मई 2021 समसामयिकी सार | May 2021 Current Affair Summary in Hindi
मई 2021 समसामयिकी सार
May 2021 Current Affair Summary in Hindi
नेट ज़ीरो प्रोड्यूसर्स फोरम
- हाल ही में सऊदी अरब ने संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, नॉर्वे और कतर के साथ ‘नेट ज़ीरो प्रोड्यूसर्स फोरम’ में शामिल होने की घोषणा की है। इस नए मंच के माध्यम से सभी देश जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौते के क्रियान्वयन का समर्थन करने संबंधी उपायों पर चर्चा करेंगे।
- साथ ही इस मंच के माध्यम से वर्ष 2050 तक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन का लक्ष्य प्राप्त करने पर भी चर्चा की जाएगी। ज्ञात हो कि कनाडा, नॉर्वे, कतर, सऊदी अरब और संयुक्त राज्य अमेरिका, वैश्विक रूप से तेल तथा गैस उत्पादन के 40 प्रतिशत हिस्से का प्रतिनिधित्व करते हैं।
- इस फोरम के माध्यम से विश्व के कुछ प्रमुख तेल और गैस उत्पादक देशों द्वारा मीथेन न्यूनीकरण में सुधार करने, चक्रीय कार्बन अर्थव्यवस्था दृष्टिकोण को बढ़ावा देने; स्वच्छ-ऊर्जा का विकास करने; कार्बन कैप्चर, उपयोग एवं भंडारण प्रौद्योगिकी का विकास करने; हाइड्रोकार्बन राजस्व पर निर्भरता से विविधता लाने जैसे विभिन्न उपायों पर चर्चा की जाएगी, साथ ही इन उपायों के विकास के दौरान विभिन्न देशों की अपनी स्थानीय परिस्थितियों को भी ध्यान में रखा जाएगा। ज्ञात हो कि सऊदी अरब ने अपने कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिये वर्ष 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा से देश की ऊर्जा का 50 प्रतिशत हिस्सा उत्पन्न करने का लक्ष्य निर्धारित किया है।
नेटवर्क फॉर ग्रीनिंग द फाइनेंशियल सिस्टम
- हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ‘नेटवर्क फॉर ग्रीनिंग द फाइनेंशियल सिस्टम’ में शामिल हुआ है। यह केंद्रीय बैंकों का एक स्वैच्छिक समूह है। रिज़र्व बैंक, एक स्थायी और सतत् अर्थव्यवस्था के प्रति ट्रांजीशन का समर्थन करने के लिये वित्त जुटाने हेतु वित्तीय क्षेत्र में पर्यावरण और जलवायु जोखिम प्रबंधन से संबंधित सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने तथा उनमें योगदान देने हेतु शामिल हुआ है।
- इन नेटवर्क में वर्तमान में कुल 62 केंद्रीय बैंक शामिल हैं और इसका उद्देश्य सदस्यों के लिये ऐसी नीतियों का निर्माण करना है, जो वित्तीय क्षेत्र में पर्यावरण एवं जलवायु जोखिम लचीलेपन को सुनिश्चित कर सकें।
- जलवायु परिवर्तन, भौतिक जोखिम (चरम मौसम की घटनाओं के कारण उत्पन्न जोखिम) और ट्रांजीशन जोखिम (निम्न-कार्बन अर्थव्यवस्था में परिवर्तन करते हुए नीति, कानूनी और नियामक ढाँचे, उपभोक्ता वरीयताओं और तकनीकी विकास में बदलाव के कारण उत्पन्न जोखिम) के रूप में वित्तीय स्थिरता के लिये चुनौतियाँ उत्पन्न कर सकता है। ज्ञात हो कि हाल ही में न्यूज़ीलैंड जलवायु परिवर्तन के संबंध में कानून बनाने वाला पहला देश बन गया है। न्यूज़ीलैंड का यह कानून वित्तीय कंपनियों के लिये जलवायु-संबंधी जोखिमों की रिपोर्ट करना अनिवार्य बनाता है।
महाराष्ट्र और गुजरात का स्थापना दिवस
- भारत में प्रतिवर्ष 01 मई को देश के दो बड़े राज्यों (महाराष्ट्र और गुजरात) के स्थापना दिवस के रूप में मनाया जाता है। राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 1956 के तहत भाषाई आधार पर भारत संघ के भीतर राज्यों के लिये सीमाओं को परिभाषित किया गया था। परिणामस्वरूप 1 नवंबर, 1956 को 14 राज्यों और 6 केंद्रशासित प्रदेशों का गठन किया गया।
- इस अधिनियम के तहत बॉम्बे राज्य का गठन मराठी, गुजराती, कच्छी (Kutchi) एवं कोंकणी भाषी लोगों के लिये किया गया था। हालाँकि यह विविधता की अवधारणा सफल नहीं हो सकी और संयुक्त महाराष्ट्र समिति के तहत बॉम्बे राज्य को दो राज्यों (एक राज्य गुजराती एवं कच्छी भाषी लोगों के लिये और दूसरा राज्य मराठी एवं कोंकणी भाषी लोगों के लिये) में विभाजित किये जाने को लेकर एक आंदोलन की शुरू हो गया। यह आंदोलन वर्ष 1960 तक चला और इस दौरान महाराष्ट्र तथा गुजरात बॉम्बे प्रांत का हिस्सा रहे।
- वर्ष 1960 में बंबई पुनर्गठन अधिनियम,1960 द्वारा द्विभाषी राज्य बंबई को दो पृथक राज्यों (महाराष्ट्र मराठी भाषी लोगों के लिये और गुजरात, गुजराती भाषी लोगों के लिये) में विभाजित कर दिया गया। इस तरह 1 मई, 1960 को महाराष्ट्र और गुजरात दो स्वतंत्र राज्यों के रूप में अस्तित्त्व में आए। भारतीय संविधान के तहत ‘गुजरात’ भारतीय संघ का 15वाँ राज्य बना।
तेलंगाना को कोविड-19 हेतु ड्रोन प्रयोग की अनुमति
- नागरिक उड्डयन मंत्रालय (MoCA) और नागर विमानन महानिदेशालय (DGCA) ने तेलंगाना सरकार को कोविड वैक्सीन डिलीवरी के लिये ड्रोन की तैनाती की सीमित अनुमति दे दी है। यह अनुमति एक वर्ष की अवधि या अगले आदेश तक के लिये मान्य है। साथ यह आदेश तभी मान्य रहेगा, जब तक तेलंगाना द्वारा सभी शर्तों और नियमों का सख्ती से पालन किया जाएगा।
- इस प्रकार की अनुमति का प्राथमिक उद्देश्य तीव्रता से वैक्सीन का वितरण करने और बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँच सुनिश्चित करने के दोहरे लक्ष्यों को प्राप्त करना है। इस प्रकार की व्यवस्था से देश में चिकित्सा आपूर्ति शृंखला में सुधार करने में भी मदद मिल सकती है। इससे पूर्व ‘भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद’ (ICMR) को भी IIT-कानपुर के सहयोग से ड्रोन का उपयोग करते हुए कोविड-19 वैक्सीन वितरण की व्यवहार्यता का अध्ययन करने हेतु इसी प्रकार की अनुमति दी गई थी।
सत्यजीत रे के बारे में जानकारी
- 02 मई, 2021 को विश्व प्रसिद्ध फिल्म निर्देशक ‘सत्यजीत रे’ की जन्म शताब्दी मनाई गई। सत्यजीत रे का जन्म 2 मई, 1921 को कलकत्ता (भारत) के एक संपन्न परिवार में हुआ था। 20वीं सदी के सबसे महान निर्देशकों में से एक के रूप में चर्चित ‘सत्यजीत रे’ को भारत के साथ-साथ वैश्विक स्तर पर भी काफी ख्याति प्राप्त हुई।
- ‘सत्यजीत रे’ ने अपने कॅॅरियर की शुरुआत एक ग्राफिक डिज़ाइनर के तौर पर की थी। इसके बाद ‘सत्यजीत रे’ लंदन गए और इस दौरान उन्होंने ‘विटोरियो डी सिका’ के निर्देशन में बनी इटली की नव-यथार्थवादी (न्यू-रीयलिस्टिक) फिल्म ‘बाइसिकल थीव्ज़’ (1948) देखी, जिससे वे स्वतंत्र फिल्म निर्माण और खासतौर पर इटली के नव-यथार्थवादी आंदोलन से काफी प्रेरित हुए, जो कि उनकी फिल्मों में भी स्पष्ट नज़र आता है।
- ‘सत्यजीत रे’ ने अपने संपूर्ण फिल्मी कॅॅरियर में लगभग 36 फिल्मों का निर्देशन किया, जिनमें फीचर फिल्म, डॉक्यूमेंट्री और शॉर्ट फिल्म शामिल हैं। इसके अलावा वह एक बेहतरीन फिक्शन लेखक, प्रकाशक, चित्रकार, संगीतकार, ग्राफिक डिज़ाइनर और फिल्म समीक्षक भी थे। उन्होंने बच्चों और किशोरों को केंद्र में रखते हुए कई लघु कथाएँ और उपन्यास लिखे।
- वह भारत के पहले और एकमात्र ऑस्कर विजेता निर्देशक थे, साथ ही उन्हें ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय द्वारा मानद उपाधि से सम्मानित किया गया था।
- ‘सत्यजीत रे’ की पहली फिल्म ‘पाथेर पांचाली’ (1955) ने वर्ष 1956 के कान्स फिल्म फेस्टिवल में कुल ग्यारह अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार जीते थे। भारत सरकार ने सिनेमा के क्षेत्र में उनके योगदान को देखते हुए उन्हें वर्ष 1992 में ‘भारत रत्न’ से भी सम्मानित किया था।
अंतर्राष्ट्रीय खगोल विज्ञान दिवस
- विश्व भर में प्रतिवर्ष दो बार ‘अंतर्राष्ट्रीय खगोल विज्ञान दिवस’ का आयोजन किया जाता है। पहला 2 मई को, जबकि दूसरा 26 सितंबर को।
- इस दिवस के अवसर पर विभिन्न संग्रहालयों और खगोलीय संस्थानों द्वारा खगोल विज्ञान के संबंध में में जागरूकता फैलाने के लिये सेमिनार, कार्यशालाओं और अन्य गतिविधियों का आयोजन किया जाता है।
- वर्ष 1973 में, उत्तरी कैलिफोर्निया के खगोलीय संघ के अध्यक्ष ‘डौग बर्जर’ ने पहले खगोल विज्ञान दिवस का आयोजन किया था। इस दिवस के आयोजन का प्राथमिक उद्देश्य आम जनमानस को खगोल विज्ञान के महत्त्व और संपूर्ण ब्रह्मांड के संबंध में जागरूक करना है और उन्हें इसके प्रति रुचि विकसित करने में मदद करना है।
- खगोल विज्ञान का अध्ययन बीते लगभग 5,000 वर्षों से प्रचलित है और इसे संबद्ध विज्ञान शाखाओं में सबसे पुराना माना जाता है।
- वर्ष 1608 में टेलीस्कोप के आविष्कार के बाद ब्रह्मांड के रहस्य को जानने में खलोग विज्ञान का महत्त्व और भी अधिक बढ़ गया। समय के साथ-साथ बीते कुछ दशकों में प्रौद्योगिकी ने महत्त्वपूर्ण वृद्धि की है और कई सिद्धांत एवं अवलोकन प्रस्तुत किये गए हैं, जिससे खगोल विज्ञान और अधिक प्रगति कर रहा है।
विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस
- प्रत्येक वर्ष विश्व भर में 3 मई को ‘विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस’ मनाया जाता है।
- विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस का उद्देश्य प्रेस और मीडिया की आज़ादी के महत्त्व के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाना है। एक लोकतांत्रिक व्यवस्था में प्रेस को लोकतंत्र का 'चौथा स्तंभ' माना जाता है।
- सरकार की जवाबदेही सुनिश्चित करने और प्रशासन तक आम लोगों की आवाज़ को पहुँचाने में प्रेस/मीडिया की काफी महत्त्वपूर्ण भूमिका मानी जाती है। ऐसे में मीडिया की स्वतंत्रता इसके लिये कुशलतापूर्वक कार्य करने हेतु अत्यंत महत्त्वपूर्ण मानी जाती है।
- यूनेस्को की जनरल काॅन्फ्रेंस की सिफारिश के बाद दिसंबर 1993 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस की घोषणा की थी।
- ‘विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस’ (3 मई) ‘विंडहोक’ (Windhoek) घोषणा की वर्षगांठ को चिह्नित करता है। वर्ष 1991 की ‘विंडहोक घोषणा’ एक मुक्त, स्वतंत्र और बहुलवादी प्रेस के विकास से संबंधित है। इस वर्ष विश्व प्रेस दिवस की थीम ‘इनफाॅॅर्मेशन एज़ ए पब्लिक गुड’ है। यह विषय प्रेस द्वारा प्रचारित महत्त्वपूर्ण सूचना को लोकहित के रूप में देखने पर ज़ोर देती है।
करेन नेशनल यूनियन
- करेन नेशनल यूनियन (KNU) फाॅर्स ने हाल ही में पूर्वी म्याँमार में उत्तर-पश्चिमी थाईलैंड की सीमा के करीब एक सैन्य पोस्ट पर हमला कर उसे ज़ब्त कर लिया है। करेन नेशनल यूनियन (KNU) की सशस्त्र शाखा करेन नेशनल लिबरेशन आर्मी, वर्ष 1949 से म्याँमार की सरकार के विरुद्ध सशस्त्र संघर्ष कर रही है। यह विद्रोह म्याँमार के जातीय अल्पसंख्यक समूह ‘करेन’ के राष्ट्रवादियों द्वारा शुरू किया गया है, जो कि एक स्वतंत्र देश की स्थापना की मांग कर रहे हैं। ज्ञात हो कि 1 फरवरी, 2021 को हुए तख्तापलट के बाद से म्याँमार सैन्य नियंत्रण में है और तख्तापलट के बाद लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित नेता ‘आंग सान सू की’ समेत विभिन्न नेताओं को हिरासत में ले लिया गया था। म्याँमार जिसे बर्मा के नाम से भी जाना जाता है, दक्षिण पूर्व एशिया में अवस्थित एक देश है, जो कि थाईलैंड, लाओस, बांग्लादेश, चीन और भारत आदि देशों के साथ अपनी सीमा साझा करता है।
अंतर्राष्ट्रीय अग्निशमन दिवस
- प्रतिवर्ष 4 मई को विश्व भर में अंतर्राष्ट्रीय अग्निशमन दिवस का आयोजन किया जाता है।
- इस दिवस के आयोजन का प्राथमिक उद्देश्य उन अग्निशमन कर्मियों को याद करना है, जिन्होंने समाज की रक्षा करते हुए अपने जीवन का बलिदान दिया है। ज्ञात हो कि 4 जनवरी, 1999 को ऑस्ट्रेलिया के वनों में लगी आग बुझाने के दौरान पाँच अग्निशमन कर्मियों की मृत्यु हो गई थी और इसी घटना को चिन्हित करते हुए प्रतिवर्ष अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इस दिवस का आयोजन किया जाता है। अंतर्राष्ट्रीय अग्निशमन दिवस का प्रतीक लाल और नीला रिबन है। इसमें लाल रंग आग को दर्शाता है और नीला रंग पानी को; और ये रंग दुनियाभर में आपातकालीन सेवाओं का संकेत देते हैं। यह दिवस अग्निशामकों को उनकी असाधारण प्रतिबद्धता, असाधारण साहस और उनकी नि:स्वार्थ सेवा के लिये धन्यवाद करने हेतु मनाया जाता है। इसके अलावा भारत में 14 अप्रैल को राष्ट्रीय अग्निशमन दिवस के रूप में मनाया जाता है। वर्ष 1944 में 14 अप्रैल को मुंबई बंदरगाह पर एक मालवाहक जहाज़ में अचानक आग लग गई थी, जिसमें काफी मात्रा में रुई, विस्फोटक और युद्ध उपकरण रखे हुए थे। इस आग पर काबू पाने की कोशिश में 66 अग्निशमनकर्मी आग की चपेट में आकर अपने प्राण गँवा बैठे थे। इन्हीं अग्निशमन कर्मियों की स्मृति में प्रत्येक वर्ष 14 अप्रैल को राष्ट्रीय अग्निशमन दिवस के रूप में मनाया जाता है।
टी. रबी शंकर
- केंद्रीय मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति ने भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के डिप्टी गवर्नर पद के लिये टी. रबी शंकर के नाम की पुष्टि कर दी है। टी. रबी शंकर वर्तमान में रिज़र्व बैंक में कार्यकारी निदेशक (भुगतान और निपटान) के रूप में कार्यरत हैं। इस संबंध में जारी अधिसूचना के मुताबिक, टी. रबी शंकर को डिप्टी गवर्नर के पद पर कुल तीन वर्ष की अवधि के लिये नियुक्त किया गया है। ध्यातव्य है कि टी. रबी शंकर डिप्टी गवर्नर के रूप में एस.पी. कानूनगो का स्थान लेंगे, जो कि 02 अप्रैल को सेवानिवृत्त हुए थे। टी. रबी शंकर के अतिरिक्त वर्तमान में रिज़र्व बैंक में तीन अन्य डिप्टी गवर्नर हैं, जिनमें माइकल पात्रा, महेश कुमार जैन और एम. राजेश्वर राव शामिल हैं। डिप्टी गवर्नर के पद पर रहते हुए टी. रबी शंकर भुगतान और निपटान के अलावा फिनटेक, सूचना प्रौद्योगिकी विभाग, जोखिम निगरानी और RTI (सूचना का अधिकार) आदि विभागों का भी प्रबंधन करेंगे। टी. शंकर को केंद्रीय बैंक संबंधी विभिन्न कार्यों में कई दशकों लंबा अनुभव है। वह सितंबर 1990 में एक अनुसंधान अधिकारी के रूप में रिज़र्व बैंक में शामिल हुए थे।
P-8I पेट्रोल
एयरक्राफ्ट की प्रस्तावित बिक्री
- अमेरिकी विदेश विभाग ने भारत को 2.42 बिलियन डॉलर की अनुमानित लागत वाले छह P-8I पेट्रोल एयरक्राफ्ट की बिक्री के प्रस्ताव को मंज़ूरी दे दी है। भारतीय नौसेना ने जनवरी 2009 में बोइंग से आठ P-8I पेट्रोल एयरक्राफ्ट प्रत्यक्ष वाणिज्यिक बिक्री के माध्यम से खरीदे थे और जुलाई 2016 में अतिरिक्त चार विमानों के लिये अनुबंध किया था। इस तरह अतिरिक्त छह P-8I पेट्रोल एयरक्राफ्ट की यह प्रस्तावित बिक्री आगामी 30 वर्ष के लिये भारतीय नौसेना की समुद्री निगरानी क्षमता का विस्तार करेगी। बोइंग कंपनी द्वारा निर्मित ‘P-8I लंबी दूरी की पनडुब्बी-रोधी वारफेयर, एंटी-सरफेस वारफेयर, इंटेलिजेंस और सर्विलांस विमान’ हैं और व्यापक क्षेत्र (Broad Area), तटीय तथा समुद्री परिचालन में सक्षम हैं। लॉन्ग रेंज पनडुब्बी रोधी, सतह रोधी, खुफिया और निगरानी का उपयोग समुद्री और तटीय युद्ध कार्रवाइयों के लिये किया जाता है। यह प्रस्तावित बिक्री अमेरिका-भारत रणनीतिक संबंधों को मज़बूत करके और एक प्रमुख रक्षात्मक साझेदार के रूप में भारत की सुरक्षा में सुधार करके संयुक्त राज्य की विदेश नीति और राष्ट्रीय सुरक्षा का समर्थन करेगी, जो इंडो-पैसिफिक और एशिया क्षेत्र में राजनीतिक स्थिरता, शांति और आर्थिक प्रगति के लिये महत्त्वपूर्ण है।
अनुच्छेद 311
- हाल ही में जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल द्वारा पहली बार अनुच्छेद 311 का उपयोग करते हुए एक सरकारी कर्मचारी को बर्खास्त किया गया है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 311 के तहत ‘संघ या राज्य के अधीन कार्यरत सरकारी कर्मचारियों को उनके पद से बर्खास्त करने, हटाने अथवा अथवा रैंक कम करने से संबंधित प्रावधान शामिल हैं, हालाँकि ऐसा केवल उपयुक्त जाँच के बाद ही किया जा सकता है। यद्यपि अनुच्छेद 311 उन कर्मचारियों को सुनवाई का स्पष्ट अधिकार प्रदान करता है, जिनके विरुद्ध इस अनुच्छेद को लागू किया गया है, किंतु नवीनतम मामले में उपराज्यपाल द्वारा अनुच्छेद 311 की धारा 2 (c) लागू की गई है, जो कि जाँच और सुनवाई की शर्त की अनिवार्यता को खत्म कर देती है यदि राष्ट्रपति या राज्यपाल इस बात को लेकर संतुष्ट हैं कि राष्ट्र की सुरक्षा के हित में, इस तरह की जाँच करना समीचीन नहीं है। ऐसी स्थिति में उस सरकारी कर्मचारी को बिना किसी सुनवाई के बर्खास्त कर दिया जाता है।
ओडिशा में पत्रकार- ‘फ्रंटलाइन वर्कर्स’
