सितम्बर 2021 समसामयिकी सार | September 2021 Current Affair Summary in Hindi
सितम्बर 2021 समसामयिकी सार September 2021 Current Affair Summary in Hindi
दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे मार्ग पर ‘टॉय-ट्रेन सफारी’ की शुरुआत
- भारतीय रेलवे ने कोविड के कारण प्रभावित पर्यटन क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिये ‘सिलीगुड़ी’ जंक्शन से पश्चिम बंगाल के ‘रोंगटोंग’ स्टेशन तक एक नियमित जंगल टी टॉय-ट्रेन सफारी शुरू करने का निर्णय लिया है। विश्व प्रसिद्ध ‘दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे’ (DHR) का संचालन करने वाले भारतीय रेलवे के ‘पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे’ (NFR) ने नई सेवा की घोषणा की है। इस मार्ग पर संचालित टॉय ट्रेन को वर्ष 1999 में यूनेस्को की 'विश्व धरोहर स्थल' सूची में शामिल किया गया था। यहाँ टॉय ट्रेन के लिये वर्ष 1889 और वर्ष 1927 के बीच निर्मित हेरिटेज स्टीम इंजनों के साथ-साथ आधुनिक डीज़ल इंजनों, दोनों का उपयोग किया जाता है, जो विदेशी पर्यटकों और घरेलू यात्रियों के बीच व्यापक रूप से लोकप्रिय हैं। देश में कोविड-19 महामारी के कारण लगभग डेढ़ वर्ष पूर्व नियमित टॉय ट्रेन सेवाओं को निलंबित किये जाने के बाद रेलवे अधिकारी पर्यटन उद्योग को पुनर्जीवित करने का प्रयास कर रहे हैं।
कुश्ती को गोद लेगी उत्तर प्रदेश सरकार
- भारतीय कुश्ती को व्यापक पैमाने पर बढ़ावा देने के लिये उत्तर प्रदेश सरकार ने इस खेल को वर्ष 2032 तक गोद लेने का निर्णय लिया है और इसके तहत उत्तर प्रदेश सरकार पहलवानों को बुनियादी अवसंरचना प्रदान करने तथा ओलिंपिक तक पहुँचने में खिलाड़ियों का समर्थन करने हेतु 170 करोड़ रुपए का निवेश करेगी। ध्यातव्य है कि इससे पूर्व ओडीशा सरकार ने हॉकी के खेल का समर्थन किया था, जिसके बेहतर परिणाम देखने को मिले हैं। इस समझौते के माध्यम से देश भर में कुश्ती खिलाड़ियों को बेहतर सुविधाएँ प्रदान की जा सकेंगी और उन्हें बेहतर प्रशिक्षण के लिये विदेश भी भेजा जा सकेगा। साथ ही कैडेट और जूनियर पहलवानों के प्रशिक्षण पर भी निवेश किया जा सकेगा।
'यूब्रीथ लाइफ' एयर प्यूरीफायर
- ‘भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान’ के वैज्ञानिकों ने एक जीवित-पौधा-आधारित एयर प्यूरीफायर 'यूब्रीथ लाइफ' विकसित किया है, जो इनडोर स्थानों में हवा को शुद्ध करने की प्रक्रिया को मज़बूत करता है। ये इनडोर स्थान अस्पताल, स्कूल, कार्यालय या घर हो सकते हैं। IIT-रोपड़ की स्टार्टअप कंपनी, अर्बन एयर लेबोरेटरी, जिसने यह प्रोडक्ट विकसित किया है, का दावा है कि यह दुनिया का पहला, अत्याधुनिक 'स्मार्ट बायो-फिल्टर' है, जो हवा को ताज़ा और शुद्ध बना सकता है। यह प्रौद्योगिकी हवा को शुद्ध करने वाले प्राकृतिक पत्तेदार पौधे के माध्यम से काम करती है। कमरे की हवा पत्तियों के संपर्क में आकर मिट्टी-जड़ क्षेत्र में पहुँचती है, जहाँ अधिकतम प्रदूषक फिल्टर मौजूद होते हैं। एयर प्यूरीफायर 'यूब्रीथ लाइफ' के लिये जिन पौधों का परीक्षण किया गया है, उनमें पीस लिली, स्नेक और स्पाइडर प्लांट शामिल हैं। परीक्षण के परिणामों से पता चला है कि 'यूब्रीथ लाइफ' का उपयोग करने के बाद पंद्रह मिनट के भीतर 150 वर्ग फुट के कमरे के आकार के क्षेत्र में ‘वायु गुणवत्ता सूचकांक’ 311 से गिरकर 39 पर पहुँच गया। इसके अलावा यह प्यूरीफायर किसी विशिष्ट क्षेत्र में ऑक्सीजन भी बढ़ाता है, जिससे साँस लेने की समस्या से पीड़ित मरीज़ों को काफी मदद मिल सकती है।
संसदीय आउटरीच कार्यक्रम
- लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने हाल ही में केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख के पंचायती राज संस्थानों के सशक्तीकरण के लिये ‘संसदीय आउटरीच कार्यक्रम’ का उद्घाटन किया है। लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि संसद सर्वोच्च लोकतांत्रिक संस्था है और पंचायत स्तर सहित सभी स्तरों पर लोकतंत्र को मज़बूत करना संसद का उत्तरदायित्त्व है। यह अपनी तरह का पहला कार्यक्रम है, जो ज़मीनी स्तर पर शासन एवं नियोजन संस्था को मज़बूत करने का प्रयास करता है। कुल चार ‘संसदीय आउटरीच कार्यक्रम’ आयोजित किये जाने हैं, इसमें पहला कार्यक्रम 08 जनवरी, 2021 को देहरादून (उत्तराखंड) में आयोजित किया गया था। इस कार्यक्रम में 445 पंचायत प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया था। वहीं दूसरा कार्यक्रम मेघालय और अन्य उत्तर पूर्वी राज्य के लिये शिलांग में आयोजित किया गया, जबकि तीसरा और चौथा कार्यक्रम क्रमशः लद्दाख और जम्मू-कश्मीर के लिये आयोजित किया जाना है। इन कार्यक्रमों का उद्देश्य जन जागरूकता एवं भागीदारी बढ़ाना, ज़मीनी स्तर के नेताओं के बीच आत्मविश्वास को बढ़ावा देना और सरकार द्वारा क्रियान्वित विभिन्न योजनाओं के विषय में जागरूकता फैलाना है।
इनोवेशन मिशन पंजाब
- पंजाब के मुख्यमंत्री ने हाल ही में 'इनोवेशन मिशन पंजाब' (आईएमपंजाब) लॉन्च किया है, जो एक सार्वजनिक-निजी भागीदारी है, जिसका उद्देश्य वैश्विक निवेशकों और विशेषज्ञों को स्टार्टअप को उत्प्रेरित करने के लिये एक साथ लाना है। मिशन पंजाब की विकास क्षमता को उजागर करेगा और रोज़गार सृजन एवं निवेश को आमंत्रित करके राज्य में एक संपन्न अर्थव्यवस्था का निर्माण करेगा। साथ ही यह मिशन निवेश, परामर्श व बाज़ार पहुँच के लिये भागीदारों के एक वैश्विक पूल का भी निर्माण करेगा। यह मिशन पंजाबी डायस्पोरा की ताकत का भी लाभ उठाएगा, जिससे उन्हें महिलाओं के बीच उद्यमिता को प्रोत्साहित करने पर केंद्रित कार्यक्रम चलाने के अलावा राज्य की इस नई विकास पहलों में भाग लेने की अनुमति मिलेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान में राज्य में 450 स्टार्टअप और 20 से अधिक इन्क्यूबेटरों के साथ एक उभरता हुआ उद्यमशील पारिस्थितिकी तंत्र मौजूद है।
आयुष आपके द्वार” अभियान
- आयुष मंत्रालय द्वारा देश भर में 45 से अधिक स्थानों पर “आयुष आपके द्वार” अभियान की शुरुआत की गई। इस अभियान की शुरुआत आयुष भवन में कर्मचारियों को औषधीय पौधे वितरित कर की गई। इस अभियान की शुरूआत से जुड़ी गतिविधियों में कुल 21 राज्य भाग ले रहे हैं और इस दौरान दो लाख से अधिक पौधे वितरित किये जाएंगे। इस अभियान का उद्देश्य एक वर्ष में देश भर के 75 लाख घरों में औषधीय पौधे वितरित करना है। इन औषधीय पौधों में तेजपत्ता, स्टीविया, अशोक, जटामांसी, गिलोय/गुडुची, अश्वगंधा, कुमारी, शतावरी, लेमनग्रास, गुग्गुल, तुलसी, सर्पगंधा, कालमेघ, ब्राह्मी और आँवला शामिल हैं। ‘आज़ादी का अमृत महोत्सव’ के तहत वाई-ब्रेक एप की शुरुआत, रोगनिरोधी आयुष दवाओं के वितरण सहित कई अन्य कार्यक्रम पहले ही शुरू किये जा चुके हैं।
न्यूज़ऑनएयर रेडियो लाइव-स्ट्रीम की वैश्विक रैंकिंग
- विश्व स्तर पर (भारत को छोड़कर) शीर्ष ऑल इंडिया रेडियो (AIR) स्ट्रीम की रैंकिंग में बड़े बदलाव आए हैं। विश्व स्तर पर भारत को छोड़कर शीर्ष देशों की नवीनतम रैंकिंग में न्यूज़ऑनएयर एप पर ऑल इंडिया रेडियो लाइव-स्ट्रीम सबसे लोकप्रिय है। न्यूज़ीलैंड ने जर्मनी को पीछे छोड़कर 8वाँ स्थान हासिल किया है, जबकि इंग्लैंड ने फिजी को चौथे स्थान पर खिसकाकर तीसरा स्थान प्राप्त किया है। ऑल इंडिया रेडियो की 240 से अधिक रेडियो सेवाओं का न्यूज़ऑनएयर एप, प्रसार भारती के आधिकारिक एप पर लाइव-स्ट्रीम किया जाता है। न्यूज़ऑनएयर एप पर ऑल इंडिया रेडियो स्ट्रीम के न केवल भारत में बल्कि विश्व स्तर पर 85 से अधिक देशों और वैश्विक स्तर पर 8000 शहरों में बड़ी संख्या में श्रोता हैं।
डन एंड ब्रैडस्ट्रीट - कॉरपोरेट अवार्ड 2021
- एसजेवीएन को प्रतिष्ठित डन एंड ब्रैडस्ट्रीट- कॉरपोरेट अवार्ड 2021 से सम्मानित किया गया है, यह पुरस्कार उसे बेस्ट ग्रोथ परफॉर्मेंस-पावर की श्रेणी में प्राप्त हुआ। यह पुरस्कार वर्चुअल सम्मेलन के माध्यबम से प्रदान किया गया है, जिसका शीर्षक ‘भारत की शीर्ष 500 कंपनियाँ 2021’ था। एसजेवीएन के पास वर्तमान में लगभग 10,000 मेगावाट की 31 परियोजनाओं का मज़बूत पोर्टफोलियो है। इस कार्यक्रम की थीम ‘लैइंग द फाउंडेशन फॉर एन ईएसजी-रेडी कॉरपोरेट इंडिया' थी। इस कार्यक्रम में भारत की शीर्ष 500 कंपनियाँ वर्ष 2021 के प्रकाशन के डिजिटल लॉन्च को भी शामिल किया गया। पिछले दो दशकों से भी ज़्यादा समय से डन एंड ब्रैडस्ट्रीट भारत की शीर्ष 500 कंपनियों की सूची तैयार कर रहा है, जो भारत के कॉरपोरेट जगत के लीडरों और भारतीय अर्थव्यवस्था की प्रेरक शक्ति का प्रतिनिधित्व करती हैं। इन वर्षों में प्रकाशन ने सबसे विश्वसनीय और व्यापक संग्रह तथा भारत के व्यापक कॉरपोरेट जगत की सबसे सटीक रैंकिंग में से एक होने की प्रतिष्ठा प्राप्त की है।
पावरग्रिड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया
