पोलियो क्या है? वैक्सीन के प्रकार | Polio and Vaccine GK in Hindi

पोलियो क्या है? वैक्सीन के प्रकार | Polio and Vaccine GK in Hindi

पोलियो क्या है?

  • पोलियो (पोलियोमाइलाइटिस) एक अत्यधिक संक्रामक वायरल रोग हैजो मुख्य रूप से पाँच वर्ष से कम उम्र के बच्चों को प्रभावित करता हैयह मल-द्वार या दूषित भोजन/जल के माध्यम से फैलता है तथा तंत्रिका तंत्र पर आक्रमण करके पक्षाघात का कारण बन सकता है।

तीन अलग-अलग और प्रतिरक्षात्मक रूप से भिन्न वाइल्ड पोलियोवायरस उपभेद हैं:

  • वाइल्ड पोलियोवायरस प्रकार-1 (WPV1), WPV2 और WPV3

वैक्सीन के प्रकार:

निष्क्रिय पोलियो वैक्सीन (IPV): 

  • यह पोलियोवायरस प्रकार 1, 2 और 3 से सुरक्षा प्रदान करता है.

ट्रायवेलेंट ओरल पोलियो वैक्सीन (TOPV): 

  • यह पोलियोवायरस प्रकार 1, 2 और 3 से सुरक्षा प्रदान करता है - अप्रैल 2016 में "OPV स्विच" के बादहालाँकि TOPV के अब इतने प्रमाण  नहीं मिलते हैं।
  • अप्रैल 2016 में OPV स्विच, TOPV को BOPV से प्रतिस्थापित करने का एक वैश्विक प्रयास था।

बायवेलेंट ओरल पोलियो वैक्सीन (BOPV): 

  • यह पोलियोवायरस प्रकार 1 और 3 से सुरक्षा प्रदान करता है
  • मोनोवैलेंट ओरल पोलियो वैक्सीन (mOPV1, mOPV2 और mOPV3): यह क्रमशः प्रत्येक प्रकार के पोलियोवायरस से सुरक्षा प्रदान करता है। 

पोलियो या पोलियोमाइलाइटिस (Poliomyelitis) 

  • पोलियो या पोलियोमाइलाइटिस (Poliomyelitis) एक अपंगकारी एवं घातक संक्रामक बीमारी है।
  • तीनों प्रकार के वाइल्ड पोलियो पक्षाघात और मृत्यु का कारण बन सकते हैं, लेकिन WHO द्वारा उन्मूलन के संदर्भ में वैरोलॉजिकल भिन्नताओं (Virological Differences के कारण इन्हें अलग-अलग वर्गीकृत किया जाता है।
  • वाइल्ड पोलियोवायरस टाइप- 2 (Wild Poliovirus Type 2- WPV2) के उन्मूलन की घोषणा वर्ष 2015 में की जा चुकी है।
  • वाइल्ड पोलियोवायरस टाइप-1 (Wild Poliovirus Type 1- WPV1) का उन्मूलन शेष है और यह अफगानिस्तान तथा पाकिस्तान के क्षेत्रों में अभी भी विद्यमान है।
  • WPV3 का आखिरी मामला उत्तरी नाइजीरिया में वर्ष 2012 में दर्ज किया गया था।

भारत में पोलियो

  • वर्ष 2011 के बाद भारत में पोलियो का कोई मामला दर्ज नहीं किये जाने की वजह से वर्ष 2012 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भारत को पोलियोग्रस्त देशों की सूची से बाहर कर दिया। इसके बाद वर्ष 2014 में भारत को स्पष्ट रूप से पोलियो मुक्त राष्ट्र घोषित कर दिया गया।


निष्क्रिय पोलियो वैक्सीन (IPV) और ओरल पोलियो वैक्सीन (OPV) के बीच अंतर

निष्क्रिय पोलियो वैक्सीन (IPV)

फायदे:

  • वैक्सीन-जनित पोलियो का कोई खतरा नहीं: IPV में निष्क्रिय विषाणु कण होते हैं, जिसका अर्थ है कि वैक्सीन से पोलियो होने का कोई खतरा नहीं है।
  • कमज़ोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले व्यक्तियों के लिये सुरक्षित: चूँकि IPV में मृत वायरस का उपयोग किया जाता है, इसलिये यह कमज़ोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों के लिये सुरक्षित है।
  • संधारणीय प्रतिरक्षा: पोलियो वायरस संक्रमण के विरुद्ध प्रतिरक्षात्मकता बनाए रखने के लिये IPV को कई बूस्टर की आवश्यकता होती है।

नुकसान:

  • उच्च लागत: OPV की तुलना में IPV का उत्पादन और प्रबंधन अधिक महँगा  है।
  • कई खुराकों की आवश्यकता: एक पूर्ण IPV टीकाकरण कार्यक्रम में आमतौर पर पूर्ण प्रतिरक्षा प्रदान करने के लिये 2-4 शॉट्स की एक शृंखला शामिल होती है।
  • सीमित श्लैष्मिक प्रतिरक्षा: IPV श्लेष्म झिल्ली (जैसे, आँत) में मज़बूत प्रतिरक्षा प्रदान नहीं करता है, जिसका अर्थ है कि यह OPV की तुलना में वायरस संचरण को रोकने में कम प्रभावी हो सकता है।

ओरल पोलियो वैक्सीन (OPV)

फायदे:

  • कम लागत: OPV का उत्पादन और वितरण सस्ता है, जिससे संसाधन-सीमित परिस्थितियों में यह अधिक सुलभ हो जाता है।
  • कम खुराक की आवश्यकता: प्रभावी प्रतिरक्षा प्राप्त करने के लिये OPV को आमतौर पर केवल एक या कुछ खुराक की आवश्यकता होती है।
  • बेहतर श्लैष्मिक प्रतिरक्षा: OPV विशेष रूप से आँतों में मज़बूत श्लैष्मिक प्रतिरक्षा प्रदान करता है, जो पोलियोवायरस के संचरण को कम करने में सहायक है।

नुकसान:

  • वैक्सीन-व्युत्पन्न पोलियो का खतरा: OPV में जीवित, कमज़ोर पोलियोवायरस होता है, जो दुर्लभ मामलों में एक ऐसे रूप में परिवर्तित हो सकता है जो टीका-जनित पोलियोवायरस (VDPV) के प्रकोप का कारण बनता है।
  • कमज़ोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले व्यक्तियों के लिये सुरक्षित नहीं: क्योंकि इसमें जीवित वायरस होता है, इसलिये OPV कमज़ोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों के लिये खतरनाक साबित हो सकता है।
  • अल्पकालिक प्रतिरक्षा: OPV से प्राप्त प्रतिरक्षा, IPV की तुलना में दीर्घकालिक नहीं हो सकती है, इसके लिये समय के साथ अतिरिक्त खुराक या बूस्टर की आवश्यकता होती है।

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