- ओडिशा सरकार ने हाल ही में कोविड-19 महामारी के दौरान राज्य के पत्रकारों को ‘फ्रंटलाइन वर्कर्स’ के रूप में घोषित किया है। इस संबंध में जारी अधिसूचना के मुताबिक, ‘राज्य में कोरोना वायरस से संबंधित विषयों पर लोगों को जागरूक कर राज्य के पत्रकार समाज के प्रति महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहे हैं। ज्ञात हो कि राज्य सरकार के इस निर्णय से राज्य के 6,944 कामकाजी पत्रकारों को फायदा होगा। इस घोषणा के साथ ही राज्य के कार्यशील पत्रकारों को ‘गोपाबंधु सम्बादिका स्वास्थ्य बीमा योजना’ के तहत कवर किया जाएगा, जिसके तहत उन्हें 2 लाख रुपए तक का स्वास्थ्य बीमा कवर प्राप्त होगा। इसके अलावा ओडिशा सरकार ने अपनी ड्यूटी निभाते हुए कोविड-19 के कारण मरने वाले वाले पत्रकारों के परिवारजनों के लिये 15 लाख रुपए की अनुग्रह राशि की भी घोषणा की है। इससे पूर्व, उत्तराखंड ने भी पत्रकारों और मीडिया संगठनों के प्रतिनिधियों को ‘फ्रंटलाइन वर्कर्स’ के रूप में घोषित किया था और उन्हें प्राथमिकता के साथ टीका लगाने का आदेश दिया था। कोरोना वायरस संक्रमण के बढ़ते मामलों के मद्देनज़र ‘एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया’ (स्वतंत्र मीडिया प्रतिनिधि संगठन) ने हाल ही में केंद्र सरकार से पत्रकारों को ‘फ्रंटलाइन वर्कर्स’ के रूप में घोषित करने का आग्रह किया था, जिससे उन्हें कोविड संबंधी टीकाकरण अभियान में प्राथमिकता दी जा सके। आँकड़ों की मानें तो 01 अप्रैल, 2020 से अब तक कोरोना संक्रमण की वजह से 100 से अधिक पत्रकारों की मृत्यु हो चुकी है।
यूरेनियम-214
- हाल ही में चीन के वैज्ञानिकों ने एक नए प्रकार के यूरेनियम की खोज की है, जिसे अब तक का सबसे हल्का यूरेनियम माना जा रहा है।
- यह खोज वैज्ञानिकों को अल्फा कण के बारे में अधिक जानने में मदद कर सकती है, जो कि क्षय (Decay) होकर कुछ रेडियोधर्मी तत्त्वों से अलग हो जाते हैं।
- वैज्ञानिकों द्वारा खोजे गए इस ‘यूरेनियम-214’ नामक यूरेनियम में प्रोटॉन की तुलना में 30 अधिक न्यूट्रॉन मौजूद हैं, इस तरह इसमें अब तक ज्ञात सबसे हल्के यूरेनियम संस्करण/आइसोटोप की तुलना में एक कम न्यूट्रॉन मौजूद है।
- इस प्रकार चूँकि न्यूट्रॉन में द्रव्यमान होता है, इसलिये यूरेनियम-214 अन्य सभी यूरेनियम संस्करणों जैसे- यूरेनियम-235 आदि की तुलना में अधिक हल्का है। ज्ञात हो कि यूरेनियम-235 का उपयोग परमाणु रिएक्टरों में किया जाता है और इसमें प्रोटॉन की तुलना में 51 अतिरिक्त न्यूट्रॉन होते हैं।
- यह नया आइसोटोप न केवल काफी हल्का है, बल्कि इसने अपने क्षय के दौरान अद्वितीय व्यवहार भी प्रदर्शित किया। इस प्रकार यह खोज वैज्ञानिकों को रेडियोधर्मी क्षय प्रक्रिया समझने में भी मदद करेगी, जिसे अल्फा क्षय के रूप में जाना जाता है, जिसमें एक परमाणु नाभिक में दो प्रोटॉन और दो न्यूट्रॉन के एक समूह (सामूहिक रूप से इसे एक अल्फा कण कहा जाता) का क्षय हो जाता है।
कांगो में इबोला वायरस प्रकोप की समाप्ति
- कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य ने इबोला वायरस के एक हालिया प्रकोप की समाप्ति की घोषणा की है, जिसने पूर्वी किवू के उत्तरी प्रांत में 12 लोगों को संक्रमित किया और उनमें से छह लोगों की मृत्यु हुई। कांगो में यह इबोला वायरस का 12वाँ प्रकोप था। इस हालिया प्रकोप को रोकने के लिये ‘मर्क’ की इबोला वायरस वैक्सीन का उपयोग किया गया, यह वैक्सीन संक्रमित व्यक्तियों के संपर्क में आने वाले 1,600 से अधिक लोगों को दी गई। ये हालिया मामले आनुवंशिक रूप से वर्ष 2018-20 इबोला महामारी से जुड़े हुए थे, जिसमें 2,200 से अधिक लोगों की मृत्यु हुई थी। इबोला वायरस रोग एक गंभीर और जानलेवा बीमारी है, जिससे पीड़ित लोगों में 90% तक मृत्यु होने की संभावना रहती है। अफ्रीका में फ्रूट बैट चमगादड़ इबोला वायरस के वाहक हैं जिनसे पशु (चिंपांजी, गोरिल्ला, बंदर, वन्य मृग) संक्रमित होते हैं। मनुष्यों को या तो संक्रमित पशुओं से या संक्रमित मनुष्यों से संक्रमण होता है, जब वे संक्रमित शारीरिक द्रव्यों या शारीरिक स्रावों के निकट संपर्क में आते हैं। इसमें वायु जनित संक्रमण नहीं होता है।
थिसारा परेरा
- श्रीलंका के ऑलराउंडर और पूर्व कप्तान थिसारा परेरा ने हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास की घोषणा की है। 3 अप्रैल, 1989 को जन्मे 32 वर्षीय थिसारा परेरा ने अपने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट कॅॅरियर में श्रीलंका की ओर से कुल छह टेस्ट, 166 वनडे और 84 टी-20 मैच खेले। अपने संपूर्ण कॅॅरियर में थिसारा परेरा ने टेस्ट क्रिकेट में 203 रन, वनडे में 2338 रन और टी20 में 1204 रन बनाए, इसके अलावा वह एक बेहतरीन गेंदबाज भी थे और उन्होंने टेस्ट क्रिकेट, वनडे तथा टी20 में क्रमशः 11, 175 और 51 विकेट प्राप्त किये। थिसारा परेरा ने अपना पहला अंतर्राष्ट्रीय मैच भारत के विरुद्ध ईडन गार्डन (कोलकाता) में 24 दिसंबर, 2009 को खेला था।
‘पार्कर
सोलर प्रोब’
- हाल ही में अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने शुक्र ग्रह के वातावरण में कम आवृत्ति के रेडियो सिग्नल का पता लगाया है। ये रेडियो सिग्नल नासा के ‘पार्कर सोलर प्रोब’ द्वारा ग्रह की नियमित उड़ान के बीच रिकॉर्ड किये गए हैं, जो कि बीते 30 वर्ष में पहली बार है जब इस ग्रह के वातावरण संबंधी कोई प्रत्यक्ष माप रिकॉर्ड हुआ है। रिकॉर्ड किये गए डेटा के विश्लेषण को जारी करते हुए नासा ने कहा कि पिछली बार वर्ष 1992 में रिकॉर्ड किये गए डेटा की तुलना में वर्तमान में शुक्र ग्रह के ऊपरी वायुमंडल में काफी परिवर्तन आया है और वह और अधिक हल्के होने के क्रम में आगे बढ़ रहा है। नासा के मुताबिक, पृथ्वी की तरह ही शुक्र ग्रह पर भी वायुमंडल के ऊपरी हिस्से में इलेक्ट्रिक रूप से चार्ज गैस की एक परत है, जिसे आयनोस्फीयर कहा जाता है, जो प्राकृतिक रूप से रेडियो तरंगों का उत्सर्जन करती है, जिन्हें यंत्रों के माध्यम से रिकॉर्ड किया जा सकता है। ज्ञात हो कि शुक्र ग्रह और पृथ्वी को तकरीबन जुड़वाँ ग्रह माना जाता है, दोनों ग्रह की सतह चट्टानी है और दोनों आकार तथा संरचना में भी समान हैं। हालाँकि पृथ्वी के विपरीत, शुक्र ग्रह में सतह का लगभग 864 डिग्री फारेनहाइट या 462 डिग्री सेल्सियस है, जो कि निवास करने योग्य नहीं है साथ ही यहाँ का वातावरण भी काफी विषाक्त है। साथ ही पृथ्वी के विपरीत, शुक्र में चुंबकीय क्षेत्र भी नहीं है। नासा के ‘पार्कर सोलर प्रोब’ मिशन को वर्ष 2018 में सूर्य का अध्ययन करने और उससे संबंधित विभिन्न तथ्यों को उजागर करने के उद्देश्य से किया गया था। यह ‘प्रोब’ अपने सात वर्ष के कार्यकाल के दौरान सूर्य के वातावरण से होकर गुजरेगा और निकटता से सूर्य का अध्ययन करेगा।
सॉरोपॉड डायनासोर के जीवाश्म
- भारतीय भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI) के शोधकर्त्ताओं ने मेघालय के पश्चिम खासी हिल्स ज़िले के आसपास के इलाके से लगभग 100 मिलियन वर्ष पुराने सॉरोपॉड डायनासोर के जीवाश्म हड्डी के टुकड़ों की पहचान की है। शोधकर्त्ताओं के मुताबिक, यह इस क्षेत्र में खोजा गया संभावित टाइटनोसॉरियन मूल के सॉरोपॉड डायनासोर का पहला रिकॉर्ड है। सॉरोपॉड के पास बहुत लंबी गर्दन, लंबी पूंछ, शरीर के बाकी हिस्सों के सापेक्ष छोटे सर और चार मोटे स्तंभ जैसे पैर थे। इन्हें अपने विशाल शरीर के लिये जाना जाता है और ये पृथ्वी पर अब तक मौजूद सबसे बड़े और विशाल जानवरों में से एक हैं। गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और तमिलनाडु के बाद मेघालय टाइटनोसॉरियन से संबंधित सॉरोपॉड के अवशेषों को रिकॉर्ड करने वाला भारत का पाँचवा और पूर्वोत्तर का पहला राज्य बन गया है। टाइटनोसॉरियन, सॉरोपॉड डायनासोर का एक विविध समूह था, जिसमें अफ्रीका, एशिया, दक्षिण अमेरिका, उत्तरी अमेरिका, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया और अंटार्कटिका में पाए जाने वाले सॉरोपॉड शामिल थे।
विश्व अस्थमा दिवस
- प्रतिवर्ष मई माह के पहले मंगलवार को ‘विश्व अस्थमा दिवस’ (World Asthma Day) का आयोजन किया जाता है। इस वर्ष विश्व अस्थमा दिवस 04 मई, 2020 को मनाया गया। इस दिवस के आयोजन का प्राथमिक उद्देश्य विश्व भर में अस्थमा की बीमारी एवं पीड़ितों की देखभाल के बारे में जागरूकता फैलाना है। इस वर्ष विश्व अस्थमा दिवस का थीम ‘अनकवरिंग अस्थमा मिसकंसेप्शन’ है, जिसका उद्देश्य अस्थमा की जटिलताओं से जुड़ी भ्रांतियों को दूर करना है। इस दिवस को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के सहयोग से वर्ष 1993 में ‘ग्लोबल इनिशिएटिव फॉर अस्थमा’ (GINA) द्वारा शुरू किया गया था। अस्थमा फेफड़ों का एक चिरकालिक रोग है, जिसके कारण रोगी को सांस लेने में समस्या होती है। यह गैर-संचारी रोगों में से एक है। इस बीमारी के दौरान श्वसन मार्ग में सूजन से सीने में जकड़न, खांसी, सांस लेने में तकलीफ जैसी स्थिति उत्पन्न होती है। ये लक्षण आवृत्ति एवं गंभीरता में भिन्न होते हैं। जब लक्षण नियंत्रण में नहीं होते हैं तो साँस लेना मुश्किल हो सकता है। वर्तमान में यह बीमारी बच्चों में सबसे अधिक देखने को मिलती है। यद्यपि अस्थमा को ठीक नहीं किया जा सकता है, किंतु अगर सही समय पर सही इलाज के साथ इसका प्रबंधन किया जाए तो इसे नियंत्रित किया जा सकता है।
उत्तरी सिक्किम में सेना का सौर ऊर्जा संयंत्र
- भारतीय सेना ने हाल ही में तकरीबन 16000 फीट की ऊँचाई पर उत्तरी सिक्किम में वैनेडियम आधारित बैटरी तकनीक का उपयोग करते हुए 56 KVA के पहले हरित सौर ऊर्जा संयंत्र का उद्घाटन किया है। इस संयंत्र का उद्देश्य सैन्य दलों की दैनिक ज़रूरतों के लिये आवश्यक ऊर्जा के रूप में नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देना है। भारतीय सेना द्वारा इस परियोजना को भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान-मुंबई (IIT-M) के सहयोग से पूरा किया गया है। यह परियोजना दुर्गम स्थानों पर सैनिकों को अत्यधिक लाभान्वित करेगी और पर्यावरण के अनुकूल भी होगी। यह परियोजना वैनेडियम बैटरी पर आधारित है। वैनेडियम एक रासायनिक तत्त्व है जिसका प्रतीक (V) है। यह एक दुर्लभ तत्त्व है, जो अपनी प्रकृति में कठोर, सिल्की ग्रे, मुलायम और लचीली संक्रमणीय धातु है।
भारतीय सेना का कोविड प्रबंधन प्रकोष्ठ
- देश भर में कोविड-19 संक्रमण संबंधी मामलों में हो रही वृद्धि के मद्देनज़र भारतीय सेना ने सभी कोविड-संबंधी सहायता कार्यों के लिये संबंधित नागरिक अधिकारियों के साथ समन्वय करने हेतु ‘कोविड प्रबंधन प्रकोष्ठ’ का गठन किया है। यह प्रकोष्ठ महानिदेशक स्तर (थ्री-स्टार रैंक) के अधिकारी के तहत काम करेगा, जो प्रत्यक्ष तौर पर सेना उपाध्य क्ष को रिपोर्ट करेंगे। ज्ञात हो कि महामारी की दूसरी लहर के दौरान, सशस्त्र बल राहत प्रयासों में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। ऐसे में सेना के अधिकारियों और नागरिक प्राधिकरण के बीच उचित समन्वय स्थापित करने के लिये एक तंत्र गठित किया जाना आवश्यक है। साथ ही इससे दिल्लीन सहित देश भर में कोविड मरीजों की संख्या में असाधारण वृद्धि की समस्या से निपटने में अधिक दक्ष ता के साथ सहयोग किया जा सकेगा। देश भर में रक्षा मंत्रालय द्वारा संचालित विभिन्न कोविड सुविधाओं पर डॉक्टरों, नर्सिंग स्टाफ और पैरामेडिकल सहित सशस्त्र बलों के 500 से अधिक चिकित्सा कर्मियों को तैनात किया गया है।
सामाजिक सुरक्षा संहिता (2020) की धारा 142
- केंद्रीय श्रम एवं रोज़गार मंत्रालय ने आधार की प्रासंगिकता को कवर करने वाली सामाजिक सुरक्षा संहिता (2020) की धारा-142 को अधिसूचित किया है। इस धारा की अधिसूचना जारी होने से श्रम एवं रोज़गार मंत्रालय विभिन्न सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के अंतर्गत अपने डेटाबेस के लिये लाभार्थियों के आधार का विवरण प्राप्त करने में सक्षम होगा।
- राष्ट्रीय सूचना केंद्र द्वारा ‘नेशनल डेटाबेस फॉर अन-ऑर्गनाइज़्ड वर्कर्स’ (NDUW) को विकसित किया जा रहा है, जो कि अभी एडवांस स्टेज में है। इस पोर्टल का उद्देश्य प्रवासी मज़दूरों सहित असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों का डेटा एकत्रित करना है, ताकि सरकार की विभिन्न योजनाओं का लाभ इन श्रमिकों तक पहुँचाया जा सके।
- अंतरराज्यीय प्रवासी मज़दूर केवल आधार कार्ड के विवरण के माध्यम से स्वयं को इस पोर्टल पर पंजीकृत कर सकते हैं। हालिया अधिसूचना के माध्यम से सामाजिक सुरक्षा संहिता के लाभार्थियों से आधार संख्या मांगी जाएगी, हालाँकि आधार संबंधी यह अनिवार्यता सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के तहत सेवाओं के वितरण में बाधा उत्पन्न नहीं करेगी और आधार प्रस्तुत न कर पाने की स्थिति मंक पात्र लाभार्थियों के लिये सेवाओं से इनकार नहीं किया जाएगा।
भारत-ब्रिटेन प्रवासी समझौता
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने प्रवास और आवागमन के मद्देनज़र भारत और यूनाइटेड किंगडम के बीच समझौता-ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने को मंज़ूरी दे दी है। समझौता-ज्ञापन का उद्देश्य वीज़ा प्रक्रिया को उदार बनाना है, ताकि छात्रों, शोधकर्त्ताओं और कुशल पेशेवरों का आवागमन आसान हो तथा दोनों तरफ अनियमित प्रवास एवं मानव तस्करी संबंधी मुद्दों पर सहयोग को मज़बूत किया जा सके।
- समझौता-ज्ञापन से भारतीय छात्रों, अकैडमिशियनों एवं शोधकर्त्ताओं, पेशेवरों तथा आर्थिक कारणों से प्रवास करने वाले लोगों को लाभ मिलेगा। यह समझौता-ज्ञापन प्रतिभाओं के निर्बाध आवागमन से दोनों देशों के बीच नवाचार संबंधी इको-सिस्टम को विकसित करने में भी मदद करेगा।
- इस नए प्रवासन संबंधी समझौते से दोनों देशों (भारत और ब्रिटेन) के युवाओं और पेशेवरों को एक दूसरे के देश में रहने तथा काम करने का अवसर प्राप्त होगा, जिससे भारतीय नागरिकों के लिये कार्य वीज़ा को बढ़ावा मिलेगा और दोनों देशों के बीच प्रवास सहयोग में वृद्धि होगी। इस समझौते के माध्यम से भारत और ब्रिटेन में 18 से 30 वर्ष की आयु के हज़ारों लोगों को दो वर्ष तक एक-दूसरे के देश में काम करने तथा रहने की अनुमति मिलेगी।
सीमा सड़क संगठन
- 07 मई, 2021 को सीमा सड़क संगठन (BRO) द्वारा अपना 61वाँ स्थापना दिवस मनाया जा रहा है। सीमा सड़क संगठन (BRO) की स्थापना 7 मई, 1960 को हुई थी और यह रक्षा मंत्रालय के तहत एक प्रमुख सड़क निर्माण संस्था के रूप में कार्य करता है। ध्यातव्य है कि यह संगठन सीमावर्ती क्षेत्रों में सड़क कनेक्टिविटी प्रदान करने में अग्रिणी भूमिका अदा कर रहा है। यह पूर्वी और पश्चिमी सीमा क्षेत्रों में सड़क निर्माण तथा इसके रख-रखाव का कार्य करता है ताकि सेना की रणनीतिक आवश्यकताएँ पूरी की जाएँ। आज़ादी के पश्चात् के शुरूआती वर्षों में भारत के समक्ष लगभग 15000 किलोमीटर लंबी सीमा रेखा की सुरक्षा तथा अपर्याप्त सड़क साधन वाले उत्तर व उत्तर-पूर्व के आर्थिक रूप से पिछड़े सुदूरवर्ती इलाके को भविष्य में उन्नत व विकसित करने का दायित्त्व था और BRO इस दायित्त्व को पूरा करने के लिये काफी तेज़ी से कार्य कर रहा है। इसके अलावा सीमा सड़क संगठन ने भूटान, म्याँमार, अफगानिस्तान आदि मित्र देशों में भी सड़कों का निर्माण किया है।
रवींद्रनाथ टैगोर
- 07 मई, 2021 को देशभर में विश्व प्रसिद्ध कवि, साहित्यकार और दार्शनिक रवींद्रनाथ टैगोर की 160वीं जयंती मनाई गई। रवींद्रनाथ टैगोर का जन्म 07 मई, 1861 को ब्रिटिश भारत में बंगाल प्रेसीडेंसी के कलकत्ता (अब कोलकाता) को हुआ था। उनके बचपन का नाम रोबिंद्रोनाथ ठाकुर था। बहुमुखी प्रतिभा के धनी रवींद्रनाथ टैगोर ने बंगाली साहित्य और संगीत को काफी महत्त्वपूर्ण रूप से प्रभावित किया। इसके अलावा उन्होंने 19वीं सदी के अंत एवं 20वीं शताब्दी की शुरुआत में प्रासंगिक आधुनिकतावाद के साथ भारतीय कला का पुनरुत्थान किया। रवींद्रनाथ टैगोर एक नीतिज्ञ, कवि, संगीतकार, कलाकार एवं आयुर्वेद-शोधकर्त्ता भी थे। उन्होंने मात्र 8 वर्ष की आयु में ही कविता लिखना शुरू कर दिया था और 16 वर्ष की आयु में उनका पहला कविता संग्रह प्रकाशित किया था। रवींद्रनाथ टैगोर का मानना था कि उचित शिक्षा तथ्यों की व्याख्या नहीं करती है, बल्कि जिज्ञासा को बढ़ाती है। रवींद्रनाथ टैगोर को उनकी काव्यरचना ‘गीतांजलि’ के लिये वर्ष 1913 में साहित्य के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार दिया गया था और इस तरह वह नोबेल पुरस्कार जीतने वाले पहले गैर-यूरोपीय थे। ‘गीतांजलि’ को मूल रूप से बंगाली भाषा में लिखा गया था और बाद में इसका अंग्रेज़ी में अनुवाद किया गया। भारतीय राष्ट्रगान (जन गण मन) के बांग्लादेश का राष्ट्रगान (आमार सोनार बांग्ला) भी उनके द्वारा ही रचित है। श्रीलंका के राष्ट्रगान को भी उनकी रचनाओं से प्रेरित माना जाता है। ज्ञात हो कि रवींद्रनाथ टैगोर ने ही महात्मा गांधी को ‘महात्मा’ की उपाधि दी थी।