- ‘पावरग्रिड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड’ को प्रतिष्ठित ‘एसोसिएशन फॉर टैलेंट डेवलपमेंट’ (ATD) 2021 बेस्ट अवार्ड’ से सम्मानित किया गया है। इसने दुनिया भर के 71 संगठनों में 8वाँ स्थान हासिल किया है। साथ ही इस पुरस्कार को पाने वाला यह एकमात्र सार्वजनिक उपक्रम बन गया है और यह शीर्ष 20 कंपनियों में शामिल भारत की केवल दो कंपनियों में से एक है। ‘एसोसिएशन फॉर टैलेंट डेवलपमेंट’ दुनिया की सबसे बड़ी एसोसिएशन है, जो संगठनों में प्रतिभा विकसित करने हेतु समर्पित है। इसके द्वारा प्रस्तुत अवार्ड को कौशल विकास उद्योग में सबसे प्रतिष्ठित सम्मान माना जाता है। एक वैश्विक कार्यक्रम के तौर पर यह उन संगठनों पर केंद्रित है, जो प्रतिभा विकास के माध्यम से प्रतिष्ठान की सफलता को प्रदर्शित करते हैं। पावरग्रिड को यह अंतर्राष्ट्रीय सम्मान प्रतिभा विकास विधियों और कार्यक्रमों के पोषण में उसके अथक प्रयासों के लिये मिला है। ‘पावरग्रिड’ संगठन में प्रतिभा विकास पहल का संचालन ‘पावरग्रिड एकेडमी ऑफ लीडरशिप’ (PAL) द्वारा किया जा रहा है। ज्ञात हो कि ‘पावरग्रिड’ विद्युत मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में एक पब्लिक लिमिटेड कंपनी है। यह देश की सबसे बड़ी बिजली ट्रांसमिशन कंपनी है। इसने अपना व्यावसायिक संचालन वर्ष 1992-93 में शुरू किया था और वर्तमान में यह एक महारत्न कंपनी है।
न्यू डेवलपमेंट बैंक का विस्तार
- ब्रिक्स देशों के समूह द्वारा स्थापित ‘न्यू डेवलपमेंट बैंक’ (NDB) ने अपने विस्तार अभियान के हिस्से के तौर पर संयुक्त अरब अमीरात, उरुग्वे और बांग्लादेश को नए सदस्यों के रूप में शामिल कर लिया है। यह वर्ष 2014 में ब्राज़ील के ‘फोर्टालेज़ा’ में आयोजित छठे ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में ब्रिक्स देशों द्वारा संयुक्त रूप से स्थापित एक बहुपक्षीय विकास बैंक है। इसका गठन ब्रिक्स (ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन एवं दक्षिण अफ्रीका) और अन्य उभरती अर्थव्यवस्थाओं में नवाचार एवं अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के माध्यम से तीव्र विकास के लिये बुनियादी अवसंरचना व सतत् विकास प्रयासों का समर्थन करने हेतु किया गया था। इसका मुख्यालय शंघाई (चीन) में स्थित है। वर्ष 2018 में ‘न्यू डेवलपमेंट बैंक’ ने संयुक्त राष्ट्र के साथ सक्रिय और उपयोगी सहयोग के लिये एक मज़बूत आधार स्थापित करते हुए संयुक्त राष्ट्र महासभा में पर्यवेक्षक का दर्जा प्राप्त किया था।
‘अमेज़न इंडिया’ का ‘किसान स्टोर’
- ‘अमेज़न इंडिया’ ने ‘किसान स्टोर’ नामक एक ऑनलाइन प्लेटफाॅर्म लॉन्च किया है, जो देश भर में किसानों को 8,000 से अधिक कृषि इनपुट जैसे- बीज, कृषि उपकरण और सहायक उपकरण, पौध संरक्षण, पोषण तत्त्व आदि प्राप्त करने में सक्षम बनाएगा। छोटे और मध्यम व्यवसायों (SMBs) द्वारा सूचीबद्ध ये उत्पाद अमेज़न इंडिया पर प्रतिस्पर्द्धी कीमतों पर उपलब्ध होंगे, साथ ही इसमें किसानों के दरवाज़े पर डिलीवरी की अतिरिक्त सुविधा भी उपलब्ध होगी। यह ऑनलाइन स्टोर हिंदी और अंगेज़ी के अलावा तेलुगू, कन्नड़, तमिल और मलयालम जैसी स्थानीय भाषाओं में मौजूद होगा तथा किसान डिजिटल भुगतान का उपयोग करके कृषि इनपुट खरीद सकते हैं। अमेज़न ने किसानों के लिये स्टोर मालिकों की मदद से खरीदारी करने हेतु 5,000 से अधिक ‘अमेज़न इज़ी स्टोर’ नेटवर्क भी खोला है, जो उन्हें ब्राउज़ करने, उत्पाद की पहचान करने, उनका अमेज़न खाता बनाने और ऑर्डर देने में मदद करेगा। इन स्टोरों में 20 से अधिक ब्रांडों के हज़ारों उत्पाद सूचीबद्ध हैं। यह स्टोर किसानों के लिये एक अनुकूल पारिस्थितिकी तंत्र बनाने हेतु पहला कदम है, जो उन्हें एक क्लिक पर ऑर्डर देने और उनकी पसंद के उत्पादों को घर बैठे प्राप्त करने में सक्षम बनाएगा।
‘इंस्पिरेशन4’ स्पेसफ्लाइट
- टेक उद्यमी ‘एलोन मस्क’ ने हाल ही में घोषणा की है कि 'स्पेसएक्स’ की पहली सर्व-नागरिक एवं गैर-सरकारी स्पेसफ्लाइट जल्द ही लॉन्च की जाने वाली है। इसके तहत ‘क्रू ड्रैगन’ अंतरिक्षयान को अमेरिका के फ्लोरिडा में नासा के कैनेडी स्पेस सेंटर से लॉन्च किया जाना है। यह चार लोगों के समूह को तीन दिनों तक के लिये अंतरिक्ष में ले जाएगा। यह मिशन टेनेसी स्थित सेंट जूड चिल्ड्रन रिसर्च हॉस्पिटल की फंडिंग हेतु धनराशि जुटाने के प्रयास का एक हिस्सा है और अंतरिक्षयान की सभी चार सीटें फिनटेक कंपनी ‘शिफ्ट4 पेमेंट्स’ के संस्थापक अमेरिकी ‘जेरेड इसाकमैन’ द्वारा खरीदी गई हैं। ‘इंस्पिरेशन4’ स्पेसफ्लाइट के तहत लगभग 575 किलोमीटर की ऊँचाई पर पृथ्वी की परिक्रमा की जाएगी, जो कि ‘हबल स्पेस टेलिस्कोप’ (547 किलोमीटर) और ‘इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन’ (408 किलोमीटर) की ऊँचाई से भी अधिक है। यह वर्ष 2009 के बाद से किसी भी ‘क्रू’ मिशन द्वारा तय की गई सबसे अधिक दूरी होगी। यह अंतरिक्ष यात्रा व्यापक मात्रा में स्वास्थ्य डेटा एकत्र करने का अवसर प्रदान करेगी, जो भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों के लिये काफी महत्त्वपूर्ण होगा।
राजीव गांधी राष्ट्रीय उद्यान’ का नाम बदलकर ‘ओरंग राष्ट्रीय उद्यान’
- असम मंत्रिमंडल ने हाल ही में ‘राजीव गांधी राष्ट्रीय उद्यान’ का नाम बदलकर ‘ओरंग राष्ट्रीय उद्यान’ करने का निर्णय लिया है। ब्रह्मपुत्र नदी के उत्तरी तट पर स्थित ‘ओरंग राष्ट्रीय उद्यान’ असम का सबसे पुराना ‘गेम रिज़र्व’ है, जिसे वर्ष 1915 में अंग्रेज़ों द्वारा ‘गेम रिज़र्व’ के रूप में अधिसूचित किया गया था। इसके पश्चात् वर्ष 1999 में इसे राष्ट्रीय उद्यान में अपग्रेड किया गया था और वर्ष 2016 में इसे टाइगर रिज़र्व के रूप में मान्यता दी गई थी। गुवाहाटी से तकरीबन 140 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ‘ओरंग राष्ट्रीय उद्यान’ एक-सींग वाले गैंडों, बाघों, हाथियों, जंगली सूअर, पिग्मी हॉग और विभिन्न प्रकार की मछलियों के लिये प्रसिद्ध है। स्थलाकृति में समानता और एक सींग वाले गैंडों की समृद्ध आबादी के कारण इसे अक्सर 'मिनी काजीरंगा' भी कहा जाता है। ज्ञात हो कि असम में वर्तमान में सात राष्ट्रीय उद्यान हैं: काजीरंगा, मानस, ओरंग, नामेरी, डिब्रू-सैखोवा, रायमोना और देहिंग पटकाई।
आईएनएस ‘हंस’ को ‘प्रेसीडेंट कलर अवार्ड’
- भारतीय सशस्त्र बलों के सर्वोच्च कमांडर और भारतीय राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने हाल ही में आईएनएस ‘हंस’ (गोवा स्थित भारतीय नेवल एविएशन) को ‘प्रेसीडेंट कलर अवार्ड’ या ध्वज प्रदान किया है। शांति और युद्ध दोनों स्थितियों में राष्ट्र को दी गई असाधारण सेवा के सम्मान में एक सैन्य इकाई को राष्ट्रपति द्वारा यह अवार्ड प्रदान किया जाता है। भारतीय नौसेना 27 मई, 1951 को भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद से ध्वज प्राप्त करने वाली पहली भारतीय सशस्त्र सेना थी। इसके बाद नौसेना में राष्ट्रपति का ध्वज प्राप्त करने वालों में दक्षिणी नौसेना कमान, पूर्वी नौसेना कमान, पश्चिमी नौसेना कमान, पूर्वी बेड़ा, पश्चिमी बेड़ा, पनडुब्बी शाखा, आईएनएस शिवाजी और भारतीय नौसेना अकादमी शामिल हैं। नेवल एविएशन ने पिछले सात दशकों में राष्ट्र के लिये उल्लेखनीय और वीरतापूर्ण सेवा के साथ स्वयं को प्रतिष्ठित किया है। यह शाखा 13 जनवरी, 1951 को पहले ‘सी-लैंड’ विमान के अधिग्रहण के साथ अस्तित्व में आई और 11 मई, 1953 को कोच्चि में ‘आईएनएस गरुड़’ को इसमें शामिल किया गया। वर्तमान में ‘नेवल एविएशन’ नौ ‘वायु स्टेशनों’ और तीन ‘नौसेना वायु एन्क्लेव’ के साथ भारतीय समुद्र तट, खासतौर पर अंडमान व निकोबार द्वीप समूह की सुरक्षा को मज़बूती प्रदान करता है।
वाराणसी-चुनार क्रूज़ सेवा
- उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग ने राज्य में जल पर्यटन को बढ़ावा देने के लिये ‘वाराणसी-चुनार क्रूज़ सेवा’ की शुरुआत की है। यह क्रूज़ सेवा गंगा नदी में वाराणसी से मिर्जापुर के ऐतिहासिक ‘चुनार किले’ तक संचालित होगी। राज्य सरकार इस यात्रा को प्रयागराज में संगम तक बढ़ाने की योजना बना रही है। चुनार किले को चंद्रकांता चुनारगढ़ और चरणाद्री के नाम से भी जाना जाता है। यह किला गंगा नदी के तट के पास ‘कैमूर पहाड़ियों’ पर स्थित है। इस किले का इतिहास तकरीबन 56 ईसा पूर्व का है, जब राजा विक्रमादित्य ‘उज्जैन’ के शासक थे। इसके पश्चात् यह मुगलों, सूरी, अवध के नवाबों और अंत में अंग्रेज़ों के नियंत्रण में आ गया। वर्ष 1791 में यूरोपीय और भारतीय बटालियनों ने किले को अपना मुख्यालय बनाया। वर्ष 1815 के बाद से किले को कैदियों के लिये निवास स्थान के रूप में इस्तेमाल किया जाने लगा। वर्ष 1849 में महाराजा रणजीत सिंह की पत्नी ‘रानी जींद कौर’ को भी यहाँ कैद किया गया था।
ग्रीस में जलवायु संकट हेतु विशिष्ट मंत्रालय
