जून 2021 समसामयिकी सार | June 2021 Current Affair Summary in Hindi
जून 2021 समसामयिकी सारJune 2021 Current Affair Summary in Hindi
डेल्टा और कप्पा
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कोरोना वायरस के दो वैरिएंट B.1.617.1 और B.1.617.2 का नामकरण किया है। अब B.1.617.1 वैरिएंट को कप्पा (Kappa) और B.1.617.2 वैरिएंट को डेल्टा (Delta) कहा जाएगा। ये दोनों वैरिएंट सबसे पहले भारत में पाए गए थे। WHO द्वारा कोरोना वायरस के दो नए वैरिएंट्स का नाम डेल्टा और कप्पा रखने का फैसला भारत की आपत्ति के करीब तीन हफ्ते बाद आया। UN हेल्थ एजेंसी के अनुसार एक एक्सपर्ट ग्रुप ने अल्फा, बीटा और गामा जैसे ग्रीक अल्फाबेट के लेबलिंग की पैरवी की थी ताकि नॉन-साइंटिफिक लोगों को लिये इसका उच्चारण आसान हो जाए तथा साथ ही उनकी उत्पत्ति वाले देशों से उनका लेबल हटा दिया जाए।
बिज़नेस कॉन्फिडेंस सर्वे
- भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ- फिक्की द्वारा प्रकाशित त्रैमासिक “बिज़नेस कॉन्फिडेंस सर्वे” के अनुसार, मई 2021 के दौरान भारतीय कंपनियों का कारोबारी विश्वास तीन तिमाहियों में अपने सबसे निचले स्तर पर रहा, जबकि पिछले सर्वेक्षण में यह विश्वास पूरे दशक के उच्च स्तर पर था। सर्वेक्षण के निष्कर्षों के अनुसार, वर्तमान परिस्थितियों के कारण व्यापार विश्वास सूचकांक (BCI) में गिरावट दर्ज की गई है। पिछले सर्वेक्षण में BCI स्तर 2 पर था जबकि नवीनतम सर्वेक्षण में यह 1.5 पर है। सर्वेक्षण के अनुसार, रोज़गार और निर्यात में भी गिरावट दर्ज की गई है। ध्यातव्य है कि फिक्की भारत के व्यापारिक संगठनों का संघ है जिसकी स्थापना वर्ष 1927 में महात्मा गांधी की सलाह पर घनश्याम दास बिड़ला एवं पुरुषोत्तम ठक्कर द्वारा की गई थी। इसका मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है।
‘NGC 691’ सर्पिल आकाशगंगा
- हाल ही में अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के हबल स्पेस टेलीस्कोप ने ‘NGC 691’ नामक एक सर्पिल आकाशगंगा की तस्वीर खींची है। ‘NGC 691’ एक सर्पिल आकाशगंगा है, जो पृथ्वी से लगभग 125 मिलियन प्रकाश वर्ष दूर स्थित है। इस आकाशगंगा की खोज जर्मनी में जन्मे ब्रिटिश खगोलशास्त्री विलियम हर्शल ने 13 नवंबर, 1786 को की थी। यह ‘NGC 691 समूह’ का सबसे प्रमुख सदस्य है, जो विभिन्न आकृतियों और रंगों की नौ आकाशगंगाओं का संग्रह है। ‘NGC 691’ को ‘LEDA 6793’, ‘UGC 1305’ और ‘TC 448’ के रूप में भी जाना जाता है और इसका कुल व्यास लगभग 130,000 प्रकाश-वर्ष है। इसमें मल्टीपल रिंग स्ट्रक्चर मौजूद है, जिसमें तीन रिगों की पहचान इंफ्रारेड लाइट के रूप में की गई है। इस आकाशगंगा की तस्वीर हबल के ‘वाइड फील्ड कैमरा-3’ (WFC3) से ली गई गई। हबल स्पेस टेलीस्कोप एक बड़ी अंतरिक्ष-आधारित वेधशाला है, जिसे 1990 में अंतरिक्ष एजेंसी नासा द्वारा लॉन्च किया गया था। वैज्ञानिकों द्वारा हबल टेलीस्कोप का उपयोग सबसे दूर स्थित सितारों और आकाशगंगाओं के साथ-साथ हमारे सौरमंडल के ग्रहों को देखने एवं उनका अवलोकन करने के लिये किया जाता रहा है।
गोवा इंस्टीट्यूशन फॉर फ्यूचर ट्रांसफॉर्मेशन
- गोवा सरकार ने हाल ही में ‘नीति आयोग’ की तर्ज पर ‘गोवा इंस्टीट्यूशन फॉर फ्यूचर ट्रांसफॉर्मेशन’ (GIFT) का गठन किया है। नीति आयोग की तरह ही ‘गोवा इंस्टीट्यूशन फॉर फ्यूचर ट्रांसफॉर्मेशन’ नीति निर्णयन और निर्माण में सरकार की सहायता, सलाह और मार्गदर्शन का कार्य करेगा। राज्य का मुख्यमंत्री इस नए निकाय के अध्यक्ष के रूप में कार्य करेगा। स्वायत्तता प्रदान करने के लिये ‘गोवा इंस्टीट्यूशन फॉर फ्यूचर ट्रांसफॉर्मेशन’ को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 309 द्वारा समर्थन प्राप्त होगा। ध्यातव्य है कि राष्ट्रीय स्तर पर योजना आयोग की समाप्ति के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री स्वर्गीय मनोहर पर्रिकर ने 1 अप्रैल, 2017 को राज्य योजना बोर्ड को भंग कर दिया था। ‘गोवा इंस्टीट्यूशन फॉर फ्यूचर ट्रांसफॉर्मेशन’ राज्य के लिये एक ज्ञान केंद्र के रूप में कार्य करने के साथ-साथ राज्य के सतत् विकास हेतु उपयुक्त सर्वोत्तम प्रथाओं को लागू करने में भी सहायता करेगा।
‘युवा योजना’
- शिक्षा मंत्रालय के तहत उच्च शिक्षा विभाग ने हाल ही में युवा लेखकों को प्रशिक्षित करने के लिये ‘युवा योजना’ की शुरुआत की है। यह युवा एवं नवोदित लेखकों (30 वर्ष से कम आयु) को प्रशिक्षित करने के लिये एक लेखक परामर्श कार्यक्रम है, जिससे पढ़ने, लिखने और पुस्तक संस्कृति को बढ़ावा दिया जा सकेगा व वैश्विक स्तर पर भारत एवं भारतीय लेखन को प्रदर्शित करने में मदद मिलेगी। युवा योजना की शुरुआत युवा लेखकों को भारत के स्वतंत्रता संघर्ष के बारे में लिखने के लिये प्रोत्साहित करने के प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण के अनुरूप है। इसके तहत कार्यान्वयन एजेंसी के रूप में शिक्षा मंत्रालय के अधीन नेशनल बुक ट्रस्ट द्वारा योजना का चरणबद्ध निष्पादन सुनिश्चित किया जाएगा। इस योजना के तहत तैयार की गई पुस्तकों का भी प्रकाशन नेशनल बुक ट्रस्ट करेगा। इसके अलावा संस्कृति और साहित्य के आदान-प्रदान को सुनिश्चित करने के लिये अन्य भारतीय भाषाओं में भी अनुवाद किया जाएगा, जिससे 'एक भारत श्रेष्ठ भारत' को बढ़ावा मिलेगा।
‘स्वास्तिक’ तकनीक
- हाल ही में पुणे स्थित CSIR-राष्ट्रीय रासायनिक प्रयोगशाला (CSIR-NCL) द्वारा प्राकृतिक तेलों का उपयोग कर जल को कीटाणु रहित करने के लिये एक नई तकनीक विकसित की गई है। शोधकर्त्ताओं द्वारा ‘स्वास्तिक’ नामक एक महत्त्वपूर्ण हाइब्रिड तकनीक विकसित की गई है, जिसके तहत दबाव में कमी करके तरल पदार्थ (जैसे-जल) को उबाला जाता है और साथ ही इसमें रोगाणुरोधी गुणों वाले प्राकृतिक तेलों का भी उपयोग किया जाता है। यह तकनीक एंटीबायोटिक-प्रतिरोधी उपभेदों सहित सभी प्रकार के हानिकारक बैक्टीरिया को खत्म करने में सक्षम है। यह न केवल जल के पूर्ण कीटाणुशोधन के लिये आयुर्वेद के भारतीय पारंपरिक ज्ञान को एकीकृत करती है, बल्कि प्राकृतिक तेलों का संभावित स्वास्थ्य लाभ गुण भी प्रदान करती है। जल को कीटाणु रहित करने के लिये रोगजनक सूक्ष्मजीवों को हटाना काफी आवश्यक होता है, जो कई जल-जनित रोगों के लिये उत्तरदायी हैं। हालाँकि कीटाणुशोधन के रासायनिक तरीकों, जैसे- क्लोरीनीकरण आदि के कारण प्रायः हानिकारक या कार्सिनोजेनिक उपभेदों का निर्माण होता है, जो कि उपयोग की दृष्टि से हानिकारक हो सकता है। सुरक्षित पेयजल के महत्त्व को देखते हुए ‘जल जीवन मिशन’ (JJM) के तहत सरकार का लक्ष्य वर्ष 2024 तक सभी ग्रामीण घरों में कार्यात्मक घरेलू नल कनेक्शन या ‘हर घर जल’ सुनिश्चित करना है। 15 अगस्त, 2019 को ‘जल जीवन मिशन’ की घोषणा के बाद से चार करोड़ घरों को नल के पानी के कनेक्शन उपलब्ध कराए गए हैं।
रेड टूरिज़्म
- इस वर्ष चीन की कम्युनिस्ट पार्टी अपनी 100वीं वर्षगाँठ मना रही है और इसी के साथ चीन में ‘रेड टूरिज़्म’ की लोकप्रियता में भी बढ़ोतरी हो रही है। चीन में 'रेड टूरिज़्म’ का तात्पर्य उन स्थलों से है, जहाँ चीन में हुई आधुनिक क्रांति की विरासत मौजूद है। वर्ष 2004 में शुरू की गई इस परियोजना का उद्देश्य सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के इतिहास में ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक महत्त्व वाले स्थलों में पर्यटन को बढ़ावा देना है, साथ ही इससे स्थानीय व्यवसायों को भी काफी मदद मिलेगी। 'रेड टूरिज़्म’ का प्राथमिक उद्देश्य चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के इतिहास के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। उदाहरण के लिये इसमें लॉन्ग मार्च जैसी ऐतिहासिक घटनाएँ और माओत्से तुंग का राजनीतिक सफर आदि शामिल हैं। 'रेड टूरिज़्म’ चीन के जन सामान्य को कम्युनिस्ट पार्टी के नेताओं द्वारा आधुनिक चीन के निर्माण के लिये दिये गए बलिदान की याद दिलाता है। इस तरह चीन की कम्युनिस्ट पार्टी इतिहास और पर्यटन के माध्यम से पार्टी की विचारधारा को मज़बूत कर रही है। 'रेड टूरिज़्म’ के तहत शामिल विभिन्न स्थलों में चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के इतिहास पर संग्रहालय और प्रदर्शनियाँ आयोजित करना भी शामिल है।
‘अंकुर’ योजना
- हाल ही में मध्य प्रदेश सरकार ने ‘अंकुर’ नामक योजना का शुभारंभ किया है, जिसके तहत नागरिकों को मानसून के दौरान पेड़ लगाने के लिये सम्मानित किया जाएगा। पौधरोपण की पहल करने वाले लोगों को उनकी भागीदारी के लिये प्राणवायु पुरस्कार दिया जाएगा। इस योजना के तहत अधिक-से-अधिक जन भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी। जो लोग वृक्षारोपण अभियान में भाग लेना चाहते हैं वे वायुदूत एप पर अपना पंजीकरण करा सकते हैं। प्रतिभागियों को पौधा लगाते समय एक तस्वीर अपलोड करनी होगी और 30 दिनों तक पौधे की देखभाल करने के बाद दूसरी तस्वीर अपलोड करनी होगी। सत्यापन के बाद मुख्यमंत्री प्रत्येक ज़िले से चुने गए विजेताओं को प्राणवायु पुरस्कार प्रदान करेंगे।
बीज मिनीकिट कार्यक्रम
- केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने हाल ही में किसानों को तिलहन एवं दलहन के बीजों की अधिक उपज देने वाली किस्मों का वितरण करके एक ‘बीज मिनीकिट कार्यक्रम’ (Seed Minikit Programme) शुरू किया है। यह मिनीकिट केंद्रीय एजेंसियों भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ लिमिटेड (नेफेड), राष्ट्रीय बीज निगम (NCS) और गुजरात राज्य बीज निगम द्वारा प्रदान की जा रही हैं तथा सरकार द्वारा पूर्णतः ‘राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन’ के माध्यम से वित्तपोषित किया जा रहा है। सरकार द्वारा शुरू किये गए इस कार्यक्रम का उद्देश्य कृषि में नई किस्मों के बीजों को लाना है। यह बीज प्रतिस्थापन दर को बढ़ाने में भी सहायता करेगा। कार्यक्रम के तहत बीजों का वितरण 15 जून, 2021 तक जारी रहेगा, ताकि खरीफ की बुवाई शुरू होने से पहले बीज को किसानों तक पहुँचाया जा सके। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के तहत कुल 20,27,318 दलहन मिनीकिट, 74,000 से अधिक मूँगफली मिनीकिट और 8 लाख सोयाबीन बीज मिनीकिट सीधे किसानों को मुफ्त प्रदान किया जाना है। बीज प्रतिस्थापन अनुपात (SRR) का आशय कृषि से व्युत्पन्न पारंपरिक बीज की तुलना में प्रमाणित/गुणवत्तापूर्ण बीजों के साथ बोए गए कुल फसल क्षेत्र के प्रतिशत से होता है।
बिहार में महिलाओं के लिये आरक्षण
- बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हाल ही में राज्य के इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेजों में लड़कियों के लिये 33 प्रतिशत आरक्षण की घोषणा की है। राज्य के इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेजों में नामांकन में कम-से-कम एक-तिहाई सीटें छात्राओं के लिये आरक्षित होंगी, जिससे इंजीनियरिंग और मेडिकल क्षेत्र में छात्राओं की संख्या में वृद्धि करने में मदद मिलेगी। इसी के साथ बिहार इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेजों में लड़कियों के लिये 33.3 प्रतिशत क्षैतिज कोटा प्रदान करने वाला (देश में) पहला राज्य बन गया है। इस निर्णय से महिलाएँ तकनीकी एवं उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिये और अधिक प्रेरित होंगी। इसके अतिरिक्त राज्य के मुख्यमंत्री ने प्रदेश के सभी 38 ज़िलों में इंजीनियरिंग कॉलेज खोले जाने की घोषणा की है। साथ ही मुख्यमंत्री ने इंजीनियरिंग और चिकित्सा विज्ञान के लिये दो नए विश्वविद्यालय स्थापित करने हेतु दो प्रस्तावित विधेयकों की भी समीक्षा की। राज्य में वर्तमान में 38 सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज हैं, जबकि निजी क्षेत्र में 17 इंजीनियरिंग कॉलेज हैं और इस प्रस्ताव के माध्यम से ये सभी कॉलेज प्रस्तावित ‘बिहार इंजीनियरिंग यूनिवर्सिटी’ के दायरे में आ जाएंगे।
वाईएसआर जगन्ना कॉलोनी परियोजना
- हाल ही में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने ‘नवरत्नालु पेदलंदरिकी इलू कार्यक्रम’ के तहत वाईएसआर जगन्ना कॉलोनी परियोजना का वर्चुअल उद्घाटन किया है। राज्य में गरीब और दलित वर्ग के 30.76 लाख लाभार्थियों को मुफ्त घर का पट्टा वितरित करने के बाद, राज्य सरकार ने अब प्रधानमंत्री आवास योजना की मदद से चरणबद्ध तरीके से उनके लिये घर बनाने का काम शुरू कर दिया है। इस कार्यक्रम के तहत पहले चरण में 28,084 करोड़ रुपए की लागत से कुल 15,60,227 मकान बनाए जाएंगे। घरों का निर्माण दो चरणों में किया जाएगा और प्रत्येक चरण एक वर्ष में पूरा होगा। इस योजना के तहत स्वच्छ पेयजल पर 4,128 करोड़ रुपए, सड़कों और जल निकासी पर 22,587 करोड़ रुपए, बिजली आपूर्ति पर 4,986 करोड़ रुपए, इंटरनेट पर 627 करोड़ रुपए तथा कॉलोनियों संबंधी अन्य सुविधाओं पर 567 करोड़ रुपए खर्च किये जाएंगे। इस योजना को सही ढंग से क्रियान्वित करने के लिये मुख्यमंत्री ने राज्य के सभी 13 ज़िलों में चौथे संयुक्त कलेक्टर की नियुक्ति की घोषणा की है। ज्ञात हो कि राज्य में वर्तमान में प्रत्येक ज़िले में तीन संयुक्त कलेक्टर हैं, जो राज्य सरकार की विभिन्न कल्याण एवं विकास योजनाओं के कार्यान्वयन की देखभाल कर रहे हैं।
फेंग्युन-4B
- हाल ही में चीन ने वर्ष 2021 के अपने 16वें कक्षीय प्रक्षेपण के साथ ‘फेंग्युन-4B’ मौसम उपग्रह को भू-समकालिक स्थानांतरण कक्षा में सफलतापूर्वक भेज दिया है। 5,400 किलोग्राम वज़न वाले ‘फेंग्युन-4B’ उपग्रह का उपयोग मौसम विश्लेषण एवं पूर्वानुमान और पर्यावरण तथा आपदा निगरानी के लिये किया जाएगा। उससे चीन के वातावरण की उच्च आवृत्ति निगरानी और कई छोटे पैमाने एवं छोटी अवधि की मौसमी की घटनाओं की अवलोकन क्षमता में सुधार होगा। ‘फेंग्युन-4B’ सात वर्ष तक पृथ्वी से 35,786 किलोमीटर की ऊँचाई पर भूस्थैतिक कक्षा में कार्य करेगा। ‘फेंग्युन-4B’ का कार्यकाल वर्ष 2016 के अंत में लॉन्च किये गए ‘फेंग्युन-4A’ की अवधि से पाँच वर्ष अधिक है। उपग्रह और लॉन्चर को क्रमशः ‘शंघाई एकेडमी ऑफ स्पेसफ्लाइट टेक्नोलॉजी’ (SAST) और ‘चाइना एकेडमी ऑफ लॉन्च व्हीकल टेक्नोलॉजी’ (CALT) द्वारा विकसित किया गया तथा ये दोनों ही चाइना एयरोस्पेस साइंस एंड टेक्नोलॉजी कॉर्पोरेशन (CASC) की अनुषंगी कंपनियाँ हैं। ‘फेंग्युन-4’ शृंखला के मौसम संबंधी उपग्रह भूस्थिर मौसम उपग्रहों की एक नई जनरेशन है। चीन ने वर्ष 1997 में पूर्ववर्ती ‘फेंग्युन-2 शृंखला शुरू की थी।
डेविड डियोप
- डेविड डियोप ने अपने उपन्यास ‘एट नाइट ऑल ब्लड इज़ ब्लैक’ (वर्ष 2018) के लिये प्रतिष्ठित वार्षिक अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार जीता है। उन्हें यह पुरस्कार इस पुस्तक की अंग्रेज़ी अनुवादक ‘अन्ना मोस्कोवाकिस’ के साथ संयुक्त तौर पर प्रदान किया गया है। डेविड डियोप द्वारा लिखित यह उपन्यास एक सेनेगल सैनिक की कहानी बताता है, जो प्रथम विश्व युद्ध के दौरान फ्रांँस के लिये लड़ते हुए पागल हो जाता है। यह उपन्यास फ्रांँस में ‘बेस्टसेलर’ पुस्तक रही और कई प्रमुख साहित्यिक पुरस्कार जीते। डेविड डियोप एक फ्रेंको-सेनेगल लेखक और अकादमिक हैं, जिनका जन्म वर्ष 1966 में पेरिस में हुआ था। डेविड डियोप वर्तमान में दक्षिणी फ्रांँस के पऊ विश्वविद्यालय में 18वीं सदी का साहित्य पढ़ाते हैं। वह पुरस्कार जीतने वाले पहले फ्रांँसीसी लेखक हैं। ज्ञात हो कि ‘अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार’ अंग्रेज़ी भाषा के प्रतिष्ठित ‘बुकर पुरस्कार’ के समकक्ष हैं। ‘अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार’ अंग्रेज़ी भाषा से इतर अन्य भाषाओं में कार्य करने वाले लेखकों पर केंद्रित है और इसके तहत प्राप्त 50 हज़ार पाउंड यानी 44 लाख रुपए की धनराशि को अनुवादक और लेखक के मध्य विभाजित करना होता है। अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार (पूर्ववर्ती मैन बुकर अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार) मूल बुकर पुरस्कार के एक हिस्से के रूप में वर्ष 2005 में शुरू किया गया था।
रायमोना राष्ट्रीय उद्यान
- विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर असम के मुख्यमंत्री ने भूटान की सीमा से लगे बोडोलैंड प्रादेशिक क्षेत्र (BTR) के तहत कोकराझार ज़िले में ‘रायमोना रिज़र्व फॉरेस्ट’ को राज्य के छठे राष्ट्रीय उद्यान के रूप में घोषित किया है। राज्य के अन्य पाँच राष्ट्रीय उद्यानों में शामिल हैं- काजीरंगा, मानस, नामेरी, ओरंग और डिब्रू-सैखोवा। बोडोलैंड प्रादेशिक क्षेत्र (BTR) के भीतर स्थित रायमोना राष्ट्रीय उद्यान, 422 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र के साथ एक सन्निहित वन का हिस्सा है, जो भारत-भूटान सीमा के साथ अधिसूचित रिपू रिज़र्व वन के उत्तरी भाग को कवर करता है। यहाँ सुनहरे लंगूर, एशियाई हाथियों, बाघों, क्लाउडेड तेंदुआ, भारतीय गौर, जंगली भैंस, चित्तीदार हिरण और हॉर्नबिल के साथ तितलियों की 150 से अधिक प्रजातियों, पक्षियों की 170 प्रजातियों तथा पौधों एवं ऑर्किड की 380 किस्में मौजूद हैं। नया राष्ट्रीय उद्यान उन सीमांत ग्रामीणों के लिये पारिस्थितिकी पर्यटन हेतु महत्त्वपूर्ण अवसर प्रदान करेगा, जो वर्तमान में आंशिक रूप से अथवा पूर्णतः अपनी आजीविका के लिये वन संसाधनों पर निर्भर हैं।
वार्षिक प्राथमिकता क्षेत्र ऋण योजना
- महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने 4,60,881 करोड़ रुपए की राज्य वार्षिक प्राथमिकता क्षेत्र ऋण योजना और 18,10,779 करोड़ रुपए की कुल वार्षिक ऋण योजना की शुरुआत की है। इन्हें महाराष्ट्र की त्रैमासिक राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति (SBLC) की बैठक के दौरान लॉन्च किया गया है। राज्य सरकार ने चालू वित्त वर्ष में कृषि क्षेत्र के लिये बैंकों द्वारा 1.19 लाख करोड़ रुपए के वार्षिक ऋण देने का लक्ष्य रखा है। इसमें से 60,860 करोड़ रुपए खरीफ और रबी सीज़न के फसल ऋण के लिये निर्धारित किये गए हैं। राज्य में बैंकों ने वित्त वर्ष 2021 के दौरान 47,972 करोड़ रुपए के फसली ऋण वितरित किये हैं, जो पिछले पाँच वर्षों में सबसे अधिक है। सरकार ने राज्य में बैंकों को चालू खरीफ 2021 सीज़न के दौरान फसल ऋण संवितरण के तहत अधिक वित्त जारी करने और जून 2021 के अंत तक सीज़न के लक्ष्य हासिल करने की सलाह दी है।
नॉलेज इकॉनमी मिशन’
- हाल ही में केरल सरकार ने राज्य में शिक्षित युवाओं को रोज़गार प्रदान करने और ‘ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था में संलग्न श्रमिकों’ को समर्थन प्रदान करने हेतु चल रही विभिन्न योजनाओं को एक साथ एक कार्यक्रम के तहत लाने के लिये ‘नॉलेज इकॉनमी मिशन’ की शुरुआत की है। इस परियोजना का नेतृत्त्व ‘केरल विकास एवं नवाचार सामरिक परिषद’ (K-DISC) द्वारा किया जा रहा है, जिसे 15 जुलाई से पूर्व एक व्यापक परियोजना रिपोर्ट प्रस्तुत करने का काम सौंपा गया है। इस मिशन के तहत राज्य की ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था में कार्यरत श्रमिकों के लिये बुनियादी सुविधाएँ और एक सामाजिक सुरक्षा प्रणाली प्रदान करने के लिये एक व्यापक योजना तैयार की जाएगी। इस तरह के प्रयासों को गति प्रदान करते हुए कौशल संवर्द्धन, तकनीकी परिवर्तन और उच्च शिक्षा प्रणाली को मज़बूत करने के लिये 'नॉलेज इकोनॉमी फंड' के तहत आवंटन को 200 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 300 करोड़ रुपए कर दिया गया है। राज्य सरकार शिक्षा प्रणाली की जाँच करने और ज्ञान सृजन की क्षमता विकसित करने के लिये शिक्षा प्रणाली के पुनर्निर्माण हेतु कदम सुझाने के लिये एक उच्च आयोग का गठन करेगी।
