कल्लकाडल
का तात्पर्य प्री-मॉनसून सीज़न (अप्रैल-मई) के दौरान और कभी-कभी भारत के
दक्षिण-पश्चिमी तट पर मॉनसून के बाद की लहरों के कारण होने वाली तटीय बाढ़ से है।
स्थानीय
मछुआरों द्वारा इस्तेमाल किया जाने वाला शब्द कल्लकाडल दो मलयालम शब्दों से मिलकर
बना है, जिनमें कल्लन और काडल शामिल हैं। कल्लन का अर्थ
है ‘चोर’ और
काडल का अर्थ है ‘समुद्र’, अर्थात्
इसका अर्थ ‘समुद्र का चोर’ है।
कल्लकाडल कारण:
यह
समुद्र की तेज़ लहरों से बनी होती है, जो
तूफान या लंबे समय तक चलने वाली तीव्र तूफानी हवाओं (आमतौर पर हिंद महासागर के
दक्षिणी भाग में) से उत्पन्न होती हैं।
ये
तूफान, पवन ऊर्जा को जल में स्थानांतरित करते हैं, जिसके परिणामस्वरूप अत्यधिक ऊँची लहरें बनती
हैं।
ये
लहरें तूफान केंद्र से तटरेखा तक पहुँचने तक काफी दूरी तय कर सकती हैं।
कल्लकाडल
की घटना पूर्ववर्ती या किसी भी प्रकार की स्थानीय पवन गतिविधि के बिना होती है और
परिणामस्वरूप, तटीय आबादी के लिये अग्रिम चेतावनी प्राप्त
करना बहुत मुश्किल हो गया है।
हालाँकि, वर्ष 2020 में भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना
सेवा केंद्र (INCOIS) द्वारा शुरू की गई स्वेल सर्ज फोरकास्ट सिस्टम
जैसी प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियाँ सात दिन पहले ही पूर्व चेतावनी दे देती हैं।
कल्लकाडल
सुनामी से भिन्न क्यों है?
वर्ष
2004 की सुनामी के बाद कल्लकाडल सुर्खियों में आया और प्रायः इसे सुनामी समझ लिया
जाता है। हालाँकि, सुनामी सागरीय जल की गहराई में अशांति से
उत्पन्न होने वाली विशालकाय लहरों की एक शृंखला है, जो आमतौर पर समुद्रतल में या उसके समीप होने वाले भूकंपों से संबद्ध
होती है।
महासागरीय
लहरों (जैसे कल्लकाडल) की तरंगदैर्ध्य केवल 30 अथवा 40 मीटर होती है जबकि सुनामी
की तरंगदैर्घ्य अत्यधिक लंबी होती है जो सैकड़ों किलोमीटर लंबी भी हो सकती है।
भारतीय
राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र (INCOIS)
INCOIS पृथ्वी
विज्ञान मंत्रालय (Ministry
of Earth Sciences- MoES) के प्रशासनिक नियंत्रण के अधीन एक स्वायत्त संगठन है।
यह
हैदराबाद में स्थित है और इसे वर्ष 1999 में स्थापित किया गया था।
यह
पृथ्वी प्रणाली विज्ञान संगठन (ESSO), नई
दिल्ली की एक इकाई है।
इसका
कार्य व्यवस्थित और केंद्रित अनुसंधान का प्रयोग करते हुए निरंतर समुद्री अवलोकन
तथा निरंतर सुधार के माध्यम से समाज, उद्योग, सरकारी अभिकरणों एवं वैज्ञानिक समुदाय को
सर्वोत्तम संभव समुद्री जानकारी व सलाहकार सेवाएँ प्रदान करना है।
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