- हाल ही में ग्रीस सरकार ने जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को दूर करने के लिये एक नए मंत्रालय का गठन किया है और यूरोपीय संघ के पूर्व आयुक्त ‘क्रिस्टोस स्टाइलियानाइड्स’ को मंत्रालय का प्रमुख नामित किया है। ‘क्रिस्टोस टायलियनाइड्स’ वर्ष 2014 से वर्ष 2019 के बीच मानवीय सहायता और संकट प्रबंधन के लिये यूरोपीय संघ आयुक्त के रूप में कार्य कर चुके हैं। यह नियुक्ति ऐसे समय में की गई है, जब ग्रीस में भीषण आग लगी हुई है, जिसने अब तक इविया द्वीप और दक्षिणी ग्रीस में 1,000 वर्ग किलोमीटर (385 वर्ग मील) से अधिक वन क्षेत्र को जला दिया है। ग्रीस द्वारा गठित ‘मिनिस्ट्री ऑफ क्लाइमेट क्राइसिस एंड सिविल प्रोटेक्शन’ का प्राथमिक दायित्व जलवायु परिवर्तन के परिणामस्वरूप बढ़ते तापमान से निपटने और अग्निशामक एवं आपदा राहत कार्यों को बढ़ावा देने हेतु नीतियों का निर्माण करना है।
तमिलनाडु में ‘सामाजिक न्याय दिवस’
- तमिलनाडु सरकार ने प्रतिवर्ष 17 सितंबर को सुधारवादी नेता ‘ई.वी. पेरियार’ की जयंती को ‘सामाजिक न्याय दिवस’ के रूप में मनाने का निर्णय किया है। इस संबंध में घोषणा करते हुए राज्य के मुख्यमंत्री ने कहा कि पेरियार की विचारधारा सामाजिक न्याय, स्वाभिमान, तर्कवाद और समानता के बारे में थी, जिसने पिछली शताब्दी के दौरान तमिल समाज के विकास की आधारशिला रखी और भविष्य का मार्ग भी प्रशस्त किया। पेरियार का जन्म 17 सितंबर, 1879 को तमिलनाडु के कोयंबटूर ज़िले के इरोड कस्बे में हुआ था। तर्क और विवेक के माध्यम से सामाजिक बदलाव लाने के लिये इन्होने 'आत्मसम्मान आंदोलन' चलाया। इन्हें ‘द्रविड़ आंदोलन’ का जनक भी माना जाता है। पेरियार को दक्षिण भारत में दलित आंदोलन का प्रमुख नेता माना जाता है, इन्हीं के आदर्शों ने तमिल समाज के विकास की नींव रखी। वे हिंदू धर्म ग्रंथों के प्रमुख आलोचक थे और उन्होंने ब्राह्मणों के प्रभुत्व का कड़ा विरोध किया। अपनी राजनीतिक धारणा को जन-जन तक पहुँचाने के लिये पेरियार ने वर्ष 1938 में जस्टिस पार्टी का गठन किया।
‘बिज़नेस ब्लास्टर्स’ कार्यक्रम
- दिल्ली सरकार ने हाल ही में 'बिज़नेस ब्लास्टर्स' नामक एक कार्यक्रम की शुरुआत की है। ‘उद्यमिता माइंडसेट कोर्स’ के तहत दिल्ली के सभी सरकारी स्कूलों में लागू होने वाले कार्यक्रम का उद्देश्य स्कूल स्तर पर युवा उद्यमियों का विकास करना है। यह कार्यक्रम दिल्ली के सरकारी स्कूल के बच्चों के बीच उद्यमिता विकास हेतु एक आधारशिला के तौर पर कार्य करेगा। इस कार्यक्रम के हिस्से के रूप में सरकारी स्कूलों में कक्षा 11 और 12 के छात्रों को व्यवसाय शुरू करने हेतु 2,000 रुपए की सीड मनी प्रदान की जाएगी। इसके माध्यम से बच्चे रोज़गार के पीछे नहीं भागेंगे, बल्कि वे रोज़गार के अवसरों का सृजन करेंगे। इस कार्यक्रम को दिल्ली में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर ‘स्कूल ऑफ एक्सीलेंस- खिचड़ीपुर’ में शुरू किया गया था। पायलट प्रोजेक्ट में 41 बच्चों के नौ समूह बनाए गए और प्रत्येक बच्चे को 1,000 रुपए की सीड मनी प्रदान की गई तथा बच्चों ने इसके माध्यम से काफी लाभ अर्जित किया। इस कार्यक्रम का एकमात्र उद्देश्य बच्चों में यह विश्वास जगाना था कि वे जो भी कार्य करें, उसे उद्यमशीलता की मानसिकता से करें।
सेंटर ऑफ एक्सीलेंस ऑन ऑफशोर विंड
- भारत और डेनमार्क ने हाल ही में दोनों देशों के बीच हरित रणनीतिक साझेदारी के हिस्से के रूप में 'सेंटर ऑफ एक्सीलेंस ऑन ऑफशोर विंड' का शुभारंभ किया है। यह कदम इस लिहाज़ से काफी महत्त्वपूर्ण है कि ‘नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय’ ने वर्ष 2030 तक अपतटीय पवन ऊर्जा परियोजनाओं के माध्यम से 30 गीगावाट (GW) क्षमता प्राप्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। भारत अपनी 7,600 किलोमीटर की तटरेखा के साथ विशाल पवन ऊर्जा क्षमता का उपयोग करके अपतटीय ऊर्जा शुल्कों को कम करने हेतु योजना बना रहा है। यह केंद्र प्रारंभ में चार कार्य समूहों 1) स्थानिक योजना; 2) वित्तीय फ्रेमवर्क की शर्तें; 3) आपूर्ति शृंखला अवसंरचना और 4) मानक एवं परीक्षण पर केंद्रित होगा। प्रारंभिक चरणों में यह ‘सेंटर ऑफ एक्सीलेंस’ केवल अपतटीय पवन क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित करेगा, किंतु समय के साथ इसके कार्यक्षेत्र में भी विस्तार किया जाएगा। हरित ऊर्जा हेतु यह प्रयास ऐसे समय में किया जा रहा है, जब जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र के अंतर-सरकारी पैनल ने कहा कि चरम मौसम की घटनाएँ भारत और दक्षिण एशिया में जीवन, आजीविका एवं व्यवसायों को काफी अधिक प्रभावित करेंगी। ज्ञात हो कि भारत एकमात्र G20 देश है, जिसके द्वारा की जा रही कार्रवाई तापमान में वैश्विक वृद्धि के संबंध में पेरिस जलवायु समझौते के अनुरूप है।
झारखंड में जल आपूर्ति हेतु ADB के साथ समझौता
- हाल ही में भारत सरकार और एशियाई विकास बैंक (ADB) ने झारखंड राज्य के चार शहरों में आपूर्ति सेवा को बेहतर करने और जल आपूर्ति बुनियादी अवसंरचना के विकास एवं शहरी स्थानीय निकायों (ULB) की क्षमताओं को मज़बूती देने हेतु 11.2 करोड़ डॉलर के ऋण समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं। यह समझौता मुख्य तौर पर झारखंड शहरी जल आपूर्ति सुधार परियोजना पर केंद्रित है। इस समझौते के माध्यम से राज्य की राजधानी रांची समेत आर्थिक एवं सामाजिक रूप से पिछड़े क्षेत्रों में स्थित अन्य तीन शहरों हुसैनाबाद, झुमरी तलैया एवं मेदिनीनगर में पाइप के माध्यम से निरंतर उपचारित जल की आपूर्ति सुनिश्चित की जाएगी। राज्य में यह ADB की पहली शहरी परियोजना होगी। यह स्थायी परिचालन हेतु नीतिगत सुधारों के साथ सतत् जल आपूर्ति के लिये एक मॉडल स्थानपित करने में मदद करेगी। राष्ट्रीय पेयजल गुणवत्ता मानकों को पूरा करते हुए सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराने के लिये इस परियोजना के दायरे में आने वाले शहरों में प्रतिदिन 27.5 करोड़ लीटर की संयुक्त क्षमता वाले चार जल उपचार संयंत्र स्थापित किये जाएंगे। एशियाई विकास बैंक (ADB) एक क्षेत्रीय विकास बैंक है। इसकी स्थापना 19 दिसंबर, 1966 को हुई थी। ADB में कुल 68 सदस्य शामिल हैं।
‘राष्ट्रीय राजमार्ग-925A’ पर आपातकालीन लैंडिंग स्ट्रिप
- केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह ने हाल ही में ‘भारतीय वायु सेना’ (IAF) के विमानों के लिये राजस्थान के बाड़मेर में ‘राष्ट्रीय राजमार्ग-925A’ में ‘गंधव भाकासर खंड’ पर एक आपातकालीन लैंडिंग स्ट्रिप का उद्घाटन किया है। यह पहली बार होगा जब देश के किसी ‘राष्ट्रीय राजमार्ग’ का उपयोग भारतीय वायुसेना के विमानों की आपातकालीन लैंडिंग के लिये किया जाएगा। तकरीबन 3 किलोमीटर लंबे इस आपातकालीन लैंडिंग खंड को ‘भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण’ (NHAI) ने भारतीय वायुसेना के लिये ‘NH-925A’ पर विकसित किया है। यह गगरिया-बखासर और सट्टा-गंधव खंड के नव विकसित दो लेन के ‘पेवड शोल्डर’ का हिस्सा है, जिसकी कुल लंबाई तकरीबन 196.97 किलोमीटर है। ‘भारतमाला परियोजना’ के तहत विकसित इस आपातकालीन स्ट्रिप की लागत लगभग 765.52 करोड़ रुपए होगी। ज्ञात हो कि इससे पूर्व अक्तूबर 2017 में ‘भारतीय वायु सेना’ के लड़ाकू जेट और परिवहन विमानों ने लखनऊ-आगरा एक्सप्रेसवे पर मॉक लैंडिंग करते हुए यह दर्शाया था कि राजमार्गों का उपयोग वायु सेना के विमानों द्वारा आपात स्थिति में लैंडिंग के लिये किया जा सकता है।
‘मेडिसिन फ्रॉम द स्काई’ प्रोग्राम
- तेलंगाना सरकार का 'मेडिसिन फ्रॉम द स्काई' कार्यक्रम 11 सितंबर को लॉन्च होने के लिये पूरी तरह तैयार है। इस परियोजना का उद्देश्य राज्य में चिकित्सा आपूर्ति शृंखला में सुधार हेतु वितरण के एक मोड के रूप में ड्रोन के उपयोग को बढ़ावा देना है। इस परियोजना के प्रारंभिक चरण में वितरण केंद्रों से विशिष्ट स्थानों तक दवा पहुँचाने में ड्रोन प्रोद्योगिकी की मज़बूती और विश्वसनीयता का परीक्षण किया जाएगा। इसके माध्यम से दवाओं, टीकों, रक्त की इकाइयों, नैदानिक नमूनों और अन्य जीवन रक्षक उपकरणों की डिलीवरी की जा सकेगी। यह आगे नीति निर्माताओं और स्वास्थ्य प्रणालियों को ड्रोन वितरण के अवसरों और चुनौतियों के साथ-साथ प्रतिस्पर्द्धी वितरण मॉडल और प्रौद्योगिकियों का विश्लेषण करने में सहायता करने का इरादा रखता है। इस परियोजना का नेतृत्व ‘विश्व आर्थिक मंच’, ‘नीति आयोग’ और ‘हेल्थनेट ग्लोबल’ (अपोलो हॉस्पिटल्स) के साथ साझेदारी में तेलंगाना सरकार के आईटी विभाग के तहत ‘इमर्जिंग टेक्नोलॉजीज़ विंग’ द्वारा किया जा रहा है और इसका लक्ष्य ‘बियॉन्ड विज़ुअल लाइन ऑफ साइट’ (BVLOS) ड्रोन उड़ान शुरू करना है।
भारतीय वायु सेना के लिये ‘MRSAM’ प्रणाली