विश्व रेड क्रॉस दिवस
- प्रत्येक वर्ष 08 मई को विश्व भर में ‘विश्व रेड क्रॉस दिवस’ मनाया जाता है। यह दिवस, अंतर्राष्ट्रीय रेड क्रॉस और रेड क्रीसेंट आंदोलन के सिद्धांतों को रेखांकित करता है। यह दिवस आम जनमानस को मानवीय सहायता उपलब्ध कराने के कार्यों में संलग्न विश्व की सबसे एजेंसी (रेड क्रॉस) और समाज में उसके योगदान को जानने का अवसर प्रदान करता है। इस वर्ष विश्व रेड क्रॉस दिवस की थीम ‘अनस्टॉपेबल’ है। ‘रेड क्रॉस’ एक ऐसी अंतर्राष्ट्रीय संस्था है, जो बिना किसी भेदभाव के युद्ध, महामारी एवं प्राकृतिक आपदा की स्थिति में लोगों की रक्षा करती है। इस संस्था का मुख्य उद्देश्य विपरीत परिस्थितियों में लोगों के जीवन की रक्षा करना है। विश्व रेड क्रॉस दिवस, रेड क्रॉस के जनक ‘जीन हेनरी ड्यूनैंट’ के जन्मदिवस को चिह्नित करता है, जिनका जन्म 8 मई, 1828 को जिनेवा (स्विट्ज़रलैंड) में हुआ था। ‘जीन हेनरी ड्यूनैंट’ को वर्ष 1901 में पहला नोबेल शांति पुरस्कार प्रदान किया गया था। ‘इंटरनेशनल कमेटी ऑफ द रेड क्रॉस’ (ICRC) की स्थापना जीन हेनरी ड्यूनैंट द्वारा वर्ष 1863 में की गई थी। भारत में ‘इंडियन रेडक्रॉस सोसाइटी’ का गठन वर्ष 1920 में हुआ था।
विश्व थैलेसीमिया दिवस
- दुनिया भर में 08 मई को ‘विश्व थैलेसीमिया दिवस’ का आयोजन किया जाता है। इस दिवस के आयोजन का प्राथमिक लक्ष्य थैलेसीमिया जैसे गंभीर आनुवंशिक विकार और इससे पीड़ित रोगियों के संघर्ष के संबंध में जागरूकता बढ़ाना है। साथ ही यह दिवस पीड़ितों के जीवन को बेहतर बनाने के लिये समर्पित डॉक्टरों और अन्य चिकित्सा कर्मियों तथा इस रोग के उन्मूलन की दिशा में कार्य कर रहे वैज्ञानिकों का भी सम्मान करता है। विश्व थैलेसीमिया दिवस (08 मई) की शुरुआत वर्ष 1994 में थैलेसीमिया इंटरनेशनल फेडरेशन द्वारा की गई थी। थैलेसीमिया एक आनुवंशिक रक्त विकार है, जो कि माता-पिता से बच्चों तक पीढ़ी-दर-पीढ़ी हस्तांतरित होता है। इस स्थायी रक्त विकार के कारण रोगी के लाल रक्त कणों (RBC) में पर्याप्त हीमोग्लोबिन नहीं बन पाता है। इसके कारण एनीमिया हो जाता है और रोगियों को जीवित रहने के लिये हर दो से तीन सप्ताह बाद रक्त चढ़ाने की आवश्यकता होती है। रोग की गंभीरता जीन में शामिल उत्परिवर्तन और उनकी अंतःक्रिया पर निर्भर करती है।
‘स्टारशिप’ अंतरिक्ष यान
- अमेरिका की निजी अंतरिक्ष एजेंसी ‘स्पेसएक्स’ (SpaceX) ने अपने प्रोटोटाइप ‘स्टारशिप’ रॉकेट को सफलतापूर्वक लैंड करवाने में में कामयाबी हासिल कर ली है। ‘स्पेसएक्स’ को अपने पाँचवें प्रयास में यह सफलता हासिल हुई है। ‘स्पेसएक्स’ द्वारा डिज़ाइन किया गया ‘स्टारशिप’ एक अंतरिक्ष यान और अत्यधिक भारी बूस्टर रॉकेट है, जिसका प्राथमिक कार्य पृथ्वी की ऑर्बिट, चंद्रमा और मंगल ग्रह पर चालक दल और कार्गो के लिये पूरी तरह से पुन: प्रयोज्य परिवहन प्रणाली के रूप में कार्य करना है। इस अंतरिक्ष यान में 100 मीट्रिक टन से अधिक कार्गो को पृथ्वी के ऑर्बिट में पहुँचाने की क्षमता है। ‘स्टारशिप’ का विकास वर्ष 2012 से ही किया जा रहा है और यह अंतरिक्ष अन्वेषण एवं अंतरिक्ष यात्राओं को सुलभ तथा सस्ता बनाने के लिये ‘स्पेसएक्स’ के केंद्रीय मिशन का एक हिस्सा है। आने वाले समय में स्टारशिप प्रणाली ‘स्पेसएक्स’ की आंशिक रूप से पुन: प्रयोज्य फाल्कन रॉकेट प्रणाली का स्थान ले लेगी।
आईडी-आर्ट’ एप्लीकेशन
- अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक पुलिस संगठन यानी इंटरपोल ने एक ‘आईडी-आर्ट’ नाम से एक मोबाइल फोन एप्लीकेशन (एप) लॉन्च की है, जो चोरी हुई सांस्कृतिक संपत्ति की पहचान करने, तस्करी को कम करने और चुराई हुई कलाकृतियों की पुनर्प्राप्ति की संभावना को बढ़ाने में मदद करेगा। इंटरपोल का यह एप उपयोगकर्त्ताओं को चोरी हुईं कलाकृतियों से संबंधित इंटरपोल के डेटाबेस तक पहुँच प्राप्त करने, निजी कला संग्रहों की एक सूची बनाने और उन सांस्कृतिक साइटों की रिपोर्ट करने, जिन पर संभावित जोखिम है आदि में सक्षम बनाता है। यह एप विभिन्न देशों की कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ-साथ आम जनता द्वारा भी प्रयोग किया जा सकता है। ज्ञात हो कि हाल के कुछ वर्षों में ऐसी तमाम सशस्त्र संघर्ष और संगठित लूटपाट की घटनाएँ दर्ज की गई हैं, जिसके कारण विभिन्न देशों की सांस्कृतिक विरासतें गंभीर रूप से प्रभावित हो रही हैं। इस तरह यह नया एप पुलिस अधिकारियों, सांस्कृतिक विरासत पेशेवरों और आम जनमानस को सांस्कृतिक संरक्षण की दिशा में क्षमता बनाने हेतु एक महत्त्वपूर्ण कदम है। विरासत स्थलों की स्थिति के प्रलेखन के अलावा यह एप भौगोलिक स्थिति को रिकॉर्ड करने को भी सक्षम बनाता है। इस एप्लीकेशन के माध्यम से अब तक इटली और नीदरलैंड में कुल चार कलाकृतियों को बरामद किया गया है।
सीनोफार्म वैक्सीन
- हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चीन में निर्मित सीनोफार्म कोविड-19 वैक्सीन को आपातकालीन उपयोग के लिये सूचीबद्ध किया है, जिसका अर्थ है कि अब इस वैक्सीन का प्रयोग दुनिया भर में टीकाकरण अभियानों में किया जा सकता है। इस वैक्सीन का उत्पादन बीजिंग बायो-इंस्टीट्यूट ऑफ बायोलॉजिकल प्रोडक्ट्स कंपनी लिमिटेड द्वारा किया जाता है, जो कि चाइना नेशनल बायोटेक ग्रुप (CNBG) की एक अनुषंगी कंपनी है। विदित हो कि सीनोफार्म, विश्व स्वास्थ्य संगठन का समर्थन प्राप्त करने वाली पहली गैर-पश्चिमी वैक्सीन है और इसका प्रयोग संभवतः कोवैक्स (COVAX) कार्यक्रम के लिये किया जाएगा, जिसके तहत निम्न और मध्यम आय वाले देशों में टीकों की आपूर्ति की जाती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, चीन द्वारा निर्मित यह वैक्सीन सभी आयु वर्गों के लिये लगभग 79 प्रतिशत तक प्रभावी है। सीनोफार्म वैक्सीन, भारत बायोटेक इंडिया द्वारा विकसित कोवैक्सिन की तरह ही एक निष्क्रिय कोरोना वायरस वैक्सीन है। निष्क्रिय वैक्सीन में उस विशिष्ट रोग से संबंधित वायरस (कोविड-19 के मामले में SARS-CoV-2) का प्रयोग किया जाता है और उसे ऊष्मा, रसायन या विकिरण का उपयोग कर निष्क्रिय कर दिया जाता है। फ्लू और पोलियो के टीके को भी इसी विधि से निर्मित किया जाता है।
माउंट सिनाबंग ज्वालामुखी
- हाल ही में इंडोनेशिया के सक्रीय ज्वालामुखी ‘माउंट सिनाबंग’ में विस्फोट हुआ है। यह ज्वालामुखी वर्ष 2010 में तब सक्रिय हुआ था, जब लगभग 400 वर्षों की निष्क्रियता के बाद इसमें पहली बार विस्फोट हुआ था। सिनाबंग ज्वालामुखी उत्तरी सुमात्रा प्रांत के कारो ज़िले में स्थित है। इसकी ऊँचाई 2,475 मीटर है। यह दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के प्रमुख जागृत ज्वालामुखियों में से एक है। जागृत ज्वालामुखी लंबा एवं शंक्वाकार होता है, जो कठोर लावा और टेफ्रा की पर्तों से मिलकर बना होता है। इंडोनेशिया में ऐसी ज्वालामुखी घटनाएँ काफी सामान्य हैं, क्योंकि यह देश प्रशांत महासागर के ‘रिंग ऑफ फायर’ पर स्थित है जहाँ पर विवर्तनिक प्लेटों के आपस में टकराने के फलस्वरूप भूकंपीय और ज्वालामुखी घटनाएँ अक्सर देखी जाती हैं। ‘रिंग ऑफ फायर’ में विश्व के लगभग 75 प्रतिशत ज्वालामुखी मौजूद हैं और लगभग 90 प्रतिशत भूकंप भी इसी क्षेत्र में दर्ज किये जाते हैं। ज्वालामुखी मूल रूप से तीन प्रकार के होते हैं - सक्रिय, निष्क्रिय या विलुप्त। एक विस्फोट तब होता है जब ‘मैग्मा’, जो कि पृथ्वी के मेंटल के पिघलने पर बनता है, पृथ्वी की सतह पर आ जाता है। सतह पर आ जानेके बाद इसे ‘लावा’ कहते हैं।
वी. कल्याणम
- महात्मा गांधी के पूर्व निजी सचिव वी. कल्याणम का हाल ही में 99 वर्ष की आयु में चेन्नई में निधन हो गया है। वी. कल्याणम वर्ष 1943 से वर्ष 1948 तक महात्मा गांधी की मृत्यु तक उनके निजी सचिव थे। ज्ञात हो कि 30 जनवरी, 1948 को नई दिल्ली में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या के दौरान वी. कल्याणम महात्मा गांधी के साथ ही थे। वी. कल्याणम का जन्म 15 अगस्त, 1922 को शिमला में हुआ था। गांधी के निधन के बाद कल्याणम ने पंडित नेहरू, एडविना माउंटबेटन और रेड क्रॉस आदि के साथ भी कार्य किया, इसके अलावा वे एक सद्भावना मिशन पर चीन भी गए।
राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस
- विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारतीयों की उपलब्धियों और योगदान को मान्यता देने के लिये प्रतिवर्ष 11 मई को राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस का आयोजन किया जाता है। 11 मई, 1998 को भारत ने ‘ऑपरेशन शक्ति’ के तहत राजस्थान में भारतीय सेना के पोखरण टेस्ट रेंज में तीन सफल परमाणु परीक्षण किये थे। यह मिशन भारतीय सेना द्वारा रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO), भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (BARC), परमाणु खनिज निदेशालय अन्वेषण एवं अनुसंधान (AMDER) निदेशालय के वैज्ञानिकों के सहयोग से किया गया था। इन परीक्षणों का नेतृत्त्व दिवंगत राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम द्वारा किया गया था। 11 मई, 1999 को पहली बार राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस मनाया गया था। इन परीक्षणों ने भारत को ‘थर्मोन्यूक्लियर हथियार’ और ‘परमाणु विखंडन बम’ बनाने में सक्षम बनाया था। इन परमाणु परीक्षणों के साथ-साथ आज ही के दिन (11 मई) भारत ने अपने पहले स्वदेशी विमान ‘हंसा-3’ का भी परीक्षण किया था, जिसे राष्ट्रीय एयरोस्पेस प्रयोगशाला द्वारा डिज़ाइन किया गया था और इसने कर्नाटक के बंंगलूरू में उड़ान भरी थी। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने भारत की सतह-से-हवा में मार करने वाली ‘त्रिशूल मिसाइल’ का भी सफलतापूर्वक परीक्षण करके इसे भारतीय सेना के बेड़े में शामिल किया था। राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस 2021 की थीम ‘सतत् भविष्य के लिये विज्ञान और प्रौद्योगिकी’ है।
‘टू-डीऑक्सी-डी-ग्लूकोज़’ ड्रग
- ‘ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया’ (DGCI) ने हाल ही में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित एक एंटी-कोविड ड्रग को मंज़ूरी दे दी है, जो कि कोरोना वायरस से संक्रमित गंभीर रोगियों के लिये एक आपातकालीन समय में सहायक चिकित्सा थेरेपी के रूप में प्रयोग की जा सकेगी। ‘टू-डीऑक्सी-डी-ग्लूकोज़’ (2-DG) ड्रग के नैदानिक परीक्षणों से प्राप्त सूचना के मुताबिक, यह दवा अस्पताल में भर्ती रोगियों की तीव्र रिकवरी में मदद करती है और ऑक्सीजन पर निर्भरता को कम करती है। दवा को मंज़ूरी ऐसे समय में मिली है जब भारत कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर के साथ जूझ रहा है, जिसने देश के स्वास्थ्य ढाँचे की सीमाओं को उजागर किया है। इस एंटी-कोविड ड्रग को ‘नाभिकीय औषधि तथा संबद्ध विज्ञान संस्थान’ द्वारा विकसित किया गया है, जो कि रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) की एक प्रमुख प्रयोगशाला है। सहायक चिकित्सा थेरेपी एक ऐसी उपचार पद्धति है, जिसका उपयोग प्राथमिक उपचार के साथ किया जाता है। यह ड्रग, वायरस संक्रमित कोशिकाओं में जमा हो जाता है और वायरल संश्लेषण तथा ऊर्जा उत्पादन को रोककर वायरस के विकास को रोकता है और उसे निष्क्रिय कर देता है।
विश्व प्रवासी पक्षी दिवस
- इस वर्ष 08 मई को विश्व भर में ‘विश्व प्रवासी पक्षी दिवस’ (WMBD) का आयोजन किया गया। विश्व प्रवासी पक्षी दिवस (WMBD) एक वार्षिक जागरूकता अभियान है, जिसका उद्देश्य प्रवासी पक्षियों और उनके आवासों के संरक्षण की आवश्यकता पर प्रकाश डालना है। इस आयोजन के तहत प्रवासी पक्षियों, उनके पारिस्थितिक महत्त्व, उनके समक्ष मौज़ूद चुनौतियों और उनके संरक्षण के लिये अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता के संबंध में वैश्विक जागरूकता बढ़ाने में मदद की जाती है। इसे संयुक्त राष्ट्र की दो संधियों ‘वन्यजीवों की प्रवासी प्रजातियों के संरक्षण पर सम्मेलन’ एवं ‘अफ्रीकन-यूरेशियन वॉटरबर्ड एग्रीमेंट’ (AEWA) और एक गैर-लाभकारी संगठन (एनवायरमेंट फॉर द अमेरिका) के बीच एक सहयोगात्मक संयुक्त रूप से मनाया जाता है। पहली बार ‘विश्व प्रवासी पक्षी दिवस’ को वर्ष 2006 में मनाया गया था। यह दिवस वर्ष में दो बार (मई एवं अक्तूबर महीने के दूसरे शनिवार को) मनाया जाता है। इस वर्ष प्रवासी पक्षी दिवस का थीम ‘सिंग, फ्लाई, सोर - लाइक ए बर्ड’ है। पक्षियों के बीच कई अलग-अलग प्रवासन पैटर्न देखे जाते हैं। अधिकांश पक्षी उत्तरी प्रजनन क्षेत्रों से दक्षिणी सर्दियों के मैदानों की ओर पलायन करते हैं। हालाँकि, कुछ पक्षी अफ्रीका के दक्षिणी हिस्सों में प्रजनन करते हैं और सर्दियों में उत्तरी मैदान या क्षैतिज रूप से पलायन करते हैं।
मनोज दास अंतर्राष्ट्रीय साहित्य पुरस्कार
- हाल ही में ओडिशा सरकार ने राज्य के प्रख्यात साहित्यकार मनोज दास की स्मृति में 'मनोज दास अंतर्राष्ट्रीय साहित्य पुरस्कार' प्रदान करने की घोषणा की है। यह पुरस्कार प्रतिवर्ष अंग्रेज़ी साहित्य में रचनात्मक योगदान देने वाले ओडिशा के साहित्यकारों को प्रदान किया जाएगा। इसके तहत पुरस्कार के तौर पर 10 लाख रुपए का नकद इनाम दिया जाएगा। ओडिशा के प्रख्यात शिक्षाविद और जाने-माने द्विभाषी साहित्यकार मनोज दास का हाल ही में 87 वर्ष की आयु में निधन हो गया था। वर्ष 1934 में ओडिशा में जन्में मनोज दास ने ओडिया और अंग्रेज़ी दोनों ही भाषाओं में महत्त्वपूर्ण साहित्यिक रचनाएँ कीं। मनोज दास को साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान के लिये वर्ष 2001 में पद्मश्री और वर्ष 2020 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा राज्य सरकार ने हाई स्कूल के छात्रों को उनके रचनात्मक कार्यों हेतु ‘मनोज-किशोर साहित्य प्रतिभा पुरस्कार’ प्रदान करने की भी घोषणा की है, ताकि ओडिया और अंग्रेज़ी साहित्य दोनों में युवाओं के बीच रुचि विकसित की जा सके।
सआदत हसन मंटो
- 11 मई, 2021 को प्रसिद्ध साहित्यकार सआदत हसन मंटो की 109वीं जयंती मनाई गई। सआदत हसन मंटो को सबसे अधिक पढ़ा जाने वाला और उर्दू में सबसे विवादास्पद लघु कथाकार माना जाता है। 11 मई, 1912 को पंजाब के लुधियाना ज़िले के समबरला में एक कश्मीरी परिवार में जन्मे मंटो ने लघु कहानियों के बाईस संग्रह, एक उपन्यास, रेडियो नाटक के पाँच संग्रह और फिल्मों के लिये कई स्क्रिप्ट लिखीं। मंटो ने अपनी कहानियों और रचनाओं के माध्यम से विभाजन और उसके दर्द को लिखा। अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद वर्ष 1935 में मंटो बॉम्बे चले गए और वहाँ उन्होंने साप्ताहिक पत्रिका ‘पारस’ में काम किया। उनके उपन्यासों और रचनाओं ने साहित्य जगत में उथल-पुथल मचा दिया और इसी कारण उन्हें अश्लील साहित्यकार भी कहा गया। इसी वजह से उन पर कई बार मुकदमे चलाए गए और पाकिस्तान में उन्हें 3 महीने के कारावास और 300 रुपए का जुर्माना भी देना पड़ा। बाद में उन्हें पाकिस्तान के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार 'निशान-ए-इम्तियाज़' से भी सम्मानित किया गया। 18 जनवरी, 1955 को पाकिस्तान में मंटो का निधन हो गया।
अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस
- विश्व भर में 12 मई को ‘अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस’ मनाया जाता है। इस दिवस का आयोजन मुख्य रूप से आधुनिक नर्सिंग की जनक ‘फ्लोरेंस नाइटिंगेल’ (Florence Nightingale) की याद में किया जाता है। अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस समाज के प्रति नर्सों के योगदान को चिह्नित करता है। अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस 2020 की थीम 'नर्स: ए वॉयस टू लीड- ए विज़न फॉर फ्यूचर हेल्थकेयर’ है। इस दिवस को सर्वप्रथम वर्ष 1965 में ‘इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ नर्स’ (ICN) द्वारा मनाया गया था, किंतु जनवरी 1974 से यह दिवस 12 मई को फ्लोरेंस नाइटिंगेल की जयंती पर मनाया जाने लगा। वे एक ब्रिटिश नागरिक थीं, जिन्हें युद्ध में घायल व बीमार सैनिकों की सेवा के लिये जाना जाता है। फ्लोरेंस नाइटिंगेल ने 1850 के दशक के क्रीमियन युद्ध में दूसरी नर्सों को प्रशिक्षण दिया तथा उनके प्रबंधक के रूप में भी कार्य किया। उन्हें ‘लेडी विद द लैंप’ कहा जाता है। उनके विचारों तथा सुधारों से आधुनिक स्वास्थ्य प्रणाली काफी प्रभावित हुई है। फ्लोरेंस नाइटिंगेल ने ही सांख्यिकी के माध्यम से यह सिद्ध किया कि किस प्रकार स्वास्थ्य से किसी भी महामारी के प्रभाव को कम किया जा सकता है। संपूर्ण विश्व जब कोरोनावायरस (COVID-19) महामारी का सामना कर रहा है, तो ऐसे में नर्सों की भूमिका काफी महत्त्वपूर्ण हो गई है।
असम में ऑनलाइन बाढ़ रिपोर्टिंग प्रणाली
- असम में हाल ही में एक ऑनलाइन बाढ़ रिपोर्टिंग और सूचना प्रबंधन प्रणाली का शुभारंभ किया गया है। असम राज्य आपदा प्रबंधन संस्थान और यूनिसेफ द्वारा संयुक्त रूप से विकसित यह ऑनलाइन प्रणाली मौज़ूदा असम में बाढ़ नियंत्रण तंत्र का स्थान लेगी। ज्ञात हो कि असम की मौज़ूदा बाढ़ रिपोर्टिंग प्रणाली में मैनुअल सत्यापन और गुणवत्ता नियंत्रण प्रणाली शामिल हैं, जिसके कारण इसमें काफी समय लगता है, जबकि नई बाढ़ रिपोर्टिंग प्रणाली दैनिक आधार पर बाढ़ रिपोर्टिंग करेगी। वेब-कम-मोबाइल एप्लिकेशन तकनीक से चालित यह नई प्रणाली बाढ़ प्रभावित लोगों को राहत और पुनर्वास अनुदान प्रदान करने में भी मददगार साबित होगी। साथ ही इससे फसलों और पशुधन के नुकसान की स्थिति की भी जाँच की जा सकेगी। इस प्रकार की प्रणाली राज्य में आपदा जोखिम न्यूनीकरण हस्तक्षेप के प्रभाव को मापने में काफी मददगार साबित होगी।
जोस जे. कट्टूर
- हाल ही में जोस जे. कट्टूर को भारतीय रिज़र्व बैंक का कार्यकारी निदेशक (ED) नियुक्त किया गया है। कार्यकारी निदेशक के रूप में पदोन्नत होने से पहले, जोस जे. कट्टूर कर्नाटक के क्षेत्रीय निदेशक के रूप में रिज़र्व बैंक के बंंगलूरू क्षेत्रीय कार्यालय प्रमुख के रूप में कार्य कर रहे थे। जोस कट्टूर, बीते लगभग तीन दशकों से भारतीय रिज़र्व बैंक के साथ जुड़े हुए हैं और अपने इस लंबे अनुभव में उन्होंने केंद्रीय बैंक में संचार, मानव संसाधन प्रबंधन, वित्तीय समावेशन, पर्यवेक्षण, मुद्रा प्रबंधन और अन्य क्षेत्रों में काम किया है। कार्यकारी निदेशक के रूप में जोस कट्टूर मानव संसाधन प्रबंधन विभाग, कॉर्पोरेट रणनीति तथा बजट विभाग और राजभाषा विभाग का नेतृत्त्व करेंगे।
सिंधु दर्शन महोत्सव
- केंद्रशासित क्षेत्र लद्दाख में 19 जून, 2021 से ‘सिंधु दर्शन महोत्सव’ का आयोजन किया जाना है। लेह शहर से लगभग 8 किलोमीटर दूर ‘शेह मनाला’ में सिंधु नदी के तट पर आयोजित होने वाले ‘सिंधु दर्शन महोत्सव’ में प्रतिवर्ष देश भर से सैकड़ों पर्यटक शामिल होते हैं। इस समारोह के दौरान भारत भर के कलाकारों द्वारा संगीत कार्यक्रमों, नृत्य प्रदर्शन और कला प्रदर्शनियों आदि का आयोजन किया जाता है। साथ ही यह महोत्सव आम जनमानस को सिंधु नदी के बारे में जागरूक करता है और देश की सांप्रदायिक एकता के प्रतीक के रूप में इसके महत्त्व को बढ़ावा देता है। ज्ञात हो कि सिंधु नदी को भारतीय उपमहाद्वीप की सबसे महत्त्वपूर्ण जल प्रणालियों में से एक है। इसे विश्व की सबसे लंबी नदियों में से एक माना जाता है और इसके कुल बहाव क्षेत्र का अधिकांश हिस्सा भारत और पाकिस्तान में है। सिंधु नदी तंत्र में मुख्यतः 6 नदियाँ- सिंधु, झेलम, चिनाब, रावी, ब्यास और सतलज शामिल हैं। सिंधु नदी का अपनी सहायक नदियों- चिनाब, झेलम, सतलज, रावी और ब्यास के साथ संगम पाकिस्तान में होता है। भारत और पाकिस्तान में नदी किनारे रहने वाले अधिकांश लोग अपनी बुनियादी आवश्यकताओं और सिंचाई आदि के लिये इसी नदी तंत्र पर निर्भर हैं।
स्पेस स्टेशन में पहला निजी मिशन
- अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा और निजी अंतरिक्ष कंपनी ‘एक्सिओम स्पेस’ (Axiom Space) ने हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (ISS) में पहले निजी अंतरिक्ष यात्री मिशन हेतु समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं। इस मिशन के वर्ष 2022 तक पूरा होने की उम्मीद है। ‘एक्सिओम मिशन’ 1 (Ax-1) के रूप में नामित इस अंतरिक्ष उड़ान को नासा के फ्लोरिडा स्थित कैनेडी स्पेस सेंटर से लॉन्च किया जाएगा। मिशन में शामिल अंतरिक्ष यात्री को अंतर्राष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (ISS) में कुल आठ दिन बिताने का अवसर मिलेगा। विदित हो कि नासा ने लो-अर्थ ऑर्बिट में एक मज़बूत और प्रतिस्पर्द्धी अर्थव्यवस्था विकसित करने संबंधी अपनी योजना के हिस्से के रूप में अंतर्राष्ट्रीय स्पेस स्टेशन को निजी अंतरिक्ष यात्री मिशन सहित वाणिज्यिक गतिविधियों के लिये खोल दिया है।
बच्चों में कोवैक्सीन का परीक्षण
- ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने भारत बायोटेक को बच्चों में कोवैक्सीन (Covaxin) का परीक्षण करने हेतु मंज़ूरी दे दी है। ‘कोवैक्सीन’ कोरोना वायरस के विरुद्ध भारत के सामूहिक टीकाकरण अभियान में इस्तेमाल होने वाले दो कोविड-19 टीकों में से एक है, जिसे भारत बायोटेक लिमिटेड द्वारा भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के सहयोग से विकसित किया गया है। यह भारत की एकमात्र स्वदेशी कोरोना वैक्सीन है, जिसे रोग पैदा करने वाले जीवित सूक्ष्मजीवों को निष्क्रिय कर विकसित किया जाता है। वर्तमान में कोवैक्सीन को 18 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में उपयोग के लिये अनुमोदित किया गया है। अब भारत बायोटेक द्वारा 2 वर्ष से 18 वर्ष की आयु के बीच ‘कोवैक्सीन’ के नैदानिक परीक्षण आयोजित किये जाएंगे। इस परीक्षण के दौरान इस आयु वर्ग में वैक्सीन से सुरक्षा, इसके प्रतिकूल प्रभावों और उसकी प्रतिरक्षा क्षमता संबंधी पहलुओं का अध्ययन किया जाएगा।
पद्मकुमार माधवन नायर
- पद्मकुमार माधवन नायर को ‘नेशनल एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी लिमिटेड’ (NARCL) के प्रमुख के तौर पर नियुक्त किया गया है। पद्मकुमार नायर वर्तमान में भारतीय स्टेट बैंक के स्ट्रेस्ड एसेट्स रिज़ॉल्यूशन ग्रुप के मुख्य महाप्रबंधक के रूप में कार्यरत हैं। ज्ञात हो कि भारतीय बैंक संघ (IBA) वित्त मंत्रालय और भारतीय रिज़र्व बैंक के परामर्श से ‘नेशनल एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी लिमिटेड’ के गठन की अगुवाई कर रहा है। 500 करोड़ रुपए और उससे अधिक की मूल बकाया राशि वाली दबावग्रस्त परिसंपत्तियों, जिनका समग्र मूल्य तकरीबन 1.50 लाख करोड़ रुपए है, नेशनल एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी लिमिटेड को हस्तांतरित किये जाने की उम्मीद है।
व्हिटली अवार्ड्स-2021
- नगालैंड के लॉन्गलेन्ग ज़िले के पर्यावरणविद् ‘नुक्लू फोम’ का चयन ‘व्हिटली अवार्ड्स-2021’ के लिये किया गया है। यह पुरस्कार ब्रिटेन स्थित ‘व्हिटली फंड फॉर नेचर’ नामक धर्मार्थ संस्थान द्वारा प्रदान किया जाता है। व्हिटली अवार्ड्स का उद्देश्य ज़मीनी स्तर पर कार्यरत वन्यजीव संरक्षणवादियों का समर्थन करना है। इस पुरस्कार के तहत विजेताओं को उनकी पर्यावरण संबंधी परियोजनाओं के लिये 40,000 पाउंड की राशि प्रदान की जाती है। साथ ही यह पुरस्कार विजेताओं को उनके सामने आने वाले विभिन्न पर्यावरणीय मुद्दों पर ध्यान आकर्षित करने के लिये एक अंतर्राष्ट्रीय मंच भी प्रदान करता है। इस पुरस्कार को ‘ग्रीन ऑस्कर’ के नाम से भी जाना जाता है। यह पुरस्कार नगालैंड में प्रतिवर्ष आने वाले ‘अमूर फाल्कन’ पक्षियों को स्थानीय शिकारियों से बचाने के लिये एक नए ‘जैव विविधता शांति गलियारे’ की स्थापना हेतु नुक्लू फोम द्वारा किये गए प्रयासों को मान्यता प्रदान करता है। फोम के इस शांति गलियारे का उद्देश्य पर्यावरण के साथ सामंजस्य स्थापित करते हुए समुदायों, नीति निर्माताओं और वैज्ञानिकों को एक साथ एक मंच पर लाना है। ज्ञात हो कि ‘अमूर फाल्कन’ दुनिया की सबसे लंबी यात्रा करने वाले शिकारी पक्षी हैं, ये सर्दियों की शुरुआत के साथ यात्रा शुरू करते हैं। ये शिकारी पक्षी दक्षिण-पूर्वी साइबेरिया और उत्तरी चीन में प्रजनन करते हैं तथा लाखों की संख्या में मंगोलिया एवं साइबेरिया से भारत और हिंद महासागरीय क्षेत्रों से होते हुए दक्षिण अफ्रीका तक प्रवास करते हैं। नगालैंड को ‘फाल्कन कैपिटल ऑफ द वर्ल्ड’ के रूप में जाना जाता है।
अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस
- विश्व भर में प्रत्येक वर्ष 15 मई को ‘अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस’ (IDF) मनाया जाता है। इस दिवस के आयोजन का प्राथमिक उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के बीच पारिवारिक संबंधों के महत्त्व को उजागर करना है। ज्ञात हो कि परिवार समाज के निर्माण की मूलभूत इकाई है और यह एक व्यक्ति के जीवन में सर्वाधिक महत्त्व रखता है। संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस आम जनमानस के बीच परिवारों से संबंधित मुद्दों के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देने और संबंधों को प्रभावित करने वाले सामाजिक, आर्थिक और जनसांख्यिकीय कारकों के बारे में समझ विकसित करने का अवसर प्रदान करता है। वर्ष 2021 के लिये इस दिवस का थीम है- ‘परिवार और नई प्रौद्योगिकियाँ’। यह थीम परिवार और पारिवारिक संबंधों पर नई प्रौद्योगिकियों के प्रभाव पर केंद्रित है। गौरतलब है कि संयुक्त राष्ट्र महासभा ने बुनियादी परिवार प्रणाली के महत्त्व को महसूस करते हुए वर्ष 1993 में 15 मई को ‘अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस’ के रूप में घोषित किया और सबसे पहले इसे 15 मई, 1994 को मनाया गया था।
विश्व खाद्य पुरस्कार
- भारतीय मूल की वैश्विक पोषण विशेषज्ञ डॉ. शकुंतला हरकसिंह थिलस्टेड को जलीय खाद्य प्रणालियों के लिये समग्र पोषण-संवेदनशील दृष्टिकोण विकसित करने में उनके अभूतपूर्व शोध के लिये प्रतिष्ठित ‘विश्व खाद्य पुरस्कार-2021’ हेतु चुना गया है। डॉ. शकुंतला थिलस्टेड द्वारा बांग्लादेश में छोटी देशी मछली प्रजातियों पर किये गए शोध ने खेतों से लेकर खाद्य प्रसंस्करण और अंतिम उपभोक्ताओं तक सभी स्तरों पर जलीय खाद्य प्रणालियों के लिये पोषण-संवेदनशील दृष्टिकोण का विकास किया, जिसके परिणामस्वरूप एशिया और अफ्रीका के लाखों संवेदनशील लोगों को बेहतर आहार प्राप्त हो सका। ‘विश्व खाद्य पुरस्कार’ विश्व भर में भोजन की गुणवत्ता, मात्रा या उपलब्धता में सुधार करके मानव विकास सुनिश्चित करने वाले व्यक्तियों की उपलब्धियों को मान्यता देने वाला सबसे प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय सम्मान है। यह वार्षिक आधार पर दिया जाने वाला पुरस्कार है, जो विश्व खाद्य आपूर्ति में शामिल किसी भी क्षेत्र में किये गए योगदान को मान्यता देता है, जिसमें पौधे, पशु, मृदा विज्ञान, खाद्य विज्ञान और प्रौद्योगिकी, पोषण एवं ग्रामीण विकास आदि शामिल हैं। इसमें 2,50,000 डॉलर के नकद पुरस्कार के अलावा पुरस्कार विजेता को प्रसिद्ध कलाकार और डिज़ाइनर, शाऊल बास द्वारा डिज़ाइन की गई एक मूर्ति प्रदान की जाती है।
हार्टबीट बिल
- अमेरिका के टेक्सास प्रांत द्वारा हाल ही में ‘हार्टबीट बिल’ नामक एक विवादास्पद विधेयक पारित किया गया है, जो कि किसी भ्रूण में हृदय संबंधी गतिविधि का पता लगने पर गर्भपात की प्रक्रिया को प्रतिबंधित करता है यानी यदि भ्रूण में दिल की धड़कन शुरू हो गई है तो गर्भपात नहीं करवाया जा सकेगा। इस विधेयक के साथ टेक्सास उन दर्जन से अधिक अन्य राज्यों के समूह में शामिल हो गया है, जिन्होंने इस प्रकार के प्रतिबंध से संबंधित कानून बनाए हैं, हालाँकि इन सभी कानूनों पर संघीय अदालतों द्वारा रोक लगा दी गई है। टेक्सास द्वारा पारित यह विधेयक अन्य राज्यों के कानून के विपरीत राज्य सरकार को प्रतिबंध लागू करने के लिये उत्तरदायी नहीं बनाता है। यह विधेयक राज्य के किसी भी व्यक्ति को कानून का उल्लंघन करते हुए गर्भपात करने वाले चिकित्सा पेशेवर अथवा इस कृत्य में शामिल लोगों के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई करने की अनुमति देता है।
मृणाल सेन
- 14 मई, 2021 को देश के मशहूर फिल्म निर्माता मृणाल सेन की 98वीं जयंती मनाई गई। मृणाल सेन का जन्म 14 मई, 1923 को अविभाजित भारत के फरीदपुर शहर (वर्तमान बांग्लादेश) में हुआ था। मृणाल सेन ने कलकत्ता के एक फिल्म स्टूडियो में ऑडियो टेक्नीशियन के रूप में की थी। मृणाल सेन ने अपनी पहली फीचर फिल्म वर्ष 1953 में बनाई थी। वर्ष 1958 में निर्मित उनकी फिल्म ‘नील आकाशेर नीचे’ (अंडर द ब्लू स्काई) स्वतंत्र भारत में प्रतिबंधित पहली भारतीय फिल्म थी। उन्होंने अधिकांशतः बंगाली और हिंदी में फिल्मों का निर्देशन किया। कला और फिल्म के क्षेत्र में उनके योगदान को देखते हुए उन्हें विभिन्न पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। भारत सरकार द्वारा उन्हें पद्मभूषण से, फ्रांँस की सरकार द्वारा ‘ऑर्ड्रे डेस आर्ट्स एट डेस लेटर्स’ से और रूस की सरकार द्वारा उन्हें ‘ऑर्डर ऑफ फ्रेंडशिप’ से सम्मानित किया गया। उन्हें दादा साहब फाल्के पुरस्कार से भी नवाज़ा गया था। भारतीय सिनेमा में ‘न्यू सिनेमा’ आंदोलन को शुरू करने वाले मृणाल सेन स्वयं को ‘निजी मार्क्सवादी’ के रूप में परिभाषित करते थे। 30 दिसंबर, 2018 को हृदय आघात के चलते 95 वर्ष की आयु में कोलकाता में उनका निधन हो गया। उनकी प्रमुख फिल्मों में- भुवन शोम, एक दिन प्रतिदिन, मृगया और आकाश कुसुम आदि शामिल हैं।
शहीद सुखदेव
- 15 मई, 2021 को देश भर में प्रसिद्ध भारतीय क्रांतिकारी शहीद सुखदेव की जयंती मनाई गई। सुखदेव (1907-1931) उन प्रसिद्ध भारतीय क्रांतिकारियों में से एक थे, जिन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में ;महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। सुखदेव का जन्म 15 मई, 1907 को पंजाब के लुधियाना में हुआ था। अपने बचपन के दिनों में ही सुखदेव ने भारत पर ब्रिटिश राज द्वारा किये गए क्रूर अत्याचारों को देखा था, जिसने उन्हें क्रांतिकारी गतिविधियों में शामिल होने के लिये प्रेरित किया। सुखदेव, हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (HSRA) के सदस्य थे। उन्होंने अन्य प्रसिद्ध क्रांतिकारियों के साथ लाहौर में 'नौजवान भारत सभा' की भी शुरुआत की, जिसका प्राथमिक लक्ष्य युवाओं के बीच सांप्रदायिकता को समाप्त कर उन्हें स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लेने के लिये प्रेरित करना था। सुखदेव, भगत सिंह और शिवराम राजगुरु के सहयोगी थे, जो कि वर्ष 1928 में पुलिस उपाधीक्षक, जॉन सॉन्डर्स की हत्या में शामिल थे। नई दिल्ली में सेंट्रल असेंबली हॉल बम विस्फोट (8 अप्रैल, 1929) के बाद, सुखदेव और उनके सहयोगियों को गिरफ्तार कर लिया गया तथा उनके अपराध के लिये उन्हें दोषी ठहराया गया एवं मौत की सज़ा सुनाई गई। 23 मार्च, 1931 को तीन बहादुर क्रांतिकारियों- भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को ब्रिटिश सरकार द्वारा फांँसी दे दी गई। हालाँकि उनके जीवन ने अनगिनत युवाओं को प्रेरित किया और उनकी मृत्यु ने इन्हें एक मिसाल के रूप में कायम किया।
विश्व कृषि-पर्यटन दिवस
- 16 मई, 2021 को देश भर में 14वें विश्व कृषि-पर्यटन दिवस के अवसर पर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। विश्व कृषि-पर्यटन दिवस का लक्ष्य कृषि और पर्यटन क्षेत्र को एकीकृत कर किसानों की आय में बढ़ोतरी करना है। इस वर्ष विश्व कृषि-पर्यटन दिवस की थीम है- ‘कृषि पर्यटन के माध्यम से ग्रामीण महिला सतत् उद्यमिता के अवसर’। कृषि पर्यटन का आशय पर्यटन के उस रूप से है, जिसमें ग्रामीण संस्कृति को पर्यटक आकर्षण के रूप में प्रस्तुत किया जाता है। यह पारिस्थितिकी पर्यटन के समान ही होता है, यद्यपि इसमें प्राकृतिक परिदृश्य के बजाय सांस्कृतिक परिदृश्य को शामिल किया जाता है। विशेषज्ञों की मानें तो कृषि पर्यटन में कृषि आय बढ़ाने और एक गतिशील, विविध ग्रामीण अर्थव्यवस्था के विकास को प्रोत्साहित करने की महत्त्वपूर्ण क्षमता है। कई विकसित देशों में कृषि पर्यटन, पर्यटन उद्योग का एक अभिन्न अंग बन गया है। इसे कृषि तथा संबद्ध व्यवसाय के मूल्यवर्द्धन के रूप में देखा जा सकता है, जो किसानों और ग्रामीण समुदायों को ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि एवं प्राकृतिक संसाधनों की बहु-क्रियाशील प्रकृति के इष्टतम लाभों का उपयोग करने में सक्षम बनाता है। महाराष्ट्र, देश में कृषि पर्यटन को विकसित करने और बढ़ावा देने वाला अग्रणी राज्य है। महाराष्ट्र में वर्ष 2005 में कृषि-पर्यटन को बढ़ावा देने के लिये कृषि पर्यटन विकास निगम (ATDC) का गठन किया गया था।
