सॉवरेन गोल्ड बॉण्ड स्कीम क्या है?| SGB Kya Hai

सॉवरेन गोल्ड बॉण्ड स्कीम क्या है?| SGB Kya Hai

 


सॉवरेन गोल्ड बॉण्ड स्कीम क्या है?

  • SGB स्कीम नवंबर, 2015 में पेश की गई थी। इसका उद्देश्य भौतिक स्वर्ण की मांग को कम करना और घरेलू बचत के एक भाग को, जो सामान्यतः स्वर्ण खरीदने के लिये उपयोग किया जाता है, वित्तीय बचत में निवेश करने के लिये प्रोत्साहित करना था।

  • गोल्ड बॉण्ड, सरकारी प्रतिभूति (GS) अधिनियम, 2006 के तहत भारत सरकार के स्टॉक के रूप में जारी किये जाते हैं।
  • ये बॉण्ड भारत सरकार की ओर से भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा जारी किये जाते हैं।
  • वे अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (लघु वित्त बैंकों, पेमेंट बैंकों एवं क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर), स्टॉक होल्डिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड, क्लियरिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड, नामित डाकघरों तथा नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया लिमिटेड और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज लिमिटेड के माध्यम से सीधे या एजेंटों के माध्यम से खरीद के लिये उपलब्ध हैं।

पात्रता:

  • ये बॉण्ड स्थानीय व्यक्तियों, हिंदू अविभाजित परिवारों (HUF), ट्रस्टों, विश्वविद्यालयों और धर्मार्थ संस्थाओं द्वारा खरीद के लिये उपलब्ध हैं।

विशेषताएँ:

निर्गम मूल्य: स्वर्ण बॉण्ड का मूल्य इंडिया बुलियन एंड ज्वैलर्स एसोसिएशन (IBJA) मुंबई द्वारा प्रकाशित 999 शुद्धता (24 कैरेट) के सोने के मूल्य से जुड़ा हुआ है।

निवेश सीमा: स्वर्ण बॉण्ड को विभिन्न निवेशकों के लिये विशिष्ट सीमा तक एक इकाई (1 ग्राम) के गुणकों में खरीदा जा सकता है।

खुदरा (व्यक्तिगत) निवेशकों एवं हिंदू अविभाजित परिवार (HUF) के लिये प्रति वित्तीय वर्ष अधिकतम सीमा 4 किलोग्राम (4,000 यूनिट) है, जबकि ट्रस्ट और इसी तरह की संस्थाओं के लिये प्रति वित्तीय वर्ष 20 किलोग्राम की सीमा है। न्यूनतम निवेश की अनुमति 1 ग्राम सोने/स्वर्ण की है।

अवधि: स्वर्ण बॉण्ड की परिपक्वता अवधि आठ वर्ष होती है, जिसमें पहले पाँच वर्षों के बाद निवेश से बाहर निकलने का विकल्प होता है।

ब्याज दर: यह योजना 2.5% की निश्चित वार्षिक ब्याज दर प्रदान करती है, जो अर्द्ध-वार्षिक रूप से देय है। गोल्ड बॉण्ड पर अर्जित ब्याज आयकर अधिनियम, 1961 के अनुसार कर योग्य है।

लाभ:

  • SGB का उपयोग ऋण के लिये संपार्श्विक के रूप में किया जा सकता है।
  • SGB के मोचन पर व्यक्तियों के लिये पूंजीगत लाभ कर से छूट दी गई है।
  • मोचन से तात्पर्य जारीकर्त्ता द्वारा परिपक्वता पर या उससे पहले बॉण्ड को पुनर्खरीद करने से है।
  • पूंजीगत लाभ वह लाभ है जो तब अर्जित होता है जब किसी परिसंपत्ति, जैसे स्टॉक, बॉण्ड या रियल एस्टेट का विक्रय मूल्य उसके क्रय मूल्य से अधिक होता है।

SGB में निवेश के नुकसान:

  • यह भौतिक स्वर्ण के विपरीत एक दीर्घकालिक निवेश है, जिसे तुरंत बेचा जा सकता है।
  • हालाँकि SGB एक्सचेंजों में सूचीबद्ध हैं, लेकिन ट्रेडिंग वॉल्यूम अपेक्षाकृत कम है, जिससे उन्हें परिपक्व होने से पहले बेचना मुश्किल हो जाता है।