MSMEs के लिये विश्व बैंक की सहायता
- हाल ही में विश्व बैंक ने कोविड-19 महामारी से प्रभावित व्यवहार्य छोटे व्यवसायों के लिये तरलता पहुँच बढ़ाने हेतु भारत में MSMEs का समर्थन करने के लिये 500 मिलियन डॉलर के कार्यक्रम को मंज़ूरी दी है। विश्व बैंक के कार्यकारी निदेशक मंडल ने MSME क्षेत्र को पुनर्जीवित करने के लिये भारत सरकार की राष्ट्रव्यापी पहल का समर्थन करने हेतु 500 मिलियन के कार्यक्रम को मंज़ूरी दी है, जो कोविड-19 संकट से सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं। यह कार्यक्रम देश के 555,000 MSMEs के प्रदर्शन में सुधार करेगा। विदित हो कि सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSMEs) क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था के लिये काफी महत्त्वपूर्ण है और यह क्षेत्र भारत के सकल घरेलू उत्पाद का 30 प्रतिशत तथा निर्यात में 4 प्रतिशत का योगदान देता है। भारत में मौजूद लगभग 58 मिलियन सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों में से 40 प्रतिशत से अधिक के पास वित्त के औपचारिक स्रोतों तक पहुँच उपलब्ध नहीं है। ज्ञात हो कि इससे पूर्व विश्व बैंक ने जुलाई 2020 में 750 मिलियन डॉलर के ‘एमएसएमई इमरजेंसी रिस्पांस प्रोग्राम’ को स्वीकृति दी थी, जिसका उद्देश्य कोविड-19 महामारी से गंभीर रूप से प्रभावित लाखों व्यवसायों की तत्काल तरलता एवं क्रेडिट संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करना था।
‘एम के-III’ हेलीकॉप्टर
- हाल ही में भारतीय नौसेना ने स्वदेशी रूप से निर्मित तीन उन्नत हल्के ‘एम के-III’ हेलीकॉप्टरों को बेड़े में शामिल किया है। इनका उपयोग समुद्र में निगरानी और तटीय सुरक्षा के लिये किया जाएगा। इन हेलीकॉप्टरों का निर्माण ‘हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड’ (HAL) ने किया है। ये हेलीकॉप्टर आधुनिक निगरानी रडार और इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल उपकरणों से युक्त हैं, जिनके माध्यम से दिन और रात दोनों समय समुद्री सीमा में निगरानी गतिविधियों के साथ-साथ लंबी दूरी की तलाशी एवं बचाव अभियान कुशलतापूर्वक संचालित करने में सक्षम हैं। ज्ञात हो कि ‘एम के-III’ हेलीकॉप्टर भारी मशीन गन से भी लैस हैं। ‘एम के-III’ हेलीकॉप्टरों में ऐसी कई प्रणालियाँ मौजूद हैं, जो पहले केवल भारतीय नौसेना के भारी एवं मल्टी-रोल हेलीकॉप्टरों में ही देखी जाती थीं। गंभीर रूप से बीमार मरीज़ों को एयरलिफ्ट करने और किसी भी प्रकार की स्वास्थ्य आपदा से बचने के लिये ‘एम के-III’ हेलीकॉप्टरों में एक पोर्टेबल चिकित्सा गहन देखभाल इकाई (ICU) भी लगाई गई है। हेलीकॉप्टरों में कई उन्नत एवियोनिक्स भी शामिल हैं, जो इसे सही मायने में प्रत्येक मौसम में इस्तेमाल के लिये उपयुक्त बनाता है।
संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक परिषद
- हाल ही में भारत को वर्ष 2022-24 के कार्यकाल के लिये संयुक्त राष्ट्र के छः प्रमुख अंगों में से एक- संयुक्त राष्ट्र ‘आर्थिक और सामाजिक परिषद’ (ECOSOC) के लिये चुना गया है। संयुक्त राष्ट्र प्रणाली के केंद्र में मौजूद 54 सदस्यीय ‘आर्थिक और सामाजिक परिषद’ का प्राथमिक कार्य सतत् विकास के तीन आयामों- आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरण को आगे बढ़ाना है। यह परिषद वार्ता एवं नवाचार को बढ़ावा देने और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सहमत लक्ष्यों को प्राप्त करने के प्रयासों के समन्वय हेतु एक केंद्रीय मंच है। ‘आर्थिक और सामाजिक परिषद’ (ECOSOC) को संयुक्त राष्ट्र चार्टर के माध्यम से वर्ष 1945 में संयुक्त राष्ट्र के छह मुख्य अंगों में से एक के रूप में स्थापित किया गया था। परिषद में सीटों का आवंटन भौगोलिक प्रतिनिधित्व के आधार पर किया जाता है, जिसमें 14 अफ्रीकी राज्यों, 11 एशियाई राज्यों, छह पूर्वी यूरोपीय राज्यों, 10 लैटिन अमेरिकी एवं कैरेबियाई राज्यों और 13 पश्चिमी यूरोपीय एवं अन्य राज्यों को आवंटित की गई हैं। ज्ञात हो कि भारत वर्तमान में शक्तिशाली संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के एक अस्थायी सदस्य के रूप में कार्यरत है और अगस्त माह में इस 15 सदस्यीय निकाय की अध्यक्षता ग्रहण करेगा।
असम रत्न पुरस्कार
- असम कैबिनेट ने समाज में महत्त्वपूर्ण योगदान देने वाले एक नागरिक को प्रतिवर्ष सम्मानित करने हेतु 'असम रत्न' पुरस्कार की स्थापना करने का निर्णय लिया है। इसके अलावा कैबिनेट ने प्रतिवर्ष तीन लोगों को 'असम विभूषण', पाँच लोगों को 'असम भूषण' और 10 लोगों को 'असम श्री' देने का भी निर्णय लिया है। पुरस्कारों के साथ क्रमशः 5 लाख रुपए, 3 लाख रुपए, 2 लाख रुपए और 1 लाख रुपए का नकद पुरस्कार भी दिया जाएगा, साथ ही गंभीर बीमारी के मुफ्त चिकित्सा उपचार, असम भवनों में मुफ्त प्रवास, एएसटीसी बसों में मुफ्त यात्रा जैसे अन्य लाभ भी प्रदान किये जाएंगे। ज्ञात हो कि वर्तमान में असम में ‘असम रत्न’ पुरस्कार पहले से ही स्थापित है और इसे प्रत्येक तीन वर्ष में एक बार दिया जाता है, लेकिन अब यह वर्ष 2021 से प्रतिवर्ष प्रदान किया जाएगा।
हिमालयी मोनाल और स्क्लेटर मोनाल
- हाल ही में अरुणाचल प्रदेश के सियांग ज़िले में मोनाल की दो नई प्रजातियाँ देखी गई हैं। इसमें पहली प्रजाति हिमालयी मोनाल (लोफोफोरस इम्पेजेनस) की है, जो कि मुख्य तौर पर अफगानिस्तान से पूर्वोत्तर भारत तक अधिक व्यापक स्तर पर पाई जाती है, जबकि दूसरी प्रजाति दुर्लभ स्क्लेटर मोनाल (लोफोफोरस स्क्लेटेरी) है, जो कि मुख्य तौर पर दक्षिणी चीन और उत्तरी म्याँमार में पाई जाती है। यह एक उच्च ऊँचाई वाले क्षेत्रों में पाए जाने वाला पक्षी है, जो शायद ही कभी 1,500 मीटर की ऊँचाई से नीचे आता है। पर्यावास नुकसान और शिकार के कारण इंटरनेशनल यूनियन ऑफ कंज़र्वेशन ऑफ नेचर (IUCN) द्वारा इसे 'सुभेद्य’ के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। खोजकर्त्ताओं की टीम ने समुद्र तल से 4,173 मीटर की ऊँचाई पर माउंट एको डंबिंग पर इन पक्षियों को देखा। इन दो प्रजातियों का यहाँ देखा जाना इस क्षेत्र के पारिस्थितिक तंत्र के लिये एक बेहतर संकेतक है।
मुख्यमंत्री किसान मित्र ऊर्जा योजना
- हाल ही में राजस्थान सरकार ने ‘मुख्यमंत्री किसान मित्र ऊर्जा योजना’ के मसौदे को मंज़ूरी दी है, जिसके तहत कृषि बिजली उपभोक्ताओं को प्रतिमाह 1,000 रुपए प्रदान किये जाएंगे। इस योजना के तहत राज्य सरकार द्वारा मीटर उपभोक्ताओं को बिजली बिलों पर प्रतिमाह 1,000 रुपए और अधिकतम 12,000 रुपए प्रतिवर्ष प्रदान किये जाएंगे। इस संबंध में जारी अधिकारिक बयान के मुताबिक, इस योजना के कारण राज्य सरकार पर प्रतिवर्ष 1,450 करोड़ रुपए का वित्तीय बोझ आएगा। इसके तहत बिजली वितरण कंपनियों द्वारा द्वैमासिक आधार पर बिजली बिल जारी किये जाएंगे। विदित हो कि केंद्र और राज्य सरकार के कर्मचारी तथा अन्य आयकर दाता इस योजना के तहत सब्सिडी के लिये पात्र नहीं होंगे। पात्र उपभोक्ताओं को योजना के साथ अपना आधार नंबर और बैंक खाता लिंक कराना होगा। योजना के तहत अनुदान राशि तभी देय होगी जब उपभोक्ताओं द्वारा अपनी सभी बकाया राशि का भुगतान किया जाएगा। बकाया राशि का भुगतान करने के बाद उपभोक्ताओं को आगामी बिजली बिल पर सब्सिडी राशि देय होगी। इस योजना की घोषणा राज्य के मुख्यमंत्री द्वारा वर्ष 2021-22 के बजट में की गई थी।
विदेशी प्रतिबंधों का मुकाबला करने हेतु चीन का कानून
- चीन ने विदेशी प्रतिबंधों का मुकाबला करने के लिये हाल ही में एक नया कानून पारित किया है, जिसका उद्देश्य व्यापार और मानवाधिकारों पर अमेरिका तथा यूरोपीय संघ के बढ़ते दबाव के विरुद्ध अपना बचाव करना है। चीन ने संयुक्त राज्य अमेरिका पर चीन की कंपनियों को ‘दबाने’ का आरोप लगाया है। चीन द्वारा पारित इस कानून में वीज़ा जारी करने से इनकार करने, प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने, निर्वासन और उन व्यक्तियों या व्यवसायों की संपत्ति को ज़ब्त करने, जो चीन के व्यवसायों या अधिकारियों के खिलाफ विदेशी प्रतिबंधों लागू करते हैं या ऐसा करने में मदद करते हैं, जैसे प्रावधान शामिल हैं। बीते कई दिनों से अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा हॉन्गकॉन्ग और शिनजियांग जैसे क्षेत्रों में मानवाधिकारों के उल्लंघन और बौद्धिक संपदा की चोरी को लेकर चीन की आलोचना की जा रही है। बीते सप्ताह ‘व्हाइट हाउस’ ने उन कंपनियों की ब्लैकलिस्ट का विस्तार किया था, जिन पर चीन की सेना के साथ संबंध के कारण अमेरिकियों द्वारा निवेश किये जाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था।
चक्रवात डिटेक्शन तकनीक
- भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) खड़गपुर के शोधकर्त्ताओं ने एक ऐसी तकनीक विकसित की है जो अंतरिक्ष में मौजूद उपग्रहों से पूर्व ही हिंद महासागर के ऊपर उष्णकटिबंधीय चक्रवातों का पता लगाने में मददगार साबित हो सकती है। इस तकनीक के माध्यम से स्थानीय प्रशासन को चक्रवात का पता लगाने और उसके प्रभाव के बीच एक बड़ा समय अंतराल मिल सकेगा, जिससे चक्रवात प्रबंधन संबंधी गतिविधियों में मदद मिलेगी। खड़गपुर के शोधकर्त्ताओं द्वारा इस तकनीक के तहत वायुमंडलीय कॉलम में पूर्व-चक्रवाती गतिविधियों के प्रारंभिक साक्ष्यों की पहचान की जाती है और इसके स्थानिक-अस्थायी विकास को ट्रैक किया जाता है। इस तकनीक के तहत अध्ययन भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के सहयोग से ‘जलवायु परिवर्तन कार्यक्रम’ के तहत आयोजित किया गया है। इसके तहत शोधकर्त्ताओं ने मानसून के पश्चात् उत्तरी हिंद महासागर के ऊपर विकसित चार गंभीर चक्रवातों - फैलिन, वरदा, गाजा, माडी और मानसून से पूर्व के दोचक्रवातों- मोरा और आइला का अध्ययन किया।
