रातापानी टाइगर
रिजर्व, का नया नाम डॉ. विष्णु वाकणकर
रातापानी टाइगर
रिजर्व की विशेषताएं
- रातापानी हमेशा से बाघों का घर रहा है।
रातापानी अभयारण्यक को रातापानी टाइगर रिज़र्व में अपग्रेड किया जा रहा है। इससे
भारत में ही नहीं बल्कि संपूर्ण विश्व में भोपाल को टाइगर की राजधानी के रूप में
एक नई पहचान मिलेगी।
- रातापानी अभयारण्यल में बाघों की संख्या में
लगातार वृद्धि हुई है, जिससे यह क्षेत्र
बाघों का एक महत्वपूर्ण बसेरा बन गया है।
- वर्ष 1976 में रातापानी को वन्यजीव अभयारण्य घोषित किया गया था।
रातापानी न केवल बाघों बल्कि कई अन्य वन्य जीवों का भी घर है। यह एक ऐसा स्थान है, जहां लोग प्रकृति
की विविधता को करीब से देख सकेंगे।
- रायसेन एवं सीहोर जिले में रातापानी
अभयारण्य का कुल क्षेत्रफल लगभग 1272 वर्ग किलोमीटर
पूर्व से अधिसूचित है। अभी रिजर्व के कुल क्षेत्रफल में से 763 वर्ग किलोमीटर
को कोर क्षेत्र घोषित किया गया है। यह वह क्षेत्र है, जहां बाघ बिना
किसी मानवीय हस्तक्षेप के स्वतंत्र रूप से विचरण कर सकेंगे।
- शेष 507 वर्ग किलोमीटर को बफर क्षेत्र घोषित किया गया है। यह
क्षेत्र कोर क्षेत्र के चारों ओर स्थित है और इसका उपयोग कुछ प्रतिबंधों के साथ
स्थानीय समुदायों के लिए किया जा सकेगा।
- रातापानी के आसपास रहने वाले स्थानीय लोगों की
आजीविका इस क्षेत्र से जुड़ी हुई है। टाइगर रिज़र्व बनने के कारण यह पर्यटन को और
बढ़ावा देगा, जिससे स्थानीय
लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे
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