- भारतीय वायु सेना को हाल ही में ‘मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल’ (MRSAM) प्रणाली प्राप्त हुई है। यह मिसाइल प्रणाली 110 किलोमीटर की दूरी से विमान को नष्ट कर सकती है और एक साथ 16 लक्ष्यों पर 24 मिसाइलों को लॉन्च करने में सक्षम है। इस प्रणाली को ‘रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन’ (DRDO) द्वारा ‘इज़रायल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज़’ के साथ 'मेक इन इंडिया' पहल के अनुरूप विकसित किया गया है, जिसका उद्देश्य रक्षा उत्पादन में भारत को आत्मनिर्भर बनाना है। इज़रायल की ‘बराक मिसाइल’ से लैस यह एक सुपरसोनिक मिसाइल प्रणाली है, जिसका अर्थ है कि यह ध्वनि की गति से भी अधिक गति से यात्रा कर सकती है। इस मिसाइल प्रणाली को कम समय में एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुँचाया जा सकता है। टर्मिनल चरण के दौरान उच्च गतिशीलता प्राप्त करने के लिये यह मिसाइल स्वदेशी रूप से विकसित रॉकेट मोटर और नियंत्रण प्रणाली का उपयोग करती है। इससे पूर्व भारतीय नौसेना को भी MRSAM का एक अन्य संस्करण प्रदान किया गया था और जल्द ही थलसेना को यह मिसाइल प्रणाली प्रदान की जाएगी।
पृथ्वी का सबसे उत्तरी द्वीप
- शोधकर्त्ताओं ने ग्रीनलैंड के पास एक छोटे, निर्जन एवं अब तक अज्ञात द्वीप की खोज की है, जो कि अनुमान के मुताबिक, पृथ्वी का सबसे उत्तरी द्वीप है। 60×30 मीटर का यह द्वीप समुद्र तल से तीन मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। इससे पहले ‘ओडाक्यू’ (Oodaaq) द्वीप को पृथ्वी के सबसे उत्तरी इलाके के रूप में चिह्नित किया गया था। यह नया द्वीप समुद्र तल की मिट्टी और मोराइन यानी मिट्टी, चट्टान एवं अन्य सामग्री जो ग्लेशियरों में गति के कारण पीछे छूट जाती है, से मिलकर बना है और इस द्वीप पर किसी भी प्रकार की वनस्पति नहीं है। शोधकर्त्ताओं के समूह ने सुझाव दिया है कि इस द्वीप को 'क्यूकर्टाक अवन्नारलेक' (Qeqertaq Avannarleq) नाम दिया जाए, ग्रीनलैंडिक भाषा में इसका अर्थ है ‘सबसे उत्तरी द्वीप’।
‘प्रवासियों के संरक्षक’ सम्मेलन का चौथा संस्करण
- 10 सितंबर, 2021 को ‘प्रवासियों के संरक्षक’ (POE) सम्मेलन का चौथा संस्करण आयोजित किया गया। संयोगवश इसी दिन ‘इमिग्रेंट एक्ट, 1983’ को भी अधिनियमित किया गया था। विदेश मंत्रालय के तहत ‘प्रवासियों के संरक्षक जनरल’ (PGE) भारतीय कामगारों के हितों की रक्षा हेतु उत्तरदायी प्राधिकरण है। PGE विदेशी जनशक्ति निर्यात व्यवसाय के लिये भर्ती एजेंटों को पंजीकरण प्रमाणपत्र जारी करने का पंजीकरण प्राधिकरण भी है। ‘प्रवासियों के संरक्षक’ ‘इमिग्रेंट एक्ट, 1983’ के तहत निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार इच्छुक प्रवासियों को इमिग्रेशन हेतु मंज़ूरी देने के लिये उत्तरदायी होते हैं। ‘प्रवासियों के संरक्षक’ प्रायः ‘प्रवासियों के संरक्षक जनरल’ के नियंत्रण में कार्य करते हैं। इस संबंध में विदेश मंत्रालय द्वारा जारी विज्ञप्ति के मुताबिक, गतिशीलता एवं साझेदारी पर ब्रिटेन के साथ हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन, 14 क्षेत्रों में जापान के साथ विशिष्ट कुशल कामगारों पर समझौते और हाल ही में भारत एवं पुर्तगाल के बीच कुशल जनशक्ति गतिशीलता पर कैबिनेट की मंज़ूरी की पृष्ठभूमि में युवाओं व श्रमिकों को नए गंतव्यों और अवसरों के बारे में सूचित करने में POEs की महत्त्वपूर्ण भूमिका हो सकती है।
सेंटर फॉर ओल्डेस्ट आइस एक्सप्लोरेशन (COLDEX)
- अंटार्कटिका की सबसे पुरानी बर्फ की खोज हेतु अन्वेषण करने और पिछले कई मिलियन वर्षों में पृथ्वी की जलवायु में आए बदलावों का पता लगाने के उद्देश्य से जल्द ही ‘सेंटर फॉर ओल्डेस्ट आइस एक्सप्लोरेशन’ (COLDEX) की स्थापना की जाएगी। इस अन्वेषण अभियान को अमेरिका के ‘नेशनल साइंस फाउंडेशन’ द्वारा वित्तपोषित किया जाएगा और इसमें विभिन्न विश्विद्यालयों के शोधकर्त्ता शामिल होंगे। इस अध्ययन का प्राथमिक उद्देश्य यह पता लगाना है कि पिछले दस लाख वर्षों की तुलना में अधिक गर्म होने पर वर्तमान में पृथ्वी किस प्रकार व्यवहार कर रही है। इस अध्ययन के हिस्से के तौर पर अंटार्कटिका में बर्फ के सबसे पुराने हिस्से को खोजने का प्रयास किया जाएगा। इस अध्ययन के माध्यम से प्राप्त सूचना जलवायु परिवर्तन और इसके प्रभावों को दूर करने के प्रयासों को आगे भी जारी रखने हेतु काफी महत्त्वपूर्ण हो सकती है। अंटार्कटिका की बर्फ का सबसे पुराना रिकॉर्ड वर्तमान में लगभग 800,000 वर्ष पुराना है, जिसे महाद्वीप की सतह से मीलों नीचे ड्रिलिंग करके एकत्र किया गया था। शोधकर्त्ताओं को उम्मीद है कि इस अध्ययन के माध्यम से 1.5 मिलियन वर्ष से 3 मिलियन वर्ष तक के पुराने बर्फ के टुकड़े खोजे जा सकेंगे।
राजा महेंद्र प्रताप सिंह स्टेट यूनिवर्सिटी
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में राजा महेंद्र प्रताप सिंह स्टेट यूनिवर्सिटी की आधारशिला रखी। इस विश्वविद्यालय की स्थापना राज्य सरकार द्वारा महान स्वतंत्रता सेनानी, शिक्षाविद् और समाज सुधारक राजा महेंद्र प्रताप सिंह की स्मृति एवं सम्मान में की जा रही है। वर्ष 1886 में उत्तर प्रदेश के हाथरस ज़िले में शाही परिवार में जन्मे महेंद्र प्रताप सिंह एक समाज सुधारक, स्वतंत्रता सेनानी एवं मार्क्सवादी क्रांतिकारी थे। ‘मुहम्मदन एंग्लो-ओरिएंटल कॉलेजिएट स्कूल’ (वर्तमान अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय) के पूर्व छात्र के रूप में राजा महेंद्र प्रताप सिंह काफी कम उम्र से ही राजनीति के क्षेत्र में सक्रिय हो गए थे। उन्होंने कॉलेज के अपने साथी छात्रों के साथ वर्ष 1911 के ‘बाल्कन युद्ध’ में भी हिस्सा लिया था। भारत को आज़ादी मिलने के बाद वह वर्ष 1947 में देश वापस लौटे आए। वह वर्ष 1957 में मथुरा से लोकसभा के लिये चुने गए, जहाँ उन्होंने तत्कालीन जनसंघ के उम्मीदवार अटल बिहारी वाजपेयी के विरुद्ध निर्दलीय रूप से चुनाव लड़ा था। दादाभाई नौरोजी और बाल गंगाधर तिलक के भाषणों से प्रभावित होकर महेंद्र प्रताप स्वदेशी आंदोलन से काफी गहराई से जुड़े थे। राजा महेंद्र प्रताप सिंह, जिन्होंने स्वयं को ‘शक्तिहीन और कमज़ोर नौकर’ के रूप में संबोधित किया था, को वर्ष 1932 में नोबल शांति पुरस्कार के लिये नामांकित किया गया था। वह 1 दिसंबर, 1915 को काबुल में स्थापित भारत की पहली अनंतिम निर्वासित सरकार के अध्यक्ष भी थे। वर्ष 1979 में राजा महेंद्र प्रताप सिंह की मृत्यु हो गई।
दुनिया का सबसे बड़ा कार्बन कैप्चर प्लांट
- आइसलैंड की एक कंपनी ने दुनिया का ऐसा सबसे बड़ा प्लांट स्थपित किया है जो प्रत्यक्ष तौर पर हवा से कार्बन डाइऑक्साइड सोखता है और उसे भूमिगत जमा करता है। स्विट्ज़रलैंड की स्टार्टअप कंपनी ‘क्लाइमवर्क्स’ और आइसलैंड की कंपनी ‘कार्बफिक्स’ द्वारा निर्मित इस विशाल प्लांट में कुल चार इकाइयाँ शामिल हैं, जिसमें प्रत्येक में दो धातु के बक्से शामिल हैं, जो समुद्री परिवहन हेतु उपयोग किये जाने वाले कंटेनरों के समान हैं। कंपनी का दावा है कि यह प्लांट प्रतिवर्ष 4,000 टन कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) अवशोषित कर सकता है, जो कि लगभग 870 कारों से होने वाले वार्षिक उत्सर्जन के बराबर है। ‘अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी’ की मानें तो बीते वर्ष वैश्विक कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन कुल 31.5 बिलियन टन था। ‘डायरेक्ट एयर कैप्चर’ यानी हवा के माध्यम से प्रत्यक्ष कार्बन डाइऑक्साइड अवशोषित करने की यह पद्धति वायुमंडल से CO2 को कम करने संबंधी तकनीकों में सबसे नवीन है और वैज्ञानिकों द्वारा इसे ग्लोबल वार्मिंग, जो कि वनाग्नि, अधिक तापमान, बाढ़ एवं समुद्र के बढ़ते स्तर आदि के लिये उत्तरदायी है, को सीमित करने की दृष्टि से काफी महत्त्वपूर्ण माना जाता है। वर्तमान में दुनिया भर में 15 डायरेक्ट एयर कैप्चर प्लांट कार्य कर रहे हैं, जो प्रतिवर्ष 9,000 टन से अधिक CO2 कैप्चर करते हैं।
इंग्लैंड में इलेक्ट्रिक वाहन चार्जर लगाना अनिवार्य
- ब्रिटिश सरकार जल्द ही इंग्लैंड में सभी नवनिर्मित घरों और कार्यालयों में इलेक्ट्रिक वाहन चार्जर लगाना अनिवार्य करने हेतु एक कानून पेश करेगी। इस कानून के मुताबिक, सभी नए घरों और कार्यालयों में ‘स्मार्ट’ चार्जिंग डिवाइस की सुविधा उपलब्ध कराना अनिवार्य होगा, जो ऑफ-पीक अवधि के दौरान वाहनों को स्वचालित रूप से चार्ज कर सकेगा। इसके अलावा नए कार्यालय ब्लॉकों के लिये प्रत्येक पाँच पार्किंग स्थानों हेतु चार्ज प्वाइंट स्थापित करने की आवश्यकता होगी। नया कानून इंग्लैंड को दुनिया का ऐसा पहला देश बना देगा, जहाँ सभी नए घरों में इलेक्ट्रिक वाहनों के लिये चार्जर की व्यवस्था करना अनिवार्य होगा। यह पहल इंग्लैंड में इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग को बढ़ावा देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करेगी, क्योंकि चार्जिंग स्टेशनों की कमी इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग के विकास में एक बड़ी बाधा है और यही कारण है कि प्रायः लोग इलेक्ट्रिक कारों की ओर ट्रांज़िशन करने में परेशानी का सामना करते हैं। यह प्रस्ताव वर्ष 2030 में ब्रिटेन के नए जीवाश्म ईंधन वाले वाहनों पर प्रतिबंध लगाने से पूर्व इंग्लैंड में चार्जर्स की संख्या को तेज़ी से बढ़ाने संबंधी कार्यक्रम का हिस्सा है।
भारत-अफ्रीका रक्षा वार्ता