‘फर्मिना’ अंडरसी केबल
- हाल ही में दिग्गज टेक कंपनी गूगल ने दुनिया की सबसे लंबी अंडरसी केबल का निर्माण करने की घोषणा की है, जो इंटरनेट कनेक्शन क्षमता को मज़बूत करने के लिये संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्राज़ील, उरुग्वे और अर्जेंटीना को जोड़ेगी। गूगल के मुताबिक, ‘फर्मिना’ नामक यह केबल दुनिया की सबसे लंबी अंडरसी केबल होगी। ‘फर्मिना’ दक्षिण अमेरिका में उपयोगकर्त्ताओं के लिये गूगल सेवाओं तक पहुँच में सुधार करेगी। 12 फाइबर पेअर के साथ यह केबल उत्तर और दक्षिण अमेरिका के बीच ट्रैफिक को तेज़ी से और सुरक्षित रूप से पहुँचाने में मदद करेगी, जिससे उपयोगकर्त्ता गूगल उत्पादों जैसे सर्च इंजन, जीमेल और यूट्यूब के साथ-साथ गूगल क्लाउड जैसी सेवाओं का आसानी से उपयोग कर सकेंगे। ज्ञात हो कि यह घोषणा ऐसे समय में की गई है जब कोविड-19 महामारी के कारण वर्क फ्रॉम होम, ऑनलाइन खरीदारी, ऑनलाइन एंटरटेनमेंट आदि में बढ़ोतरी के कारण इंटरनेट तथा क्लाउड सेवाओं की मांग में भी वृद्धि दर्ज की जा रही है। इस अंडरसी केबल को अमेरिकी कंपनी ‘सबकॉम’ द्वारा डिज़ाइन एवं स्थापित किया जाएगा और यह वर्ष 2023 के अंत तक तैयार हो जाएगी।
‘नमस्ते योग’ मोबाइल एप
- सातवें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के सिलसिले में एक कार्यक्रम के दौरान ‘नमस्ते योग’ नाम से मोबाइल एप की शुरूआत की गई है। इस कार्यक्रम का आयोजन आयुष मंत्रालय ने मोरारजी देसाई राष्ट्रीय योग संस्थान के सहयोग से किया था। ‘नमस्ते योग’ एप को लोगों के लिये एक सूचना मंच के रूप में तैयार किया गया है। ‘नमस्ते योग’ का उद्देश्य योग के बारे में जागरूकता बढ़ाना और इसे अधिक-से-अधिक लोगों के लिये सुलभ बनाना है। इसके अलावा सामान्य योग प्रोटोकॉल के विभिन्न पहलुओं पर आधारित 10 एपिसोड की एक शृंखला भी शुरु की गई है, जिसे डीडी इंडिया चैनल पर प्रसारित किया जाएगा। ये सभी पहलें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस को देखते हुए शुरू की गई हैं। प्रतिवर्ष 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का आयोजन किया जाता है। विश्व स्तर पर सर्वप्रथम वर्ष 2015 में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का आयोजन किया गया था। 11 दिसंबर 2014 को ‘संयुक्त राष्ट्र महासभा’ के 69वें सत्र के दौरान एक प्रस्ताव पारित करके 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस/विश्व योग दिवस के रूप में मनाए जाने को मान्यता दी गई थी। ज्ञात हो कि भारतीय संस्कृति एवं परंपरा के अनुसार, ग्रीष्म संक्रांति के बाद सूर्य दक्षिणायन हो जाता है, जिसके बाद 21 जून को वर्ष का सबसे बड़ा दिन माना जाता है। यही कारण है कि अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का आयोजन 21 जून को किया जाता है।
‘एक्सटेंशन ऑफ हॉस्पिटल’ परियोजना
- कोविड-19 के विरुद्ध भारत की लड़ाई में विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों और छोटे शहरों में स्वास्थ्य संबंधी बुनियादी अवसंरचना की एक बड़ी कमी को दूर करने के लिये भारत ने विभिन्न राज्यों में ‘एक्सटेंशन ऑफ हॉस्पिटल’ नाम से एक परियोजना की शुरुआत की है। इस परियोजना के तहत स्वास्थ्य अवसंरचना के विस्तार के रूप में मौजूदा अस्पतालों के निकट ही मॉड्यूलर अस्पतालों का निर्माण किया जाएगा। जैसे-जैसे देश के विभिन्न हिस्सों में कोविड-19 के मामलों में बढ़ोतरी हो रही है, अस्पतालों की बुनियादी अवसंरचना पर भी भारी दबाव पड़ रहा है। ऐसे में इनोवेटिव मॉड्यूलर अस्पताल संकट के बीच एक बड़ी राहत के रूप में कार्य कर सकते हैं। इस परियोजना के तहत मॉड्यूलर अस्पतालों के निर्माण के लिये विभिन्न हितधारकों जैसे- निजी क्षेत्र की कंपनियों, प्रदाता संगठनों और निजी व्यक्तियों आदि को भी आमंत्रित किया जाएगा। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान- मद्रास (IIT-M) में ‘मॉड्यूलस हाउसिंग’ नामक एक स्टार्ट-अप ने ‘मेडिकैब अस्पतालों’ का विकास किया है। यह 3 सप्ताह के समय अंतराल में 100 बिस्तरों वाली विस्तार सुविधा का निर्माण करने में सक्षम बनाता है। ‘मेडिकैब अस्पतालों’ को गहन देखभाल इकाइयों (ICU) के एक समर्पित क्षेत्र के साथ डिज़ाइन किया गया है, जिनमें विभिन्न जीवन-समर्थक चिकित्सा उपकरणों को समायोजित किया जा सकता है। ये अस्पताल लगभग 25 वर्ष तक कार्य करने में सक्षम हैं और इन्हें भविष्य में एक सप्ताह से भी कम समय में किसी भी आपदा प्रतिक्रिया के लिये स्थानांतरित किया जा सकता है।
‘युवा शक्ति कोरोना मुक्ति’ अभियान
- मध्य प्रदेश सरकार ने राज्य के लोगों को कोविड-19 महामारी के बारे में जागरूक करने के लिये 'युवा शक्ति कोरोना मुक्ति अभियान' शुरू किया है। इस अभियान का प्राथमिक उद्देश्य युवा शक्ति के माध्यम से कोरोना से मुक्ति का लक्ष्य निर्धारित करना है। इस अभियान के तहत राजकीय उच्च एवं तकनीकी शिक्षा महाविद्यालयों के शिक्षकों एवं लगभग 16 लाख विद्यार्थियों को 'कोविड अनुकूल व्यवहार एवं टीकाकरण' संबंधी प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा। इसके तहत छोटे-छोटे समूहों में कॉलेजों में छात्रों को कोविड के अनुकूल व्यवहार और टीकाकरण के महत्त्व के बारे में जानकारी दी जाएगी और आवश्यक सामग्री का वितरण किया जाएगा। ये प्रशिक्षित छात्र आगे अपने परिवारों और आसपास के क्षेत्रों के लोगों को टीकाकरण के लाभों और कोरोना की रोकथाम के बारे में जानकारी का प्रसार करेंगे। अभियान की प्रभावी रियल-टाइम निगरानी के लिये एक मोबाइल एप भी विकसित किया गया है। एप के माध्यम से 'युवा शक्ति कोरोना मुक्ति' अभियान की दैनिक गतिविधियों और प्रगति की समीक्षा की जाएगी।
‘वायरसाइड्स’ मास्क
- पुणे स्थित एक स्टार्ट-अप कंपनी ने 3डी प्रिंटिंग और फार्मास्यूटिकल्स को एकीकृत करते हुए एक ऐसा मास्क विकसित किया है, जो अपने संपर्क में आने वाले वायरल के कणों को निष्क्रिय कर देता है। ‘थिंकर टेक्नोलॉजीज़ इंडिया प्राइवेट लिमिटेड’ द्वारा विकसित ये मास्क ‘वायरसाइड्स’ नामक एंटी-वायरल एजेंटों के साथ लेपित हैं। इस कोटिंग ने परीक्षण के दौरान ‘SARS-CoV-2’ को निष्क्रिय करने में अपनी क्षमता को सिद्ध किया है। इस मास्क के निर्माण में सामग्री के तौर पर सोडियम ओलेफिन सल्फोनेट-आधारित मिश्रण का प्रयोग किया गया है, जो कि साबुन बनाने वाला एजेंट है। विषाणुओं के संपर्क में आने पर यह विषाणु के बाहरी हिस्से को बाधित कर देता है। इस मास्क के निर्माण में प्रयोग की गई सामग्री प्रायः कमरे के तापमान पर स्थिर रहती है और व्यापक रूप से सौंदर्य प्रसाधनों में उपयोग की जाती है। ज्ञात हो कि प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड (TDB), जो कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के तहत एक सांविधिक निकाय है, ने कोविड-19 के खिलाफ लड़ने के लिये और नए समाधान खोजने हेतु केंद्र सरकार की पहल के हिस्से के रूप में इस परियोजना को वित्तपोषित किया था। यह व्यावसायीकरण के लिये ‘प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड’ द्वारा चयनित प्रारंभिक परियोजनाओं में से एक है।
‘जीवन वायु’ उपकरण
- भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान- रोपड़ (IIT-R) के शोधकर्त्ताओं ने एक ऐसा उपकरण विकसित किया है, जिसे ‘कंटीन्यूअस पॉज़िटिव एयरवे प्रेशर’ (CPAP) मशीन के विकल्प के रूप में प्रयोग किया जा सकता है। ‘जीवन वायु’ नामक यह उपकरण 60 लीटर प्रति मिनट (LPM) तक उच्च प्रवाह ऑक्सीजन प्रदान करने में सक्षम है। पारंपरिक तौर पर CPAP मशीन का प्रयोग वायुमार्ग को खुला रखने के लिये हल्के वायुदाब के रूप में किया जाता है और यह साँस लेने में समस्या और ‘स्लीप एपनिया’ से पीड़ित रोगियों के लिये काफी उपयोगी होता है। ‘कंटीन्यूअस पॉज़िटिव एयरवे प्रेशर’ (CPAP) थेरेपी यह सुनिश्चित करने में मदद करती है कि नींद के दौरान साँस लेने से वायुमार्ग में कोई समस्या उत्पन्न न हो। इस थेरेपी का उपयोग उन शिशुओं के इलाज के लिये भी किया जाता है, जिनके फेफड़े पूरी तरह से विकसित नहीं हुए हैं। नया उपकरण भारत में डिज़ाइन किया गया अपनी तरह का पहला उपकरण है, जो बिजली के बिना भी काम करता है और दोनों प्रकार की ऑक्सीजन उत्पादन इकाइयों जैसे- ऑक्सीजन सिलेंडर और ऑक्सीजन पाइपलाइनों के लिये अनुकूलित है। इस उपकरण को गैस मिश्रण में ऑक्सीजन की सांद्रता को 40 प्रतिशत से ऊपर बनाए रखने के लिये डिज़ाइन किया गया है, साथ ही इसमें एक वायरल फिल्टर भी मौजूद है, जिसमें 99.99 प्रतिशत की प्रभावकारिता का दावा किया गया है।
लकड़ी से निर्मित पहला अंतरिक्ष उपग्रह
- यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) ने इस वर्ष के अंत तक दुनिया के पहले लकड़ी से निर्मित उपग्रह, ‘WISA वुडसैट’ को पृथ्वी की कक्षा में स्थापित करने की योजना बनाई है। इस उपग्रह का मिशन अंतरिक्षयान संरचनाओं में प्लाईवुड जैसी लकड़ी की सामग्री की प्रयोज्यता का परीक्षण करना है और इस पर चरम अंतरिक्ष स्थितियों जैसे- गर्मी, ठंड, वैक्यूम और विकिरण आदि के प्रभाव का परीक्षण करना है। इसे न्यूज़ीलैंड के माहिया प्रायद्वीप प्रक्षेपण परिसर से ‘रॉकेट लैब इलेक्ट्रॉन’ नामक रॉकेट के साथ वर्ष 2021 के अंत तक अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया जाएगा। फिनलैंड में डिज़ाइन और निर्मित यह उपग्रह लगभग 500-600 किलोमीटर की ऊँचाई पर परिक्रमा करेगा। ‘WISA वुडसैट’ एक 10x10x10 सेंटीमीटर नैनो उपग्रह है, जिसे प्लाईवुड से बने मानकीकृत बॉक्स और सतह पैनलों से बनाया गया है। इसके तहत निर्माताओं ने लकड़ी से आने वाली वाष्प को कम करने और परमाणु ऑक्सीजन के क्षरणकारी प्रभावों से बचाने के लिये एक बहुत पतली एल्युमीनियम ऑक्साइड परत का भी उपयोग किया है। इस उपग्रह में एक कैमरा भी लगाया गया है, जो इस बात की निगरानी करने में मदद करेगा कि लकड़ी से निर्मित यह उपग्रह अंतरिक्ष की परिस्थतियों के साथ किस प्रकार व्यवहार कर रहा है।