ग्रीन बॉण्ड:

  • ग्रीन बॉण्ड कंपनियों, देशों और बहुपक्षीय संगठनों द्वारा विशेष रूप से उन परियोजनाओं को निधि देने के लिये जारी किये जाते हैं जिनका पर्यावरण या जलवायु से सकारात्मक लाभ होता है तथा निवेशकों को निश्चित आय भुगतान प्रदान करते हैं।
  • सरकार वित्तीय वर्ष 2024-25 में लगभग 20,000 करोड़ रुपए के संप्रभु स्वर्ण बॉण्ड जारी करने की योजना बना रही है।

स्वर्ण मुद्रीकरण योजना (GMS) 

स्वर्ण मुद्रीकरण योजना (GMS) के कार्य-निष्पादन के आधार पर, केंद्र सरकार ने योजना के मध्यावधि और दीर्घकालिक सरकारी जमा (MLTGD) घटकों को बंद करने का निर्णय किया है। हालाँकि, बैंक अल्पकालिक बैंक जमा (STBD) की  पेशकश जारी रख सकेंगे। 

इससे पहले सरकार ने सॉवरेन गोल्ड बॉण्ड (SGB) को भी बंद कर दिया था।

GMS: GMS, जिसमें पूर्ववर्ती 'स्वर्ण जमा योजना' और 'स्वर्ण धातु ऋण' योजना शामिल है, की घोषणा 15 सितंबर 2015 को की गई थी।

इसका उद्देश्य सोने के आयात पर देश की दीर्घकालिक निर्भरता को कम करना तथा औपचारिक अर्थव्यवस्था में परिवारों और संस्थानों द्वारा धारित सोने को जुटाना है।

GMS के घटक:

  • अल्पावधि बैंक जमा (1-3 वर्ष) (परिवर्ती ब्याज दर)
  • मध्यावधि सरकारी जमा (5-7 वर्ष) (2.25% ब्याज दर)
  • दीर्घकालिक सरकारी जमा (12-15 वर्ष) (2.5% ब्याज दर)

GMS के अंतर्गत ब्याज दर: MLTGD के लिये ब्याज दर केंद्र सरकार द्वारा RBI के परामर्श से निर्धारित की जाती है, जबकि अल्पावधि जमा के लिये ब्याज दर बैंकों द्वारा निर्धारित की जाती है।

SGB: SGB योजना वर्ष 2015 में वास्तविक सोने की मांग में कमी लाने और घरेलू बचत के एक हिस्से को वित्तीय बचत में रूपांतरित करने हेतु शुरू की गई थी, जिसका उपयोग अन्यथा सोना खरीदने के लिये किया जाता था।

इस योजना के अंतर्गत प्रारंभिक निवेश पर 2.5% की ब्याज दर प्रदान की जाती है, जो निवेशक के बैंक खाते में अर्द्ध-वार्षिक रूप से जमा कर दी जाती है।

इंडिया बुलियन एंड ज्वैलर्स एसोसिएशन लिमिटेड (IBJA):

  • IBJA की स्थापना वर्ष 1919 में भारत में सर्राफा व्यापारियों के एक संघ के रूप में हुई थी।
  • IBJA को भारत में सभी बुलियन और ज्वैलरी एसोसिएशनों के लिये शीर्ष संघ माना जाता है।
  • यह दैनिक गोल्ड AM और PM दरें प्रकाशित करता है, जो सॉवरेन और बाॅण्ड जारी करने के लिये बेंचमार्क दरें हैं।
  • IBJA प्रदर्शनियों के माध्यम से व्यापार को बढ़ावा देने में शामिल है और अपना घरेलू गोल्ड स्पॉट एक्सचेंज, बुलियन रिफाइनरी तथा जेम्स एंड ज्वैलरी पार्क स्थापित कर रहा है।
  • यह अपने सदस्यों को सर्राफा व्यापार को बढ़ावा देने और विनियमित करने, विवादों को हल करने, कीमती धातुओं के मूल्यांकन के लिये एक तटस्थ मंच प्रदान करने तथा सरकारी विभागों के साथ संवाद करने में सहायता करता है।
  • IBJA का ज़ावेरी बाज़ार, मुंबई में अपना एक भवन है, जहाँ से यह सर्राफा और आभूषण उद्योग संबंधी विभिन्न व्यावसायिक गतिविधियों का संचालन करता है।

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