- फरवरी 2020 में लखनऊ में आयोजित पहले ‘भारत-अफ्रीका रक्षा मंत्री सम्मेलन’ के दो वर्ष बाद भारत अगले वर्ष (2022) मार्च माह में ‘डेफ-एक्सपो’ (DefExpo) के अवसर पर ‘भारत-अफ्रीका रक्षा वार्ता’ का आयोजन करेगा। भारत सरकार इस कार्यक्रम को अपनी द्विवार्षिक ‘डेफ-एक्सपो’ (DefExpo) सैन्य प्रदर्शनी के साथ आयोजित होने वाले नियमित कार्यक्रम के रूप के स्थापित करने पर विचार कर रही है। यह वार्ता भारत और अफ्रीकी देशों के बीच मौजूदा साझेदारी के निर्माण में मदद करेगी तथा पारस्परिक जुड़ाव के लिये महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों का पता लगाने हेतु भी मददगार होगी। यह वार्ता गुजरात के गांधीनगर में आयोजित की जाएगी। आयोजन का व्यापक विषय 'भारत-अफ्रीका: रक्षा और सुरक्षा सहयोग में तालमेल एवं सुदृढ़ीकरण हेतु रणनीति अपनाना’ है। ‘मनोहर पर्रिकर रक्षा अध्ययन और विश्लेषण संस्थान’ को इस संवाद के नॉलेज पार्टनर के रूप में नियुक्त किया गया है, जो भारत एवं अफ्रीकी देशों के बीच रक्षा सहयोग बढ़ाने हेतु आवश्यक सहायता प्रदान करने में मदद करेगा।
ईरान परमाणु समझौता
- मध्य-पूर्वी देश ईरान ने हाल ही में संयुक्त राष्ट्र के परमाणु वाचडॉग ‘अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी’ को ईरानी परमाणु स्थलों पर निगरानी कैमरों के उपयोग की अनुमति दे दी है। ‘अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी’ और ईरान के बीच इस वार्ता का उद्देश्य तेहरान और पश्चिमी देशों के बीच गतिरोध को कम करना था। ज्ञात हो कि वर्ष 2015 में वैश्विक शक्तियों (P5+1) के समूह (संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, फ्राँस, चीन, रूस और जर्मनी) के साथ ईरान द्वारा अपने परमाणु कार्यक्रम के लिये दीर्घकालिक समझौते पर सहमति व्यक्त की गई थी। इस समझौते को ‘संयुक्त व्यापक क्रियान्वयन योजना’ (JCPOA) तथा आम बोल-चाल की भाषा में ‘ईरान परमाणु समझौते’ के रूप में नामित किया गया था। इस समझौते के तहत ईरान ने वैश्विक व्यापार में अपनी पहुँच सुनिश्चित करने हेतु अपने परमाणु कार्यक्रमों की गतिविधि पर अंकुश लगाने हेतु सहमति व्यक्त की थी। समझौते के तहत ईरान को शोध कार्यों के संचालन के लिये थोड़ी मात्रा में यूरेनियम जमा करने की अनुमति दी गई। मई 2018 में इस समझौते को दोषपूर्ण बताते हुए अमेरिका इससे अलग हो गया और ईरान पर प्रतिबंध बढ़ाने शुरू कर दिये, जिसके बाद से ईरान लगातार समझौते के तहत उल्लिखित अपनी प्रतिबद्धताओं का उल्लंघन कर रहा है।
संसद टीवी’ का शुभारंभ
- हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘संसद टीवी’ का शुभारंभ किया है। ज्ञात हो कि संसद टीवी के गठन का निर्णय इस वर्ष फरवरी माह में लिया गया था। सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी रवि कपूर को संसद टीवी का मुख्य कार्यकारी अधिकारी और आईआरएस अधिकारी मनोज अरोड़ा को अंतरिम प्रधान संपादक के रूप में नियुक्त किया गया है। संसद टीवी का बजट लोकसभा और राज्यसभा द्वारा संयुक्त रूप से साझा किया जाएगा। नियमों के मुताबिक, लोकसभा कुल लागत का दो-तिहाई वहन करेगी, जबकि राज्यसभा एक-तिहाई लागत साझा करेगी। ‘संसद टीवी’ के तहत मुख्यतः चार श्रेणियों में कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा- संसद और लोकतांत्रिक संस्थानों का कामकाज, शासन और नीतियों का कार्यान्वयन, भारत का इतिहास और संस्कृति तथा समकालीन मुद्दे। ‘संसद टीवी’ का गठन ‘राज्यासभा टीवी’ और ‘लोकसभा टीवी’ का विलय करके किया गया है। ‘लोकसभा टीवी’ की शुरुआत 24 जुलाई, 2006 को पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी के प्रयासों से हुई थी। एक टीवी चैनल के रूप में ‘लोकसभा टीवी’ की शुरुआत से पूर्व कुछ विशिष्ट संसदीय गतिविधियों का ही टीवी पर प्रसारण किया जाता था, जैसे- संयुक्त बैठक में राष्ट्रपति का संबोधन आदि। वहीं ‘राज्यसभा टीवी’ की शुरुआत वर्ष 2011 में हुई थी। राज्यसभा में कार्यवाही के प्रत्यक्ष प्रसारण के अलावा ‘राज्यसभा टीवी’ संसदीय मामलों का विश्लेषण भी प्रस्तुत करता है और ज्ञान-आधारित विशिष्ट कार्यक्रमों के लिये एक मंच प्रदान करता है। यही कारण है कि आम लोगों के बीच ‘राज्यसभा टीवी’ अधिक प्रचलित माना जाता है।
छतीसगढ़ में ‘बाजरा मिशन’
- छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य को देश का ‘बाजरा हब’ बनाने हेतु ‘बाजरा मिशन’ लॉन्च किया है। ‘बाजरा मिशन’ का उद्देश्य किसानों को मोटे अनाज की फसलों का सही मूल्य देना, इनपुट सहायता, खरीद व्यवस्था और प्रसंस्करण सुविधा प्रदान करना तथा यह सुनिश्चित करना है कि किसानों को विशेषज्ञों की सहायता का लाभ मिल सके। इस मिशन को सफल बनाने के उद्देश्य से राज्य के 14 ज़िलों के कलेक्टरों द्वारा ‘भारतीय बाजरा अनुसंधान संस्थान’ (हैदराबाद) के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर भी किये गए हैं। इस समझौता ज्ञापन के तहत ‘भारतीय बाजरा अनुसंधान संस्थान’ छत्तीसगढ़ में कोडो, कुटकी और रागी की उत्पादकता बढ़ाने, तकनीकी जानकारी प्रदान करने, उच्च गुणवत्ता वाले बीजों की उपलब्धता और बीज बैंक की स्थापना हेतु सहायता एवं मार्गदर्शन प्रदान करेगा। इसके अलावा भारतीय बाजरा अनुसंधान संस्थान द्वारा बाजरे के उत्पादन से संबंधित राष्ट्रीय स्तर पर विकसित वैज्ञानिक तकनीक को क्षेत्र स्तर तक पहुँचाने के लिये ‘कृषि विज्ञान केंद्र’ के माध्यम से छत्तीसगढ़ के किसानों को प्रशिक्षण देने की व्यवस्था की जाएगी। राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कोडो, कुटकी एवं रागी जैसे बाजरा की बढ़ती मांग को देखते हुए ‘बाजरा मिशन’ न केवल आदिवासी क्षेत्रों के किसानों की आय में वृद्धि करेगा, बल्कि छत्तीसगढ़ को एक नई पहचान प्रदान करने में भी सहायक होगा।
उड़ान परियोजना क्या है
- भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान-बॉम्बे (IIT-B) द्वारा ‘उड़ान’ परियोजना शुरू की गई है, जिसका उद्देश्य भारतीय संस्थानों में इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम के दौरान भाषा की बाधा को समाप्त करना है। यह इंजीनियरिंग की पाठ्यपुस्तकों का भारतीय भाषाओं में अनुवाद करने हेतु एक एंड-टू-एंड ट्रांसलेशन इकोसिस्टम के विकास पर ध्यान केंद्रित करेगी, जो शिक्षार्थियों की आगामी पीढ़ी को अपनी मातृभाषा में इंजीनियरिंग का अध्ययन करने में सक्षम बनाएगी। IIT-बॉम्बे के कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग विभाग (CSE) के मुताबिक, उड़ान परियोजना के तहत तकनीकी पुस्तकों के अनुवाद के लिये मशीन और तकनीक की सहायता ली जाएगी, जिसके लिये संस्थान द्वारा कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और मशीन लर्निंग (ML) जैसी अत्याधुनिक तकनीकों का उपयोग किया जाएगा। यह नई अनुवाद परियोजना नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के दृष्टिकोण के अनुरूप है, जिसमें विश्वविद्यालयों और कॉलेजों द्वारा हिंदी एवं अन्य भारतीय भाषाओं में उच्च शिक्षा प्रदान करने की परिकल्पना की गई है।
‘शांतिपूर्ण मिशन’ अभ्यास-2021
- भारतीय सैन्य दल ने हाल ही में रूस के ऑरेनबर्ग में ‘शंघाई सहयोग संगठन’ (SCO) के ‘शांतिपूर्ण मिशन’ अभ्यास-2021 के छठे संस्करण में हिस्सा लिया। संयुक्त आतंकवाद विरोधी अभ्यास ‘शांतिपूर्ण मिशन’ एक बहुपक्षीय अभ्यास है जिसे शंघाई सहयोग संगठन के सदस्य देशों के बीच सैन्य कूटनीति के एक हिस्से के रूप में द्विवार्षिक रूप से आयोजित किया जाता है। इस अभ्यास के छठे संस्करण को 13-25 सितंबर, 2021 के बीच दक्षिण-पश्चिम रूस के ‘ऑरेनबर्ग क्षेत्र’ में आयोजित किया जा रहा है। इस अभ्यास का उद्देश्य शंघाई सहयोग संगठन के सदस्य देशों के बीच घनिष्ठ संबंधों को बढ़ावा देना और बहुराष्ट्रीय सैन्य टुकड़ियों का नेतृत्व करने की सैन्य क्षमताओं में वृद्धि करना है। यह अभ्यास, शंघाई सहयोग संगठन के सदस्य देशों के सशस्त्र बलों को सर्वोत्तम प्रथाओं को परस्पर साझा करने में सक्षम बनाता है। यह अभ्यास SCO राष्ट्रों के सशस्त्र बलों को बहुराष्ट्रीय एवं संयुक्त वातावरण के शहरी परिदृश्य में आतंकवाद-रोधी अभियानों में प्रशिक्षित होने का अवसर भी प्रदान करता है। इस अभ्यास के दायरे में पेशेवर आपसी संपर्क, अभ्यास और प्रक्रियाओं की आपसी समझ, संयुक्त कमान एवं नियंत्रण संरचनाओं की स्थापना तथा आतंकवादी खतरों का उन्मूलन करना शामिल है।
आपदा जोखिम न्यूनीकरण हेतु भारत-इटली के बीच समझौता