‘सिल्वरलाइन’ परियोजना
- हाल ही में केरल मंत्रिमंडल ने ‘सिल्वरलाइन’ परियोजना के लिये भूमि अधिग्रहण को मंज़ूरी दे दी है। इस परियोजना में राज्य के दक्षिणी हिस्से और राज्य की राजधानी ‘तिरुवनंतपुरम’ को कासरगोड के उत्तरी हिस्से से जोड़ने के लिये राज्य में एक सेमी हाई-स्पीड रेलवे कॉरिडोर का निर्माण किया जाना शामिल है। यह लाइन तकरीबन 529.45 किलोमीटर लंबी होगी, जिसमें 11 स्टेशनों के माध्यम से राज्य के 11 ज़िलों को जोड़ा जाएगा। इस परियोजना के पूरा होने से कासरगोड से तिरुवनंतपुरम तक की यात्रा चार घंटे से भी कम समय में पूरी की जा सकेगी। केरल रेल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड (KRDCL) द्वारा इस परियोजना को वर्ष 2025 तक पूरा किया जाएगा। ‘केरल रेल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड’ केरल सरकार और केंद्रीय रेल मंत्रालय के बीच एक संयुक्त उद्यम है। ‘सिल्वरलाइन’ परियोजना के माध्यम से राज्य की मौजूदा रेलवे अवसंरचना के भार को कम किया जा सकेगा, साथ ही इसके माध्यम से राज्य के निवासियों को तीव्र सार्वजानिक परिवहन सुविधा उपलब्ध की जा सकेगी। इससे सड़कों पर भीड़भाड़ कम होगी और हादसों एवं मौतों की संख्या को भी कम किया जा सकेगा।
हेलियोस्फीयर का पहला 3D मानचित्र
- संयुक्त राज्य अमेरिका में ‘लॉस एलामोस नेशनल लेबोरेटरी’ के खगोलविदों ने हेलियोस्फीयर का पहला 3D मानचित्र विकसित किया है। वैज्ञानिकों ने पृथ्वी की परिक्रमा करने वाले नासा के उपग्रह ‘इंटरस्टेलर बाउंड्री एक्सप्लोरर’ के डेटा का उपयोग करके यह 3D मानचित्र तैयार किया है। विदित हो कि फिज़िक्स के मॉडल्स ने कई वर्षों पूर्व ही हेलियोस्फीयर की सीमाओं को सिद्ध कर दिया था, किंतु यह पहली बार है जब वास्तव में इसे मापने और इसके त्रि-आयामी मानचित्र को बनाने का प्रयास किया गया है। वैज्ञानिकों ने हेलियोस्फीयर के किनारे यानी हेलियोपॉज़ तक का नक्शा तैयार किया है। हेलियोस्फीयर, सोलर विंड (सूर्य से निकालने वाली आवेशित कणों की एक सतत् धारा, जो सभी दिशाओं में प्रवाहित होती है) द्वारा हमारे सौरमंडल के चारों ओर निर्मित एक सुरक्षात्मक बबल होता है, जो हमें हानिकारक इंटरस्टेलर विकिरण से बचाता है। वहीं हेलियोपॉज़ ‘सोलर विंड’ और इंटरसेलर विंड के बीच की सीमा होती है, जहाँ दोनों हवाओं का दबाव संतुलन में होता है।
प्रोजेक्ट O2 फॉर इंडिया
- कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के बीच केंद्र सरकार ने महामारी संबंधी भविष्य की चुनौतियों से निपटने और मेडिकल उपयोग हेतु ऑक्सीजन के उत्पादन को बढ़ाने के लिये ‘प्रोजेक्ट O2 फॉर इंडिया’' लॉन्च किया है। ‘प्रोजेक्ट O2 फॉर इंडिया’ भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार कार्यालय (भारत सरकार) की एक पहल है, जिसका उद्देश्य मेडिकल उपयोग हेतु ऑक्सीजन की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिये देश की क्षमता बढ़ाने हेतु काम कर रहे हितधारकों की मदद करना है। कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान देश के विभिन्न हिस्सों में मेडिकल उपयोग हेतु ऑक्सीजन की मांग में वृद्धि देखी गई, ऐसे में वर्तमान मांग को पूरा करते हुए भविष्य में पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने हेतु मेडिकल ऑक्सीजन अवसंरचना का विकास करना आवश्यक है। परियोजना के तहत 'नेशनल कंसोर्टियम ऑफ ऑक्सीजन' महत्त्वपूर्ण कच्चे माल जैसे- जिओलाइट्स की आपूर्ति, छोटे ऑक्सीजन संयंत्रों की स्थापना, कंप्रेशर्स का निर्माण, अंतिम उत्पाद जैसे ऑक्सीजन प्लांट, कंसेंट्रेटर और वेंटिलेटर आदि की आपूर्ति सुनिश्चित करने में मदद कर रहा है। इसके अलावा यह कंसोर्टियम दीर्घावधिक तैयारियों को सुनिश्चित करने के लिये विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र को मज़बूत करने हेतु भी काम कर रहा है।
‘जूनटींथ’ फेस्टिवल
- अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन जल्द ही 19 जून को ‘जूनटींथ’ फेस्टिवल के रूप में आधिकारिक मान्यता प्रदान करने संबंधी कानून पर हस्ताक्षर करेंगे, जो इसे अमेरिकी नागरिक युद्ध (1861-65) के बाद दासता के अंत की याद में संघीय सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय अवकाश बनाएगा। ध्यातव्य है कि अमेरिकी काॅॅन्ग्रेस द्वारा पहले से ही इस संबंध में विधेयक को मंज़ूरी दी जा चुकी है। ‘जूनटींथ’ अमेरिका में दासता के अंत के अंत को चिह्नित करने संबंधी सबसे पुराना राष्ट्रीय स्मरणोत्सव है, जिसे प्रतिवर्ष 19 जून को आयोजित किया जाता है। वर्तमान में इसे 47 अमेरिकी राज्यों द्वारा अवकाश के रूप में मान्यता प्राप्त है। इसे मुक्ति दिवस या जूनटींथ स्वतंत्रता दिवस के रूप में भी जाना जाता है। ज्ञात हो कि 1 जनवरी, 1863 को तत्कालीन राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन ने मुक्ति उद्घोषणा जारी की थी, जिसमें घोषणा की गई कि विद्रोह के दौरान राज्यों के भीतर ‘गुलाम के रूप में रखे गए सभी व्यक्ति अब स्वतंत्र होंगे। हालाँकि इस घोषणा के बाद भी कई लोगों ने दासों को रखना जारी रखा। इसके पश्चात् 19 जून, 1865 को मेजर जनरल गॉर्डन ग्रेंजर गैल्वेस्टन ने गृहयुद्ध और दासता दोनों के अंत की घोषणा कर दी। तब से यह अफ्रीकी-अमेरिकियों के लिये स्वतंत्रता का प्रतिनिधित्व करने वाली एक प्रतीकात्मक तिथि बन गई है।
नेशनल मैरीटाइम हैरिटेज कॉम्प्लेक्स
- हाल ही में केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय तथा संस्कृति मंत्रालय ने गुजरात के लोथल में 'नेशनल मैरीटाइम हैरिटेज कॉम्प्लेक्स (NMHC) के विकास में सहयोग हेतु एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये हैं। ‘नेशनल मैरीटाइम हैरिटेज कॉम्प्लेक्स’ को भारत में अपनी तरह की पहली संस्था के रूप में विकसित किया जाएगा, जो पूर्ण रूप से भारत की समृद्ध और विविध समुद्री विरासत को प्रदर्शित करने के प्रति समर्पित होगी। इस कॉम्प्लेक्स के माध्यम से देश के प्राचीन समुद्री इतिहास और जीवंत तटीय परंपरा दोनों को एक ही स्थान पर प्रदर्शित करने में सुविधा होगी और अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भारत की समुद्री विरासत की छवि का उत्थान होगा। ‘नेशनल मैरीटाइम हैरिटेज कॉम्प्लेक्स’ को लगभग 400 एकड़ के क्षेत्र में विकसित किया जाएगा, जिसमें राष्ट्रीय समुद्री विरासत संग्रहालय, लाइट हाउस संग्रहालय, विरासत थीम पार्क, संग्रहालय थीम वाले होटल, समुद्री थीम वाले इको-रिसॉर्ट्स और समुद्री संस्थान जैसी विभिन्न अनूठी संरचनाएँ शामिल होंगी, जिन्हें चरणबद्ध तरीके से विकसित करने का प्रयास किया जाएगा। ज्ञात हो कि यह परिसर गुजरात के लोथल में स्थापित किया जा रहा है, जो कि 2400 ईसा पूर्व की प्राचीन सिंधु घाटी सभ्यता के प्रमुख शहरों में से एक है।
‘इन-ईयू नेवफोर’ संयुक्त अभ्यास
- पहली बार भारतीय नौसेना, अदन की खाड़ी में आयोजित यूरोपीय संघ की नौसेना बल के साथ संयुक्त अभ्यास में हिस्सा ले रही है, जिसमें फ्राँसीसी, स्पेनिश और इतालवी नौसेनाओं के युद्धपोत भी शामिल हैं। 18 जून, 2021 से शुरू हुए ‘इन-ईयू नेवफोर’ (IN EUNAVFOR) नामक संयुक्त नौसैनिक अभ्यास में भारतीय युद्धपोत त्रिकंड हिस्स ले लिया जा रहा है। यूरोपीय संघ नौसेना बल द्वारा आयोजित इस दो दिवसीय अभ्यास में एडवांस एयर डिफेंस और एंटी सबमरीन अभ्यास, क्रॉस-डेक हेलीकॉप्टर ऑपरेशन, सामरिक युद्धाभ्यास, बोर्डिंग ऑपरेशन, खोज और बचाव तथा मैन ओवरबोर्ड अभ्यास आदि का संचालन किया जाएगा। इस संयुक्त अभ्यास में शामिल नौसेनाएँ समुद्री क्षेत्र में शांति, सुरक्षा और स्थिरता को बढ़ावा देने के लिये अपने युद्ध-कौशल तथा एकीकृत बल के रूप में अपनी क्षमता को बढ़ाने और सुधारने का प्रयास करेंगी। युद्ध अभ्यास में शामिल सभी देश विश्व खाद्य कार्यक्रम (UN WFP) के चार्टर के तहत काउंटर पायरेसी ऑपरेशन और तैनात जहाज़ों की सुरक्षा सहित कई मुद्दों पर एकजुट रूप से कार्य कर रहे हैं। यह अभ्यास भारत और अन्य देशों के बीच तालमेल, समन्वय और अंतर-संचालन की क्षमता बढ़ाने में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकता है।
स्टाइगारक्टस केरलेंसिस
- शोधकर्त्ताओं ने स्टाइगारक्टस जीनस की एक नई ‘टार्डिग्रेड’ प्रजाति की खोज की है, जिसका नाम भारतीय राज्य ‘केरल’ के नाम पर रखा गया है, जहाँ इसकी खोज की गई थी। यह खोज केरल के पनडुब्बी भूजल आवासों की पारिस्थितिकी और विविधता को लेकर राष्ट्रीय पृथ्वी विज्ञान अध्ययन केंद्र (पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय) द्वारा किये जा रहे अध्ययन का परिणाम है। शोधकर्त्ताओं के मुताबिक, ‘स्टाइगारक्टस केरलेंसिस’ नामक यह नई प्रजाति भारतीय जल में मौजूद पहली समुद्री टार्डिग्रेड है, जो नवीनतम खोज को महत्त्वपूर्ण बनाती है। ‘स्टाइगारक्टस केरलेंसिस’ स्टाइगारक्टस जीनस के तहत नामित आठवीं प्रजाति है, जो 130 माइक्रोमीटर की लंबाई तक बढ़ती है। यह एक जलीय जीव है, लेकिन यह भूमि पर भी निवास कर सकता है और वर्ष 2008 के एक अध्ययन में पाया गया कि यह बाहरी अंतरिक्ष के ठंडे वैक्यूम में जीवित रह सकता है। टार्डिग्रेड जीवों को पानी के भालू के रूप में भी जाना जाता है, यह जीव पृथ्वी पर उपलब्ध सबसे जटिल संरचना वाले लचीले एवं कठोर जीवों में से एक है। टार्डिग्रेड इतने छोटे होते हैं कि इनके अध्ययन के लिये उच्च क्षमता वाले माइक्रोस्कोप की आवश्यकता होती है। अपने छोटे आकार के बावजूद ये पृथ्वी पर मौजूद सबसे कठोर जानवर के रूप में जाने जाते हैं। यह एक जलीय जीव है, लेकिन यह भूमि पर भी निवास कर सकता है और वर्ष 2008 के एक अध्ययन में पाया गया कि यह बाहरी अंतरिक्ष के ठंडे वैक्यूम में जीवित रह सकता है।
