिधित्व करते हैं।
- सत्यम शिवम सुंदरम (सच्चाई, अच्छाई, सौंदर्य), लोगो के शुरुआती संस्करणों में टैगलाइन, बाद के रूपांतरणों में हटा दी गई थी।
"पूर्वी लहर" नामक सैन्य अभ्यास
- हाल ही में भारतीय नौसेना ने भारत के पूर्वी तट पर "पूर्वी लहर" नामक एक सैन्य अभ्यास आयोजित किया।
- इस अभ्यास का उद्देश्य क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिये भारतीय नौसेना की तैयारियों का आकलन करना था।
- भारतीय वायु सेना (Indian Air Force), अंडमान और निकोबार कमान तथा तटरक्षक बल के जहाज़ों, पनडुब्बियों, विमानों एवं विशेष बलों ने अभ्यास में भाग लिया, जो सेवाओं के मध्य उच्च स्तरीय अंतरसंचालनीयता का संकेत देता है।
- यह अभ्यास कई चरणों में आयोजित किया गया:
- सामरिक चरण: यथार्थवादी परिदृश्य में युद्ध
प्रशिक्षण,
- आयुध चरण विभिन्न फायरिंग रेंज को सफलतापूर्वक संचालित करके।
- विभिन्न स्थानों से विमानों का संचालन करके परिचालन क्षेत्र में निरंतर समुद्री डोमेन जागरूकता बनाए रखी गई थी।
- इसने भारतीय नौसेना की लक्ष्य पर आयुध पहुँचाने की क्षमता की पुनः पुष्टि की।
गोल्डमैन पर्यावरण पुरस्कार 2024
- वन और आदिवासी अधिकार कार्यकर्त्ता आलोक शुक्ला को उनके सफल अभियान के लिये प्रतिष्ठित गोल्डमैन पर्यावरण पुरस्कार 2024 से सम्मानित किया गया है, जिसने छत्तीसगढ़ के हसदेव अरण्य क्षेत्र में 21 नियोजित कोयला खदानों से 4.45 लाख एकड़ जैवविविधता से समृद्ध जंगलों को बचाया है।
- हसदेव अरण्य का जंगल छत्तीसगढ़ के कोरबा, सूरजपुर और सरगुजा ज़िलों में 170 लाख हेक्टेयर में फैला हुआ है, जिसे "छत्तीसगढ़ के फेफड़े" के रूप में जाना जाता है, जिसमें समृद्ध जैवविविधता है तथा यह 25 लुप्तप्राय प्रजातियों, 92 पक्षी प्रजातियों एवं 167 दुर्लभ प्रजातियों व औषधीय पौधों की प्रजातियों का घर है।
- हसदेव नदी, जो महानदी में मिलती है, इन जंगलों से पोषित होती है और हसदेव बांगो जलाशय को पानी की आपूर्ति करती है, जिससे 741,000 एकड़ कृषि भूमि की सिंचाई होती है।
- छत्तीसगढ़, जहाँ 44% भूमि वनाच्छादित है, भारत में तीसरा सबसे बड़ा वन क्षेत्र है।
- इसके अलावा, लगभग 15,000 स्वदेशी लोग अपनी आजीविका, सांस्कृतिक विरासत और भोजन के लिये हसदेव अरण्य वनों पर निर्भर हैं।
- गोल्डमैन पर्यावरण पुरस्कार को गोल्डमैन पर्यावरण फाउंडेशन द्वारा दिये जाने वाले ग्रीन नोबेल पुरस्कार के रूप में भी जाना जाता है।
- इस पुरस्कार की स्थापना वर्ष 1989 में रिचर्ड और रोंडा गोल्डमैन द्वारा की गई थी।
- यह छह क्षेत्रों (एशिया, अफ्रीका, यूरोप, उत्तरी अमेरिका, दक्षिण और मध्य अमेरिका) और अंत में, द्वीपों तथा द्वीपीय देशों के ज़मीनी स्तर के पर्यावरण नेताओं को मान्यता देता है।
- विजेताओं का चयन एक अंतर्राष्ट्रीय निर्णायक मंडल (International Jury) द्वारा किया जाता है और पुरस्कार राशि के रूप में 200,000 अमेरिकी डॉलर दिये जाते हैं।
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