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आपदा जोखिम न्यूनीकरण और प्रबंधन के क्षेत्र में सहयोग के लिये भारत तथा इटली गणराज्य के बीच समझौता-ज्ञापन को मंज़ूरी दी है। आपदा जोखिम न्यूनीकरण और प्रबंधन के क्षेत्र में सहयोग संबंधी यह समझौता भारत की तरफ से ‘राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण’ (NDMA) और इटली गणराज्य के ’डिपार्टमेंट ऑफ सिविल प्रोटेक्शन ऑफ दी प्रेसीडेंसी ऑफ दी काउंसिल ऑफ मिनिस्टर्स’ के बीच किया गया है। इस समझौता-ज्ञापन के तहत एक ऐसी प्रणाली का निर्माण किया जाएगा, जिससे भारत एवं इटली, दोनों देशों को आपदा जोखिम न्यूनीकरण एवं प्रबंधन के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण लाभ होगा। इसके तहत दोनों देशों को एक-दूसरे की आपदा प्रबंधन प्रणालियों से लाभ प्राप्त करने और आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में तैयारी, प्रतिक्रिया एवं क्षमता निर्माण को मज़बूत करने में मदद मिलेगी। ज्ञात हो कि राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण भारत में आपदा प्रबंधन के लिये शीर्ष वैधानिक निकाय है। इसका ओपचारिक रूप से गठन 27 सितंबर, 2006 को आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत हुआ जिसमें अध्यक्ष के रूप में प्रधानमंत्री और नौ अन्य सदस्य होते हैं और इनमें से एक सदस्य को उपाध्यक्ष के पद पर नियुक्त जाता है। इसका प्राथमिक उद्देश्य प्राकृतिक या मानव निर्मित आपदाओं के दौरान प्रतिक्रियाओं में समन्वय स्थापित करना और आपदा-प्रत्यास्थ (आपदाओं में लचीली रणनीति) व संकटकालीन प्रतिक्रिया हेतु क्षमता निर्माण करना है।
‘हाईबोडॉन्ट शार्क’ के अवशेष
- ‘भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण’ और ‘भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान-रुड़की’ के शोधकर्त्ताओं द्वारा की गई खोज में राजस्थान के जैसलमेर बेसिन से ‘हाईबोडॉन्ट शार्क’ की एक नई विलुप्त प्रजाति के अवशेष मिले हैं। ट्राइसिक काल और प्रारंभिक जुरासिक काल के दौरान ‘हाईबोडॉन्ट शार्क’ समुद्री एवं मीठे पानी के वातावरण दोनों स्थानों पर पाई जाती थी। जैसलमेर बेसिन क्षेत्र से एकत्र किये गए 30 से अधिक दाँतों के नमूनों से पता चला है कि ये प्रजातियाँ लगभग 160 से 168 मिलियन वर्ष पूर्व इस क्षेत्र में मौजूद थीं। यह खोज इस लिहाज से भी महत्त्वपूर्ण है क्योंकि यह भारतीय उपमहाद्वीप से ‘स्ट्रोफोडस जीनस’ का पहला रिकॉर्ड है। शोधकर्त्ताओं का अनुमान है कि ‘हाईबोडॉन्ट शार्क’ लगभग 2-3 मीटर लंबी थी और वे लगभग 65 मिलियन वर्ष पूर्व विलुप्त हो गईं। गौरतलब है कि डायनासोर भी लगभग 65 मिलियन वर्ष पूर्व ही विलुप्त हुए थे। हालाँकि इन दोनों प्रजातियों की विलुप्ति के बीच संबंध स्पष्ट नहीं है। ज्ञात हो कि जैसलमेर समुद्री जीवाश्मों, विशेष रूप से अकशेरुकी जीवों के अवशेषों की दृष्टि से एक महत्त्वपूर्ण स्थान है। इन जीवाश्मों की उपस्थिति वनस्पति-समृद्ध तटीय वातावरण की मौजूदगी का संकेत देती है।
‘एक पहल’ अभियान के बारे में
- हाल ही में विधि एवं न्याअय मंत्रालय ने टेली-लॉ के तहत बड़े पैमाने पर पंजीकरण को प्रोत्साहित करने के लिये देश भर में ‘एक पहल’ नामक अभियान की शुरुआत की है। इस अभियान के तहत टेली-लॉ के माध्यम से पैनल वकीलों द्वारा लाभार्थियों को 34 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के 633 ज़िलों में 50,000 ग्राम पंचायतों के 51,434 सामान्य सेवा केंद्रों में पूर्व-मुकदमे संबंधी सलाह/परामर्श प्रदान किया जाएगा। ज्ञात हो कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 39(A) में सभी के लिये न्याय सुनिश्चित किया गया है और गरीबों तथा समाज के कमज़ोर वर्गों के लिये राज्य द्वारा निःशुल्क विधिक सहायता की व्यवस्था करने की बात कही गई है। वहीं अनुच्छेद 14 और अनुच्छेद 22(1), विधि के समक्ष समानता सुनिश्चित करने के लिये राज्य को बाध्य करते हैं। एक सफल एवं जीवंत लोकतंत्र की पहचान यह है कि प्रत्येक नागरिक को न केवल न्याय की गारंटी दी जाए बल्कि वह न्यायसंगत भी हो। यह सरकार को एक ऐसा वातावरण बनाने के लिये बाध्य करता है, जहाँ न्याय-वितरण को एक संप्रभु कार्य के रूप में नहीं बल्कि नागरिक-केंद्रित सेवा के रूप में देखा जाता हो।
अर्थशॉट पुरस्कार के बारे में
- तमिलनाडु की एक 14 वर्षीय स्कूली छात्रा की सौर ऊर्जा से चलने वाली ‘आयरन कार्ट’ परियोजना और दिल्ली के उद्यमी की कृषि अपशिष्ट रीसाइक्लिंग अवधारणा को ब्रिटेन के प्रिंस विलियम द्वारा शुरू किये गए ‘अर्थशॉट पुरस्कार’ के लिये 15 फाइनलिस्टों में नामित किया गया है। ये दोनों परियोजनाएँ ‘अर्थशॉट प्राइज़ ग्लोबल अलायंस मेंबर्स’ (दुनिया भर के निजी क्षेत्र के व्यवसायों का एक नेटवर्क) से परियोजना विस्तार के लिये आवश्यक संसाधन और वित्तीय सहायता प्राप्त करेंगे। प्रिंस विलियम द्वारा इन 15 फाइनलिस्टों में से पाँच को अलग-अलग श्रेणियों में ‘अर्थशॉट पुरस्कार’ से सम्मानित किया जाएगा। ये पाँच श्रेणियाँ हैं- ‘प्रकृति की रक्षा एवं पुनर्स्थापना’, ‘स्वच्छ वायु’, ‘महासागरों का पुनर्जीवन’. ‘अपशिष्ट मुक्त विश्व का निर्माण’ और ‘जलवायु को ठीक करना’।
ब्रिगेडियर एस.वी. सरस्वती: राष्ट्रीय फ्लोरेंस
नाइटिंगेल पुरस्कार
- हाल ही में सैन्य नर्सिंग सेवा की उपमहानिदेशक ब्रिगेडियर ‘एस.वी. सरस्वती’ को राष्ट्रपति द्वारा ‘राष्ट्रीय फ्लोरेंस नाइटिंगेल पुरस्कार-2020’ से सम्मानित किया गया है। राष्ट्रपति द्वारा यह पुरस्कार नर्स प्रशासक के रूप में ब्रिगेडियर ‘एस.वी. सरस्वती’ के सैन्य नर्सिंग सेवा में महत्त्वपूर्ण योगदान को देखते हुए दिया गया है। ‘राष्ट्रीय फ्लोरेंस नाइटिंगेल पुरस्कार’ ऐसा सर्वोच्च राष्ट्रीय सम्मान है, जिसे किसी नर्स को उसकी निःस्वार्थ सेवा और असाधारण कार्यकुशलता के लिये प्रदान किया जाता है। ब्रिगेडियर सरस्वती आंध्र प्रदेश के चित्तूर ज़िले की रहने वाली हैं और उन्होंने 28 दिसंबर, 1983 को सैन्य नर्सिंग सेवा में कार्य शुरू किया था। उन्होंने सैन्य नर्सिंग के क्षेत्र में साढ़े तीन दशक से अधिक समय तक सेवा की है। एक प्रसिद्ध ऑपरेशन थिएटर नर्स के रूप में ब्रिगेडियर सरस्वती ने 3,000 से अधिक जीवनरक्षक तथा आपातकालीन सर्जरी में सहायता की है और अपने कॅरियर में बहुत से रेज़ीडेंट, ऑपरेशन रूम नर्सिंग प्रशिक्षुओं एवं सहायक कर्मचारियों को प्रशिक्षित किया है। सैनिकों और उनके परिवारों के लिये नर्सिंग सेवाओं में उनके विशिष्ट योगदान के चलते उन्हें ‘जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ कमेंडेशन’ (2005), ‘संयुक्त राष्ट्र मेडल’ (2007) और ‘चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ कमेंडेशन’ (2015) से भी सम्मानित किया गया है।
ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस रिपोर्ट: विश्व बैंक
- विश्व बैंक ने हाल ही में वर्ष 2018 और वर्ष 2020 के संस्करणों में ‘डेटा अनियमितताओं’ की आंतरिक रिपोर्टों और बैंक कर्मचारियों से जुड़े संभावित ‘नैतिक मामलों’ की जाँच के बाद ‘ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस रिपोर्ट’ को बंद करने का निर्णय लिया है। विश्व बैंक द्वारा की गई आंतरिक जाँच के मुताबिक, तत्कालीन विश्व बैंक के अध्यक्ष ‘जिम योंग किम’ और तत्कालीन मुख्य कार्यकारी अधिकारी ‘क्रिस्टालिना जॉर्जीवा’ तथा उनके एक सलाहकार के दबाव में विश्व बैंक के कर्मचारियों ने ‘ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस’ रैंकिंग में सुधार करने हेतु चीन के डेटा में बदलाव किया था। गौरतलब है कि क्रिस्टालिना जॉर्जीवा वर्तमान में ‘अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष’ की प्रबंध संचालक’ (MD) हैं। विश्व बैंक द्वारा इस रिपोर्ट को सर्वप्रथम वर्ष 2003 में पेश किया गया था और यह एक व्यवसाय को प्रभावित करने वाले दस मापदंडों पर विश्व की कुल 190 देशों की अर्थव्यवस्थाओं में व्यापार नियमों और उनके प्रवर्तन का आकलन प्रदान करती है। इस रिपोर्ट के तहत ‘डिस्टेंस-टू-फ्रंटियर’ (DTF) स्कोर के आधार पर देशों को रैंक प्रदान की जाती थी, जो सर्वोत्तम वैश्विक अभ्यासों के संबंध में किसी एक विशिष्ट अर्थव्यवस्था के अंतर को उजागर करता है।
साहित्य अकादमी फैलोशिप
- प्रख्यात अंग्रेज़ी लेखक ‘रस्किन बॉण्ड’, हिंदी लेखक ‘विनोद कुमार शुक्ला’ समेत छः अन्य लेखकों को ‘साहित्य अकादमी फैलोशिप’ के लिये चुना गया है। ‘साहित्य अकादमी फैलोशिप’ के लिये चुने गए अन्य लोगों में सिरशेंदु मुखोपाध्याय (बांग्ला), एम लीलावती (मलयालम), डॉ. भालचंद्र नेमाडे (मराठी), डॉ. तेजवंत सिंह गिल (पंजाबी), स्वामी रामभद्राचार्य (संस्कृत), इंदिरा पार्थसारथी (तमिल) शामिल हैं। ज्ञात हो कि 300 से अधिक लघु कथाओं, निबंध और उपन्यास तथा बच्चों के लिये 30 से अधिक पुस्तकें लिखने वाले रस्किन बॉण्ड को ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’, साहित्य अकादमी के ‘बाल साहित्य पुरस्कार’, ‘पद्मश्री’ और ‘पद्मभूषण’ सहित अन्य प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। साहित्य अकादमी भारतीय साहित्य के सक्रिय विकास हेतु समर्पित एक राष्ट्रीय संस्था है, जिसका उद्देश्य उच्च साहित्यिक मानदंड स्थापित करना, भारतीय भाषाओं में साहित्यिक गतिविधियों को समन्वित करना एवं उनका पोषण करना तथा उनके माध्यभम से देश की सांस्कृतिक एकता का उन्नयन करना है। भारत सरकार द्वारा इसकी स्थापना 12 मार्च, 1954 को की गई थी। ज्ञात हो कि अकादमी द्वारा प्रत्येक वर्ष अपने द्वारा मान्यता प्रदत्त 24 भाषाओं में साहित्यिक कृतियों के साथ ही इन्हीं भाषाओं में परस्पर साहित्यिक अनुवाद के लिये भी पुरस्कार प्रदान किये जाते हैं। भारत के संविधान में शामिल 22 भाषाओं के अलावा साहित्य अकादमी ने अंग्रेज़ी तथा राजस्थानी को भी उन भाषाओं के रूप में मान्यता दी है जिसमें अकादमी के कार्यक्रम को लागू किया जा सकता है।