बोत्सवाना में दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा डायमंड
- हाल ही में अफ्रीकी देश बोत्सवाना में 1,098 कैरेट के दुनिया के तीसरे सबसे बड़े डायमंड की खोज की गई है। बोत्सवाना की ‘देबस्वाना डायमंड कंपनी’ द्वारा खोजा गया यह डायमंड वर्ष 1905 में दक्षिण अफ्रीका में खोजे गए 3,106 कैरेट कलिनन डायमंड और वर्ष 2015 में बोत्सवाना में ही खोजे गए 1,109 कैरेट ‘लेसेडी ला रोना’ डायमंड के बाद दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा डायमंड है। बाद में कलिनन डायमंड को छोटे हिस्सों में काट दिया गया, जिनमें से कुछ ब्रिटिश शाही परिवार के मुकुट रत्नों का हिस्सा है। वहीं ‘लेसेडी ला रोना’ डायमंड को वर्ष 2017 में डायमंड के आभूषण बनाने वाली कंपनी ‘ग्रेफ’ को 53 मिलियन डॉलर में बेचा गया था। ज्ञात हो कि अफ्रीकी देश बोत्सवाना वर्तमान में दुनिया में डायमंड्स का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। दुनिया के कुछ सबसे बड़े डायमंड यहीं पाए गए हैं। अफ्रीकी महाद्वीप के दक्षिण में स्थित बोत्सवाना एक भू-आबद्ध यानी लैंडलॉक्ड देश है और वर्ष 1966 में स्वतंत्रता प्राप्ति के समय बोत्सवाना में साक्षरता दर न्यूनतम और व्यापक गरीबी थी, किंतु बोत्सवाना की डायमंड इंडस्ट्री ने यहाँ के विकास में काफी महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की है।
दिव्यांग खेल केंद्र
- केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री ने हाल ही में देश के विभिन्न हिस्सों में पाँच 'दिव्यांग खेल केंद्र' स्थापित करने की घोषणा की है। ध्यातव्य है कि देश में 'दिव्यांगजनों' की खेलों के प्रति रुचि और पैरालिंपिक में भारत के बेहतरीन प्रदर्शन को देखते हुए 'दिव्यांग खेल केंद्र' स्थापित करने से संबंधित निर्णय काफी महत्त्वपूर्ण है। इस तरह के प्रयासों का प्राथमिक लक्ष्य दिव्यांगजनों को सशक्त बनाना और उन्हें देश के समग्र विकास हेतु समाज की मुख्य धारा से जोड़ना है। साथ ही इन केंद्रों के माध्यम से दिव्यांगजनों को खेलों में अंतर्राष्ट्रीय मानकों के आधार पर प्रशिक्षित किया जाएगा, जिससे पैरालिंपिक खेलों में भारत की स्थिति में भी और अधिक सुधार होगा। ज्ञात हो कि वर्तमान में दिव्यांगजनों की सहायता और सशक्तीकरण के लिये सरकार द्वारा विभिन्न कार्यक्रम और पहलों की शुरुआत की गई है, जिसमें ‘सुगम्य भारत अभियान’ सबसे प्रमुख है। सुगम्य भारत अभियान सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग का राष्ट्रव्यापी अभियान है, जिसके तहत वर्तमान में 709 रेलवे स्टेशनों और 10,175 बस डिपो को शामिल किया गया है। इस अभियान का उद्देश्य देश भर में दिव्यांनगजनों के लिये बाधा रहित और सुखद/अनुकूल वातावरण तैयार करना है। इसके अलावा वर्ष 2016 में सरकार द्वारा दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम पारित किया गया, जिसने न केवल दिव्यांगजनों को अधिक सुरक्षा प्रदान की है, बल्कि यह पूरे देश में दिव्यांग व्यक्तियों के मौलिक अधिकारों को भी सुनिश्चित करता है।
तमिलनाडु आर्थिक सलाहकार परिषद
- हाल ही में तमिलनाडु सरकार ने आर्थिक मामलों पर राज्य के मुख्यमंत्री को सलाह देने हेतु एक ‘आर्थिक सलाहकार परिषद’ के गठन का निर्णय लिया है, जिसमें मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) के नोबेल पुरस्कार विजेता एस्थर डुफ्लो और भारतीय रिज़र्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन शामिल होंगे। इसके अलावा इस परिषद में पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम भी शामिल हैं। आर्थिक सलाहकार परिषद राज्य की वित्तीय स्थिति का अध्ययन करेगी और राज्य की अर्थव्यवस्था को मज़बूत बनाने के लिये तदनुसार बदलावों की सिफारिश करेगी। इस परिषद की सिफारिश के आधार पर सरकार राज्य की अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने का प्रयास करेगी और यह सुनिश्चित करेगी कि आर्थिक विकास का लाभ समाज के सभी वर्गों तक पहुँचे। परिषद की सिफारिशों के आधार पर राज्य सरकार अपनी वित्तीय नीतियों में आवश्यक सुधार करने में सक्षम होगी, साथ ही इससे राज्य के औद्योगिक आधार में विविधता लाने और तकनीकी उन्नयन सुनिश्चित करने की भी उम्मीद है।
ओडिशा में मगरमच्छ की तीनों प्रजातियाँ मौजूद
- हाल ही में ओडिशा की महानदी में घड़ियाल की एक गंभीर रूप से लुप्तप्राय प्रजाति का प्राकृतिक निवास स्थान देखा गया है। इसी के साथ ओडिशा भारत का एकमात्र राज्य बन गया है, जहाँ मगरमच्छ की तीनों प्रजातियाँ मौजूद हैं। इन तीन प्रजातियों में सरीसृप मीठे पानी के घड़ियाल, मगर क्रोकोडाइल और साल्टवाटर क्रोकोडाइल शामिल हैं। ज्ञात हो कि घड़ियाल गंभीर रूप से लुप्तप्राय प्रजातियाँ हैं और ओडिशा में उन्हें पहली बार वर्ष 1975 में लाया गया था, यह पहली बार है जब ओडिशा में इन प्रजातियों को प्राकृतिक रूप से देखा गया है। घड़ियाल के अंडों को लगभग 70 दिनों तक ऊष्मायन की आवश्यकता होती है आर घड़ियाल के बच्चे कई हफ्तों या महीनों तक माताओं के साथ ही रहते हैं। घड़ियाल, मगर क्रोकोडाइल से अलग होते हैं और वे इंसानों को नुकसान नहीं पहुँचाते हैं, हालाँकि कई लोग इन्हें गलती से मगरमच्छ समझ लेते हैं और इन्हें नुकसानदेह मानते हैं। अतिक्रमण और मछली पकड़ने जैसी गतिविधियों के कारण घड़ियाल के प्राकृतिक आवास खतरे में हैं। मछली पकड़ने के जाल में फँसने पर वे या तो मारे जाते हैं या उनके शरीर के अगले हिस्से को काट दिया जाता है। विदित हो कि घड़ियाल को स्थानीय कानूनों के तहत पूर्ण संरक्षण प्रदान किया गया और इसे वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की अनुसूची-1 के तहत सूचीबद्ध किया गया है।
मेडिटेशन एंड योग साइंसेज़' डिप्लोमा
- अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस-2021 के अवसर पर दिल्ली सरकार ने 'मेडिटेशन एंड योग साइंसेज़' विषय पर एक वर्षीय डिप्लोमा कोर्स शुरू करने की घोषणा की है। दिल्ली सरकार के मुताबिक, लगभग 450 उम्मीदवारों ने इस पाठ्यक्रम में अपना नामांकन कराया है। इस पाठ्यक्रम की शुरुआत का प्राथमिक उद्देश्य ‘योग और ध्यान’ संबंधी गतिविधियों को घर-घर तक पहुँचाना है। गौरतलब है कि इस पाठ्यक्रम की शुरुआत ‘दिल्ली फार्मास्युटिकल साइंसेज़ एंड रिसर्च यूनिवर्सिटी’ में की गई है, हालाँकि इस शहर के स्कूलों में भी कई केंद्र स्थापित किये जाएंगे, जो सप्ताह में तीन बार दो घंटे के लिये योग सत्र आयोजित करेंगे। इस डिप्लोमा कार्यक्रम के पूरा होने के बाद छात्र एक पेशेवर योग प्रशिक्षक के रूप में योग सिखाने में सक्षम होंगे। इस तरह इस कार्यक्रम के माध्यम से दिल्ली में योग प्रशिक्षकों की संख्या में भी बढ़ोतरी होगी।
कृषि विविधीकरण योजना-2021
- हाल ही में गुजरात के मुख्यमंत्री ने ‘कृषि विविधीकरण योजना-2021’ का शुभारंभ किया है, जिससे आदिवासी क्षेत्रों में किसानों को लाभ प्राप्त होगा। इस योजना के माध्यम से राज्य के 14 आदिवासी ज़िलों के 1.26 लाख से अधिक किसान लाभान्वित होंगे। इस योजना के शुभारंभ का प्राथमिक उद्देश्य आदिवासी क्षेत्रों में कृषि को और अधिक सतत् तथा लाभदायक बनाना है। इस योजना के तहत आदिवासी किसानों को 31 करोड़ रुपए की खाद-बीज सहायता प्रदान की जाएगी, जिसमें 45 किलो यूरिया, 50 किलो एनपीके उर्वरक और 50 किलो अमोनियम सल्फेट शामिल होगा। इस योजना के तहत आदिवासी किसानों को मक्का, करेला, कैलाबश (दूधी), टमाटर, बाजरा आदि फसलों के बीज प्रदान किये जाएंगे। इसके अलावा आदिवासी किसानों को बेहतर ढंग से खेती करने में सक्षम बनाने और सिंचाई के लिये आवश्यक पानी तक पहुँच सुनिश्चित करने के लिये राज्य सरकार ने आदिवासी ज़िले के पहाड़ी क्षेत्रों में विभिन्न लिफ्ट सिंचाई योजनाओं के माध्यम से ऊँचाई पर सिंचाई हेतु पानी पहुँचाने के लिये व्यापक पैमाने पर कार्य शुरू किया है।
‘रोल ऑफ एक्सीलेंस’ सम्मान
- कोचीन इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (CIAL) ने हाल ही में हवाईअड्डे की गुणवत्तापूर्ण सेवाओं के लिये ‘एयरपोर्ट काउंसिल इंटरनेशनल’ (ACI) का ‘रोल ऑफ एक्सीलेंस’ सम्मान जीता है। ‘एयरपोर्ट काउंसिल इंटरनेशनल’ एयरपोर्ट संचालकों की एक वैश्विक संस्था है, जिसने उन हवाईअड्डों के लिये ‘रोल ऑफ एक्सीलेंस’ सम्मान की स्थापना की है, जिन्होंने यात्रियों की राय में गुणवत्तापूर्ण एवं उत्कृष्ट सेवाएँ प्रदान की हैं। यह पुरस्कार 9 सितंबर, 2021 को मॉन्ट्रियल, कनाडा में आयोजित होने वाले ACI कस्टमर एक्सपीरियंस ग्लोबल समिट के दौरान प्रदान किया जाएगा। वर्ष 1991 में स्थापित ‘एयरपोर्ट काउंसिल इंटरनेशनल’ (ACI) दुनिया भर की सरकारों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों जैसे- अंतर्राष्ट्रीय नागर विमानन संगठन’ (ICAO) के साथ-साथ विभिन्न एयरपोर्ट्स के हितों का प्रतिनिधित्त्व करता है, इसके अलावा यह हवाई अड्डों के लिये मानकों, नीतियों और अनुशंसित प्रथाओं को भी विकसित करता है तथा दुनिया भर में मानकों को बढ़ावा देने के लिये सूचना और प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित करता है।
‘कवल प्लस कार्यक्रम’
