सोवियत संघ का विघटन कैसे हुआ? | USSR GK in Hindi
सोवियत संघ का विघटन
- सोवियत संघ का विघटन और भारत एवं विश्व पर इसका प्रभाव। द्वितीय विश्व युद्ध, 1989 में बर्लिन की दीवार का गिरना, द्विध्रुवीय वैश्विक व्यवस्था, शीत युद्ध, 1991 में उदारीकरण, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी, परमाणु ऊर्जा।
सोवियत संघ के गठन का
कारण क्या था?
इतिहास (जारवादी शासन और राजशाही):
- सोवियत संघ की जड़ें 1917 की रूसी क्रांति से जुड़ी हैं, जिसने रोमानोव राजवंश के 300 वर्ष के शासन (1613-1917) को समाप्त कर दिया।
- जार के पास शासन, सेना और समाज पर पूर्ण शक्ति थी।
- बढ़ती असमानता और आर्थिक कठिनाई ने असंतोष को जन्म दिया, जिससे क्रांति का मंच तैयार हो गया।
फरवरी क्रांति 1917:
- विरोध प्रदर्शन और हड़ताल के परिणामस्वरूप जार निकोलस द्वितीय ने राजशाही को त्याग दिया।
- जार के स्थान पर एक अनंतिम सरकार बनी, लेकिन उसे पेत्रोग्राद सोवियत के साथ सत्ता संघर्ष का सामना करना पड़ा, जिस पर बोल्शेविकों और मेंशेविकों जैसे समाजवादी गुटों का प्रभुत्त्व था।
अक्तूबर क्रांति 1917:
- लेनिन और ट्रॉट्स्की ने अक्तूबर क्रांति में बोल्शेविकों का नेतृत्व किया, अनंतिम सरकार को समाप्त किया और "सारी शक्ति सोवियतों को" घोषित कर दी।
- इसने सोवियत शासन की स्थापना और राष्ट्रीयकरण जैसी साम्यवादी नीतियों की शुरुआत को चिह्नित किया।
रूसी गृह युद्ध 1918-1922:
- गृह युद्ध के दौरान रेड आर्मी ने बोल्शेविक विरोधी शक्तियों (व्हाइट गार्ड्स) से लड़ाई लड़ी।
- बोल्शेविक विजयी हुए, उन्होंने अपनी शक्ति को मज़बूत किया और एकीकृत राज्य का मार्ग प्रशस्त किया।
- USSR का गठन (30 दिसंबर 1922):
- सोवियत समाजवादी गणराज्य संघ (USSR) की आधिकारिक घोषणा की गई, जो विश्व का पहला साम्यवादी राज्य बन गया।
- लेनिन के नेतृत्व में केंद्रीकृत आर्थिक नियोजन और साम्यवादी शासन की शुरुआत हुई।
- सोवियत नेतृत्व लेनिन के बोल्शेविक एकीकरण से लेकर स्टालिन के केंद्रीकरण, वर्ष 1936 के महान शुद्धिकरण और नाज़ी जर्मनी पर सोवियत संघ की विजय, उसके बाद ख्रुश्चेव के सुधारों, ब्रेझनेव की स्थिरता और गोर्बाचेव के पुनर्गठन के प्रयासों तक विकसित हुआ।
द्वितीय विश्व युद्ध और लिथुआनिया-
- वर्ष 1940 का दशक: बाल्टिक राज्यों (एस्टोनिया, लातविया और लिथुआनिया) को मोलोटोव-रिबेंट्रॉप संधि के बाद वर्ष 1940 (द्वितीय विश्व युद्ध) में जबरन सोवियत संघ में शामिल कर लिया गया था।
- इन बाल्टिक राज्यों को वर्ष 1918 में रूसी साम्राज्य के पतन के बाद स्वतंत्रता प्राप्त हुई थी।
- युद्ध के पश्चात् USSR एक महाशक्ति (वारसॉ संधि) के रूप में उभरा, जिसने समाजवादी ब्लॉक का नेतृत्व किया और शीत युद्ध की भूराजनीति पर हावी रहा।
सोवियत संघ का विघटन कैसे हुआ?