‘कोवैक्स’ पहल में शामिल होगा पंजाब
- हाल ही में पंजाब सरकार ने कोविड-19 टीकों की कमी को देखते हुए वैश्विक ‘कोवैक्स’ (Covax) सुविधा में शामिल होने की घोषणा की है, हालाँकि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि पंजाब, ‘कोवैक्स’ के माध्यम से वैक्सीन प्राप्त करने के लिये पात्र है अथवा नहीं। ‘कोवैक्स’ की शुरुआत कोविड-19 महामारी से निपटने और सुभेद्य तथा वंचित वर्ग तक वैक्सीन की पहुँच सुनिश्चित करने के उद्देश्य से अप्रैल 2020 में विश्व स्वास्थ्य संगठन, यूरोपीय आयोग और फ्राँस के सहयोग से की गई थी। ‘कोवैक्स’ का सह-नेतृत्व गावी, WHO और ‘कोएलिशन फॉर एपिडेमिक प्रीपेयर्डनेस इनोवेशन्स’ (CEPI) द्वारा किया जा रहा है। ‘कोवैक्स’ पहल के तहत वैक्सीन के विकास के पश्चात् इस पहल में शामिल सभी देशों तक इसकी समान पहुँच सुनिश्चित करने का प्रयास किया जा रहा है, साथ ही इसके तहत वर्ष 2021 के अंत तक 2 बिलियन खुराक के उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है, जो अनुमानतः उच्च जोखिम और सुभेद्य लोगों तथा इस महामारी से निपटने के लिये तैनात स्वास्थ्यकर्मियों की सुरक्षा हेतु पर्याप्त होगा। ‘कोवैक्स’ पहल के तहत अब तक 122 देशों को 59 मिलियन वैक्सीन की खुराक उपलब्ध कराई गई है।
अंतर्राष्ट्रीय प्रकाश दिवस
- प्रतिवर्ष 16 मई को विश्व भर में यूनेस्को द्वारा अंतर्राष्ट्रीय प्रकाश दिवस मनाया जाता है। प्रकाश हमारे जीवन में एक केंद्रीय भूमिका निभाता है। सबसे बुनियादी स्तर पर प्रकाश संश्लेषण के माध्यम से प्रकाश ही जीवन के मूल में है। प्रकाश के अध्ययन ने वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों, नैदानिक प्रौद्योगिकी और उपचार में जीवन रक्षक चिकित्सा पद्धति एवं लाइट-स्पीड इंटरनेट और इसी प्रकार की अन्य खोजों से समाज में क्रांति ला दी है तथा ब्रह्मांड के प्रति हमारी समझ को महत्त्वपूर्ण आकार दिया है। अंतर्राष्ट्रीय प्रकाश दिवस एक वार्षिक पहल है, जिसका उद्देश्य आम जनमानस के दैनिक जीवन में प्रकाश-आधारित प्रौद्योगिकियों द्वारा निभाई गई महत्त्वपूर्ण भूमिका के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। यह दिन वर्ष 1960 में लेज़र के पहले सफल संचालन को चिह्नित करने के लिये मनाया जाता है। पहला सफल लेज़र संचालन ‘थियोडोर मैमन’ नामक एक अमेरिकी इंजीनियर एवं भौतिक विज्ञानी द्वारा किया गया था। यह दिवस वैज्ञानिक सहयोग को मज़बूत करने और शांति एवं सतत् विकास को बढ़ावा देने हेतु ‘प्रकाश’ की क्षमता के दोहन का आह्वान करता है। इस दिवस को यूनेस्को के ‘इंटरनेशनल बेसिक साइंस प्रोग्राम’ (IBSP) से प्रशासित किया जाता है। प्रकाश विज्ञान और उसके अनुप्रयोगों की उपलब्धियों के बारे में वैश्विक जागरूकता बढ़ाने के लिये संयुक्त राष्ट्र ने सर्वप्रथम वर्ष 2015 में ‘प्रकाश और प्रकाश आधारित प्रौद्योगिकियों का अंतर्राष्ट्रीय’ वर्ष मनाया था, इसके पश्चात् वर्ष 2018 में पहला अंतर्राष्ट्रीय प्रकाश दिवस आयोजित किया गया।
‘सिमोर्ग’ सुपर कंप्यूटर
- ईरान ने अपने अब तक के सबसे शक्तिशाली सुपर कंप्यूटर ‘सिमोर्ग’ (Simorgh) का अनावरण किया है, जिसे तेहरान के अमीरकबीर प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (ATU) द्वारा घरेलू रूप से विकसित किया गया है। ईरान ने अपने इस सुपर कंप्यूटर का नाम एक पौराणिक फारसी पक्षी के नाम पर रखा है और इस कंप्यूटर में वर्तमान में 0.56 पेटाफ्लॉप की प्रदर्शन क्षमता मौजूद है, वहीं आगामी दो माह में इसकी क्षमता 1 पेटाफ्लॉप तक पहुँच जाएगी। इसके अलावा यह सुपर कंप्यूटर विकास के अगले चरण में 10 पेटाफ्लॉप की क्षमता तक पहुँच सकेगा। ईरान के मुताबिक, इस सुपर कंप्यूटर को पूरी तरह से ईरान के इंजीनियरों की एक टीम द्वारा डिज़ाइन और निर्मित किया गया था, जिन्होंने एक दशक पूर्व भी देश के पहले सुपर कंप्यूटर का विकास किया था। इस सुपर कंप्यूटर का उद्देश्य ईरान की कंपनियों को एक विश्वसनीय डिजिटल बुनियादी अवसंरचना प्रदान करना है, जिसमें विशेष तौर पर निजी फार्मों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। साथ ही इस कंप्यूटर का उपयोग आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ट्रैफिक स्वचालन, मौसम संबंधी डेटा और इमेज प्रोसेसिंग आदि के लिये भी किया जाएगा।
विश्व दूरसंचार और सूचना समाज दिवस
- प्रतिवर्ष 17 मई को विश्व भर में ‘विश्व दूरसंचार और सूचना समाज दिवस’ का आयोजन किया जाता है। इस दिवस का उद्देश्य इंटरनेट और अन्य सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकियों (ITC) के उपयोग से समाज तथा अर्थव्यवस्थाओं में लाए जाने वाले महत्त्वपूर्ण परिवर्तनों के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। इस दिवस को ‘विश्व सूचना समाज दिवस’ और ‘विश्व दूरसंचार समाज दिवस’ के समामेलन के रूप में आयोजित किया जाता है। ‘विश्व दूरसंचार समाज दिवस’ अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ (ITU) की स्थापना तथा वर्ष 1865 में पहले अंतर्राष्ट्रीय टेलीग्राफ कन्वेंशन पर हस्ताक्षर को चिह्नित करता है, जबकि ‘विश्व सूचना समाज दिवस’ ‘वर्ल्ड समिट ऑन द इंफॉर्मेशन सोसायटी’ (WSIS) द्वारा रेखांकित ITC के महत्त्व और सूचना समाज से संबंधित व्यापक मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करता है। वर्ष 2006 में संयुक्त राष्ट्र ने दोनों दिवसों को संयुक्त तौर पर प्रतिवर्ष एक साथ आयोजित करने का निर्णय किया था। वर्ष 2021 में इस दिवस की थीम है- ‘चुनौतीपूर्ण समय में डिजिटल परिवर्तन को गति देना’, जो कि मौज़ूदा कोरोना वायरस महामारी में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर डिजिटल अवसंरचना में महत्त्वपूर्ण बदलाव लाने और डिजिटल डिवाइड को कम करने पर केंद्रित है।
नीरा टंडन
- भारतीय मूल की अमेरिकी राजनीतिज्ञ नीरा टंडन को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की वरिष्ठ सलाहकार नियुक्त किया गया है। नीरा टंडन वर्तमान में अमेरिका के प्रगतिशील थिंक-टैंक, सेंटर फॉर अमेरिकन प्रोग्रेस (CAP) की अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) के रूप में कार्यरत हैं। नीरा टंडन इससे पूर्व अमेरिकी स्वास्थ्य एवं मानव सेवा विभाग में स्वास्थ्य सुधारों हेतु वरिष्ठ सलाहकार के रूप में भी कार्य कर चुकी हैं। नीरा टंडन ने अपने राजनीतिक कॅॅरियर की शुरुआत पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन के कार्यकाल में व्हाइट हाउस में घरेलू नीति के लिये एक सहयोगी निदेशक और अमेरिका की ‘फर्स्ट लेडी’ की वरिष्ठ नीति सलाहकार के रूप में की थी। नीरा टंडन ने कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय से विज्ञान में स्नातक और येल लॉ स्कूल से कानून की पढाई की है।
संवेदना’ हेल्पलाइन
- कोविड-19 महामारी के दौरान प्रभावित बच्चों को मनोवैज्ञानिक प्राथमिक चिकित्सा और भावनात्मक समर्थन प्रदान करने के उद्देश्य से ‘राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग’ (NCPCR) द्वारा ‘संवेदना’ हेल्पलाइन के माध्यम से बच्चों को टेली-परामर्श की सुविधा प्रदान की जा रही है। ‘संवेदना’ (SAMVEDNA) का आशय ‘सेंसिटाइज़िंंग एक्शन ऑन मेंटल हेल्थ वल्नरेबिलिटी थ्रू इमोशनल डेवलपमेंट एंड नेससरी एक्सप्टेंस’ से है। इस टोल-फ्री हेल्पलाइन की शुरुआत कोविड-19 महामारी से प्रभावित बच्चों को मनो-सामाजिक मानसिक सहायता प्रदान करने के लिये की गई है। ‘संवेदना’ टेली-परामर्श सेवा महामारी के दौरान बच्चों का तनाव, चिंता, भय और अन्य समस्याओं को दूर कर उनको मनोवैज्ञानिक सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से गठित की गई है। बच्चों को कुल तीन श्रेणियों में टेली-परामर्श की सुविधा प्रदान की जाती है: (1) जो बच्चे क्वारंटाइन/आइसोलेशन/कोविड केयर सेंटर में हैं, (2) जिन बच्चों के माता-पिता या परिवार के सदस्य या अन्य कोई करीबी जो कोविड-19 से संक्रमित है अथवा (3) जिन बच्चों ने कोविड-19 महामारी की वजह से अपने माता-पिता को खो दिया है। यह टोल-फ्री टेली-परामर्श सुविधा देश भर के बच्चों को तमिल, तेलुगू, कन्नड़, उड़िया, मराठी, गुजराती, बंगाली आदि विभिन्न क्षेत्रीय भाषाओं में सहायता प्रदान करती है। ‘राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग’ एक वैधानिक इकाई है और भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के तहत कार्य करती है।
वैश्विक सड़क सुरक्षा सप्ताह 2021
- 17 मई, 2021 को ‘वैश्विक सड़क सुरक्षा सप्ताह 2021’ को लॉन्च किया गया। यह कार्यक्रम ‘संयुक्त राष्ट्र सड़क सुरक्षा सहयोग’ द्वारा समन्वित और विश्व स्वास्थ्य संगठन की अध्यक्षता में आयोजित किया जाता है। प्रत्येक दो वर्ष में आयोजित किये जाने वाले इस कार्यक्रम का उद्देश्य गति प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित करते हुए सड़क सुरक्षा के संबंध में जागरूकता बढ़ाना है। यह दिवस दुनिया भर के व्यक्तियों, सरकारों, गैर-सरकारी संगठनों, निगमों और अन्य संगठनों को सड़क सुरक्षा के बारे में जागरूकता बढ़ाने और ऐसे बदलाव करने के लिये एक साथ लाता है ताकि सड़क पर होने वाली मौतों की संख्या में कमी की जा सके। इस कार्यक्रम की शुरुआत वर्ष 2007 में की गई थी। इस सप्ताह के दौरान वर्ष 2030 तक सड़क यातायात से होने वाली मौतों और चोटों की संख्या को आधा करने के लक्ष्य के साथ ‘सड़क सुरक्षा कार्रवाई दशक 2021-2030’ की भी आधिकारिक शुरुआत की गई। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, सड़क दुर्घटनाओं के कारण विश्व भर में होने वाली कुल मौतों में से 11% मौतें भारत में होती हैं, जो कि विश्व में सर्वाधिक है। प्रतिवर्ष लगभग 4.5 लाख सड़क दुर्घटनाएँ होती हैं, जिसमें 1.5 लाख लोगों की मृत्यु होती है।
कृषि निर्यात सुविधा केंद्र
- ‘राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक’ (नाबार्ड) के सहयोग से ‘महराट्टा चैंबर ऑफ कॉमर्स इंडस्ट्रीज़ एंड एग्रीकल्चर (MCCIA) द्वारा भारत के पहले ‘कृषि निर्यात सुविधा केंद्र’ को लॉन्च गया है। यह सुविधा केंद्र कृषि क्षेत्र में निर्यातकों के लिये वन-स्टॉप-शॉप के रूप में काम करेगा। यह केंद्र संभावित निर्यातकों को कीटनाशक अवशेष प्रबंधन, संभावित आयात करने वाले देशों को वरीयता, उनके उत्पाद की पसंद, गुणवत्ता मानकों, निर्यात उन्मुख उत्पादन हेतु बाग प्रबंधन, कटाई के समय और तरीके, उत्पादन तकनीक, ग्रीनहाउस उत्पादन, पैकेजिंग तथा हवाई अड्डे एवं बंदरगाह पर पालन की जाने वाली प्रक्रिया आदि के संबंध में मार्गदर्शन प्रदान करेगा। साथ ही यह केंद्र कृषि निर्यात से संबंधित पहलुओं पर जागरूकता कार्यक्रम, प्रशिक्षण कार्यक्रम और कार्यशालाओं का भी आयोजन करेगा। यह केंद्र एक ‘नॉलेज बैंक’ भी विकसित करेगा, जहाँ निर्यात के विभिन्न पहलुओं और गतिविधियों से संबंधित ज्ञान, सूचना एवं डेटा आदि को एकत्र किया जाएगा। यह संभावित निर्यातकों को ‘कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण’ (एपीडा) की योजनाओं के बारे जागरूक करेगा तथा एपीडा की योजनाओं का लाभ प्राप्त करने की प्रक्रिया के बारे में जानकारी प्रदान करेगा। साथ ही यह कृषि निर्यात प्रोत्साहन संबंधी केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं के बारे में भी जागरूकता बढ़ाएगा।
विश्व उच्च रक्तचाप दिवस
- प्रतिवर्ष 17 मई को विश्व भर में विश्व उच्च रक्तचाप दिवस मनाया जाता है। इस दिवस के आयोजन का प्राथमिक उद्देश्य आम लोगों में उच्च रक्तचाप के संदर्भ में जागरूकता पैदा करना और इसकी गंभीरता को देखते हुए लोगों को इसे नियंत्रित करने के लिये प्रोत्साहित करना है। विदित हो कि शरीर में ऑक्सीजन और ऊर्जा के प्रवाह के लिये रक्त शोधन करना ह्रदय का प्रमुख कार्य है और धमनियों के ज़रिये रक्त के प्रवाह के लिये दबाव की एक निश्चित मात्रा की आवश्यकता होती है। यदि रक्त प्रवाह का यह दबाव सामान्य से अधिक होता है, तो यह धमनियों की दीवार पर अतिरिक्त तनाव डालता है। इसे हाई ब्लड प्रेशर या हाइपरटेंशन (उच्च रक्तचाप) कहते हैं। एक अनुमान के मुताबिक पूर्वी भूमध्य क्षेत्र में प्रत्येक पाँच में से दो वयस्क उच्च रक्तचाप से प्रभावित हैं। उच्च रक्तचाप दुनिया भर में असामयिक मृत्यु का एक प्रमुख कारण है। उच्च रक्तचाप की गंभीरता को देखते हुए इसे ‘साइलेंट किलर’ भी कहा जाता है।
तरल ऑक्सीजन का कम दबाव वाले ऑक्सीजन में परिवर्तन
- हाल ही में सेना के इंजीनियरों ने कोविड-19 से संक्रमित रोगियों की सहायता के लिये तरल ऑक्सीजन को कम दबाव वाले ऑक्सीजन में परिवर्तित करने हेतु एक नई विधि खोजी है। वर्तमान में ऑक्सीजन को क्रायोजेनिक टैंकों में तरल रूप में ले जाया जाता है, जिसकी वजह से तरल ऑक्सीजन को ऑक्सीजन गैस में बदलने और रोगियों के बेड तक उसकी उपलब्धता सुनिश्चित करना सभी अस्पतालों के लिये एक प्रमुख चुनौती थी। ऐसे में भारतीय सेना के इंजीनियरों द्वारा की गई खोज इस चुनौती से निपटने में काफी मददगार साबित होगी। यह प्रणाली आर्थिक रूप से कम लागत वाली है और संचालित करने के लिये सुरक्षित है क्योंकि यह पाइपलाइन या सिलेंडर में उच्च गैस दबाव को कम करती है और इसे संचालित करने के लिये किसी प्रकार की बिजली की आपूर्ति की आवश्यकता भी नहीं होती है। ज्ञात हो कि भारतीय सेना के इंजीनियरों द्वारा यह विधि ‘वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद’ (CSIR) तथा ‘रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन’ (DRDO) के सहयोग से विकसित की गई है। सीधे कोविड-19 संक्रमित रोगी के बेड पर अपेक्षित दबाव और तापमान पर ऑक्सीजन की निरंतर पहुँच सुनिश्चित करने के लिये समूह ने छोटी क्षमता (250 लीटर) के एक स्व-दबाव वाले तरल ऑक्सीजन सिलेंडर का उपयोग किया और इसे विशेष रूप से डिज़ाइन किये गए वेपोराइज़र के माध्यम से संसाधित किया, जिसे प्रत्यक्ष रूप से उपयोग किया जा सकता है।
राजस्थान में ‘म्युकरमाइकोसिस’ महामारी घोषित
- राजस्थान में ‘ब्लैक फंगस’ यानी ‘म्युकरमाइकोसिस’ को महामारी (Epidemic) घोषित किया गया है। राज्य में इस बीमारी के मामलों की संख्या लगातार बढ़ रही है। यह मुख्य रूप से कोविड संक्रमण से ठीक होने वाले लोगों को प्रभावित करती है। राजस्थान महामारी अधिनियम-2020 के तहत ‘ब्लैक फंगस’ को एक महामारी और गंभीर बीमारी के रूप में अधिसूचित किया गया है। इसी के साथ स्वास्थ्य सुविधाओं और अधिकारियों के लिये राज्य में ‘ब्लैक फंगस’ अथवा ‘म्युकरमाइकोसिस’ के प्रत्येक मामले की रिपोर्ट करना अनिवार्य होगा। यह कदम ‘ब्लैक फंगस’ और कोरोना वायरस के एकीकृत एवं समन्वित उपचार को सुनिश्चित करने में मदद करेगा। ‘ब्लैक फंगस’ यानी ‘म्युकरमाइकोसिस’ एक गंभीर लेकिन दुर्लभ कवक संक्रमण है। यह म्युकरमायसिटिस (Mucormycetes) नामक फफूँद (Molds) के कारण होता है, जो पर्यावरण में प्रचुर मात्रा में मौजूद है। यह मुख्य रूप से उन लोगों को प्रभावित करता है, जिन्हें स्वास्थ्य संबंधी समस्याएंँ हैं या वे ऐसी दवाओं का सेवन करते हैं, जो कीटाणुओं और बीमारी से लड़ने की शरीर की क्षमता को कम करती हैं। इसके अलावा डायबिटीज़/मधुमेह से पीड़ित लोगों को भी ‘ब्लैक फंगस’ संक्रमण का खतरा अधिक होता है।
COP26 पीपल्स एडवोकेट
- इस वर्ष नवंबर में ग्लासगो (स्कॉटलैंड) में ‘संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन शिखर सम्मेलन’ के दौरान ब्रिटेन की अध्यक्षता के लिये विश्व प्रसिद्ध प्राकृतिक इतिहासकार सर डेविड एटनबरो को ‘COP26 पीपल्स एडवोकेट’ नामित किया गया है। प्रसिद्ध संरक्षणवादी सर डेविड एटनबरो को वैश्विक नेताओं, प्रमुख निर्णय निर्माताओं और आम जनता को जलवायु कार्रवाई के महत्त्व के प्रति जागरूक करने, मौजूदा प्रगति पर वार्ता करने और COP26 के दौरान लिये जाने वाले निर्णयों और कार्रवाइयों को उजागर करने का कार्य सौंपा गया है। इसके अलावा ‘COP26 पीपल्स एडवोकेट’ के रूप में 95 वर्षीय डेविड एटनबरो आगामी छह माह में प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रमों के दौरान वैश्विक नेताओं को संबोधित करेंगे, जिसमें जून में कॉर्नवल (इंग्लैंड) में आयोजित होने वाला G7 शिखर सम्मेलन भी शामिल है, ताकि जलवायु और प्रकृति की रक्षा संबंधी मुद्दे को वैश्विक एजेंडे में प्राथमिक स्थान दिया जा सके।