- हाल ही में केरल सरकार के महिला एवं बाल विकास विभाग ने ‘कवल प्लस’ कार्यक्रम को राज्य के पाँच अन्य ज़िलों में विस्तारित करने की घोषणा की है। बच्चों को देखभाल और सुरक्षा प्रदान करने तथा यौन शोषण से पीड़ित बच्चों का समग्र समर्थन करने संबंधी इस महत्त्वाकांक्षी कार्यक्रम को प्रारंभ में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर लॉन्च किया गया था। दिसंबर 2020 में तिरुवनंतपुरम और पलक्कड़ ज़िलों में इसकी शुरुआत के बाद से यह परियोजना क्रमशः लगभग 300 और 150 बच्चों तक मदद पहुँचाने में सक्षम रही है। अब इस परियोजना को एर्नाकुलम, इडुक्की, मलप्पुरम, कोझीकोड और कन्नूर में भी लागू किया जाएगा। इस परियोजना को बच्चों के साथ कार्य करने में सक्षम गैर-सरकारी संगठनों की सहायता से क्रियान्वित किया जाएगा। सभी ज़िलों में गैर-सरकारी संगठन का चयन ज़िला स्तर पर गठित एक समिति द्वारा किया जाता है, जिसमें ज़िला बाल संरक्षण अधिकारी, बाल कल्याण समिति के प्रतिनिधि एवं संरक्षण अधिकारी (गैर-संस्थागत देखभाल) आदि शामिल होते हैं। पात्र बच्चों के व्यक्तिगत मूल्यांकन के आधार गैर-सरकारी संगठन प्रत्येक बच्चे के लिये व्यक्तिगत देखभाल योजना तैयार करेगा। इसके पश्चात् बच्चों को समग्र मनो-सामाजिक, आर्थिक एवं शैक्षिक सहायता प्रदान की जाती है।
‘सपोर्टिंग आंध्र लर्निंग ट्रांसफॉर्मेशन’ कार्यक्रम
- हाल ही में ‘इंटरनेशनल बैंक फॉर रिकंस्ट्रक्शन एंड डेवलपमेंट’ (IBRD) ने ‘सपोर्टिंग आंध्र लर्निंग ट्रांसफॉर्मेशन’ कार्यक्रम के क्रियान्वयन के लिये 1,860 करोड़ रुपए की धनराशि की मंज़ूरी दे दी है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य सरकारी स्कूलों को जीवंत और प्रतिस्पर्द्धी संस्थानों में बदलकर बुनियादी शिक्षा में सीखने के परिणामों, शिक्षण प्रथाओं की गुणवत्ता और स्कूल प्रबंधन में सुधार करना है। इस कार्यक्रम के तहत राज्य भर के सरकारी स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं को नया रूप दिया जाएगा। इस कार्यक्रम के तहत मुख्य तौर पर राज्य द्वारा संचालित शिक्षण संस्थानों में शिक्षा के माध्यम के रूप में अंग्रेज़ी को शुरू करके पाठ्यक्रम में सुधार, बेहतर कक्षा प्रबंधन, शिक्षकों का व्यावसायिक विकास और छात्रों को विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्द्धी बनने हेतु तैयार करने जैसे महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। इस पाँच वर्षीय परियोजना को शैक्षणिक वर्ष 2021-22 से वर्ष 2026-27 तक लागू किया जाएगा। ज्ञात हो कि ‘इंटरनेशनल बैंक फॉर रिकंस्ट्रक्शन एंड डेवलपमेंट’ (IBRD) विश्व बैंक में शामिल एक अंतर्राष्ट्रीय संस्थान है, जिसे वर्ष 1945 में स्थापित किया गया था और वर्तमान में इसमें 189 सदस्य हैं।
हाई-पावर लेज़र एयर डिफेंस सिस्टम
- हाल ही में इज़रायल ने ‘हाई-पावर लेज़र एयर डिफेंस सिस्टम’ का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है। विदित हो कि इज़रायल की यह प्रणाली ड्रोन के कारण उत्पन्न खतरों का मुकाबला करने के लिये काफी महत्त्वपूर्ण हो सकती है। इस तरह इज़रायल दुनिया का पहला देश बन गया, जिसने शत्रु के ड्रोन को मार गिराने के लिये एरियल लेज़र हथियारों का निर्माण किया है। प्रारंभ में लेज़र हथियार का परीक्षण एक हल्के विमान पर किया गया और इसने लगभग आधा मील (1 किलोमीटर) की दूरी पर कई ड्रोनों को सफलतापूर्वक मार गिराया। कम निर्माण लागत, व्यापक क्षेत्र को कवर करने की क्षमता और अधिक ऊँचाई पर भी लंबी दूरी के खतरों को प्रभावी ढंग से रोकने की क्षमता इस प्रणाली को काफी महत्त्वपूर्ण बनाती है। इस नई लेज़र प्रणाली में ‘सी-म्यूज़िक’ के समान ट्रैकिंग तकनीकों का उपयोग किया गया है, ज्ञात हो कि ‘सी-म्यूज़िक’ विमान में फिट की जाने वाली एक रक्षा प्रणाली है जो आने वाली मिसाइलों की दृश्य क्षमता को कम करने के लिये लेज़र का उपयोग करती है और लक्ष्य को इस हद तक गर्म कर देती है कि वह कुछ सेकंड के भीतर ही आग पकड़ लेता है।
स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना
- पश्चिम बंगाल मंत्रिमंडल ने ‘स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना’ को मंज़ूरी दे दी है। ‘स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना’ की मदद से उच्च अध्ययन करने के लिये 10 लाख रुपए तक का सॉफ्ट लोन प्राप्त किया जा सकता है। पश्चिम बंगाल में कम-से-कम 10 वर्ष बिताने वाला कोई भी छात्र इस योजना का लाभ उठा सकता है। यह ऋण भारत या विदेश में स्नातक, स्नातकोत्तर, डॉक्टरेट और पोस्ट-डॉक्टरेट अध्ययन के लिये उपलब्ध होगा। कोई भी एक व्यक्ति 40 वर्ष की आयु तक योजना के लिये पात्र होगा। योजना के तहत लाभ प्राप्त करने वाले छात्र को नौकरी मिलने के बाद ऋण चुकाने के लिये पंद्रह वर्ष का समय दिया जाएगा। योजना के तहत 10वीं या उससे अधिक की कक्षा के विद्यार्थी ऋण प्राप्त करने के लिये पात्र हैं। ज्ञात हो कि वर्तमान में राज्य में दसवीं कक्षा में लगभग 12 लाख छात्र और बारहवीं कक्षा में 9 लाख से अधिक छात्र हैं, जो इस योजना का लाभ प्राप्त करने में सक्षम होंगे। इस नई योजना से छात्रों के अभिभावकों को भी काफी राहत मिलेगी, क्योंकि अब उन्हें अपने बच्चों की उच्च शिक्षा के लिये विभिन्न अनौपचारिक स्रोतों से ऋण नहीं लेना पड़ेगा।
ओपन सोसाइटी पुरस्कार
- हाल ही में केरल की पूर्व स्वास्थ्य मंत्री के.के. शैलजा को सेंट्रल यूरोपियन यूनिवर्सिटी (CEU) के प्रतिष्ठित ‘ओपन सोसाइटी पुरस्कार’ (2021) से सम्मानित किया गया है। यह पुरस्कार, जो कि सेंट्रल यूरोपियन यूनिवर्सिटी का सर्वोच्च सम्मान है, महामारी के दौरान उनके दृढ़ नेतृत्त्व और आम लोगों की जीवन रक्षा के लिये उनके द्वारा किये गए समुदाय-आधारित सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यों को मान्यता प्रदान करता है। सेंट्रल यूरोपियन यूनिवर्सिटी द्वारा 'ओपन सोसाइटी पुरस्कार’ प्रतिवर्ष ऐसे व्यक्ति या संगठन को प्रदान किया जाता है, जिसकी उपलब्धियों ने समाज के निर्माण में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है। ‘सेंट्रल यूरोपियन यूनिवर्सिटी’ की स्थापना वर्ष 1991 में हंगरी के राजनीतिक कार्यकर्त्ता जॉर्ज सोरोस द्वारा की गई थी।
अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन फ्रेमवर्क समझौता
- हाल ही में यूरोपीय देश डेनमार्क ने भारत के साथ अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन फ्रेमवर्क समझौते (ISA FA) पर हस्ताक्षर किये हैं। इस प्रकार 08 जनवरी, 2021 को ‘अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन फ्रेमवर्क समझौते’ में संशोधन लागू होने के बाद डेनमार्क इस समझौते की पुष्टि करने वाला पहला देश बन गया है। ज्ञात हो कि संशोधन का मुख्य उद्देश्य संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देशों को संगठन की सदस्यता प्राप्त करने में सक्षम बनाना था। अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन मुख्यतः सौर ऊर्जा संपन्न देशों का एक संधि आधारित अंतर-सरकारी संगठन है, हालाँकि संगठन के फ्रेमवर्क समझौते में संशोधन के पश्चात् संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देश इसमें शामिल हो सकते हैं। अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन की शुरुआत भारत और फ्राँस ने 30 नवंबर, 2015 को पेरिस जलवायु सम्मेरलन के दौरान की थी। इसका मुख्यालय गुरुग्राम (हरियाणा) में स्थित है। ISA के प्रमुख उद्देश्यों में 1000 गीगावाट से अधिक सौर ऊर्जा उत्पादन क्षमता की वैश्विक तैनाती और 2030 तक सौर ऊर्जा में निवेश के लिये लगभग $1000 बिलियन की राशि जुटाना शामिल है। इसकी पहली बैठक का आयोजन नई दिल्ली में किया गया था। यह संगठन ISA सौर परियोजनाओं को ज़मीनी स्तर पर प्रारंभ करने में सहयोग प्रदान करता है और सौर ऊर्जा की वैश्विक मांग को समेकित करने के लिये सौर क्षमता समृद्ध देशों को एक साथ लाता है।
केरल में मछुआरों की सुरक्षा के लिये समिति
- समुद्र में मछली पकड़ने के दौरान दुर्घटनाओं की बढ़ती संख्या विशेष रूप से मानसून के दौरान और तटीय सुरक्षा एवं अवैध तथा अनियमित मत्स्य पालन से संबंधित समस्याओं को देखते हुए केरल के मत्स्य विभाग ने मछुआरों की सुरक्षा के लिये समिति का गठन किया है। मत्स्य पालन विभाग के पूर्व अतिरिक्त निदेशक पी. सहदेवन की अध्यक्षता में गठित यह सात सदस्यीय समिति समुद्री सुरक्षा, तटीय सुरक्षा और पोत निगरानी प्रणाली एवं अवैध, असूचित व अनियमित मत्स्य पालन से संबंधित मुद्दों को संबोधित करने के तरीकों का अध्ययन करेगी और एक रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी। प्रादेशिक जल में मछली पकड़ने के संदर्भ में मछुआरों की सुरक्षा एक प्रमुख चिंता का विषय बन गई है, जिसने मछुआरों को गहरे समुद्र में जाने के लिये प्रेरित किया है। ऐसी कई घटनाएँ देखी गई हैं, जिसमें मछुआरे गहरे समुद्र में जाने और तेज़ धाराओं के कारण प्रायः भटक जाते हैं और श्रीलंका, बांग्लादेश तथा पाकिस्तान जैसे पड़ोसी तटीय देशों तक पहुँच जाते हैं, जिसके कारण उन्हें समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
नेशर रामला होमो टाइप
- इज़राइल में कार्यरत शोधकर्त्ताओं ने एक अज्ञात प्राचीन मानव की पहचान की है, जो तकरीबन 100,000 वर्ष पूर्व मौजूद मानवीय प्रजाति के साथ रहता था। शोधकर्त्ताओं का मानना है कि रामला शहर से प्राप्त यह अवशेष बहुत प्राचीन मानव समूह के ‘अंतिम बचे’ हुए अवशेषों में से एक का प्रतिनिधित्त्व करता है। खोजकर्त्ताओं ने एक व्यक्ति की आंशिक खोपड़ी और जबड़ा खोजा है, जो कि 140,000 और 120,000 वर्ष पहले मौजूद था। विश्लेषण से ज्ञात होता है कि जिस व्यक्ति के अवशेषों की खोज की गई है वह पूरी तरह से होमो सेपियन्स यानी आधुनिक मानव से मेल नहीं खाता नहीं है। हालाँकि उनकी विशेषताएँ पूरी तरह निएंडरथल से भी नहीं मिलती हैं, जो कि उस समय इस क्षेत्र में रहने वाली एकमात्र अन्य मानव प्रजाति थी। बल्कि यह प्रजाति दोनों अन्य मानव प्रजातियों के बीच मौजूद थी, जिसकी पहचान अब तक आधुनिक विज्ञान द्वारा नहीं की गई है। इसके विश्लेषण से यह कहा जा सकता है कि प्राचीन काल में विभिन्न होमो प्रजातियों के बीच इंटरब्रीडिंग अपेक्षाकृत एक सामान्य प्रक्रिया थी।
