विरुपाक्ष मंदिर
मध्य कर्नाटक के हम्पी में स्थित है, जो 7वीं शताब्दी में
निर्मित प्राचीन शिव मंदिर है।
भगवान विरुपाक्ष, जिन्हें पंपापति
(Pampapathi) भी कहा जाता है, इस मंदिर के
मुख्य देवता हैं।
विरुपाक्ष मंदिर
का निर्माण विजयनगर शैली की वास्तुकला में किया गया था, जिसका निर्माण
शासक देव राय द्वितीय के नायक लक्कन दंडेशा ने करवाया था।
हम्पी में
स्मारकों का समूह:
मध्य कर्नाटक में
तुंगभद्रा नदी (Tungabhadra
River) के तट पर स्थित हम्पी एक यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है।
लगभग 4,200 हेक्टेयर
क्षेत्र में फैले इस स्थल में 1,600 से अधिक स्मारक हैं, जिनमें किले, मंदिर, महल और अन्य संरचनाएँ शामिल हैं।
यह शहर एक समय
विजयनगर साम्राज्य की राजधानी था, जो अपने ऐतिहासिक और पुरातात्विक महत्त्व के लिये जाना जाता
है।
ऊबड़-खाबड़
पहाड़ियों और तुंगभद्रा नदी के बीच हम्पी का स्थान, राजधानी शहर के लिये एक प्राकृतिक रक्षात्मक
घेरे के रूप में सुरक्षा प्रदान करता है।
हम्पी के स्मारक
विजयनगर वास्तुकला के शिखर को प्रदर्शित करते हैं, जो इंडो-इस्लामिक प्रभावों के साथ द्रविड़ शैली
का एक संश्लेषण है।
वास्तुकला के
चमत्कार: विट्ठल मंदिर परिसर में उत्कृष्ट नक्काशीदार खंभे और प्रतिष्ठित पत्थर का
रथ है।
एक अन्य उदाहरण
में शाही परिक्षेत्र (Royal
Enclosure) भी शामिल है जिसमें लोटस महल और हाथी अस्तबल जैसी राजसी
संरचनाओं का समावेश है।
हज़ारा राम मंदिर, अपनी जटिल पत्थर
की नक्काशी और मूर्तिकला पैनलों (Sculpted Panels) के लिये जाना जाता है।
विशाल विरुपाक्ष
मंदिर, हम्पी के सबसे
पुराने और पवित्र स्थलों में से एक है।
प्रसिद्ध
संरचनाएँ:
कृष्ण मंदिर परिसर, नरसिम्हा, गणेश, हेमकुटा मंदिर समूह, अच्युतराय मंदिर परिसर, विट्ठल मंदिर परिसर, पट्टाभिराम मंदिर परिसर और लोटस महल परिसर।
हम्पी के खंडहरों
को वर्ष 1800 में कर्नल कॉलिन
मैकेंज़ी नामक एक इंजीनियर और पुरातत्त्ववेत्ता द्वारा प्रकाश में लाया गया था।
इसके उत्कृष्ट
सार्वभौमिक मूल्य की मान्यता में संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और
सांस्कृतिक संगठन (United
Nations Educational, Scientific and Cultural Organization- UNESCO) ने वर्ष 1986 में हम्पी को
विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता दी।
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