आर्थिक स्थिरता:
- वर्ष 1970 के दशक तक सोवियत अर्थव्यवस्था उत्पादकता और प्रौद्योगिकी के मामले में पिछड़ गई, तथा सैन्य और सैटेलाईट स्टेट्स पर अत्यधिक ज़ोर दिया जाने लगा, जिससे संसाधनों का दोहन हो रहा था।
- न्यूनतम जीवन स्तर सुनिश्चित करने के लिये राज्य द्वारा दी जा रही सब्सिडी के बावज़ूद नागरिकों को उपभोक्ता कमी और बढ़ते असंतोष का सामना करना पड़ा।
गोर्बाचेव के सुधार:
- ग्लासनोस्त (खुलेपन) और पेरेस्त्रोइका (पुनर्गठन) जैसी गोर्बाचेव की नीतियों का उद्देश्य सुधार था लेकिन कम्युनिस्ट पार्टी कमज़ोर हो गई।
- वर्ष 1990 में बहुदलीय चुनावों और सेंसरशिप में कमी ने लिथुआनिया और यूक्रेन जैसे गणराज्यों में राष्ट्रवादी आंदोलनों को बढ़ावा दिया।
शीत युद्ध के दबाव के कारण पतन:
- अमेरिका के साथ महंगी शस्त्रों की दौड़, अफगानिस्तान में हार और वर्ष 1989 में बर्लिन की दीवार के गिरने से सोवियत नियंत्रण कमज़ोर हो गया।
- पश्चिमी आर्थिक मॉडलों के साथ प्रतिस्पर्द्धा करने में सोवियत संघ की विफलता ने आंतरिक अक्षमताओं को बढ़ा दिया।
- राष्ट्रवादी आंदोलन और अलगाव: येल्तसिन जैसे नेताओं के नेतृत्व में रूसी राष्ट्रवाद ने केंद्रीय नियंत्रण को कमज़ोर कर दिया, जबकि बाल्टिक देशों और यूक्रेन ने स्वतंत्रता की मांग की।
- दिसंबर 1991 तक सोवियत संघ स्वतंत्र राज्यों में विघटित हो गया, जिससे द्विध्रुवीय वैश्विक व्यवस्था का अंत हो गया।
- सोवियत संघ के पतन से
वैश्विक शक्ति गतिशीलता को किस प्रकार नया आकार मिला?
- एकध्रुवीय विश्व व्यवस्था का उदय: सोवियत संघ के पतन के साथ शीत युद्ध समाप्त हो गया तथा अमेरिका एकमात्र महाशक्ति बन गया, जिससे वैश्विक गठबंधनों का स्वरूप परिवर्तित हुआ।
- NATO ने पूर्व की ओर विस्तार करने के साथ पोलैंड और बाल्टिक राज्यों जैसे पूर्व सोवियत ब्लॉक के देशों को एकीकृत किया, जिससे रूसी प्रभाव में कमी आई।
वैश्विक स्तर पर पूंजीवाद का प्रभुत्व:
- IMF और विश्व बैंक जैसी पश्चिमी संस्थाओं ने पूर्व समाजवादी राज्यों में आर्थिक बदलावों को निर्देशित करने के साथ उदार लोकतंत्र एवं मुक्त बाज़ार पूंजीवाद को बढ़ावा देने में भूमिका निभाई।
- पूर्वी यूरोप के यूरोपीय संघ में एकीकरण ने अमेरिका के नेतृत्व वाले वैश्विक आधिपत्य को मज़बूत किया।
क्षेत्रीय शक्ति परिवर्तन से बहुध्रुवीयता का मज़बूत होना:
- इस पतन से चीन एवं भारत को वैश्विक भूराजनीति में स्वयं को स्थापित करने का अवसर मिला।
- मध्य एशियाई गणराज्य रूस, चीन एवं पश्चिम के साथ संबंधों को संतुलित करते हुए रणनीतिक हितधारक के रूप में उभरे।
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