कार्बन क्रेडिट ट्रेडिंग स्कीम क्या है? | MPPSC Mains Answer Writing 2025
कार्बन क्रेडिट ट्रेडिंग
स्कीम क्या है?( MPPSC Mains Answer Writing)
कार्बन क्रेडिट ट्रेडिंग स्कीम CCTS:
- CCTS एक बाज़ार आधारित तंत्र है जिसे ICM के तहत कार्बन क्रेडिट को विनियमित करने और व्यापार करने के लिये शुरू किया गया है।
- कार्बन क्रेडिट ट्रेडिंग स्कीम CCTS का उद्देश्य
ग्रीनहाउस गैस (GHG) उत्सर्जन का मूल्य निर्धारण करके और कार्बन व्यापार
को सुविधाजनक बनाकर भारतीय अर्थव्यवस्था को कार्बन मुक्त बनाना है।
- PAT से कार्बन क्रेडिट ट्रेडिंग स्कीम CCTS में परिवर्तन: PAT योजना ऊर्जा बचत प्रमाणपत्र (ESCerts) के माध्यम से ऊर्जा-गहन उद्योगों में ऊर्जा दक्षता सुधार पर केंद्रित है।
- CCTS, PAT का स्थान लेता है, जिससे ऊर्जा तीव्रता से ध्यान हटाकर GHG उत्सर्जन तीव्रता को कम करने पर केंद्रित हो जाता है, तथा प्रति टन GHG समतुल्य उत्सर्जन की निगरानी की जाती है।
- यह कार्बन क्रेडिट प्रमाणपत्र (CCC) जारी करता है, जिनमें से प्रत्येक एक टन CO2 समतुल्य कमी को दर्शाता है।
तंत्र:
CCTS व्यापक कार्बन
कटौती प्रयासों को सुनिश्चित करने के लिये दो प्रमुख तंत्रों के माध्यम से कार्बन
मूल्य निर्धारण शुरू करता है।
अनुपालन तंत्र:
- क्षेत्र-विशिष्ट GHG कटौती लक्ष्यों को पूरा करने के लिये ऊर्जा-गहन उद्योगों (जैसे, एल्युमीनियम, सीमेंट, उर्वरक, लोहा और इस्पात) को अधिदेशित करता है। लक्ष्य से अधिक करने वाली संस्थाएँ CCC अर्जित करती हैं, तथा लक्ष्य से कम प्रदर्शन करने वाली संस्थाओं को क्रेडिट खरीदना पड़ता है।
ऑफसेट तंत्र:
- उत्सर्जन को कम करके कार्बन क्रेडिट अर्जित करने के लिये अनुपालन ढाँचे के बाहर की संस्थाओं को स्वैच्छिक भागीदारी की अनुमति देता है।
कार्बन मूल्य निर्धारण
क्या है?
- कार्बन मूल्य निर्धारण एक आर्थिक रणनीति है जिसके अंतर्गत कार्बन उत्सर्जन की बाह्य लागतों (जैसे फसलों को होने वाली क्षति, बढ़ती स्वास्थ्य देखभाल लागत और चरम मौसम के कारण संपत्ति की हानि) पर ध्यान केंद्रित करते हुए उन्हें उनके स्रोतों के साथ संबद्ध किया जाता है।
- इस क्रियाविधि के माध्यम से वित्तीय बोझ का पुनः प्रदूषणकर्त्ताओं पर आरोपण किया जाता है, तथा उन्हें या तो अपने उत्सर्जन में कमी लाने, प्रदूषण जारी रखने और इसके लिये भुगतान करने, अथवा स्वच्छ प्रौद्योगिकियों में निवेश करने का विकल्प प्रदान किया जाता है।
- वर्तमान वैश्विक कार्बन मूल्य निर्धारण तंत्र के अंतर्गत 89 देशों में 12.8 गीगाटन CO₂ (वैश्विक उत्सर्जन का 25%) शामिल है।
मूल्य निर्धारण प्रक्रिया:
सरकारें कार्बन का मूल्य निर्धारण करने हेतु 3 मुख्य विधियों का उपयोग
करती हैं, जिससे न्यूनतम संभव सामाजिक प्रभाव पर उत्सर्जन में कमी
सुनिश्चित होती है।
उत्सर्जन व्यापार प्रणाली (ETS):
- इसके अंतर्गत उद्योगों को उत्सर्जन इकाइयों का व्यापार करने की अनुमति प्रदान की जाती है। यह दो तंत्रों के माध्यम से संचालित होता है; कैप-एंड-ट्रेड और बेसलाइन-एंड-क्रेडिट।
- कैप-एंड-ट्रेड में उत्सर्जन पर एक सीमा निर्धारित की जाती है, जिसके अंतर्गत निर्धारित सीमा से कम उत्सर्जन वाली कंपनियाँ परमिट का विक्रय कर सकती हैं जबकि निर्धारित सीमा से अधिक उत्सर्जन वाली कंपनियों को परमिट का और अधिक क्रय करना आवश्यक होता है।
- जबकि बेसलाइन-एंड-क्रेडिट के अंतर्गत उन उद्योगों को पुरस्कृत किया जाता है जो उत्सर्जन को एक निर्धारित आधार सीमा से नीचे लाते हैं, इसके लिये उन्हें दूसरों को क्रेडिट का विक्रय किये जाने की अनुमति प्रदान की जाती है।
कार्बन टैक्स:
- ETS के विपरीत, कार्बन टैक्स के अंतर्गत प्रति टन CO₂ पर एक निश्चित कर लगाकर कार्बन उत्सर्जन पर प्रत्यक्ष मूल्य निर्धारण किया जाता है।
- हालाँकि, इस तंत्र से उत्सर्जन में किसी प्रकार की विशिष्ट कमी होना सुनिश्चित नहीं होता है, क्योंकि यह उद्योगों पर निर्भर करता है कि उन्हें उत्सर्जन में कटौती करनी है या कर का भुगतान करना है।
क्रेडिटिंग तंत्र:
- इसके अंतर्गत परियोजनाओं के माध्यम से ग्रीनहाउस गैसों में कटौती कर कार्बन क्रेडिट उत्पन्न किये जाने की अनुमति प्रदान की जाती है, जिसका अनुपालन अथवा स्वैच्छिक शमन उद्देश्यों के लिये घरेलू अथवा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विक्रय किया जा सकता है।
Post a Comment