नीलम संजीव रेड्डी
- 19 मई, 2021 को उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने पूर्व राष्ट्रलपति नीलम संजीव रेड्डी को उनकी पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित की। नीलम संजीव रेड्डी का जन्म 19 मई, 1913 को आंध्र प्रदेश के अनंतपुरम ज़िले के इलूर गाँव में हुआ था। वे महात्मा गांधी के विचारों से काफी प्रभावित थे। वर्ष 1937 में वे आंध्र प्रांतीय काॅॅन्ग्रेस समिति (APCC) के सबसे कम उम्र के सचिव बने। वर्ष 1940-45 के दौरान उन्हें स्वतंत्रता आंदोलन में हिस्सा लेने के लिये कई बार कारावास भेजा गया। रेड्डी का विधायी कॅॅरियर वर्ष 1946 में तब शुरू हुआ जब वे मद्रास विधानसभा के लिये चुने गए और मद्रास काॅॅन्ग्रेस विधायक दल के सचिव बने। उन्होंने वर्ष 1956–60 और 1962–64 में नवगठित आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया। 25 जुलाई, 1977 को नीलम संजीव रेड्डी को निर्विरोध रूप से देश का छठा राष्ट्रपति चुन लिया गया, और इसी के साथ वे देश के सबसे कम आयु (64 वर्ष) के राष्ट्रपति भी बने। वर्ष 1996 में 83 वर्ष की आयु में डॉ. नीलम संजीव रेड्डी का उनके पैतृक स्थान पर निधन हो गया।
विश्व मेट्रोलॉजी दिवस
- अंतर्राष्ट्रीय इकाई प्रणाली की आवश्यकता और महत्त्व को रेखांकित करने के लिये प्रतिवर्ष 20 मई को वैश्विक स्तर पर विश्व मेट्रोलॉजी दिवस का आयोजन किया जाता है। ज्ञात हो कि विश्व के कुल 17 देशों के प्रतिनिधियों ने 20 मई, 1875 को ‘मीटर कन्वेंशन’ या ‘कन्वेंशन ड्यू मेत्रे’ पर हस्ताक्षर किये थे, जिसके परिणामस्वरूप ‘इंटरनेशनल ब्यूरो ऑफ वेट एंड मीज़र’ (BIPM) का गठन किया गया था। इस कन्वेंशन ने मेट्रोलॉजी और इसके औद्योगिक, वाणिज्यिक एवं सामाजिक अनुप्रयोगों में वैश्विक सहयोग के लिये रूपरेखा निर्धारित की। वर्ष 2021 के लिये विश्व मेट्रोलॉजी दिवस की थीम है- ‘मीज़रमेंट ऑफ हेल्थ’। यह थीम स्वास्थ्य मापन की महत्त्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करता है। मेट्रोलॉजी जिसे माप का विज्ञान भी कहा जाता है, वैज्ञानिक खोज और नवाचार, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार एवं औद्योगिक निर्माण, जीवन की गुणवत्ता बढ़ाने तथा वैश्विक पर्यावरण की रक्षा करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। विश्व मेट्रोलॉजी दिवस को ‘इंटरनेशनल ब्यूरो ऑफ वेट एंड मीज़र’ (BIPM) और ‘इंटरनेशनल ऑर्गेनाइज़ेशन ऑफ लीगल मेट्रोलॉजी’ (OIML) द्वारा संयुक्त तौर पर आयोजित किया जाता है।
‘ए-76’ आइसबर्ग
- हाल ही में अंटार्कटिका में बर्फ का एक विशाल टुकड़ा अलग होकर दुनिया का सबसे बड़ा हिमशैल बन गया है। ‘ए-76’ नामक लगभग 1,700 वर्ग मील लंबा यह हिमखंड रोड आइलैंड (अमेरिका) से भी बड़ा है। यह आइसबर्ग अब वेडेल सागर में मौजूद है। वैज्ञानिकों की मानें तो इस तरह बनने वाले हिमखंड एक प्राकृतिक प्रक्रिया का हिस्सा हैं और इसका निर्माण जलवायु परिवर्तन के कारण नहीं हुआ है। किंतु वैज्ञानिकों के लिये इस आइसबर्ग को ट्रैक करना महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि यह वेडेल सागर में नेविगेट करने वाले जहाज़ोंं के समक्ष खतरा उत्पन्न कर सकता है और अंटार्कटिका को अधिक व्यापक रूप से समझने में भी महत्त्वपूर्ण हो सकता है। यह लगभग 1,668 वर्ग मील (4,320 वर्ग किलोमीटर) लंबा है, जो इसे ‘A23a’ हिमखंड से भी बड़ा बनाता है। ‘A23a’ हिमखंड का निर्माण वर्ष 1986 में हुआ था और जनवरी में इसका कुल क्षेत्रफल 1,500 वर्ग मील (4,000 वर्ग किलोमीटर) से अधिक था। हिमशैल का आशय बर्फ के उस टुकड़े से होता है जो ग्लेशियरों या शेल्फ बर्फ से टूटकर पानी में तैरने लगता है। नए हिमखंड का अध्ययन करके शोधकर्त्ता अंटार्कटिका की बर्फ की समग्र स्थिति को बेहतर ढंग से समझने में सक्षम होंगे। ‘B15’ नामक अब तक का सबसे बड़ा हिमशैल मार्च 2000 में रॉस आइस शेल्फ से टूटा था, जिसकी कुल लंबाई लगभग 4,200 वर्ग मील (11,000 वर्ग किलोमीटर) से अधिक थी।
आईएनएस राजपूत
- तत्कालीन सोवियत संघ द्वारा निर्मित काशीन-श्रेणी (Kashin-Class) के विध्वंसक जहाज़ ‘आईएनएस राजपूत’ को हाल ही में डि-कमीशन किया गया है। रूसी निर्मित इस जहाज़ को 4 मई, 1980 को कमीशन किया गया था। जहाज़ ने राष्ट्र को सुरक्षित रखने के उद्देश्य से कई राष्ट्रीय अभियानों में हिस्सा लिया है। इसने श्रीलंका में लिट्टे के विरुद्ध ‘भारतीय शांति सेना’ अभियानों में, इसके अलावा इसने मालदीव तट पर वर्ष 1988 में ऑपरेशन ‘कैक्टस’ में भी हिस्सा लिया था। ‘आईएनएस राजपूत’ तत्कालीन सोवियत संघ द्वारा निर्मित काशीन-श्रेणी के विध्वंसक जहाज़ोंं में से एक है, जिसे 4 मई, 1980 को कमीशन किया गया था और इसने भारतीय नौसेना को 41 वर्षों से अधिक समय तक सेवा प्रदान की।
रूस-चीन परमाणु परियोजना
- चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और उनके रूसी समकक्ष व्लादिमीर पुतिन ने हाल ही में दोनों देशों के बीच परमाणु सहयोग को बढ़ावा देते हुए चीन में लगभग 3 बिलियन अमेरिकी डॉलर की लागत से चार परमाणु ऊर्जा संयंत्रों के निर्माण हेतु अब तक की सबसे बड़ी परमाणु ऊर्जा परियोजना को लॉन्च किया है। तियानवान परमाणु ऊर्जा संयंत्र पूर्वी जियांगसू प्रांत के लियानयुंगंग शहर में स्थित है। चीन और रूस ने संयुक्त रूप से चार परमाणु ऊर्जा इकाइयों का निर्माण करने के लिये जून 2018 में परमाणु ऊर्जा पर समझौतों के एक रणनीतिक पैकेज पर हस्ताक्षर किये थे, जो दोनों देशों के बीच अब तक की सबसे बड़ी परियोजना है, जिसका कुल मूल्य 20 बिलियन युआन (लगभग 3 बिलियन अमेरिकी डॉलर) से अधिक है। परियोजना पूरी हो जाने पर पर चारों इकाइयों से कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन को प्रभावी ढंग से कम करने की उम्मीद है।
एंटी-टेररिज़्म दिवस
- प्रतिवर्ष 21 मई को देश भर में एंटी-टेररिज़्म दिवस अथवा आतंकवाद विरोधी दिवस मनाया जाता है। इस दिवस के आयोजन का प्राथमिक उद्देश्य पूर्व भारतीय प्रधानमंत्री राजीव गांधी को स्मरण करना है। इस वर्ष राजीव गांधी की 30वीं पुण्यतिथि मनाई गई। एंटी-टेररिज़्म दिवस का लक्ष्य आम लोगों में हिंसा और आतंकवाद के प्रति जागरूकता बढ़ाना है। इस अवसर पर युवाओं को आतंकवाद के विरुद्ध जागरूक करने तथा उन्हें मानव पीड़ा एवं मानव जीवन पर इसके प्रभाव के बारे में जानकारी प्रदान की जाती है। एंटी-टेररिज़्म दिवस के अवसर पर देश भर के विभिन्न हिस्सों में उक्त उद्देश्यों की पूर्ति के लिये गृह मंत्रालय द्वारा विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। मात्र 40 वर्ष की उम्र में प्रधानमंत्री बनने वाले राजीव गांधी भारत के सबसे कम उम्र के प्रधानमंत्री थे और संभवतः दुनिया के उन युवा राजनेताओं में से एक हैं जिन्होंने इतनी कम उम्र में किसी सरकार का नेतृत्त्व किया। राजीव गांधी का जन्म 20 अगस्त, 1944 को बम्बई (मुंबई) में हुआ था। विज्ञान में रुचि रखने वाले राजीव गांधी वर्ष 1984 में अपनी माँ की हत्या के पश्चात् काॅन्ग्रेस अध्यक्ष एवं देश के प्रधानमंत्री बने और वर्ष 1989 तक देश के प्रधानमंत्री रहे। 21 मई, 1991 को चेन्नई में एक रैली के दौरान अलगाववादी संगठन लिट्टे की महिला सुसाइड बॉम्बर ने राजीव गांधी की हत्या कर दी थी।
‘कॉर्प्स
फ्लावर’
- अमेरिका के ‘सैन फ्रांसिस्को’ में तकरीबन 10 वर्ष बाद ‘कॉर्प्स फ्लावर’ नामक दुर्लभ फूल खिला है। ‘कॉर्प्स फ्लावर’ को इसके वैज्ञानिक नाम अमोर्फोफैलस टाइटेनम से भी जाना जाता है और यह अति-दुर्लभ पौधा प्रत्येक सात से दस वर्ष में केवल एक बार खिलता है। ‘कॉर्प्स फ्लावर’ को दुनिया में सबसे बड़ा भी माना जाता है। ‘कॉर्प्स फ्लावर’ मूलतः इंडोनेशिया में सुमात्रा के वर्षावनों में पाया जाता है। लगभग एक दशक में ‘कॉर्प्स फ्लावर’ 10 फीट तक लंबा हो सकता है और इसमें दो प्रमुख घटक होते हैं, जिसमें पहली गहरे लाल रंग की पंखुड़ी जिसे ‘स्पैथ’ के रूप में जाना जाता है और दूसरी एक पीले रंग की छड़, जिसे 'स्पैडिक्स' के रूप में जाना जाता है। इसे वर्तमान मौजूद पौधों में सबसे बड़ा माना जाता है और कभी-कभी इसका वज़न लगभग 100 किलोग्राम तक हो सकता है। औसत ‘कॉर्प्स फ्लावर’ का जीवनकाल लगभग तीन-चार दशकों का होता है। यद्यपि इंडोनेशियाई ‘कॉर्प्स फ्लावर’ की खेती वर्षों से दुनिया भर में की जाती रही है, किंतु फसलों और लकड़ी के लिये वनों की कटाई के कारण इसकी संख्या सुमात्रा के अपने मूल स्थान तक सीमित होती जा रही है। इसे ‘इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंज़र्वेशन ऑफ नेचर’ (IUCN) द्वारा वर्ष 2018 में लुप्तप्राय पौधे के रूप में सूचीबद्ध किया गया था।
निधि4कोविड2.0
- देश में कोविड-19 महामारी की चुनौतीपूर्ण दूसरी लहर से निपटने के लिये स्टार्टअप-संचालित समाधानों का समर्थन करने के लिये त्वरित प्रतिक्रिया के रूप में केंद्र सरकार ने नई तकनीकों और नवीन उत्पादों के विकास हेतु भारतीय स्टार्टअप तथा कंपनियों को वित्तीय सहायता प्रदान करने का निर्णय लिया है। सरकार द्वारा इस संबंध में ‘निधि4कोविड2.0’ (NIDHI4COVID2.0) पहल की शुरुआत की गई है, जिसका उद्देश्य कोविड-19 से उत्पन्न चुनौतियों से निपटने के लिये योग्य भारत-पंजीकृत स्टार्टअप और ऑक्सीजन नवाचार, पोर्टेबल समाधान, प्रासंगिक चिकित्सा सहायक उपकरण, नैदानिक, सूचना विज्ञान या किसी अन्य समाधान के प्रमुख क्षेत्रों में महत्त्वपूर्ण समाधान पेश करने वाली कंपनियों का वित्तपोषण करना है। यह पहल ‘राष्ट्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी उद्यमिता विकास बोर्ड’ (NSTEDB), ‘विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग’ (DST) तथा भारत सरकार का एक विशेष अभियान है, जो वर्तमान स्वास्थ्य संकट से निपटने के लिये स्वदेशी समाधानों का समर्थन करता है।
मिशन ऑक्सीजन आत्मनिर्भरता
- महाराष्ट्र सरकार ने राज्य की ऑक्सीजन संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये ‘मिशन ऑक्सीजन आत्मनिर्भरता’ योजना की शुरुआत की है। इस योजना के तहत ऑक्सीजन उत्पादक उद्योगों को विशेष प्रोत्साहन दिया जाएगा। वर्तमान में राज्य की ऑक्सीजन उत्पादन क्षमता 1300 मीट्रिक टन प्रतिदिन है। इस पहल का लक्ष्य राज्य में बढ़ती मांग को पूरा करने के लिये राज्य सरकार द्वारा प्रतिदिन 3000 मीट्रिक टन ऑक्सीजन उत्पादन करना है। विदर्भ, मराठवाड़ा, धुले, नंदुरबार, रत्नागिरी और सिंधुदुर्ग क्षेत्रों में स्थापित इकाइयाँ अपने अचल पूंजी निवेश के 150 प्रतिशत तक प्रोत्साहन के लिये पात्र होंगी और शेष महाराष्ट्र में स्थापित इकाइयाँ 100 प्रतिशत तक सामान्य प्रोत्साहन के लिये पात्र होंगी। इन प्रोत्साहनों के साथ जल्द ही ऑक्सीजन आत्मनिर्भर राज्य बनने के लिये विनिर्माण और भंडारण को बढ़ाकर महाराष्ट्र की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को मज़बूत किये जाने की उम्मीद है।
एम. एस. नरसिम्हन
- हाल ही में प्रसिद्ध भारतीय वैज्ञानिक और गणितज्ञ ‘मुदुंबई शेषचुलु नरसिम्हन’ का 88 वर्ष की आयु में निधन हो गया है। वे एक विश्व प्रसिद्ध गणितज्ञ थे, जिन्होंने विविध गणितीय क्षेत्रों जैसे- बीजगणितीय ज्यामिति, डिफरेंशियल ज्यामिति, रिप्रजेंटेशन थ्योरी और पार्शियल डिफरेंशियल समीकरणों में मौलिक योगदान दिया। 07 जून, 1932 में उत्तरी तमिलनाडु के तंदराई गाँव में जन्मे एम. एस. नरसिम्हन को अपने स्कूल के दिनों से ही गणित में गहरी दिलचस्पी थी। प्रोफेसर एम. एस. नरसिम्हन को नरसिम्हन-शेषाद्री थ्योरम के प्रमाण के लिये जाना जाता था। एम. एस. नरसिम्हन ने वर्ष 1953 में ‘टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च’ (TIFR) से गणित में पी.एच.डी की और वे अपने कॅॅरियर में लंबे समय तक ‘टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च’ के गणित विभाग से जुड़े रहे। इसके पश्चात् वे वर्ष 1992-1999 तक इटली के ‘इंटरनेशनल सेंटर फॉर थियोरेटिकल फिज़िक्स’ में गणित समूह के प्रमुख थे और फिर वे बंगलुरू चले गए। उन्होंने वर्ष 1975 में एस.एस. भटनागर पुरस्कार, वर्ष 1987 में गणित के लिये ‘थर्ड वर्ड अकादमी’ पुरस्कार, वर्ष 1990 में पद्म भूषण, वर्ष 2006 में रॉयल सोसाइटी के फेलो और विज्ञान के लिये ‘किंग फैसल अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार’ जीता था।
विश्व कछुआ दिवस
- प्रतिवर्ष 23 मई को ‘विश्व कछुआ दिवस’ (World Turtle Day) का आयोजन किया जाता है। इस दिवस के आयोजन का उद्देश्य कछुओं एवं उनके आवास के बारे में लोगों को जागरूक करना है। वर्ष 2000 के बाद से प्रत्येक वर्ष एक अमेरिकी गैर-लाभकारी संगठन ‘अमेरिकन टारटाईज़ रेसक्यु’ (ATR) द्वारा ‘विश्व कछुआ दिवस’ का आयोजन किया जाता है। इस गैर-लाभकारी संगठन को वर्ष 1990 में स्थापित किया गया था। इस वर्ष ‘विश्व कछुआ दिवस’ की 21वीं वर्षगाँठ है। माना जाता है कि यह जीव 200 मिलियन वर्ष पूर्व डायनासोर के समय से मौजूद है। पूरी दुनिया में कछुओं की कुल 300 प्रजातियाँ हैं, जिनमें से 129 प्रजातियाँ संकटग्रस्त हैं। वे दुनिया के सबसे पुराने सरीसृप समूहों में से एक हैं, जो साँँपों और मगरमच्छों से भी पुराने हैं। ज्ञात हो कि कछुए मीठे पानी या खारे पानी दोनों में रह सकते हैं। भारत में कछुए की कुल पाँच प्रजातियाँ मौजूद हैं, ये हैं- ओलिव रिडले, ग्रीन टर्टल, लॉगरहेड, हॉक्सबिल और लेदरबैक। IUCN की रेड सूची में ‘हॉक्सबिल’ कछुए को 'गंभीर रूप से लुप्तप्राय' तथा ग्रीन टर्टल को 'लुप्तप्राय' के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।
मुख्यमंत्री वात्सल्य योजना
- उत्तराखंड सरकार ने शनिवार को उन बच्चों की देखभाल के लिये मुख्यमंत्री वात्सल्य योजना की घोषणा की, जिन्होंने कोविड-19 महामारी के दौरान अपने माता-पिता या परिवार के एकमात्र कमाने वाले सदस्य को खो दिया है। इस योजना के तहत सरकार इन बच्चों के लिये 21 वर्ष तक की आयु तक शिक्षा और प्रशिक्षण की व्यवस्था करेगी। योजना के प्रावधानों के अनुसार उन्हें प्रतिमाह 3,000 रुपए की राशि प्रदान की जाएगी। इसके अलावा जिलाधिकारियों को यह सुनिश्चित करने के लिये कहा गया है कि जब तक वे बच्चे वयस्क नहीं हो जाते, तब तक पैतृक संपत्ति में उनका हिस्सा नहीं बेचा जा सकता है। साथ ही ऐसे बच्चों को उत्तराखंड सरकार की नौकरियों में 5 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण प्रदान किया जाएगा। अधिकारियों को ऐसे बच्चों की जल्द-से-जल्द सूची तैयार करने का निर्देश दिया गया है। उत्तराखंड से पहले कई अन्य राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों, जिनमें आंध्र प्रदेश, पंजाब और दिल्ली आदि शामिल हैं, ने भी ऐसी योजनाओं की घोषणा की है।
पंडित रेवा प्रसाद द्विवेदी
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जाने-माने संस्कृत विद्वान महामहोपाध्याय पंडित रेवा प्रसाद द्विवेदी के निधन पर शोक व्यधक्तं किया है। संस्कृत के विद्वान और कवि पंडित रेवा प्रसाद द्विवेदी का जन्म 22 अगस्त, 1935 को मध्य प्रदेश में हुआ था और संस्कृत के क्षेत्र में उनके महत्त्वपूर्ण योगदान के लिये उन्हें विभिन्न पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था। उन्होंने वाराणसी से पारंपरिक और आधुनिक शिक्षा प्रणालियों दोनों में संस्कृत भाषा और साहित्य का अध्ययन किया तथा बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से साहित्याचार्य की उपाधि एवं संस्कृत में मास्टर डिग्री प्राप्त की। इसके पश्चात् उन्होंने वर्ष 1965 में रविशंकर विश्वविद्यालय (रायपुर) से पी.एच.डी. की डिग्री हासिल की। उनकी प्रमुख रचनाओं में दो संस्कृत महाकाव्य- सीताचरितम एवं स्वातंत्र्यसंभवम् शामिल हैं। उन्हें उनके दूसरे महाकाव्य ‘स्वातंत्र्यसंभवम्’ के लिये वर्ष 1991 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। यह महाकाव्य झांसी की रानी लक्ष्मीबाई के समय से लेकर स्वतंत्रता के बाद की घटनाओं तक भारतीय राष्ट्रीय स्वतंत्रता आंदोलन को चित्रित करता है। संस्कृत भाषा और साहित्य में उनके योगदान को देखते हुए उन्हें भारतीय राष्ट्रपति से सम्मान प्रमाण पत्र, भारतीय भाषा परिषद द्वारा कल्पावली पुरस्कार (1993), के.के. बिरला फाउंडेशन द्वारा वाचस्पति पुरस्कार (1997) और आर.जे. डालमिया श्रीवेणी ट्रस्ट द्वारा ‘श्रीवेणी पुरस्कार’ (1999) से सम्मानित किया गया।
