विश्व भर में फ्लेमिंगो
की 6 प्रजातियाँ पाई
जाती हैं- अमेरिकन फ्लेमिंगो, एंडियन फ्लेमिंगो, चिली फ्लेमिंगो, ग्रेटर फ्लेमिंगो, जेम्स फ्लेमिंगो और लेसर फ्लेमिंगो।
ग्रेटर फ्लेमिंगो:
यह फ्लेमिंगों की सबसे
बड़ी (आकार के संदर्भ में) तथा व्यापक स्तर पर पाई जाने वाली प्रजाति है।
यह गुजरात का राज्य-पक्षी
है।
संकटग्रस्त प्रजातियों की
IUCN रेड लिस्ट में
इन्हें "कम चिंतनीय (least
concern-LC)" की श्रेणी में रखा गया है।
ये अफ्रीका के विभिन्न
क्षेत्रों, एशिया के
दक्षिण-पूर्वी भागों तथा दक्षिणी यूरोप में पाए जाते हैं।
एशिया में ये पक्षी भारत
और पाकिस्तान के तटीय क्षेत्रों में पाए जाते हैं।
उत्तरी क्षेत्रों में पाई
जाने वाली इनकी आबादी प्रायः भोजन की कमी, जल-स्तर में परिवर्तन और एक ही समूह/कॉलोनी के भीतर
प्रतिस्पर्द्धा जैसे विभिन्न कारणों के चलते शीतकाल के दौरान गर्म क्षेत्रों की ओर
पलायन करती है।
फ्लेमिंगो विशेषताएँ:
ये प्रजातियाँ एकसंगमनी (Monogamous) युग्म बनाती हैं, जिसका अर्थ है कि
प्रत्येक युग्म जीवन भर एक साथ रहता है।
इन्हें विशिष्ट गुलाबी
रंग तटीय आर्द्रभूमि में उपलब्ध लवणीय झींगा और शैवाल के आहार से प्राप्त होता है।
फ्लेमिंगो स्वस्थ तटीय पर्यावरण के संकेतक हैं।
ये सर्वाहारी (Omnivorous) प्रजातियाँ सीपीय
जीवों (molluscs), सख्त आवरण वाले
जीवों (crustaceans), कीटों, केकड़े, कृमियों तथा छोटी
मछलियों का भक्षण करते हैं। इनके आहार में शैवाल, घास, विघटित पत्तियाँ और टहनियों जैसी विभिन्न वानस्पतिक घटक भी
शामिल होते हैं।
ये पक्षी तटीय क्षेत्रों
में खारे पानी के लैगून को अपेक्षाकृत अधिक पसंद करते हैं। ये बड़ी क्षारीय और खारी
झीलों में भी रहते हैं।
भारत में फ्लेमिंगो का
प्रवासन प्रतिरूप:
विशेषज्ञों का मानना है
कि हर साल नवंबर में लगभग 1,00,000 से 1,50,000 फ्लेमिंगो भोजन
की तलाश में गुजरात (कच्छ और भावनगर सहित) तथा आस-पास के अन्य स्थलों से मुंबई की
ओर पलायन करते हैं।
मुंबई में ये ठाणे क्रीक
क्षेत्र (फ्लेमिंगो के प्रजनन क्षेत्र) में प्रवास करते हैं।
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