चंद्रमा का ‘नोबेल क्रेटर’
- नासा ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के एक क्षेत्र- ‘नोबेल क्रेटर’ को अपने आगामी मिशन के लैंडिंग स्थल के रूप में चुना है। नासा के आर्टेमिस कार्यक्रम के हिस्से के रूप में नासा के ‘वोलेटाइलस इन्वेस्टिगेटिंग पोलर एक्सप्लोरेशन रोवर’ (Viper) को वर्ष 2023 में ‘स्पेस-एक्स’ के फाल्कन-हेवी रॉकेट के माध्यम से लॉन्च किया जाएगा। यह चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव का अन्वेषण करने वाला पहला रोवर होगा। ज्ञात हो कि इस क्षेत्र का अब तक केवल नासा के लूनर रिकॉनेसेन्स ऑर्बिटर, इसरो के चंद्रयान-1 और चंद्रयान-2 जैसे रिमोट सेंसिंग उपकरणों का उपयोग करके अध्ययन किया गया है। इस मिशन के माध्यम से प्राप्त डेटा दुनिया भर के वैज्ञानिकों को चंद्रमा की ब्रह्मांडीय उत्पत्ति, विकास तथा इतिहास को और बेहतर तरीके से समझने में मदद करेगा, साथ ही यह भविष्य के चंद्रमा तथा अन्य खगोलीय निकायों से संबंधित मिशनों के लिये भी महत्त्वपूर्ण है। ज्ञात हो कि आर्टेमिस कार्यक्रम के माध्यम से नासा वर्ष 2024 तक मनुष्य (एक महिला और एक पुरुष) को चंद्रमा पर भेजना चाहता है। इस मिशन का लक्ष्य चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर अंतरिक्ष यात्रियों को उतारना है।
विदेशी गणमान्य व्यक्तियों से प्राप्त उपहारों संबंधी नियम
- एक हालिया आधिकारिक आदेश के मुताबिक, केंद्र ने IAS, IPS और IFoS अधिकारियों को भारतीय प्रतिनिधिमंडल के सदस्य के रूप में विदेशी गणमान्य व्यक्तियों से प्राप्त उपहारों को रखने की अनुमति देने हेतु 50 वर्ष पुराने नियम में संशोधन किया है। मौजूदा नियम अधिकारियों को शादी, वर्षगाँठ और धार्मिक समारोहों जैसे अवसरों पर केवल अपने करीबी रिश्तेदारों या व्यक्तिगत मित्रों से उपहार स्वीकार करने की अनुमति देते हैं, जब ऐसे उपहार देना प्रचलित धार्मिक और सामाजिक प्रथा के अनुरूप हो। हालाँकि यदि इस तरह के उपहार का मूल्य 25,000 रुपए से अधिक होने पर सरकार को रिपोर्ट करना अनिवार्य था। ज्ञात हो कि विदेशी गणमान्य व्यक्तियों से प्राप्त उपहारों को रखने अथवा न रखने के संबंध में कोई विशिष्ट नियम नहीं था, अब तक प्रचलित व्यवस्था के तहत ज्ञात या अज्ञात विदेशी गणमान्य व्यक्तियों से प्राप्त उपहार प्रायः विदेश मंत्रालय में 'तोशाखाना' (ऐसे उपहारों का एक भंडार) मंध जमा किये जाते थे।
‘एसडीजी प्रोग्रेस अवार्ड’
- संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रायोजित ‘सतत् विकास समाधान नेटवर्क’ ने बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना को गरीबी समाप्त करने, पृथ्वी के पारिस्थितिक तंत्र की रक्षा करने और सभी के लिये शांति एवं समृद्धि सुनिश्चित करने हेतु कार्रवाई के सार्वभौमिक आह्वान हेतु ‘एसडीजी प्रोग्रेस अवार्ड’ से सम्मानित किया है। यह पुरस्कार सतत् विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में किये जा रहे प्रयासों को मान्यता प्रदान करता है। प्रमुख अर्थशास्त्री एवं विकास रणनीतिकार प्रोफेसर जेफरी डी. सैच्स के नेतृत्व में ‘सतत् विकास समाधान नेटवर्क’ की स्थापना वर्ष 2012 में संयुक्त राष्ट्र महासचिव के तत्त्वावधान में की गई थी। इस प्लेटफाॅर्म का उद्देश्य सतत् विकास हेतु व्यावहारिक समाधानों को बढ़ावा देने के लिये वैश्विक वैज्ञानिक और तकनीकी विशेषज्ञता जुटाना एवं विकास प्रदर्शनों में देश-विशिष्ट प्रतिस्पर्द्धात्मकता का आकलन करना है।
राष्ट्रीय सेवा योजना’ पुरस्कार
- भारतीय राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने वर्चुअल माध्यम से वर्ष 2019-20 के लिये ‘राष्ट्रीय सेवा योजना’ (NSS) पुरस्कार प्रदान किये। वर्ष 2019-2020 के लिये ‘राष्ट्रीय सेवा योजना’ पुरस्कार तीन अलग-अलग श्रेणियों में जैसे- विश्वविद्यालय, प्ललस टू परिषदों, एन.एस.एस. इकाइयों और उनके कार्यक्रम अधिकारियों तथा स्वयंसेवकों को दिये जाएंगे। युवा मामले और खेल मंत्रालय प्रत्येरक वर्ष विश्वविद्यालयों, कॉलेजों, प्ल स टू परिषदों, एन.एस.एस. इकाइयों द्वारा किये गए उत्कृयष्टर स्वैच्छिक सामुदायिक सेवा कार्य हेतु उन्हें राष्ट्रीय सेवा योजना पुरस्कार प्रदान करता है। ‘राष्ट्रीय सेवा योजना’ एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना है, जिसे वर्ष 1969 में स्वैच्छिक सामुदायिक सेवा के माध्यम से युवाओं के व्यक्तित्व एवं चरित्र विकास के प्राथमिक उद्देश्य के साथ शुरू किया गया था। ‘राष्ट्रीय सेवा योजना’ का वैचारिक अभिविन्यास महात्मा गांधी के आदर्शों से प्रेरित है। राष्ट्रीय सेवा योजना का ध्येय है- ‘मैं ही नहीं आप भी’। संक्षेप में इसके स्वयंसेवक नियमित और विशेष शिविर गतिविधियों के माध्यम से सामाजिक प्रासंगिकता के मुद्दों पर काम करते हैं। इन मुद्दों में साक्षरता एवं शिक्षा; स्वास्थ्य, परिवार कल्याण एवं पोषण; पर्यावरण संरक्षण; सामाजिक सेवा कार्यक्रम; महिला सशक्तीकरण कार्यक्रम; आपदाओं के दौरान बचाव एवं राहत कार्य आदि शामिल हैं।
वर्ष 2022 तक औद्योगिक ट्रांस फैट-मुक्त भारत
- ‘भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण’ (FSSAI) द्वारा आयोजित हालिया सर्वेक्षण के मुताबिक, भारत वर्ष 2022 तक औद्योगिक ट्रांस फैट-मुक्त बनने की राह पर है। ज्ञात हो कि भारत ने ‘विश्व स्वास्थ्य संगठन’ द्वारा निर्धारित अवधि से एक वर्ष पूर्व यानी वर्ष 2022 तक औद्योगिक रूप से उत्पादित ट्रांस वसा से देश को मुक्त करने के लिये औद्योगिक रूप से उत्पादित ट्रांस वसा की सीमा को 2 प्रतिशत से कम करना अनिवार्य किया है। तरल वनस्पति तेलों को अधिक ठोस रूप में परिवर्तित करने तथा खाद्य भंडारण एवं उपयोग अवधि में वृद्धि करने के लिये इन तेलों का हाइड्रोजनीकरण किया जाता है, इस प्रकार संतृप्त वसा या ट्रांस फैट का निर्माण होता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, ट्रांस वसा का अधिक सेवन (कुल ऊर्जा सेवन का 1% से अधिक) हृदय रोग और मृत्यु दर के बढ़ते जोखिम से जुड़ा है। यह मोटापा, टाइप-2 मधुमेह, चयापचय सिंड्रोम, इंसुलिन प्रतिरोध, बांझपन, कुछ विशेष प्रकार के कैंसर आदि की वृद्धि में भी सहायक है। मई 2018 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वर्ष 2023 तक वैश्विक खाद्य आपूर्ति से औद्योगिक रूप से उत्पादित ट्रांस फैट को खत्म करने के लिये एक व्यापक योजना की शुरुआत की थी।
‘फाइज़र’ का ‘बूस्टर डोज़’
- ‘यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन’ ने हाल ही में ‘फाइज़र’ और ‘बायोएनटेक’ की कोविड-19 वैक्सीन के ‘बूस्टर डोज़’ को मंज़ूरी दे दी है, जो कि 65 वर्ष और उससे अधिक उम्र के लोगों तथा कुछ अन्य उच्च जोखिम वाले अमेरिकी नागरिकों को प्रदान किया जाएगा। ‘बूस्टर डोज़’ को दूसरी खुराक के पूरा होने के कम-से-कम छह माह बाद दिया जाना है। इस डोज़ को प्राप्त करने वाले लोगों में मुख्यतः स्वास्थ्य देखभाल कार्यकर्त्ता, शिक्षक और डे-केयर स्टाफ, किराना कर्मचारी और बेघर या जेलों में मौजूद कैदी शामिल हैं। गौरतलब है कि ‘फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन’ संयुक्त राज्य अमेरिका के स्वास्थ्य एवं मानव सेवा विभाग की एक एजेंसी है, जिसका प्राथमिक कार्य खाद्य एवं औषधियों, मानव एवं पशु चिकित्सा हेतु दवाओं, जैविक उत्पादों और चिकित्सा उपकरणों की सुरक्षा एवं प्रभावकारिता सुनिश्चित करना है।
हेंसन क्रेटर
- ‘इंटरनेशनल एस्ट्रोनॉमिकल यूनियन’ ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर मौजूद एक क्रेटर का नाम ‘मैथ्यू हेंसन’ के नाम पर रखा है। चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव में ‘स्वेर्ड्रुप’ और ‘डी गेर्लाचे’ क्रेटर्स के बीच स्थित ‘हेंसन क्रेटर’ वह क्षेत्र है जहाँ ‘नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन’ (नासा) द्वारा ‘आर्टेमिस मिशन’ के तहत लैंडिंग की योजना बनाई गई है। 8 अगस्त, 1866 को मैरीलैंड में जन्मे मैथ्यू अलेक्जेंडर हेंसन अफ्रीकी अमेरिकी खोजकर्त्ता थे, जिन्होंने प्रसिद्ध अन्वेषक ‘रॉबर्ट ई. पियरी’ के साथ कई अन्वेषण अभियानों में हिस्स्सा लिया, जिनमें वर्ष 1909 में उत्तरी ध्रुव का अन्वेषण अभियान भी शामिल है। इस अभियान के दौरान ‘मैथ्यू हेंसन’ दक्षिणी ध्रुव पर पहुँचने वाले पहले अन्वेषकों में से एक थे। ज्ञात हो कि आर्टेमिस चंद्रमा अन्वेषण कार्यक्रम के माध्यम से नासा ने वर्ष 2024 तक पहली महिला और अगले पुरुष को चंद्रमा पर भेजने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इस मिशन का लक्ष्य चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर अंतरिक्ष यात्रियों को उतारना है। आर्टेमिस मिशन के माध्यम से नासा नई प्रौद्योगिकियों, क्षमताओं और व्यापार दृष्टिकोण का प्रदर्शन करना चाहता है जो भविष्य में मंगल ग्रह में अन्वेषण के लिये आवश्यक होंगे।