बंगलूरू सब-अर्बन रेल प्रोजेक्ट
- हाल ही में कर्नाटक सरकार ने जल्द ही ‘बंगलूरू सब-अर्बन रेल प्रोजेक्ट’ के शुरू होने की घोषणा की है। बंगलूरू सब-अर्बन रेल प्रोजेक्ट (BSRP) का प्रस्ताव पहली बार वर्ष 1983 में पेश किया गया था और तब से यह कर्नाटक की कई विभिन्न सरकारों के लिये सबसे महत्त्वपूर्ण परियोजना रही है। इस 58 किलोमीटर लंबी परियोजना को प्रारंभ में तत्कालीन दक्षिणी रेलवे (अब बंगलूरू दक्षिण पश्चिम रेलवे के दायरे में आती है) की एक विशेषज्ञ टीम द्वारा प्रस्तावित किया गया था। यह प्रस्ताव कर्नाटक के तत्कालीन मुख्यमंत्री आर. गुंडू राव द्वारा शुरू किये गए कर्नाटक के पहले परिवहन सर्वेक्षण के हिस्से के रूप में प्रस्तुत किया गया था। परियोजना का उद्देश्य रेल-आधारित रैपिड-ट्रांज़िट सिस्टम द्वारा बंगलूरू को अपने आसपास के टाउनशिप, उपनगरों और ग्रामीण क्षेत्रों से जोड़ना है। ‘बंगलूरू सब-अर्बन रेल प्रोजेक्ट’ हज़ारों ग्रामीण और शहरी यात्रियों को यात्रा का एक तीव्र, सुरक्षित एवं अधिक आरामदायक माध्यम प्रदान करेगा। रेल इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कंपनी, कर्नाटक (K-RIDE), जो कि कर्नाटक सरकार और केंद्रीय रेल मंत्रालय का एक संयुक्त उद्यम है- इस परियोजना के क्रियान्वयन के लिये उत्तरदायी है।
भारत का पहला रैबीज़ मुक्त राज्य: गोवा
- हाल ही में गोवा के मुख्यमंत्री ने राज्य को देश का पहला रैबीज़ मुक्त राज्य घोषित किया है। ज्ञात हो कि गोवा में पिछले तीन वर्ष में रैबीज़ का एक भी मामला सामने नहीं आया है। रैबीज़ नियंत्रण का कार्य मिशन रैबीज़ परियोजना द्वारा क्रियान्वित किया जा रहा है, जिसे केंद्र सरकार के अनुदान के माध्यम से चलाया जा रहा है। विदित हो कि राज्य में अब तक रैबीज़ के विरुद्ध पाँच लाख से अधिक कुत्तों का टीकाकरण किया गया है और संपूर्ण गोवा में रैबीज़ की रोकथाम हेतु लगभग एक लाख लोगों को शिक्षित किया गया है, साथ ही 24 घंटे रैबीज़ निगरानी केंद्र भी स्थापित किये गए हैं, जिसमें एक आपातकालीन हॉटलाइन और ऐसे लोगों की सहायता के लिये त्वरित प्रतिक्रिया टीम शामिल है, जिन्हें कुत्तों ने काटा है। रैबीज़ एक रिबोन्यूक्लिक एसिड (RNA) वायरस के कारण होता है, जो किसी पागल जानवर जैसे कुत्ता, बिल्ली, बंदर, आदि की लार में मौजूद होता है। जानवर के काटने और रैबीज़ के लक्षण दिखाई देने की समयावधि चार दिनों से लेकर दो साल तक या कभी-कभी उससे भी अधिक हो सकती है। ऐसे में घाव से वायरस को जल्द-से-जल्द हटाना आवश्यक होता है। आँकड़ों की मानें तो दुनिया में रैबीज़ से होने वाली मौतों में एक-तिहाई से अधिक भारत में होती हैं। भारत में रैबीज़ एक प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या है, जिससे प्रतिवर्ष अनुमानित 20,000 लोगों की मौत हो जाती है।
खाद्य सुरक्षा हेतु ओडिशा और विश्व खाद्य कार्यक्रम की साझेदारी
- हाल ही में ओडिशा सरकार और संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) ने आजीविका पहल को ओडिशा करने और राज्य समर्थित महिला स्वयं सहायता समूहों (WSHGs) का समर्थन करने, घरेलू खाद्य एवं पोषण सुरक्षा में सुधार करने हेतु साझेदारी की है। महिलाओं के सशक्तीकरण, आजीविका और आय पर केंद्रित इस साझेदारी का प्राथमिक उद्देश्य ओडिशा में पोषण सुरक्षा के लक्ष्य को प्राप्त करना है। यह साझेदारी इस विचार पर केंद्रित है कि सतत् आजीविका से घरेलू खाद्य एवं पोषण सुरक्षा में सुधार होगा, जिससे अंततः महिलाओं का समग्र सशक्तीकरण सुनिश्चित किया जा सकेगा। इस साझेदारी के माध्यम से तकनीकी सहायता और क्षमता विकास प्रदान कर महिला स्वयं सहायता समूहों (WSHGs) का समर्थन किया जाएगा, जिससे राज्य में दीर्घकालिक खाद्य सुरक्षा में प्रत्यक्ष योगदान दिया जा सकेगा। दिसंबर 2023 तक प्रभावी इस साझेदारी में सरकारी खरीद प्रणालियों के साथ महिला समूहों के जुड़ाव, अधिकारों के बारे में जागरूकता बढ़ाने, महिला समूहों के क्षमता निर्माण, निगरानी उपकरण विकसित करने और समूहों के कामकाज में सुधार हेतु मूल्यांकन मापदंड विकसित करने आदि पर भी ध्यान केंद्रित किया जाएगा। ज्ञात हो कि इस साझेदारी को ओडिशा सरकार की ओर से ‘मिशन शक्ति विभाग’ द्वारा क्रियान्वित किया जाएगा, जिसका गठन इसी वर्ष 01 जून को किया गया है।
निजी क्षेत्र को रॉकेट लॉन्च साइट निर्माण की अनुमति
- भारत ने निजी कंपनियों को सरकार से पूर्व मंज़ूरी के अधीन देश के भीतर और बाहर रॉकेट लॉन्च साइट स्थापित करने एवं संचालित करने की अनुमति देने का निर्णय लिया है। इसी प्रकार भारतीय या विदेशी क्षेत्र से किसी भी रॉकेट को लॉन्च (कक्षीय या उप-कक्षीय) केवल ‘भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्द्धन तथा प्रमाणीकरण केंद्र' (IN-SPACe) से पूर्व मंज़ूरी के साथ ही किया जा सकता है, जो कि अंतरिक्ष विभाग के तहत भारत सरकार द्वारा गठित एक स्वतंत्र निकाय है। अंतरिक्ष विभाग द्वारा लाए गए राष्ट्रीय अंतरिक्ष परिवहन नीति-2020 के मसौदे के अनुसार, रॉकेट लॉन्च स्वयं की लॉन्च साइट या लीज़ पर ली गई लॉन्च साइट और मोबाइल प्लेटफॉर्म (भूमि, समुद्र या वायु) से भी हो सकता है। मसौदा नीति के अनुसार, IN-SPACe की मंज़ूरी प्राप्त करने के लिये प्रस्तावक को वित्तीय गारंटी या बीमा कवर संबंधी दस्तावेज़ प्रस्तुत करने की आवश्यकता होगी। भारत के क्षेत्र के बाहर से लॉन्च करने के मामले में आवश्यक है कि लॉन्च के लिये अनुमोदन, संबंधित राष्ट्र/क्षेत्र के लागू कानूनों के तहत हो।
तिब्बत में पहली पूर्ण विद्युतीकृत बुलेट ट्रेन
- हाल ही में चीन ने तिब्बत के सुदूर हिमालयी क्षेत्र में अपनी पहली पूर्ण विद्युतीकृत बुलेट ट्रेन का संचालन शुरू किया है, जो प्रांतीय राजधानी ल्हासा और न्यिंगची को जोड़ती है, यह रणनीतिक रूप से अरुणाचल प्रदेश के निकट तिब्बती सीमावर्ती शहर है। सिचुआन-तिब्बत रेलवे का ‘ल्हासा-न्यिंगची खंड’ तकरीबन 435.5 किलोमीटर लंबा है। इस परियोजना के महत्त्व को इस बात से समझा जा सकता है कि यह तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र में पहली विद्युतीकृत रेल परियोजना है। इस खंड की अधिकतम गति 160 किमी प्रति घंटा है और यह सिंगल लाइन विद्युतीकृत रेलवे पर संचालित है। यह ल्हासा, शन्नान और न्यिंगची सहित नौ स्टेशनों पर रुकती है। सड़कों की तुलना में ल्हासा-न्यिंगची रेलवे ल्हासा से न्यिंगची तक यात्रा के समय को 5 घंटे से घटाकर लगभग 3.5 घंटे कर देता है, और शन्नान से न्यिंगची तक यात्रा के समय को 6 घंटे से घटाकर लगभग 2 घंटे कर देता है। भारत के लिये यह इस लिहाज़ से भी महत्त्वपूर्ण है कि चीन दक्षिण तिब्बत के हिस्से के रूप में अरुणाचल प्रदेश का दावा करता है, जिसे भारत ने दृढ़ता से खारिज किया है। भारत-चीन सीमा विवाद में 3,488 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) शामिल है।
'काला अमरूद'
- बिहार कृषि विश्वविद्यालय, भागलपुर के वैज्ञानिकों ने अमरूद की एक अनोखी किस्म 'काला अमरूद' विकसित किया है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, इसमें प्रचुर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट, खनिज और विटामिन पाया जाता है। अमरूद की इस अनोखी किस्म को तीन वर्ष से अधिक के अनुसंधान के बाद विकसित किया गया है और इसके आकार, सुगंध व लंबे समय तक टिकाऊ रहने के लिये कुछ सुधार के बाद जल्द ही व्यावसायिक खेती के लिये प्रयोग किया जा सकेगा। वैज्ञानिक इस अमरूद की गुणवत्ता में और सुधार करने की कोशिश कर रहे हैं जिससे यह कई गुना पोषण क्षमता प्राप्त सकेगा और इसके वाणिज्यिक उत्पादन एवं निर्यात की संभावनाएँ भी बढ़ेंगी। वैज्ञानिकों का मानना है कि ‘काले अमरूद’ की यह विशेष किस्म अगस्त के अंत या सितंबर की शुरुआत तक पूरी तरह से पक जाएगी। अमरूद की यह अनूठी किस्म अपने एंटी-एजिंग गुणों और समृद्ध पोषण मूल्य के कारण काफी महत्त्वपूर्ण हो सकती है।
क्रिप्टो-एक्सचेंज ‘बाइनेंस’ पर प्रतिबंध
- दुनिया भर में क्रिप्टोकरेंसी और उनके विकेंद्रीकृत एक्सचेंजों पर बढ़ती कार्रवाई के बीच यूनाइटेड किंगडम ने दुनिया के सबसे बड़े क्रिप्टो-एक्सचेंज ‘बाइनेंस’ को प्रतिबंधित कर दिया है। ‘बाइनेंस’ ट्रेडिंग वॉल्यूम के लिहाज़ से दुनिया का सबसे बड़ा क्रिप्टो एक्सचेंज है और वह जल्द ही ब्रिटेन में अपना स्वयं का डिजिटल एसेट मार्केटप्लेस लॉन्च करने की योजना बना रहा था। यूनाइटेड किंगडम क्रिप्टो उद्योग पर कठोर नीति अपनाने वाला एकमात्र देश नहीं है। बीते दिनों जापान की वित्तीय सेवा एजेंसी ने भी चेतावनी दी थी कि ‘बाइनेंस’ देश में उसकी अनुमति के बिना काम कर रहा है। इस बीच चीन ने क्रिप्टोकरेंसी में हेर-फेर के प्रयासों को कम करने हेतु कई क्षेत्रों में क्रिप्टो माइनिंग का परिचालन बंद करने का आदेश दिया है, साथ ही चीन ने अपने बैंकों और भुगतान फर्मों से क्रिप्टो-संबंधित सेवाओं की पेशकश नहीं करने का आग्रह किया है। इस प्रकार की वित्तीय कार्यवाही का प्रभाव क्रिप्टोकरेंसी पर भी देखने को मिल रहा है और बिटकॉइन के मूल्य में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है, जो कि इस वर्ष अप्रैल माह में अपने सबसे उच्चतम स्तर (65,000 डॉलर) पर पहुँच गया था।
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