नासा का ‘वाईपर’ रोवर
- अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने चंद्रमा की सतह पर और उसके नीचे बर्फ तथा अन्य संसाधनों की तलाश के लिये वर्ष 2023 के अंत में चंद्रमा पर अपने पहले मोबाइल रोबोट को भेजने की घोषणा की है। ‘आर्टेमिस मिशन’ के हिस्से के रूप में ‘वोलेटाइल्स इन्वेस्टिगेटिंग पोलर एक्सप्लोरेशन रोवर’ (VIPER) को चंद्रमा पर भेजा जाएगा, जिससे प्राप्त डेटा के आधार पर वैज्ञानिकों को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर संसाधनों का मानचित्र तैयार करने में मदद मिलेगी, जो कि भविष्य में चंद्रमा पर दीर्घकालिक मानव अन्वेषण मिशनों के लिये काफी महत्त्वपूर्ण होगा। इस मोबाइल रोबोट के माध्यम से चंद्रमा की सतह पर सटीक स्थानों और बर्फ की सांद्रता का निर्धारण करने तथा चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पर्यावरण एवं संभावित संसाधनों का मूल्यांकन करने में मदद मिलेगी। यह रोवर वातावरण एवं मिट्टी के विभिन्न प्रकारों का पता लगाने के लिये विशिष्ट प्रणाली का उपयोग कर चंद्रमा के क्रेटरों का अध्ययन करेगा। इस रोवर का डिज़ाइन चंद्रमा पर अन्वेषण संबंधी ‘रिसोर्स प्रॉस्पेक्टर’ नामक एक पूर्व रोबोटिक अवधारणा का ही उन्नत रूप है, जिसे नासा ने वर्ष 2018 की शुरुआत में रद्द कर दिया था। ज्ञात हो कि ‘आर्टेमिस चंद्रमा अन्वेषण कार्यक्रम’ के माध्यम से नासा वर्ष 2024 तक पहली महिला और अगले पुरुष को चंद्रमा पर भेजना चाहता है। इस मिशन का लक्ष्य चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव सहित चंद्रमा की सतह पर अंतरिक्ष यात्रियों को उतारना है।
दिल्ली में साँपों की आठ नई प्रजातियाँ
- दिल्ली विश्वविद्यालय के शोधकर्त्ताओं द्वारा किये गए पाँच वर्षीय व्यापक अध्ययन के बाद राष्ट्रीय राजधानी में मौजूद साँँपों की सूची में आठ और प्रजातियों को शामिल किया गया है। इस शोध के माध्यम से वर्ष 1997 की ‘फौना ऑफ दिल्ली’ नामक पुस्तक में उल्लिखित सूची को अपडेट किया गया है, जिसका उपयोग व्यापक रूप से दिल्ली की मूल प्रजातियों को ट्रैक करने के लिये किया जाता है। इस शोध के साथ राजधानी में मौजूद साँँपों की प्रजातियों की संख्या 23 तक पहुँच गई है। इस अध्ययन में 23 प्रजातियों और नौ परिवारों में कुल 329 साँप दर्ज किये गए। सूची में शामिल किये गए नए साँपों में- कॉमन ब्रोंजबैक ट्री स्नेक, कॉमन ट्रिंकेट स्नेक, कॉमन कैट स्नेक, बैरड वुल्फ स्नेक, कॉमन कुकरी, स्ट्रीक्ड कुकरी, कॉमन सैंडबोआ और सॉ-स्केल्ड वाइपर शामिल हैं। दिल्ली जीव-जंतुओं के संरक्षण की दृष्टि से काफी महत्त्वपूर्ण स्थल है, क्योंकि यहाँ प्राचीन अरावली पहाड़ों के अंतिम हिस्से मौजूद हैं। इस लिहाज़ से दिल्ली अपनी घनी आबादी वाले शहरी क्षेत्र के बीच देशी वनस्पतियों, जीवों और जैव विविधता के संरक्षण का एक महत्त्वपूर्ण अवसर प्रदान करती है।
नरिंदर बत्रा
- हॉकी की वैश्विक संस्था ‘अंतर्राष्ट्रीय हॉकी महासंघ’ (FIH) की 47वीं काॅन्ग्रेस के दौरान भारतीय ओलंपिक संघ (IOA) प्रमुख नरिंदर बत्रा को लगातार दूसरी बार ‘अंतर्राष्ट्रीय हॉकी महासंघ’ के अध्यक्ष के रूप में चुना गया है। नरिंदर बत्रा वर्तमान में भारतीय ओलंपिक संघ के अध्यक्ष और अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति के सदस्य भी हैं। नरिंदर बत्रा वर्ष 2024 तक ‘अंतर्राष्ट्रीय हॉकी महासंघ’ के अध्यक्ष का पदभार संभालेंगे। ज्ञात हो कि वर्ष 2016 में महासंघ की 45वीं काॅन्ग्रेस के दौरान शीर्ष पद के लिये चुने जाने के बाद नरिंदर बत्रा ‘अंतर्राष्ट्रीय हॉकी महासंघ’ के पहले गैर-यूरोपीय अध्यक्ष बने थे। अनुभवी भारतीय खेल प्रशासक नरिंदर बत्रा इस वैश्विक महासंघ के 92 वर्ष पुराने इतिहास में शीर्ष पद हासिल करने वाले एकमात्र एशियाई बने हुए हैं। ‘अंतर्राष्ट्रीय हॉकी महासंघ’ (FIH) की स्थापना 07 जनवरी, 1924 को पेरिस में हुई थी। यह महासंघ अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हॉकी को विनियमित करने वाला अंतर्राष्ट्रीय निकाय है।
रास बिहारी बोस
- 25 मई, 2021 को उपराष्ट्र पति ने क्रांतिकारी नेता रास बिहारी बोस की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि दी। 25 मई, 1886 को बंगाल प्रांत के सुबलदाहा गाँव में जन्मे रास बिहारी बोस ने गदर आंदोलन का नेतृत्वस करने से लेकर भारतीय राष्ट्रीय सेना की स्थापना तक स्वतंत्रता संग्राम में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। रास बिहारी बोस वर्ष 1789 की फ्राँँसीसी क्रांति से खासा प्रभावित थे। वर्ष 1905 में बंगाल विभाजन और उसके बाद की घटनाओं ने रास बिहारी बोस को क्रांतिकारी गतिविधियों में शामिल होने के लिये प्रेरित किया। उन्होंने प्रख्यात क्रांतिकारी नेता जतिन बनर्जी के मार्गदर्शन में अपनी क्रांतिकारी गतिविधियों का संचालन किया। गदर आंदोलन में उन्होंने महत्त्वपूर्ण भूमिका तो निभाई किंतु यह अल्पकालिक थी, क्योंकि जल्द ही ब्रिटिश अधिकारियों के खिलाफ विद्रोह की उनकी योजना का खुलासा हो गया था, जिसने अंततः उन्हें जापान जाने के लिये मजबूर कर दिया, जहाँ उनकी क्रांतिकारी गतिविधियों का नया अध्याय उनकी प्रतीक्षा कर रहा था। वर्ष 1942 में जापान के टोक्यो में रासबिहारी बोस ने 'आज़ाद हिंद फौज़' की स्थापना की। 'आजाद हिंद फौज' की स्थापना का उद्देश्य द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान अंग्रेज़ोंं के खिलाफ लड़ना था। जापान ने 'आज़ाद हिंद फौज़' के गठन में सहयोग दिया था। बाद में 'आज़ाद हिंद फौज़' की कमान सुभाषचंद्र बोस के हाथों में सौंप दी गई। स्वतंत्रता संग्राम में उनकी महत्त्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए जापान की सरकार ने उन्हें 'सेकंड ऑर्डर ऑफ मेरिट ऑफ द राइजिंग सन' से सम्मानित किया था।
मेकेदतु बाँध परियोजना
- नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने कर्नाटक के मेकेदातु में कावेरी नदी पर एक जलाशय के निर्माण में मानदंडों के कथित उल्लंघन पर रिपोर्ट प्रस्तुत करने हेतु एक समिति का गठन किया है। यह निर्देश ट्रिब्यूनल द्वारा एक मीडिया रिपोर्ट का स्वत: संज्ञान लेने के बाद आया है, जिसके मुताबिक कर्नाटक ने कावेरी नदी पर एक बाँध निर्माण का प्रस्ताव किया है और यह प्रस्ताव कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा पूर्व में दो बार स्थगित कर दिया गया था। ज्ञात हो कि मेकेदतु, कावेरी और उसकी सहायक अर्कावती नदी के संगम पर स्थित एक गहरी घाटी है। इस परियोजना के तहत कर्नाटक सरकार द्वारा मेकेदतु के निकट कावेरी नदी पर एक जलाशय का निर्माण किये जाने का प्रस्ताव है। तकरीबन 9,000 करोड़ रुपए की लागत वाली इस परियोजना का उद्देश्य बंगलूरू शहर के लिये पीने के पानी की आपूर्ति करना तथा एक जल विद्युतस्टेशन के लिये पानी का प्रयोग करना है। यह कावेरी वन्यजीव अभयारण्य के बीच में स्थित है। आलोचकों का मत है कि इस परियोजना के कारण कावेरी वन्यजीव अभयारण्य का 63 प्रतिशत वन क्षेत्र जलमग्न हो जाएगा। तमिलनाडु ने भी इस परियोजना को लेकर आपत्ति ज़ाहिर की है, क्योंकि इससे तमिलनाडु में कावेरी नदी का प्रवाह प्रभावित होगा।
हॉकी इंडिया
- भारत में हॉकी के विकास में योगदान देने हेतु ‘हॉकी इंडिया’ को प्रतिष्ठित एटियेन ग्लिचच पुरस्कार के लिये चुना गया है। पुरस्कार की घोषणा हॉकी के वैश्विक शासी निकाय ‘अंतर्राष्ट्रीय हॉकी महासंघ’ (FIH) द्वारा 47वीं काॅॅन्ग्रेस के दौरान की गई है। यह पुरस्कार व्यक्तियों, टीमों और संगठनों को हॉकी के खेल तथा इसे बढ़ावा देने में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिये मान्यता प्रदान करता है। इसके अलावा बेहतर अवसंरचना निर्माण के लिये ‘उज़्बेकिस्तान हॉकी महासंघ’ ने ‘पाब्लो नेग्रे पुरस्कार’ और स्कूली बच्चों को प्रशिक्षित करने के लिये ‘पोलिश हॉकी संघ’ ने ‘थियो इकेमा पुरस्कार’ जीता है। ‘हॉकी इंडिया’ भारत में पुरुष और महिला हॉकी गतिविधियों को संचालित करने की शीर्ष संस्था है। इसे युवा मामलों और खेल मंत्रालय (भारत सरकार) द्वारा देश में हॉकी को बढ़ावा देने के लिये राष्ट्रीय खेल संघ के रूप में मान्यता प्राप्त है। 20 मई, 2009 को स्थापित ‘हॉकी इंडिया’ वर्तमान में अंतर्राष्ट्रीय हॉकी महासंघ (FIH), भारतीय ओलंपिक संघ (IOA) और एशियाई हॉकी महासंघ (AHF) से भी संबद्ध है।
एड्डू शहर में भारत का नया महावाणिज्य दूतावास
- केंद्रीय मंत्रिमंडल ने वर्ष 2021 में मालदीव के एड्डू शहर में भारत का नया महावाणिज्य दूतावास खोलने की मंज़ूरी दे दी है। भारत और मालदीव के बीच जातीय, भाषायी, सांस्कृतिक, धार्मिक और वाणिज्यिक संबंध हैं। भारत की पड़ोसी को तरजीह देने और इस क्षेत्र में सबके लिये सुरक्षा तथा विकास की नीति में मालदीव का महत्त्वपूर्ण स्था।न है। मालदीव में भारत का महावाणिज्य दूतावास खुलने से मालदीव में भारत की राजनयिक उपस्थिति को बढ़ाने में मदद मिलेगी। मालदीव में दूसरा सबसे बड़ा भारतीय प्रवासी समुदाय है, जिसकी अनुमानित संख्या लगभग 22,000 है। इसके अतिरिक्त मालदीव में लगभग 25 प्रतिशत डॉक्टर और शिक्षक भारतीय हैं। भारत वर्तमान में मालदीव में 2 अरब डॉलर की बड़ी बुनियादी अवसंरचना परियोजनाओं को लागू कर रहा है, जिसमें बंदरगाह, सड़क, पुल, पानी और स्वच्छता आदि शामिल हैं। राष्ट्रपति इब्राहिम सोलिह की ‘इंडिया फर्स्ट’ नीति से भी द्विपक्षीय संबंधों को फायदा हुआ है।
अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण
- अंतर्राष्ट्री य वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण (IFSCA) ने ‘निवेश कोष’ के संबंध में एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया है। ‘कोटक महिंद्रा परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनी लिमिटेड’ के प्रबंध निदेशक नीलेश शाह की अध्यक्षता में गठित यह समिति अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र में निवेश संबंधी वित्तीय योजनाओं की रूपरेखा तैयार करने की सिफारिश करेगी। इस समिति में प्रौद्योगिकी, वितरण, कानूनी, अनुपालन और संचालन जैसे क्षेत्रों सहित समग्र फंड प्रबंधन पारिस्थितिकी तंत्र के प्रतिनिधि शामिल हैं।। यह समिति वैश्विक वित्तीय गतिविधियों की समग्र समीक्षा और उद्योगों की कार्ययोजना के बारे में सिफारिशें करने के लिये गठित की गई है। IFSCA की स्थापना अप्रैल 2020 में अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण विधेयक, 2019 के तहत की गई थी। IFSC घरेलू अर्थव्यवस्था के अधिकार क्षेत्र से बाहर के ग्राहकों को आवश्यक सेवाएँ उपलब्ध कराता है। इसका मुख्यालय गांधीनगर (गुजरात) की ‘गिफ्ट सिटी’ में स्थित है। यह भारत में अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र (IFSC) में वित्तीय उत्पादों, वित्तीय सेवाओं और वित्तीय संस्थानों के विकास तथा विनियमन के लिये एक एकीकृत प्राधिकरण है। इसकी स्थापना IFSC में ‘ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस’ को बढ़ावा देने और एक विश्व स्तरीय नियामक वातावरण प्रदान करने के लिये की गई है।
नासा का नया ‘अर्थ ऑब्ज़र्वेटरी सिस्टम’
- नासा जलवायु परिवर्तन, आपदा शमन, वनाग्नि का मुकाबला करने और वास्तविक समय की कृषि प्रक्रियाओं में सुधार से संबंधित प्रयासों का मार्गदर्शन करने हेतु महत्त्वपूर्ण जानकारी प्रदान करने के लिये पृथ्वी-केंद्रित मिशनों को शुरू करेगा। इस नए ‘अर्थ ऑब्ज़र्वेटरी सिस्टम’ के तहत प्रत्येक उपग्रह को दूसरे उपग्रह के पूरक के रूप में विशिष्ट रूप से डिज़ाइन किया जाएगा, जो पृथ्वी की सतह से लेकर वायुमंडल तक का एक 3D एवं समग्र दृश्य प्रदान करने में सक्षम होगा। यह नई ऑब्ज़र्वेटरी ‘नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज़, इंजीनियरिंग और मेडिसिन’ (NASEM) द्वारा वर्ष 2017 में की गई सिफारिशों के आधार पर गठित की गई है, जिसके तहत महत्त्वाकांक्षी किंतु गंभीर रूप से आवश्यक अनुसंधान एवं अवलोकन पर ज़ोर दिया गया था। इस ऑब्ज़र्वेटरी का प्राथमिक लक्ष्य इस तथ्य का अध्ययन करना है कि एरोसोल वैश्विक ऊर्जा संतुलन को किस प्रकार प्रभावित कर रहा है, जो कि जलवायु परिवर्तन संबंधी भविष्यवाणी में अनिश्चितता का एक प्रमुख स्रोत है। यह ऑब्ज़र्वेटरी सूखे का आकलन एवं पूर्वानुमान, कृषि हेतु पानी के उपयोग संबंधी योजना निर्माण के लिये आवश्यक तथ्य प्रदान करने के साथ-साथ प्राकृतिक आपदा प्रतिक्रिया का भी समर्थन करेगी।
अफ्रीकी वायलेट
- इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च (IISER), भोपाल के वैज्ञानिकों ने मिज़ोरम में अफ्रीकी वायलेट के एक नए प्रकार की खोज की है। ‘डिडिमोकार्पस विकिफंकिया’ नामक यह नई प्रजाति वर्तमान में म्याँमार के साथ उत्तर-पूर्वी राज्यों की सीमा के पास केवल तीन स्थानों में ही मौजूद है और इसे एक लुप्तप्राय प्रजाति माना जाता है। यह एक एपिफाइट है यानी एक ऐसा पौधा जो पेड़ों पर उगता है और इसमें मानसून के दौरान हल्के गुलाबी रंग के फूल आते हैं। इस प्रजाति का नाम विख्यात वनस्पतिशास्त्री ‘विकी एन फंक’ के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने अमेरिका में स्मिथसोनियन इंस्टीट्यूट में काम किया था। आमतौर पर ‘अफ्रीकी वायलेट’ के रूप में प्रसिद्ध प्रजाति ‘डिडिमोकार्पस’ मूल रूप से तंजानिया और केन्या से है और यह बागवानी के क्षेत्र में काफी लोकप्रिय है, जिसे प्रायः यूरोपीय देशों में घरेलू पौधे के रूप में प्रयोग किया जाता है। इस खोज ने पूर्वोत्तर की पुष्प विविधता के महत्त्व और उसे संरक्षित करने की आवश्यकता को रेखांकित किया है।
विश्व थायराइड दिवस
- थायराइड के संबंध में जागरूकता बढ़ाने और इसके उपचार हेतु लोगों को शिक्षित करने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष 25 मई को विश्व थायराइड दिवस का आयोजन किया जाता है। विश्व थायराइड दिवस की शुरुआत वर्ष 2008 में की गई थी। इस दिवस की स्थापना मुख्य रूप से थायराइड के नए उपचारों के बारे में जागरूकता बढ़ाने और शिक्षा तथा रोकथाम कार्यक्रमों की तत्काल आवश्यकता पर ध्यान केंद्रित करने के लिये विश्व स्तर पर अमेरिकन थायराइड एसोसिएशन (ATA) और यूरोपीय थायराइड एसोसिएशन (ETA) के नेतृत्त्व में चल रहे अभियान के एक हिस्से के रूप में की गई थी। थायराइड ग्रंथि, गर्दन के सामने वाले हिस्से में पाई जाती है। आँकड़ों के अनुसार, प्रत्येक 10वाँ वयस्क हाइपोथायराॅॅयडिज़्म (Typothyroidism) रोग से ग्रसित है, इस रोग में थायराइड ग्रंथि पर्याप्त थायराइड हार्मोन्स का उत्पादन नहीं कर पाती है।
पंडित जवाहरलाल नेहरू
- 27 मई, 2021 को देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की 57वीं पुण्यतिथि मनाई गई। पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर, 1889 को इलाहाबाद (अब प्रयागराज) में हुआ था। भारत से प्राथमिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद वे इंग्लैंड चले गए और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से उन्होंने प्राकृतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। वर्ष 1912 में वे भारत लौटे और राजनीति से जुड़ गए। वर्ष 1912 में उन्होंने एक प्रतिनिधि के रूप में बांकीपुर सम्मेलन में भाग लिया एवं वर्ष 1919 में इलाहाबाद के होम रूल लीग के सचिव बने। पंडित नेहरू सितंबर 1923 में अखिल भारतीय कॉन्ग्रेस कमेटी के महासचिव बने। वर्ष 1929 में वे भारतीय राष्ट्रीय सम्मेलन के लाहौर सत्र के अध्यक्ष चुने गए जिसका मुख्य लक्ष्य देश के लिये पूर्ण स्वतंत्रता प्राप्त करना था। उन्हें वर्ष 1930-35 के दौरान नमक सत्याग्रह एवं कई अन्य आंदोलनों के कारण कई बार जेल जाना पड़ा। नेहरू जी सर्वप्रथम वर्ष 1916 के लखनऊ अधिवेशन में महात्मा गांधी के संपर्क में आए और गांधी जी से काफी अधिक प्रभावित हुए। नेहरू जी बच्चों से काफी अधिक प्रेम करते थे, जिसके कारण देश भर में प्रत्येक वर्ष नेहरू जी के जन्म दिवस (14 नवंबर) को बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है। पंडित नेहरू को कॉन्ग्रेस द्वारा स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री के रूप में पद संभालने के लिये चुना गया। चीन से युद्ध के बाद नेहरू जी के स्वास्थ्य में गिरावट आने लगी और 27 मई, 1964 को उनकी मृत्यु हो गई।