विष्णुओनीक्स नेपच्यून
- जर्मन शोधकर्त्ताओं के हालिया अध्ययन के दौरान ऊदबिलाव की एक पूर्व अज्ञात प्रजाति के जीवाश्म की खोज की गई है, जिसे ‘विष्णुओनीक्स नेपच्यून’ नाम दिया गया है। इस प्रजाति की खोज ‘हैमरस्चमीडे’ क्षेत्र में 11.4 मिलियन वर्ष पुराने स्ट्राटा से की गई थी, जो जर्मनी के बवेरिया में एक जीवाश्म स्थल है जिसका अध्ययन पिछले लगभग 50 वर्षों से किया जा रहा है। यह यूरोप में ‘विष्णुओनीक्स’ प्रजाति के किसी भी सदस्य की पहली खोज है। ‘विष्णुओनीक्स’ मध्यम आकार के शिकारी जानवर थे, जिनका वज़न औसतन 10-15 किलोग्राम था। इससे पूर्व इस प्रजाति के सदस्यों के ज्ञात अवशेष केवल एशिया और अफ्रीका में प्राप्त हुए थे। हाल के अध्ययनों से पता चलता है कि ‘विष्णुओनीक्स’ लगभग 12 मिलियन वर्ष पूर्व पूर्वी अफ्रीका तक पहुँच गए थे। ‘विष्णुओनीक्स’ काफी हद तक जल पर निर्भर थे और वे भूमि पर लंबी दूरी की यात्रा नहीं कर सकते थे। शोधकर्त्ताओं के मुताबिक, उन्होंने एशिया और यूरोप के बीच की लंबी दूरी की यात्रा संभवतः 12 मिलियन वर्ष पूर्व की थी, जब आल्प्स पर्वतमाला का निर्माण अपने प्रारंभिक चरण में था।
दुनिया का सबसे ऊँचा इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग स्टेशन
- सतत् पर्यावरण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से हिमाचल प्रदेश के लाहौल-स्पीति ज़िले के ‘काज़ा’ में दुनिया के सबसे ऊँचे (500 फीट ऊँचा) इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग स्टेशन का उद्घाटन किया गया है। इस चार्जिंग स्टेशन का उद्घाटन हिमाचल प्रदेश के पर्यावरण की रक्षा में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इलेक्ट्रिक वाहनों का उपयोग करने वाले यात्री काज़ा में चार्जिंग सुविधाओं का लाभ उठा सकेंगे। ध्यातव्य है कि भारत में सरकार द्वारा ‘इलेक्ट्रिक वाहनों’ के विकास के लिये पारिस्थितिक तंत्र विकसित करने हेतु कई प्रयास किये गए हैं। इन्हीं प्रयासों के तहत सरकार द्वारा वर्ष 2030 तक कुल कारों एवं दोपहिया इलेक्ट्रिक वाहनों के 30% की बिक्री का लक्ष्य रखा गया है। इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग का विकास तेज़ी से हो रहा है जो सरकार के ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम को गति प्रदान करने में सहायक होगा।
‘सेंटर ऑफ एक्सीलेंस ऑन क्वांटम टेक्नोलॉजीज़’
- ‘भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान-दिल्ली’ (IIT-D) ने क्वांटम टेक्नोलॉजीज़ के विभिन्न डोमेन्स में होने वाली अनुसंधान गतिविधियों को एक मंच पर लाने हेतु ‘सेंटर ऑफ एक्सीलेंस ऑन क्वांटम टेक्नोलॉजीज़’ की स्थापना की है। यह ‘सेंटर ऑफ एक्सीलेंस’ भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान-दिल्ली में क्वांटम टेक्नोलॉजीज़ के क्षेत्र में की जा रही विभिन्न गतिविधियों में तालमेल एवं सुसंगतता लाएगा और शोधकर्त्ताओं को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग तथा अन्य फंडिंग एजेंसियों से समर्थन प्राप्त करने में सहायता करेगा। ज्ञात हो कि संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन, जापान और ब्रिटेन जैसे कई देशों ने इस क्वांटम टेक्नोलॉजीज़ के क्षेत्र में व्यापक निवेश किया है। इसी तर्ज पर भारत सरकार ने भी क्वांटम प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अनुसंधान के लिये 8000 करोड़ रुपए के निवेश को मंज़ूरी दी है। विदित हो कि क्वांटम प्रौद्योगिकी, क्वांटम यांत्रिकी के सिद्धांतों पर आधारित है जिसे 20वीं शताब्दी की शुरुआत में प्रकृति में छोटे परमाणुओं और कणों का वर्णन करने के लिये विकसित किया गया था। तकनीक ने पहले चरण में भौतिक दुनिया के प्रकाश और पदार्थ के बारे में हमारी समझ विकसित की है, साथ ही लेज़र एवं सेमीकंडक्टर ट्रांज़िस्टर जैसे सर्वव्यापी आविष्कार किये हैं। हालाँकि अनुसंधान की एक सदी के बावजूद क्वांटम की दुनिया अभी भी रहस्यमय है और रोज़मर्रा की जिंदगी पर आधारित हमारे अनुभवों से दूर है।
वेवर सर्विसेज़ एंड डिज़ाइन रिसोर्स सेंटर
- केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा हिमाचल प्रदेश के हस्तशिल्प उत्पादों को प्रोत्साहित करने के साथ-साथ उनके निर्यात के लिये एक बेहतर मंच प्रदान करने हेतु ‘कुल्लू’ में ‘वेवर सर्विसेज़ एंड डिज़ाइन रिसोर्स सेंटर’ की स्थापना की जाएगी। इस बुनकर सेवा केंद्र में गुणवत्तापूर्ण नवीन डिज़ाइन तैयार करने के लिये आधुनिक उपकरण एवं प्रशिक्षण दिया जाएगा। इस केंद्र में डिज़ाइन, गुणवत्ता, पैकेजिंग और मार्केटिंग के आधुनिकीकरण पर अधिक ध्यान दिया जाएगा, ताकि बुनकरों को अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में अपने उत्पादों की बेहतर कीमत मिल सके। हिमाचल में हस्तशिल्प, हथकरघा एवं कारीगरों के कौशल उन्नयन की अपार संभावनाएँ हैं। गौरतलब है कि वर्तमान में राज्य में 13,572 पंजीकृत बुनकर हैं, जिनकी आजीविका बुनाई और कढ़ाई के कौशल पर निर्भर है। चंबा के रूमाल के साथ कुल्लू की शॉल एवं टोपी तथा किन्नौर की शॉल को जीआई टैग प्रदान किया गया है।
केंद्रीय पेट्रो केमिकल्स इंजीनियरिंग एवं तकनीकी संस्थासन
- हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जयपुर में ‘केंद्रीय पेट्रो केमिकल्सह इंजीनियरिंग एवं तकनीकी संस्थािन’ (सिपेट) का उद्घाटन किया है। इस संस्थान का उद्घाटन ऐसे समय में किया गया है, जब भारत व्यापक स्तर पर पेट्रोकेमिकल्स की कमी से जूझ रहा है और पेट्रोकेमिकल्स क्षेत्र में कीमतें लगातार बढ़ रही हैं। यह एक आत्मनिर्भर इंजीनियरिंग एवं तकनीकी संस्थाकन है, जो समर्पित रूप से पेट्रोकेमिकल एवं संबद्ध उद्योगों की ज़रूरतों को पूरा करेगा। पेट्रोकेमिकल विभिन्न रासायनिक यौगिकों के हाइड्रोकार्बन से प्राप्त किये जाते हैं। ये हाइड्रोकार्बन कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस से व्युत्पन्न होते हैं। पेट्रोकेमिकल उद्योग आर्थिक विकास और विनिर्माण क्षेत्र के विकास में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। पेट्रोकेमिकल उद्योग में मूल्यवर्द्धन अन्य उद्योग क्षेत्रों की तुलना में अधिक है। गौरतलब है कि भारत अपनी पेट्रोकेमिकल क्षमता को बढ़ावा देने हेतु एशिया में एक प्रमुख रिफाइनिंग हब के रूप में अपनी स्थिति को मज़बूत करने का प्रयास कर रहा है। भारत में वर्तमान में 23 रिफाइनरियाँ कार्यरत हैं और भारत वर्ष 2025 तक अपनी शोधन क्षमता को 400 मिलियन टन प्रतिवर्ष तक बढ़ाने की योजना बना रहा है। वर्तमान में देश में 249.36 मिलियन टन प्रतिवर्ष से अधिक स्थापित क्षमता है।
उत्तराखंड का पहला ‘पामेटम’
- उत्तराखंड वन विभाग ने हाल ही में नैनीताल ज़िले के हल्द्वानी क्षेत्र में राज्य का पहला और उत्तर भारत का सबसे बड़ा ‘पामेटम’ (Palmetum) आम लोगों को समर्पित किया है। इस पामेटम के निर्माण में कुल तीन वर्ष का समय लगा है जिसमें ‘पाम ट्री’ की 110 से अधिक प्रजातियाँ मौजूद हैं। इस ‘पामेटम’ की स्थापना का प्रमुख उद्देश्य संरक्षण को बढ़ावा देना, भविष्य में ‘पाम ट्री’ पर अनुसंधान को प्रोत्साहित करना और विभिन्न ‘पाम ट्री’ प्रजातियों के महत्त्व तथा पारिस्थितिक भूमिका के बारे में जागरूकता पैदा करना है। उत्तराखंड वन विभाग द्वारा स्थापित इस ‘पाल्मेटम’ में आईयूसीएन वर्गीकरण के अनुसार लगभग 4 प्रजातियाँ गंभीर रूप से संकटग्रस्त हैं, 2 प्रजातियाँ लुप्तप्राय हैं, 2 प्रजातियाँ सुभेद्य हैं। वहीं ‘पाम ट्री’ की एक प्रजाति उत्तराखंड के लिये स्थानिक है, जिसे ‘ट्रेचीकार्पस ताकिल’ (ताकिल पाम) कहा जाता है। गौरतलब है कि ‘पामेटम’ का आशय ‘पाम ट्री’ की विभिन्न प्रजातियों के समूह से है, जिसका प्राथमिक उद्देश्य ‘पाम ट्री’ पर अनुसंधान को बढ़ावा देना होता है।
‘अमृत ग्रैंड चैलेंज प्रोग्राम- जनकेयर’
- हाल ही में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने टेलीमेडिसिन, डिजिटल हेल्थ, बिग डेटा के साथ एम-हेल्थ, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और ब्लॉकचेन जैसी अत्याधुनिक प्रोद्योगिकियों में 75 स्टार्ट-अप नवाचारों की पहचान करने हेतु ‘जनकेयर’ (JANCARE) शीर्षक से ‘अमृत ग्रैंड चैलेंज प्रोग्राम’ लॉन्च किया है। ‘अमृत ग्रैंड चैलेंज प्रोग्राम- जनकेयर’ का शुभारंभ प्रधानमंत्री द्वारा शुरू किये गए ‘आज़ादी का अमृत महोत्सव’ के साथ किया जा रहा है और यह युवा स्टार्टअप और उद्यमियों भारत की स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों के लिये अभिनव विचारों और समाधानों की खोज करने में मदद करेगा। गौरतलब है कि आजादी का ‘अमृत महोत्सव’ भारत की स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगाँठ मनाने हेतु भारत सरकार द्वारा आयोजित कार्यक्रमों की एक शृंखला है। यह महोत्सव जनभागीदारी की भावना के साथ जन उत्सव के रूप में मनाया जा रहा है।
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