राष्ट्रीय क्वांटम मिशन के बारे में |National Quantum Mission India

 

राष्ट्रीय क्वांटम मिशन के बारे में  |National Quantum Mission India

राष्ट्रीय क्वांटम मिशन

 

  •  भारत ने  वर्ष  2023 मेंराष्ट्रीय क्वांटम मिशन शुरू किया और दुनिया के उन कुछ देशों में से एक बन गया है, जिसके पास क्वांटम तकनीक की शक्ति का दोहन करने के लिए एक समर्पित कार्यक्रम है. 
  • ये तकनीकें, जो पदार्थ के सबसे छोटे कणों के विशेष गुणों का उपयोग करती हैं, हमारे युग की कुछ सबसे कठिन समस्याओं, जैसे स्वच्छ ऊर्जा और सस्ती स्वास्थ्य सेवा के लिए मौलिक समाधान प्रदान कर सकती हैं. 
  • क्वांटम विज्ञान अनुसंधान में भारत का आधार अपेक्षाकृत मजबूत है, लेकिन अभी भी इसमें काफी प्रगति की आवश्यकता है. 
  • इस क्षेत्र में देश की मौजूदा क्षमताओं का आकलन करने वाली एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, यह पता चला है कि चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे देश भारत से काफी आगे हैं. 
  • इन देशों ने न केवल अनुसंधान के लिए काफी अधिक धन आवंटित किया है, बल्कि उनके पास इस क्षेत्र के लिए समर्पित एक बड़ा कार्यबल भी है. 

राष्ट्रीय क्वांटम मिशन के बारे में

  • भारत ने वर्षों की चर्चा के बाद वर्ष 2023 में राष्ट्रीय क्वांटम मिशन की स्थापना की घोषणा की. 
  • इस मिशन का उद्देश्य क्वांटम से सम्बन्धित विज्ञान और प्रौद्योगिकी में क्षमताओं का विकास करना है, जो कम्प्यूटिंग, संचार, सेंसर और सामग्रियों पर केंद्रित है. 
  • क्वांटम तकनीकें अपने सबसे छोटे पैमाने पर पदार्थ के अजीबोगरीब व्यवहार का लाभ उठाती हैं. 
  • इलेक्ट्रॉन जैसे उप-परमाणु कण एक साथ कई स्थानों पर मौजूद हो सकते हैं और पूर्व की अंतःक्रियाओं के कारण विशाल दूरी पर समान कणों के व्यवहार को प्रभावित कर सकते हैं. 
  • इन अद्वितीय गुणों की कई बार प्रयोगात्मक रूप से पुष्टि की गई है. 
  • हाल ही में, वैज्ञानिकों ने व्यावहारिक अनुप्रयोगों के लिए इन गुणों का उपयोग करना शुरू कर दिया है. उदाहरण के लिए, सुपरपोजिशन, एक साथ कई अवस्थाओं में मौजूद रहने की क्षमता, पारम्परिक तकनीकों की पहुँच से परे कार्यों को करने के लिए उपयोग की जा सकती है. 
  • हालाँकि क्वांटम कंप्यूटर वर्तमान में अपनी क्षमताओं में सीमित हैं, लेकिन अधिक उन्नत संस्करण ऐसी गणनाएँ कर सकते हैं जो पारंपरिक कंप्यूटरों के लिए असंभव या बहुत समय लेने वाली हैं. मौजूदा तकनीकों की बाधाओं को पार करके, क्वांटम-सक्षम परिवर्तन अगले एक या दो दशक के भीतर एक नई अर्थव्यवस्था के लिए आधार तैयार कर सकता है. 
  • भारत का लक्ष्य इन क्षेत्रों में अपनी क्षमताओं को तेजी से बढ़ाना है ताकि प्रौद्योगिकी साझेदारी के माध्यम से प्रारम्भिक सफलता का लाभ उठाया जा सके, तीव्र आर्थिक विकास को बढ़ावा दिया जा सके और अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों तक पहुँच सुनिश्चित की जा सके. 

क्वांटम टेक्नोलॉजीज की है काफी संभावना 

  • दरअसल क्वांटम प्रौद्योगिकी 20वीं सदी की शुरुआत में विकसित क्वांटम यांत्रिकी के सिद्धांतों पर आधारित है जिसका उद्देश्य प्रकृति को परमाणुओं एवं प्राथमिक कणों जैसे-इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन, न्यूट्रान, बोसॉन आदि के पैमाने पर वर्णित करना है. 
  • क्वांटम प्रौद्योगिकी का उपयोग सुरक्षित संचार, बेहतर पूर्वानुमान के माध्यम से आपदा प्रबंधन, कंप्यूटिंग, सिमुलेशन, रसायन विज्ञान, स्वास्थ्य सेवा, क्रिप्टोग्राफी, इमेजिंग आदि में किया जाता है. 
  • क्वांटम टेक्नोलॉजीज में भारतीय अनुसंधान एवं विकास के परिदृश्य की रिपोर्ट के अनुसार, राष्ट्रीय क्वांटम मिशन अभी पहला कदम है और इसमें अभी बहुत कुछ करना बाकी है. 
  • रिपोर्ट इतिहास रिसर्च एंड डिजिटल नामक एक गैर-लाभकारी कम्पनी द्वारा तैयार की गई है, जो भारत में प्रौद्योगिकी और व्यवसाय के विकास का अध्ययन करना चाहती है.
  • रिपोर्ट में कहा गया है कि मिशन के लिए भारत ने 750 मिलियन डॉलर का निवेश किया है, लेकिन क्वांटम से सम्बन्धित शोध पर अन्य देशों द्वारा किए जा रहे खर्च की तुलना में यह बहुत कम है.
  • अनुमान है कि चीन इस प्रयास में 15 बिलियन डॉलर का निवेश कर रहा है, जबकि अमेरिका लगभग 3.75 बिलियन डॉलर का निवेश कर रहा है. इसके अलावा चीन और अमेरिका पंजीकृत पेटेंट का एक बड़ा हिस्सा हासिल कर रहे हैं.2015 और 2020 के बीच, चीनी और अमेरिकी शोधकर्ताओं ने क्रमशः 23,335 और 8,935 क्वांटम-सम्बन्धित पेटेंट हासिल किए. हालाँकि पेटेंट डेटाबेस के अनुसार, इसी अवधि में भारतीय शोध. कर्ताओं के पास केवल 339 ऐसे पेटेंट थे. प्राप्त पेटेंट की संख्या के हिसाब से भारत नौवें स्थान पर था.

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