स्मार्ट विंडो मैटेरियल
- भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान-गुवाहाटी (IIT-G) के शोधकर्त्ताओं ने घरों और इमारतों में स्वचालित जलवायु नियंत्रण के लिये स्मार्ट विंडो मैटेरियल विकसित किया है। इस प्रकार का स्मार्ट विंडो मैटेरियल इमारतों के लिये कुशल स्वचालित जलवायु नियंत्रण प्रणाली विकसित करने में काफी मददगार होगा। हाल के वर्षों में इमारतों में बेहतर रोशनी और ऊष्मा प्रबंधन के लिये सतत् आर्किटेक्चर डिज़ाइनों पर ध्यान दिया गया है और इस प्रकार की स्मार्ट विंडो प्रणाली इस दिशा में पहला कदम हो सकती है। शोधकर्त्ताओं ने दो अल्ट्रा-थिन मेटल लेयर्स से बने इलेक्ट्रो-ट्यून करने योग्य ग्लास का निर्माण किया है, जिसके ‘अपवर्तनांक’ (Refractive Index) को कम वोल्टेज के माध्यम से भी बदला जा सकता है और जो दृश्य एवं अवरक्त विकिरण को फिल्टर करता है। IIT-गुवाहाटी की टीम ने उत्कृष्ट धातुओं का उपयोग करके स्मार्ट विंडो 'ग्लास' तैयार किया है, जो मौसम/जलवायु की स्थिति के आधार पर सौर विकिरण की तीव्रता को नियंत्रित कर सकता है। यह स्मार्ट ग्लास वाहनों, लोकोमोटिव, हवाई जहाज़ और ग्रीनहाउस आदि में कुशल स्वचालित जलवायु नियंत्रण की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण हो सकता है।
एरिक कार्ले
- हाल ही में विश्व प्रसिद्ध अमेरिकी बाल साहित्यकार, चित्रकार और डिज़ाइनर ‘एरिक कार्ले’ का 91 वर्ष की आयु में निधन हो गया है। 25 जून, 1929 को अमेरिका के न्यूयॉर्क में जन्मे एरिक कार्ले ने कई प्रसिद्ध बाल पुस्तकें प्रकाशित कीं, जिसमें उनकी सबसे प्रमुख पुस्तक ‘द वैरी हंगरी कैटरपिलर’ (1969) भी शामिल है, जिसकी वर्ष 2018 तक लगभग 50 मिलियन प्रतियाँ बिक चुकी थीं और 60 से अधिक भाषाओं में उसका अनुवाद किया गया है। एरिक कार्ले ने जर्मनी से ग्राफिक आर्ट की पढाई की और वे वर्ष 1950 में ग्रेजुएट हुए, जिसके बाद एरिक कार्ले वर्ष 1952 में पुनः न्यूयॉर्क (अमेरिका) आ गए। यहाँ उन्होंने ‘द न्यूयॉर्क टाइम्स’ में एक ग्राफिक डिज़ाइनर के रूप में काम किया और बाद में उन्हें कोरियाई युद्ध के दौरान सेना में शामिल कर लिया गया। सेना से लौटने पर वे ‘द न्यूयॉर्क टाइम्स’ में पुनः शामिल हो गए। इसके बाद उन्होंने प्रसिद्ध बाल साहित्यकार बिल मार्टिन जूनियर के साथ कार्य किया और वर्ष 1967 में उन्होंने ‘ब्राउन बियर, ब्राउन बियर, व्हाट डू यू सी?’ नामक पुस्तक प्रकाशित की, जो उस समय की सबसे अधिक बिकने वाली पुस्तक बनी और जिसने कई पुरस्कार भी जीते। एरिक कार्ले ने अपने कॅॅरियर में 75 से अधिक पुस्तकें लिखी और/या उनमें चित्रकारी की।
पेन्पा त्सेरिंग
- 53 वर्षीय पेन्पा त्सेरिंग को धर्मशाला स्थित निर्वासित तिब्बती सरकार यानी ‘केंद्रीय तिब्बती प्रशासन’ का अध्यक्ष चुना गया है, जिसे आधिकारिक तौर पर ‘सिक्योंग’ कहा जाता है। ज्ञात हो कि पेन्पा त्सेरिंग तिब्बत की निर्वासित संसद के पूर्व अध्यक्ष हैं। वर्ष 1967 में कर्नाटक के बाइलाकुप्पे रिफ्यूजी कैंप में जन्मे त्सेरिंग ने बाइलाकुप्पे में तिब्बती केंद्रीय स्कूल से प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की, जिसके बाद उन्होंने मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज, चेन्नई से अर्थशास्त्र में स्नातक की पढ़ाई की। पेन्पा त्सेरिंग ने अपने कॉलेज के दौरान तिब्बती स्वतंत्रता आंदोलन और नाइजीरियाई-तिब्बत मैत्री संघ के महासचिव के रूप में कार्य किया तथा बाद में वर्ष 2001-08 तक दिल्ली में तिब्बती संसदीय एवं अनुसंधान केंद्र में कार्यकारी निदेशक के रूप में कार्य किया। नियमों के मुताबिक, दुनिया भर के किसी भी देश में रह रहे 18 वर्ष से अधिक आयु के तिब्बती शरणार्थी मतदान में हिस्सा ले सकते हैं। ज्ञात हो कि भारत समेत विश्व भर के तमाम देशों में 1.3 लाख से अधिक शरणार्थी मौजूद हैं। निर्वासित तिब्बती सरकार या ‘केंद्रीय तिब्बती प्रशासन’ को भारत सहित विश्व स्तर पर किसी भी देश द्वारा आधिकारिक रूप से मान्यता प्रदान नहीं की गई है।
एमनेस्टी इंटरनेशनल दिवस
- प्रतिवर्ष 28 मई को ‘एमनेस्टी इंटरनेशनल दिवस’ का आयोजन किया जाता है। ‘एमनेस्टी इंटरनेशनल' (Amnesty International) लंदन स्थित एक गैर-सरकारी संगठन है, जिसकी स्थापना 28 मई, 1961 को ‘पीटर बेन्सन’ नामक एक ब्रिटिश वकील द्वारा की गई थी। इस संगठन का प्राथमिक लक्ष्य मानवाधिकारों की रक्षा और उनकी वकालत करना है। पीटर बेन्सन ने एक जनांदोलन के रूप में इस संगठन की स्थापना मुख्य तौर पर दुनिया भर में उन कैदियों को रिहा कराने के उद्देश्य से की थी, जिन्हें अपनी राजनीतिक, धार्मिक या अन्य धर्मनिरपेक्ष मान्यताओं की शांतिपूर्ण अभिव्यक्ति के लिये जेल में कैद किया गया हो, भले ही उन्होंने न कभी हिंसा का इस्तेमाल किया और न ही इसकी वकालत की। विश्व भर में इस संस्था के तीस लाख से अधिक सदस्य और समर्थक हैं। संगठन का उद्देश्य मानवाधिकारों के विरुद्ध हो रहे अत्याचारों पर रोक लगाना और प्रताड़ित लोगों को न्याय दिलाना है। यह संगठन ऐसी दुनिया के निर्माण की दिशा में आगे बढ़ रहा है, जहाँ प्रत्येक व्यक्ति मानवाधिकारों की सार्वभौम घोषणा (UDHR) और अन्य अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संबंधी दस्तावेज़ों में निर्धारित अधिकारों का उपयोग करने में सक्षम हो। साथ ही यह संगठन मानवाधिकारों के मुद्दे पर शोधकार्य भी करता है। संगठन को वर्ष 1977 में शांति के लिये नोबेल पुरस्कार और वर्ष 1978 में मानवाधिकारों के संरक्षण के लिये संयुक्त राष्ट्र का पुरस्कार भी प्रदान किया गया है।
विश्व मासिक धर्म स्वच्छता दिवस
- प्रतिवर्ष 28 मई को विश्व भर में ‘विश्व मासिक धर्म स्वच्छता दिवस’ का आयोजन किया जाता है। इस दिवस की शुरुआत जर्मनी स्थिति एक गैर-लाभकारी संगठन ‘वाॅॅश यूनाइटेड’ द्वारा वर्ष 2013 में की गई थी। ‘मासिक धर्म स्वच्छता दिवस’ एक वैश्विक अभियान है, जो विश्व भर की महिलाओं और लड़कियों के लिये बेहतर मासिक धर्म स्वास्थ्य और स्वच्छता को बढ़ावा देने के लिये गैर-लाभकारी संस्थाओं, सरकारी एजेंसियों, निजी क्षेत्र और मीडिया आदि को एक साथ- एक मंच पर लाता है। इस दिवस का प्राथमिक लक्ष्य मासिक धर्म स्वच्छता के संबंध में जागरूकता को बढ़ावा देना और मासिक धर्म से संबंधित नकारात्मक धारणाओं को समाप्त करना है। साथ ही यह दिवस वैश्विक, राष्ट्रीय और स्थानीय स्तरों पर नीति निर्माताओं को मासिक धर्म स्वास्थ्य और स्वच्छता से संबंधित नीतियों के निर्माण के लिये भी प्रेरित करता है। मासिक धर्म एक महिला के शरीर की सबसे महत्त्वपूर्ण प्रक्रियाओं में से एक है, हालाँकि इस महत्त्वपूर्ण प्रक्रिया के दौरान प्रायः महिलाओं द्वारा विशेष तौर पर ग्रामीण इलाकों में मासिक स्वच्छता पर ध्यान नहीं दिया जाता है, जो कि फंगल या जीवाणु संक्रमण जैसी कई समस्याओं को जन्म दे सकता है। भारत में यूनिसेफ द्वारा किये गए एक अध्ययन के मुताबिक, मासिक धर्म स्वच्छता के बारे में अपर्याप्त जागरूकता के कारण 23 प्रतिशत लड़कियाँ मासिक धर्म शुरू होने के बाद स्कूल छोड़ने के लिये मजबूर होती हैं।
नामीबिया नरसंहार
- जर्मनी ने पहली बार लगभग एक सदी पूर्व अपने औपनिवेशिक शासन के दौरान वर्तमान नामीबिया में हेरेरो और नामा लोगों के विरुद्ध नरसंहार में अपनी भूमिका को स्वीकार किया था और दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्र को एक अरब यूरो से अधिक की वित्तीय सहायता का भी वादा किया है। वर्ष 1904 और वर्ष 1908 के बीच जब हेरो और नामा जनजातियों के लोगों द्वारा जर्मन औपनिवेशिक शासन के खिलाफ विद्रोह किया गया तो औपनिवेशिक शासकों ने हज़ारों पुरुषों, महिलाओं और बच्चों को मार डाला था। उस समय इस क्षेत्र को ‘जर्मन दक्षिण पश्चिम अफ्रीका’ के रूप में जाना जाता था। वर्ष 1884 से वर्ष 1890 के बीच जर्मनी ने औपचारिक रूप से वर्तमान नामीबिया के कुछ हिस्सों का उपनिवेश बनाया , जो यूरोपीय राष्ट्र (जर्मनी) से लगभग दोगुना बड़ा था, लेकिन घनी आबादी वाला नहीं था। वर्ष 1903 तक लगभग 3,000 जर्मन लोगों ने इस क्षेत्र के महत्त्वपूर्ण हिस्से पर कब्ज़ा कर लिया था। जर्मन लोगों की संख्या बढ़ने के साथ तनाव भी बढ़ने लगा, क्योंकि वहाँ की स्थानीय जनजातियों ने जर्मन लोगों को अपनी भूमि और संसाधनों के लिये खतरे के रूप में देखा। इसके बाद वर्ष 1904 में हेरेरो और नामा जनजातियों ने जर्मनी के विरुद्ध सशस्त्र संघर्ष कर शुरू कर दिया। आगामी तीन वर्षों में, हज़ारों नामा और हेरेरो पुरुषों, महिलाओं तथा बच्चों को मार दिया गया और कई लोगों को कई कंसंट्रेशन कैंप में भेज दिया गया एवं उन्हें ज़बरन श्रम के लिये इस्तेमाल किया गया। जर्मनी ने वर्ष 1915 तक इस क्षेत्र पर शासन करना जारी रखा, जिसके बाद यह क्षेत्र दक्षिण अफ्रीका के नियंत्रण में आ गया और अंततः वर्ष 1990 में नामीबिया को स्वतंत्रता प्राप्त हुई।
माउंट एवरेस्ट दिवस
- नेपाल द्वारा प्रतिवर्ष 29 मई को ‘माउंट एवरेस्ट दिवस’ के रूप में आयोजित किया जाता है। ध्यातव्य है कि 29 मई, 1953 को न्यूज़ीलैंड के पर्वतारोही एडमंड हिलेरी (Edmund Hillary) और उनके तिब्बती गाइड तेनज़िंंग नोर्गे (Tenzing Norgay) द्वारा पहली बार माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई की गई थी। इस पर्वत को तिब्बत में ‘चोमोलुंग्मा’ (Chomolungma) और नेपाल में ‘सागरमाथा’ (Sagarmatha) के नाम से जाना जाता है। माउंट एवरेस्ट दिवस नेपाल के पर्वतीय पर्यटन को बढ़ावा देने का भी एक महत्त्वपूर्ण अवसर प्रदान करता है। नेपाल और तिब्बत (चीन का एक स्वायत्त क्षेत्र) के बीच स्थित तकरीबन 8,848 मीटर (29,035 फीट) ऊँचा माउंट एवरेस्ट हिमालय पर्वत शृंखला की एक चोटी है, जिसे पृथ्वी का सबसे ऊँचा बिंदु माना जाता है। इसकी वर्तमान आधिकारिक ऊँचाई 8,848 मीटर है, जो कि 'पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर' (PoK) में स्थित विश्व के दूसरे सबसे ऊँचे पर्वत के-2 (K-2) से 200 मीटर अधिक है। ध्यातव्य है कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में स्थित के-2 पर्वत की आधिकारिक ऊँचाई 8,611 मीटर है। इस पर्वत का नाम भारत के पूर्व महासर्वेक्षक ‘जॉर्ज एवरेस्ट’ के नाम पर रखा गया था।
हिंदी पत्रकारिता दिवस
- देश भर में प्रत्येक वर्ष 30 मई को ‘हिंदी पत्रकारिता दिवस’ मनाया जाता है। यह दिवस भारतीय पत्रकारों खासतौर पर हिंदी भाषी पत्रकारों के लिये काफी महत्त्वपूर्ण है, साथ ही यह दिवस समाज के विकास में पत्रकारों के योगदान और पारदर्शिता तथा उत्तरदायित्त्व निर्धारण में उनकी भूमिका को रेखांकित करता है। 30 मई, 1826 में पंडित युगल किशोर शुक्ल ने हिंदी के प्रथम समाचार पत्र ‘उदंत मार्तण्ड' के प्रकाशन का शुभारंभ किया था। ‘उदंत मार्तण्ड’ का शाब्दिक अर्थ है ‘समाचार-सूर्य‘। ‘उदंत मार्तण्ड' का प्रकाशन प्रत्येक सप्ताह मंगलवार को किया जाता था। पुस्तकाकार में छपने वाले ‘उदंत मार्तण्ड' के केवल 79 अंक ही प्रकाशित हो सके और दिसंबर, 1827 में वित्तीय संसाधनों के अभाव में इसका प्रकाशन बंद हो गया। इस समाचार पत्र में ब्रज और खड़ी बोली दोनों भाषाओं के मिश्रित रूप का प्रयोग किया जाता था, जिसे इस पत्र के संचालक ‘मध्यदेशीय भाषा’ कहते थे। कानपुर के रहने वाले पंडित युगल किशोर शुक्ल पेशे से एक वकील थे और औपनिवेशिक ब्रिटिश भारत में कलकत्ता में वकील के तौर पर कार्य कर रहे थे। इतिहासकार पंडित युगल किशोर शुक्ल को भारतीय पत्रकारिता का जनक मानते हैं। वहीं बंगाल से हिंदी पत्रकारिता की शुरुआत का श्रेय राजा राममोहन राय को दिया जाता है। हिंदी पत्रकारिता ने इतिहास में एक लंबा सफर तय किया है। 1826 ई. में पंडित युगल किशोर शुक्ल ने जब पत्रकारिता की शुरुआत की थी, तब यह कल्पना करना मुश्किल था कि भारत में पत्रकारिता भविष्य में इतना लंबा सफर तय करेगी।
विश्व तंबाकू निषेध दिवस
- प्रत्येक वर्ष 31 मई को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और वैश्विक साझेदारों द्वारा विश्व तंबाकू निषेध दिवस (WNTD) मनाया जाता है। इस दिवस के आयोजन का प्राथमिक उद्देश्य तंबाकू के हानिकारक उपयोग एवं प्रभाव के विषय में जागरूकता फैलाना तथा किसी भी रूप में तंबाकू के उपयोग को हतोत्साहित करना है। सर्वप्रथम 1987 में विश्व स्वास्थ्य सभा ने 7 अप्रैल, 1988 को ‘विश्व धूम्रपान निषेध दिवस’ के रूप में आयोजित करने हेतु प्रस्ताव पारित किया था। इसके पश्चात् वर्ष 1988 में प्रतिवर्ष 31 मई को ‘विश्व तंबाकू निषेध दिवस’ मनाने का आह्वान करते हुए प्रस्ताव पारित किया गया। इस वार्षिक उत्सव के आयोजन का उद्देश्य न केवल तंबाकू के उपयोग के खतरों के बारे में लोगों को जागरूकता करना है, बल्कि तंबाकू कंपनियों की व्यावसायिक प्रथाओं के विकास को भी हतोत्साहित करना है। वर्ष 2021 के लिये इस दिवस की थीम है- ‘कमिट टू क्विट’। विश्व स्वास्थ्य संगठन की मानें तो धूम्रपान करने वाले लोगों में कोविड-19 से गंभीर संक्रमण और मृत्यु का खतरा 50 प्रतिशत तक अधिक होता है। इसके अलावा तंबाकू गंभीर और घातक स्थितियों जैसे कि हृदय रोग एवं फेफड़ों में कैंसर आदि के मुख्य कारणों में से एक है।
‘इंडियन ब्रॉडकास्टिंग फाउंडेशन’ के नाम में परिवर्तन
- जल्द ही प्रसारकों की सर्वोच्च संस्था ‘इंडियन ब्रॉडकास्टिंग फाउंडेशन’ (IBF) का नाम बदलकर ‘इंडियन ब्रॉडकास्टिंग एंड डिजिटल फाउंडेशन’ (IBDF) किया जाएगा। ज्ञात हो कि सभी डिजिटल ओवर-द-टॉप स्ट्रीमिंग फर्मों को विनियमित करने हेतु डिजिटल प्लेटफॉर्म को कवर करने के लिये ‘इंडियन ब्रॉडकास्टिंग फाउंडेशन’ के दायरे का विस्तार किया जा रहा है। ‘इंडियन ब्रॉडकास्टिंग एंड डिजिटल फाउंडेशन’ द्वारा डिजिटल मीडिया से संबंधित सभी मामलों को संभालने के लिये एक नई पूर्ण स्वामित्व वाली अनुषंगी कंपनी का निर्माण किया जाएगा। सरकार द्वारा अधिसूचित सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती संस्थाओं हेतु दिशा-निर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 के अनुसार फाउंडेशन एक स्व-नियामक निकाय का भी गठन किया जाएगा। वर्षों से ‘इंडियन ब्रॉडकास्टिंग फाउंडेशन’ ने एक मज़बूत प्रसारण क्षेत्र का निर्माण करने के लिये सरकार को अनुसंधान-आधारित नीति और नियामक प्रदान करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जो भारतीय मीडिया और मनोरंजन क्षेत्र के लिये काफी महत्त्वपूर्ण है। सरकार ने इस वर्ष फरवरी माह में डिजिटल और ओवर-द-टॉप प्लेटफॉर्म के विनियमन के लिये त्रिस्तरीय तंत्र की शुरुआत कर अपने नियंत्रण को मज़बूत किया था।
संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिक अंतर्राष्ट्रीय दिवस
- संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा प्रतिवर्ष 29 मई को ‘संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिक अंतर्राष्ट्रीय दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। इस दिवस का मुख्य उद्देश्य शांति स्थापना के लिये शहीद हुए सैनिकों को याद करना एवं उनका सम्मान करना है। आधिकारिक सूचना के मुताबिक, बीते वर्ष विभिन्न अभियानों में संयुक्त राष्ट्र के 130 शांति सैनिकों ने अपनी जान गँवाई थी और वर्ष 1948 में संयुक्त राष्ट्र शांति मिशनों की शुरुआत से अब तक 4000 लोग मारे जा चुके हैं। ज्ञात हो कि पहले संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन का गठन 29 मई, 1948 को किया गया था जब ‘संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद’ ने मध्य पूर्व में संयुक्त राष्ट्र के सैन्य पर्यवेक्षकों की एक छोटी टुकड़ी की तैनाती को अधिकृत किया था। यह दिवस वर्ष 2003 में पहली बार मनाया गया था। संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुसार, प्रत्येक सदस्य राष्ट्र वैश्विक शांति के लिये अपने संबंधित हिस्से का भुगतान करने के लिये कानूनी रूप से बाध्य है। स्थानीय समुदायों का समर्थन करने के साथ-साथ शांति सैनिकों को कोविड-19 महामारी के प्रभावों से भी जूझना पड़ा रहा है।
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