प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को समझाइए एवं इसके प्रकार | FDI GK in Hindi

प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को समझाइए एवं इसके प्रकार 

प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को समझाइए एवं इसके प्रकार | FDI GK in Hindi




प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को समझाइए 

  • जब एक देश की कोई फर्म या व्यक्ति किसी अन्य देश के व्यवसाय में निवेश करता है या किसी व्यवसाय में नियंत्रणकारी हिस्सेदारी प्राप्त करता है, तो इसे प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) कहा जाता है।
  • इसमें केवल पूंजी ही शामिल नहीं है, बल्कि इसमें विशेषज्ञता, प्रौद्योगिकी और कौशल भी शामिल हैं, जो मेजबान देश के आर्थिक विकास में योगदान दे सकते हैं।

FDI कितने प्रकार की होती है :

ग्रीनफील्ड निवेश: 

  • बहुत अधिक नियंत्रण और निजीकरण के साथ नई कंपनी की शुरूआत करना।

ब्राउनफील्ड निवेश: 

  • मौजूदा सुविधाओं का उपयोग करके विलय, अधिग्रहण या संयुक्त उद्यम के माध्यम से विस्तार करना।
  • संगठन द्वारा पहले से मौजूद संरचनाओं के उपयोग के कारण, ग्रीनफील्ड परियोजनाओं की तरह नियंत्रण उतना अधिक नहीं हो सकता है, यद्यपि पर्याप्त परिचालन प्रभाव की अभी भी अनुमति है।

FDI का महत्त्व क्या है?

रोज़गार और आर्थिक विकास: 

  • FDI रोज़गार सृजन को बढ़ावा देकर बेरोज़गारी को कम करता है, तथा आय के स्तर को बढ़ाता है, जिससे समग्र आर्थिक विकास में योगदान मिलता है।
  • FDI से पूंजी आती है, कर राजस्व में वृद्धि होती है और बुनियादी ढाँचे में सुधार होता है।
  • उदाहरण के लिये अमेज़न और वॉलमार्ट (फ्लिपकार्ट के माध्यम से) जैसी वैश्विक कंपनियों के प्रवेश से खुदरा और लॉजिस्टिक्स क्षेत्रों में अनेक रोजगार उत्पन्न हुए हैं।
  • मानव संसाधन विकास: वैश्विक कौशल और प्रौद्योगिकियों से परिचित होने से कार्यबल की गुणवत्ता में सुधार होता है, जिससे व्यापक अर्थव्यवस्था को लाभ मिलता है।
  • उदाहरण के लिये, भारत में IBM और माइक्रोसॉफ्ट जैसी प्रतिष्ठित कंपनियों ने स्थानीय कार्यबल के कौशल को बढ़ाया है।

पिछड़े क्षेत्रों का विकास: 

  • FDI अविकसित क्षेत्रों को औद्योगिक केंद्रों में बदलने में मदद करता है, जिससे क्षेत्रीय आर्थिक प्रगति को बढ़ावा मिलता है।
  • हुंडई और फोर्ड जैसी कंपनियों के निवेश से तमिलनाडु में ऑटोमोबाइल हब ने स्थानीय अर्थव्यवस्था को काफी बढ़ावा दिया है।
  • निर्यात में वृद्धि: FDI से निर्यातोन्मुख इकाईयों की स्थापना हो सकती है, जिससे देश की निर्यात क्षमता में वृद्धि होगी।
  • उदाहरण के लिये, भारत का आईटी क्षेत्र, जिसे एक्सेंचर जैसी कंपनियों से महत्त्वपूर्ण FDI प्राप्त होता है, एक प्रमुख उद्योग बन गया है, जो विश्व भर के ग्राहकों को सॉफ्टवेयर सेवाएँ निर्यात करता है।

विनिमय दर स्थिरता: 

  • निरंतर FDI का प्रवाह विदेशी मुद्रा उपलब्ध कराता है, जिससे मुद्रा स्थिरता को समर्थन मिलता है।
  • दूरसंचार और फार्मास्यूटिकल्स जैसे प्रमुख क्षेत्रों में FDI का निरंतर प्रवाह स्थिर विनिमय दर बनाए रखने में सहायक है।

प्रतिस्पर्द्धी बाज़ार का निर्माण: 

  • FDI प्रतिस्पर्द्धा को बढ़ावा देता है, नवाचार को बढ़ावा देता है, और उपभोक्ताओं को प्रतिस्पर्द्धी मूल्यों पर उत्पादों की व्यापक रेंज प्रदान करता है।
  • IKEA जैसे वैश्विक ब्रांड के प्रवेश से खुदरा क्षेत्र में प्रतिस्पर्द्धा बढ़ गई है, जिससे उपभोक्ताओं को लाभ हुआ है।

 

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